अपने बुरे दौर से गुजर रहे बॉलीवुड को नेशनल सिनेमा डे ने एक नई राह दिखाई है. इस दिन यानी 23 सितंबर को सिनेमाघरों में जिस तरह से भीड़ देखने को मिली, उसने साबित कर दिया कि दर्शक अभी पूरी तरह से रूठे नहीं हैं. उनके सिनेमाघरों में नहीं आने की एक वजह फिल्म के टिकट लगातार बढ़ रही कीमतें भी हैं. कोई भी एक दर्शक सिनेमाघर में फिल्म देखने जाता है तो सामान्य तौर पर 800 से 1000 रुपए प्रति खर्च हो जाते हैं. इसमें टिकट की कीमत ही 300 से 500 के बीच में होती है. ऐसे में नेशनल सिनेमा डे पर जब सभी तरह के टिकटों की कीमत के दाम में कमी करके 75 रुपए किया गया तो लोग थियेटर में टूट पड़े.
इसका परिणाम ये हुआ कि उस दिन रिलीज हुई दो नई फिल्मों आर माधवन की फिल्म 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' और सनी देओल की फिल्म 'चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' के साथ रणबीर कपूर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' ने बॉक्स ऑफिस पर अप्रत्याशित प्रदर्शन किया. इस दिन 'ब्रह्मास्त्र' ने 10.79 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया. फिल्म को देखने के लिए 15 लाख दर्शक सिनेमाघर पहुंचे थे. इसके साथ ही 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 1.25 करोड़ रुपए और 'चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' ने 2.60 करोड़ रुपए का कारोबार किया है. 10 करोड़ रुपए बजट में बनी 'चुप' ने अपनी लागत का 32 फीसदी हिस्सा कमा लिया.
नेशनल सिनेमा डे पर फिल्मों के एडवांस बुकिंग में भी रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिला. आम तौर पर जहां वीकेंड में सिनेमाघरों में 30 से 40 फीसदी ऑक्यूपेंसी देखने को मिलती है, लेकिन नेशनल सिनेमा डे को बढ़कर 95-100 फीसदी हो गई. इन आंकड़ों ने बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स को उत्साहित कर दिया है. यही वजह है कि...
अपने बुरे दौर से गुजर रहे बॉलीवुड को नेशनल सिनेमा डे ने एक नई राह दिखाई है. इस दिन यानी 23 सितंबर को सिनेमाघरों में जिस तरह से भीड़ देखने को मिली, उसने साबित कर दिया कि दर्शक अभी पूरी तरह से रूठे नहीं हैं. उनके सिनेमाघरों में नहीं आने की एक वजह फिल्म के टिकट लगातार बढ़ रही कीमतें भी हैं. कोई भी एक दर्शक सिनेमाघर में फिल्म देखने जाता है तो सामान्य तौर पर 800 से 1000 रुपए प्रति खर्च हो जाते हैं. इसमें टिकट की कीमत ही 300 से 500 के बीच में होती है. ऐसे में नेशनल सिनेमा डे पर जब सभी तरह के टिकटों की कीमत के दाम में कमी करके 75 रुपए किया गया तो लोग थियेटर में टूट पड़े.
इसका परिणाम ये हुआ कि उस दिन रिलीज हुई दो नई फिल्मों आर माधवन की फिल्म 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' और सनी देओल की फिल्म 'चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' के साथ रणबीर कपूर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' ने बॉक्स ऑफिस पर अप्रत्याशित प्रदर्शन किया. इस दिन 'ब्रह्मास्त्र' ने 10.79 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया. फिल्म को देखने के लिए 15 लाख दर्शक सिनेमाघर पहुंचे थे. इसके साथ ही 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 1.25 करोड़ रुपए और 'चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' ने 2.60 करोड़ रुपए का कारोबार किया है. 10 करोड़ रुपए बजट में बनी 'चुप' ने अपनी लागत का 32 फीसदी हिस्सा कमा लिया.
नेशनल सिनेमा डे पर फिल्मों के एडवांस बुकिंग में भी रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिला. आम तौर पर जहां वीकेंड में सिनेमाघरों में 30 से 40 फीसदी ऑक्यूपेंसी देखने को मिलती है, लेकिन नेशनल सिनेमा डे को बढ़कर 95-100 फीसदी हो गई. इन आंकड़ों ने बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स को उत्साहित कर दिया है. यही वजह है कि 'ब्रह्मास्त्र' के मेकर्स ने तुरंत ऐलान कर दिया कि नवरात्री के दिनों में फिल्म के टिकट की कीमत महज 100 रुपए रहेगी. इसके बाद सनी देओल स्टारर 'चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' और माधवन स्टारर 'धोखा: राउंड द कॉर्नर' के मेकर्स ने भी नवरात्र के मौके पर 26-29 सितंबर तक टिकटों की कीमत 100 रुपए रखने का ऐलान कर दिया.
'ब्रह्मास्त्र' के निर्देशक अयान मुखर्जी ने तो यहां तक कहा कि नेशनल सिनेमा डे की वजह से टिकट की सही कीमतों के बारे में पता चला है, जिस पर दर्शक फिल्म देखना चाहता है. उन्होंने लिखा, ''नेशनल सिनेमा डे ने हमें टिकट की सही कीमत को लेकर सीख दी है, ताकि अधिक से अधिक दर्शक बड़े पर्दे पर फिल्म के अनुभव का आनंद ले सकें. कुछ ऐसा जिसके बारे में हम बहुत ही ज्यादा इमोशनल हैं. हमेशा नई चीजें सीखने और करने की चाहत लिए हम नई योजना ला रहे हैं. हमें उम्मीद है कि इस बार भी हमें कुछ बहुत ही सकारात्मक सीख मिलेगी. हम आशा करते हैं कि हमारे दर्शक इस सप्ताह भी ब्रह्मास्त्र को एंजॉय करेंगे. हम नवरात्रि में शुरुआत कर रहे हैं.''
फिल्म के टिकटों को लेकर शुरू किए गए इस नए ट्रेंड को आने वाली दो बड़ी फिल्मों के मेकर्स जारी रखना चाहते हैं. 30 सितंबर को मणि रत्नम की मेगाबजट फिल्म 'पोननियन सेल्वन' यानि PS-1 और रितिक रोशन की फिल्म 'विक्रम वेधा' रिलीज होने जा रही है. फिल्म की रिलीज से पहले मणिरत्नम मुंबई में मल्टीप्लेक्सेस के मालिकों से मिलने के लिए पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि उन्होंने मालिकों से अनुरोध किया है कि फिल्म की टिकट को 100 रुपए में ही बेचें. सूत्रों का कहना है कि मणिरत्नम के इस अनुरोध को मंजूरी मिल गई, लेकिन अभी तक इस बात को ऑफिशियल नहीं किया गया है. यदि ऐसा हुआ तो यकीनन बॉक्स ऑफिस पर क्रांति होने वाली है.
किसी फिल्म के टिकट की कीमत, उसके मेकर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और एग्जीबिटर्स मिलकर तय करते हैं. कुछ फिल्मों के केस में उसमें काम करने वाले एक्टर भी शामिल होते हैं. यदि किसी फिल्म के टिकट की कीमत कम की जाती है, तो उसका सबसे ज्यादा असर डिस्ट्रीब्यूटर्स और एग्जीबिटर्स पर देखने को मिलता है. इसलिए ये लोग कीमत कम करने से हमेशा मना करते हैं. क्या लंबे समय तक टिकट के दाम 75 या 100 रुपए तक रखे जा सकते हैं? इस सवाल के जवाब में देश के तीन बड़े नेशनल चेन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह मुमकिन नहीं है. 75 या 100 रुपए की टिकट की दरों पर बिग बजट की फिल्मों को दिखा पाना संभव नहीं है.
भले ही टिकट की कीमतें कम होने पर सिनेमाघरों की ऑक्युपेंसी बढ़ जाती है. कई बार 100 फीसदी ऑक्युपेंसी भी हो जाती है, लेकिन फिर भी थियेटर मालिकों को खर्च निकालने में मुश्किल होती है. क्योंकि, महानगरों के मॉडल्स में मल्टीप्लेक्स को हर महीने 75 लाख से लेकर सवा करोड़ तक किराया देना पड़ता है. इनके बावजूद अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में टिकट कीमतें ब्लॉकबस्टर प्राइसिंग के हिसाब से नहीं रहेंगी. रिलीज के पहले हफ्ते में 'पोननियन सेल्वन' और 'विक्रम वेधा' के टिकटों की कीमत 250 से 750 रुपए के बीच रखी जा सकती है. दूसरे और तीसरे सप्ताह में क्रमश: टिकट की दरों में कमी की जा सकती है. जैसा कि अभी देखा गया है.
कुल मिलाकर, ये जरूर कहा जा सकता है कि टिकट की कीमतों में कमी करके बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच कर ला सकते हैं. कोरोना काल में सिनेमाघरों में जाने की आदत जो छूट गई है. उसे वापस लाया जा सकता है. बॉलीवुड फिल्मों को देखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. टिकट की कीमतों को कम करने से भले ही मेकर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और एग्जीबिटर्स का नुकसान हो रहा है, लेकिन इनको ये नुकसान सहकर भी ये कदम जरूर उठाना चाहिए. इसमें नुकसान को तीनों आपस मिल बांटकर सह सकते हैं. वैसे नुकसान क्या, फायदे में थोड़ी कमी करनी होगी. जरूरी नहीं है कि हर वक्त एक जैसा ही फायदा हो. वक्त जरूरत को समझते हुए ये कदम जरूरी है.
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