एसएस राजामौली की आरआरआर की बदौलत भारतीय सिनेमा और संगीत का डंका पूरी दुनिया में बज चुका है. पहले गोल्डन ग्लोब, फिर क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड. जिस तरह 'नाटू नाटू' विदेशी ऑडियंस द्वारा हाथों हाथ लिया गया है. कह सकते हैं कि इंडियन म्यूजिक का स्वर्णिम काल शुरू हो गया है. और इसपर हमें मोहर लगती हुई तब दिखाई देती है. जब हम दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित म्यूजिक अवार्ड ग्रैमी का रुख करते हैं और म्यूजिशियन रिकी केज को देखते हैं. ग्रैमी अवॉर्ड नाइट में रिकी केज ने कमाल कर दिया है और तीसरी बार ग्रैमी अवार्ड को अपनी नाम किया है. रिकी को उनके एल्बम 'डिवाइन टाइड्स' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड दिया गया है.
बतौर कीबोर्ड आर्टिस्ट अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत करने वाले केज के अब तक 16 स्टूडियो एल्बम इंटरनेशनल लेवल पर रिलीज हो चुके हैं. बात रिकी की उपलब्धियों की हो रही है तो बता दें कि अब तक उन्होंने चार फीचर फिल्मों के अलावा 3500 कॉमर्शियल्स के लिए भी म्यूजिक दिया है. रिकी के काम को भारत में विशेष पहचान तब मिली जब उन्होंने कर्नाटक बायोडाइवर्सिटी पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'वाइल्ड कर्नाटक' में अपना म्यूजिक दिया.
रिकी का ये तीसरा अवार्ड है. सबसे पहले उन्हें 2015 में यह अवॉर्ड 'विंड ऑफ समसारा' के लिए मिला था.ध्यान रहे कि ब्रिटिश रॉक बैंड ’दि पुलिस’ के ड्रमर स्टीवर्ट कोपलैंड के साथ रिकी ने यह अवॉर्ड शेयर किया है. दोनों को यह अवॉर्ड बेस्ट इमर्सिव ऑडियो एलबम कैटेगिरी में मिला है.
रिकी और भारत दोनों के लिए ये गर्व से भर देने वाला क्षण...
एसएस राजामौली की आरआरआर की बदौलत भारतीय सिनेमा और संगीत का डंका पूरी दुनिया में बज चुका है. पहले गोल्डन ग्लोब, फिर क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड. जिस तरह 'नाटू नाटू' विदेशी ऑडियंस द्वारा हाथों हाथ लिया गया है. कह सकते हैं कि इंडियन म्यूजिक का स्वर्णिम काल शुरू हो गया है. और इसपर हमें मोहर लगती हुई तब दिखाई देती है. जब हम दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित म्यूजिक अवार्ड ग्रैमी का रुख करते हैं और म्यूजिशियन रिकी केज को देखते हैं. ग्रैमी अवॉर्ड नाइट में रिकी केज ने कमाल कर दिया है और तीसरी बार ग्रैमी अवार्ड को अपनी नाम किया है. रिकी को उनके एल्बम 'डिवाइन टाइड्स' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड दिया गया है.
बतौर कीबोर्ड आर्टिस्ट अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत करने वाले केज के अब तक 16 स्टूडियो एल्बम इंटरनेशनल लेवल पर रिलीज हो चुके हैं. बात रिकी की उपलब्धियों की हो रही है तो बता दें कि अब तक उन्होंने चार फीचर फिल्मों के अलावा 3500 कॉमर्शियल्स के लिए भी म्यूजिक दिया है. रिकी के काम को भारत में विशेष पहचान तब मिली जब उन्होंने कर्नाटक बायोडाइवर्सिटी पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'वाइल्ड कर्नाटक' में अपना म्यूजिक दिया.
रिकी का ये तीसरा अवार्ड है. सबसे पहले उन्हें 2015 में यह अवॉर्ड 'विंड ऑफ समसारा' के लिए मिला था.ध्यान रहे कि ब्रिटिश रॉक बैंड ’दि पुलिस’ के ड्रमर स्टीवर्ट कोपलैंड के साथ रिकी ने यह अवॉर्ड शेयर किया है. दोनों को यह अवॉर्ड बेस्ट इमर्सिव ऑडियो एलबम कैटेगिरी में मिला है.
रिकी और भारत दोनों के लिए ये गर्व से भर देने वाला क्षण इसलिए भी है क्योंकि रिकी के साथ नॉमिनेशन में वेस्ट के कई ऐसे दिग्गज म्यूजिशियन थे जिनके म्यूजिक का लोहा पूरी दुनिया मानती है. हाफ पंजाबी और हाफ मारवाड़ी हैं और फिर अपने बचपन में ही बेंगलुरु शिफ्ट हुए केज के बारे में दिलचस्प ये भी है कि उन्होंने संगीत की कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं ली है और लिखाई पढ़ाई के लिहाज से रिकी डेंटिस्ट हैं.
अब जबकि रिकी ग्रैमी जैसा प्रतिष्ठित अवार्ड जीतने में रिकी तीसरी बार कामयाब हुए हैं तो हमारे लिए भी ये बहुत जरूरी है कि हम रिकी और उनके म्यूजिक दोनों को ही समझें.
डिवाइन टाइड्स को देखने पर जिस खूबसूरती के साथ रिकी ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति को संगीत के धागों में पिरोया है वो मन को मोह लेने वाला है. एक ऐसे समय में जब संगीत से जुड़े लोगों ने म्यूजिक का मतलब शोर शराबा और फूहड़ता की हो उस समय जब हम रिकी और उनके काम को देखते हैं तो यकीन हो जाता है कि कुछ लोग हैं इस दुनिया में जो सही माध्यमों से संगीत की सेवा कर रहे हैं.
भले ही अब तक हमने रिकी केज का नाम न सुना हो लेकिन ग्रैमी में 3 अवार्ड लेने के बाद हमें इस बात का पूरा यकीन है कि आज नहीं तो कल बॉलीवुड के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स की नजर इनपर जरूर पड़ेगी और वहां भी रिकी अपनी सफलता के झंडे यूं ही बुलंद करते रहेंगे.
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