द कश्मीर फाइल्स भारतीय सिनेमा में आई इकलौती फिल्म है जो एक तरह से 'सिनेमाई आंदोलन' के रूप में सफल साबित हुई. फिल्म को लेकर लोगों की संवेदनाएं क्या थीं, शायद ही किसी को बताने की जरूरत पड़े. द कश्मीर फाइल्स के अलग-अलग पहलुओं पर लगातार मीमांसा जारी है. अब बॉलीवुड में निर्माता-निर्देशकों और अभिनेताओं का बड़ा समूह इस पर खुलकर बातें कर रहा है. वह यह भी महसूस कर रहा है कि कहीं ना कहीं कुछ ऐसा था जिसे फिल्म उद्योग ने लगातार नजरअंदाज किया. करण जौहर से लेकर तमाम फ़िल्मी हस्तियों ने इसे आंदोलन, भावनाओं का ज्वार, जनादेश और ना जाने क्या-क्या उपाधियां दी हैं.
द कश्मीर फाइल्स रिलीज के चौथे हफ्ते में है. फिल्म के साथ शुरू हुई बातचीत का सिलसिला अभी भी रुका नहीं है. फिल्म के बहाने दर्जनों मुद्दों पर बात हो रही है. सोशल मीडिया पर द कश्मीर फाइल्स और अक्षय कुमार को लेकर भी कई चर्चाएं हैं. इनमें से एक यह है कि विवेक अग्निहोत्री ने पहले पहल दर्शन कुमार की जगह कृष्णा की भूमिका के लिए सबसे पहले अक्षय कुमार को अप्रोच किया था.
दावा किया जा रहा कि अक्षय ने ऑफर को किन्हीं वजहों से खारिज कर दिया था. चूंकि मेकर्स ने रिलीज से पहले और बाद इस तरह के आरोप लगाए कि बॉलीवुड की सबसे ताकतवर लॉबी ने हर तरह से उनकी फिल्म को बाधित करने की कोशिश की. कुछ प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोशन रोकने और सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स को पर्याप्त स्पेस ना दिए जाने के आरोप भी लगाए गए. ऐसे आरोपों ने भी तमाम चर्चाओं को बल दिया. वैसे भी अक्षय ने सीधे-सीधे फिल्म की तारीफ भी नहीं की सोशल मीडिया पर. इस वजह से उन्हें लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा.
द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर ने अक्षय को लेकर सच का खुलासा किया
स्वाभाविक रूप से अक्षय...
द कश्मीर फाइल्स भारतीय सिनेमा में आई इकलौती फिल्म है जो एक तरह से 'सिनेमाई आंदोलन' के रूप में सफल साबित हुई. फिल्म को लेकर लोगों की संवेदनाएं क्या थीं, शायद ही किसी को बताने की जरूरत पड़े. द कश्मीर फाइल्स के अलग-अलग पहलुओं पर लगातार मीमांसा जारी है. अब बॉलीवुड में निर्माता-निर्देशकों और अभिनेताओं का बड़ा समूह इस पर खुलकर बातें कर रहा है. वह यह भी महसूस कर रहा है कि कहीं ना कहीं कुछ ऐसा था जिसे फिल्म उद्योग ने लगातार नजरअंदाज किया. करण जौहर से लेकर तमाम फ़िल्मी हस्तियों ने इसे आंदोलन, भावनाओं का ज्वार, जनादेश और ना जाने क्या-क्या उपाधियां दी हैं.
द कश्मीर फाइल्स रिलीज के चौथे हफ्ते में है. फिल्म के साथ शुरू हुई बातचीत का सिलसिला अभी भी रुका नहीं है. फिल्म के बहाने दर्जनों मुद्दों पर बात हो रही है. सोशल मीडिया पर द कश्मीर फाइल्स और अक्षय कुमार को लेकर भी कई चर्चाएं हैं. इनमें से एक यह है कि विवेक अग्निहोत्री ने पहले पहल दर्शन कुमार की जगह कृष्णा की भूमिका के लिए सबसे पहले अक्षय कुमार को अप्रोच किया था.
दावा किया जा रहा कि अक्षय ने ऑफर को किन्हीं वजहों से खारिज कर दिया था. चूंकि मेकर्स ने रिलीज से पहले और बाद इस तरह के आरोप लगाए कि बॉलीवुड की सबसे ताकतवर लॉबी ने हर तरह से उनकी फिल्म को बाधित करने की कोशिश की. कुछ प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोशन रोकने और सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स को पर्याप्त स्पेस ना दिए जाने के आरोप भी लगाए गए. ऐसे आरोपों ने भी तमाम चर्चाओं को बल दिया. वैसे भी अक्षय ने सीधे-सीधे फिल्म की तारीफ भी नहीं की सोशल मीडिया पर. इस वजह से उन्हें लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा.
द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर ने अक्षय को लेकर सच का खुलासा किया
स्वाभाविक रूप से अक्षय एपिसोड दिलचस्प और बात करने लायक है. हालांकि अक्षय से जुड़े पहलू का 'अथेंटिक सच' बाहर आ चुका है. द कश्मीर फाइल्स के प्रोड्यूसर अभिषेक अग्रवाल के हवाले से बॉलीवुड हंगामा ने एक रिपोर्ट में बताया कि अक्षय कुमार को फिल्म के लिए कभी अप्रोच ही नहीं किया गया था. यह वही कृष्णा का किरदार है जिसे दर्शन कुमार ने निभाया. कृष्णा के रोल के लिए दर्शन के चयन को लेकर अभिषेक ने कहा- दर्शन ने जो किरदार निभाया है उसके लिए हम लोगों ने कुछ नाम शॉर्टलिस्ट किए थे. लेकिन किरदार के लिए विवेक को सिर्फ दर्शन बहुत पसंद आ रहे थे. वे चाहते थे कि दर्शन ही इसे करें. इस वजह से हमलोगों ने दर्शन का चयन किया.
फिल्म में दर्शन कुमार ने जेएनयू के छात्रनेता कृष्णा की भूमिका निभाई है जो अनुपम खेर का पोता है और दिल्ली में अपने बूढ़े दादा के साथ रहता है. हालांकि कृष्णा को अपनी जड़ों, भाई, माता-पिता की मौत और पारिवारिक अतीत के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है. उसे यह भी नहीं पता है कि कैसे नरसंहार और पलायन के संत्रास झेलते हुए मासूम कृष्णा, बूढ़े दादा के साथ विस्थापित होकर दिल्ली पहुंचने को विवश हुआ था. फिल्म में दर्शन की भूमिका जबरदस्त है. उनके काम की लोगों ने जमकर तारीफ़ की है. अब सवाल है कि अगर कृष्णा के किरदार में अक्षय होते तो क्या फर्क पड़ जाता?
फिल्म में अक्षय होते तो उसके अलग मायने और अलग मकसद पर होती बात
द कश्मीर फाइल्स एक स्टारविहीन फिल्म है. स्टारविहीन फ़िल्म के मायने अलग होते हैं. जैसा मेकर्स ने साफ़ भी किया कि उनकी फिल्म का मकसद कारोबारी सफलता तो बिल्कुल नहीं थी. उनका मकसद था कि फिल्म के बहाने 32 साल पहले हुई मानवीय सभ्यता पर सबसे क्रूर हमले को लेकर व्यापक चर्चा हो और उसकी वजहों को पहचाना जाए. जो पीड़ित तीन दशक से न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं उन्हें न्याय मिले. जहां तक फिल्म के मकसद की बात थी, इसने लोगों का ध्यान खींचा है और इसे सफल कहा जा सकता है. मात्र 14 करोड़ के बजट में बनी फिल्म ने कारोबारी रिकॉर्ड भी बनाए और अब हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली फिल्म के रूप में सामने है.
हालांकि फिल्म में अगर अक्षय कुमार होते तो आशंका थी कि मकसद काफी हद तक प्रभावित होता. अक्षय किस कद के स्टार हैं बताने की जरूरत नहीं. द कश्मीर फाइल्स में अक्षय के होने का मतलब था कि जो चर्चाएं फिल्म के मकसद को पूरा करती दिख रही हैं वह बेवजह की चीजों के लिए शिफ्ट हो सकती थीं. अक्षय की फिल्मोग्राफी, भाजपा संघ के साथ उनके संबंध, उनकी कनाडाई नागरिकता आदि आदि. कृष्णा के किरदार में अक्षय के होने का मतलब साफ़ था कि फिल्म की चर्चा अक्षय के पहलू से होती.
यानी द कश्मीर फाइल्स का मकसद उनके स्टारडम, या उनकी तारीफों या विवाद में कहीं दबकर बेअसर हो जाता. क्या इस बात से इनकार किया जा सकता है कि अक्षय के होने का मतलब था कि फिल्म को लेकर चर्चाओं की हेडलाइंस में 'कश्मीर' की जगह अक्षय ले लेते. निश्चित ही उनका कद ही ऐसा है.
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