इलियाना डी क्रूज़ अपने इंस्टाग्राम हैंडल से अपनी एक ख़ुशियों से तस्वीर शेयर करती हैं और बताती हैं कि वो मां बनने वाली हैं. थोड़ी ही देर बाद उनकी ट्रोलिंग शुरू हो जाती हैं, क्योंकि उन्होंने दुनिया को अपने होने वाले बच्चे के बाप के बारे में नहीं बताया है. तरह-तरह के मीम ट्विटर पर दिखने लगते हैं. देख रहे हो न बिनोद कैसे शहर में बिना बाप का बच्चा फ़ैशन और गांव में बदनामी होता है.
मुझे सबसे पिंचिंग यही लगा उन सब में. यार कैरी मां को करना है, पालना-पोसना भी उसी को है और अगर वो लड़की इस चीज के साथ ओके है तो आपको क्यों मौत पड़ रही है. मुझे नहीं पता इलियाना ख़ुद बच्चे को जन्म देंगी या सिरोगेशी से उनका बच्चा होगा लेकिन जैसे भी होगा वो मां बनेंगी और ये अपने आप में सुंदर बात है. ये एक सुखद बदलाव है.
कब तक बच्चे के लिए शादी, पति और बच्चे को बाप का नाम मिले ऐसी चिन्हों को ढोते रहें. मैं ये नहीं कह रही हूं कि जो शादी करके बच्चा पैदा कर रहे हैं ग़लत कर रहे हैं. मैं सिर्फ़ ये कहने की कोशिश कर रही हूं कि बच्चा पैदा करने की शक्ति स्त्री के पास है, शरीर उसका है तो वो चुन सकती है शादी से पहले या शादी के बाद बच्चा पैदा करना या नहीं करना.
ये बदलाव समय की मांग है. अगर बदनामी का डर नहीं हो तो न जाने कितने अनाथ बच्चे अपनी मां की आंचल के साये में पल रहे होते. उस समाज ने स्त्री को शक्ति तो कहा लेकिन ईश्वर ने जो शक्ति स्त्रियों को दे कर भेजा उसे इज़्ज़त, धर्म और मर्यादा का वास्ता दे कर बार-बार छीनता रहा है.
और फिर बच्चा पैदा करना या नहीं करना ये सिर्फ़ और सिर्फ़ एक स्त्री का फ़ैसला होना चाहिए न कि समाज और कोर्ट का अगर स्त्री /लड़की...
इलियाना डी क्रूज़ अपने इंस्टाग्राम हैंडल से अपनी एक ख़ुशियों से तस्वीर शेयर करती हैं और बताती हैं कि वो मां बनने वाली हैं. थोड़ी ही देर बाद उनकी ट्रोलिंग शुरू हो जाती हैं, क्योंकि उन्होंने दुनिया को अपने होने वाले बच्चे के बाप के बारे में नहीं बताया है. तरह-तरह के मीम ट्विटर पर दिखने लगते हैं. देख रहे हो न बिनोद कैसे शहर में बिना बाप का बच्चा फ़ैशन और गांव में बदनामी होता है.
मुझे सबसे पिंचिंग यही लगा उन सब में. यार कैरी मां को करना है, पालना-पोसना भी उसी को है और अगर वो लड़की इस चीज के साथ ओके है तो आपको क्यों मौत पड़ रही है. मुझे नहीं पता इलियाना ख़ुद बच्चे को जन्म देंगी या सिरोगेशी से उनका बच्चा होगा लेकिन जैसे भी होगा वो मां बनेंगी और ये अपने आप में सुंदर बात है. ये एक सुखद बदलाव है.
कब तक बच्चे के लिए शादी, पति और बच्चे को बाप का नाम मिले ऐसी चिन्हों को ढोते रहें. मैं ये नहीं कह रही हूं कि जो शादी करके बच्चा पैदा कर रहे हैं ग़लत कर रहे हैं. मैं सिर्फ़ ये कहने की कोशिश कर रही हूं कि बच्चा पैदा करने की शक्ति स्त्री के पास है, शरीर उसका है तो वो चुन सकती है शादी से पहले या शादी के बाद बच्चा पैदा करना या नहीं करना.
ये बदलाव समय की मांग है. अगर बदनामी का डर नहीं हो तो न जाने कितने अनाथ बच्चे अपनी मां की आंचल के साये में पल रहे होते. उस समाज ने स्त्री को शक्ति तो कहा लेकिन ईश्वर ने जो शक्ति स्त्रियों को दे कर भेजा उसे इज़्ज़त, धर्म और मर्यादा का वास्ता दे कर बार-बार छीनता रहा है.
और फिर बच्चा पैदा करना या नहीं करना ये सिर्फ़ और सिर्फ़ एक स्त्री का फ़ैसला होना चाहिए न कि समाज और कोर्ट का अगर स्त्री /लड़की सक्षम है उसे पालने के लिए लेकिन हम भारत की क्या बात करें, अमेरिका जो ख़ुद को तोप समझता है वो भी आबोर्शन या बच्चा जनने का हक़ एक स्त्री को नहीं देता है. ख़ैर. बात खींचेगी तो दूर तक जाएगी.
फ़िलहाल तो इलिआना आपको बधाई और ख़ूब सारा प्यार इस ख़ूबसूरत और साहसी कदम के लिए. बदलाव आये और चाहे कहीं से भी आये और कितना ही छोटा क्यों न हो, सुखद है तो सुंदर है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.