आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जा रहा है. परिवार के महत्व और उपयोगिता को दर्शाने और समझाने के लिए पूरी दुनिया में इस को दिवस मनाया जाता है. परिवार हमारी ताकत होता है. यदि परिवार का साथ हो तो हम दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं. किसी भी व्यक्ति के विकास में उसके परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है. सच कहें तो परिवार संस्कृति और जीवन मूल्यों की पहली पाठशाला भी है. परिवार से ही हमारे अंदर अच्छे गुणों का विकास होता है. लेकिन आज के दौर में परिवार की परिभाषा तेजी से बदलती जा रही है. संयुक्त परिवार धीरे-धीरे एकल परिवार में तब्दील हो चुका है. परिवार में माता-पिता की अहमियत कम होने लगी है. भाई-बहनों के प्यार की कीमत कम होने लगी है. ऐसे में बॉलीवुड की कई फिल्में हैं, जिसे देखने के बाद परिवार की कीमत समझ आती है.
आइए बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जानते हैं, जो हमें परिवार की कीमत बताती हैं...
1. फिल्म- घर द्वार (Ghar Dwaar)
IMDb रेटिंग- 7.2/10
रिलीज डेट- 1985
कहां देख सकते हैं- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
'घर-घर की कहानी', 'बड़े घर की बेटी' और 'हमार भौजी' जैसी पारिवारिक फिल्में बनाने वाली दिग्गज फिल्म मेकर कल्पतरु के निर्देशन में बनी फिल्म 'घर द्वार' को लोगों ने खूब पसंद किया था. इसकी लोकप्रियता का आलम ये था कि फिल्म अपनी रिलीज के बाद अगले एक दशक तक पसंद की जाती रही. इस फिल्म को बाद में तेलुगू में 'आदी दम्पतुलु', कन्नड़ में 'माने मंत्रालय' और तमिल में 'कुदुंबम ओरु कोविल' के नाम से बनाया गया था. फिल्म में तनुजा, सचिन पिलगांवकर, शोमा आनंद और डॉ. श्रीराम लागू जैसे कलाकार अहम किरदार में हैं. फिल्म की कहानी दो सगे...
आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जा रहा है. परिवार के महत्व और उपयोगिता को दर्शाने और समझाने के लिए पूरी दुनिया में इस को दिवस मनाया जाता है. परिवार हमारी ताकत होता है. यदि परिवार का साथ हो तो हम दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं. किसी भी व्यक्ति के विकास में उसके परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है. सच कहें तो परिवार संस्कृति और जीवन मूल्यों की पहली पाठशाला भी है. परिवार से ही हमारे अंदर अच्छे गुणों का विकास होता है. लेकिन आज के दौर में परिवार की परिभाषा तेजी से बदलती जा रही है. संयुक्त परिवार धीरे-धीरे एकल परिवार में तब्दील हो चुका है. परिवार में माता-पिता की अहमियत कम होने लगी है. भाई-बहनों के प्यार की कीमत कम होने लगी है. ऐसे में बॉलीवुड की कई फिल्में हैं, जिसे देखने के बाद परिवार की कीमत समझ आती है.
आइए बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जानते हैं, जो हमें परिवार की कीमत बताती हैं...
1. फिल्म- घर द्वार (Ghar Dwaar)
IMDb रेटिंग- 7.2/10
रिलीज डेट- 1985
कहां देख सकते हैं- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
'घर-घर की कहानी', 'बड़े घर की बेटी' और 'हमार भौजी' जैसी पारिवारिक फिल्में बनाने वाली दिग्गज फिल्म मेकर कल्पतरु के निर्देशन में बनी फिल्म 'घर द्वार' को लोगों ने खूब पसंद किया था. इसकी लोकप्रियता का आलम ये था कि फिल्म अपनी रिलीज के बाद अगले एक दशक तक पसंद की जाती रही. इस फिल्म को बाद में तेलुगू में 'आदी दम्पतुलु', कन्नड़ में 'माने मंत्रालय' और तमिल में 'कुदुंबम ओरु कोविल' के नाम से बनाया गया था. फिल्म में तनुजा, सचिन पिलगांवकर, शोमा आनंद और डॉ. श्रीराम लागू जैसे कलाकार अहम किरदार में हैं. फिल्म की कहानी दो सगे और एक गोद लिए हुए भाई के इर्द-गिर्द घूमती है. बड़ा भाई माता-पिता की तरह अपने दोनों भाइयों की पढ़ाई करता है. उनकी फीस के लिए ओवरटाइम करता है, तो उसकी पत्नी सिलाई का काम करती है. इतना ही नहीं सबसे छोटा भाई भी अपने बड़े भाई की पढ़ाई के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ देता है. बड़ा भाई अच्छे नंबरों से पास हो जाता है. उसकी शादी चंदा नामक एक धनी परिवार की लड़की से हो जाती है, जिससे चंदर प्यार करता है. लेकिन शादी के बाद चंदा पूरे परिवार को बांट देती है. वो चंदर के साथ अपने मायके में अकेले रहना चाहती है. इधर घर तक गिरवी रख चुका बड़ा भाई अपने परिवार के साथ दर-दर की ठोकरे खाता है. अंत में परिवार इकठ्ठा तो हो जाता है, लेकिन इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. फिल्म से सीख मिलती है कि परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे पर भरोसा करना चाहिए, किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए.
2. फिल्म- हम आपके हैं कौन (Hum Aapke Hain Koun)
IMDb रेटिंग- 7.5/10
रिलीज डेट- 5 अगस्त 1994
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
राजश्री प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित फिल्म 'हम आपके हैं कौन' सूरज बड़जात्या द्वारा लिखित और निर्देशित है. फिल्म में माधुरी दीक्षित, सलमान खान, मोहनिस बहल, आलोकनाथ जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसे भोजपुरी फिल्म नदिया के पार (1982) का हिंदी रीमेक बताया जाता है, जो कि केशव प्रसाद मिश्रा के हिंदी उपन्यास कोहबर पर आधारित थी. फिल्म की कहानी और गानों को लोगों ने बहुत पसंद किया था. इस फिल्म की कहानी दो भाईयों के इर्द-गिर्द घूमती है. बड़े भाई (मोहनिस बहल) की शादी हो जाती है. भाभी की छोटी बहन (माधुरी दीक्षित) से छोटा भाई (सलमान खान) प्यार करने लगता है. दोनों शादी के दौरान से ही एक-दूसरे को पसंद करते हैं. लेकिन बेबी डिलिवरी के दौरान भाभी की मौत हो जाती है. पूरे परिवार में मातम छा जाता है. छोटे बच्चे की देखभाल साली करने लगती है. ऐसे परिवार वाले उन दोनों की शादी करने का निर्णय ले लेते हैं. छोटा भाई अपने बड़े भाई के लिए अपने प्यार को कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाता है. लेकिन शादी के दिन दोनों का भेद खुल जाता है. बड़ा भाई उन दोनों की शादी कराकर बच्चे को उनके हवाले कर देता है. इस तरह प्यार और परिवार दोनों बच जाता है. छोटे बच्चे को मां मिल जाती है. फिल्म का कहानी सीखाती है कि परिवार लिए कई बार हमें बलिदान देना पड़ता है.
3. फिल्म- हम साथ साथ हैं (Hum Saath Saath Hai)
IMDb रेटिंग- 6.5/10
रिलीज डेट- 5 नवंबर 1999
कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स
राजश्री प्रोडक्शंस के बैनर तले सूरज बड़जात्या के निर्देशन में बनी फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' साल 1999 में रिलीज की गई थी. इससे पांच साल पहले रिलीज होकर सुपर डुपर हिट हुई फिल्म 'हम आपके हैं कौन' की जबरदस्त लोकप्रियता को भुनाने के लिए ही इस फिल्म का निर्माण किया गया था, जिसमें प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के साथ कई सारे कलाकार भी रिपीट किए गए थे. फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' में सलमान ख़ान, करिश्मा कपूर, सोनाली बेंद्रे, मोहनीश बहल, सैफ अली खान, तब्बू, रीमा लागू, आलोक नाथ और शक्ति कपूर जैसे कलाकार हम किरदारों में हैं. फिल्म की कहानी हिंदू पौराणिक ग्रंथ रामायण से प्रेरित है, जिसके आज के जमाने के हिसाब से अपडेट किया गया है. इसमें श्रीराम बने हैं अभिनेता मोहनीश बहल, लक्ष्मण बने हैं सलमान खान और भरत बने हैं सैफ अली खान. इस फिल्म में सीता के किरदार में अभिनेत्री तब्बू, उर्मिला के किरदार में सोनाली बेंद्रे, मांडवी के किरदार में करिश्मा कपूर हैं. आलोक नाथ ने राजा दशरथ से प्रेरित किरदार निभाया है, तो रीमा लागू कैकेयी के किरदार में दिखाई देती है. फिल्म में तीन मन्थरा भी हैं, जिनके किरदार कल्पना अय्यर, जयश्री टी और कुनिका ने निभाया है. फिल्म से सीख मिलती है कि दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए, वरना परिवार बिखरते देर नहीं लगती है.
4. फिल्म- दृश्यम (Drishyam)
IMDb रेटिंग- 8.2/10
रिलीज डेट- 31 जुलाई 2015
कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स
'दृश्यम' को हिंदी में आई अबतक की बेहतरीन थ्रिलर ड्रामा जॉनर की फिल्म कहा जा सकता है. इसकी सफलता ने निर्माताओं को थ्रिल ड्रामे की ओर आकर्षित किया है. इसकी कहानी एक ऐसे शख्स के आसपास घूमती है, जो अपनी दो बेटियों और पत्नी के साथ रहता है. केबल ऑपरेटर का बिजनेस करता है. उसे फिल्में देखने का बहुत शौक है. इसी बीच एक पुलिस अफसर का बेटा उसकी बेटी से बदसलूकी करने की कोशिश करता है, जिसमें उसकी जान चली जाती है. केबल ऑपरेटर को जब घटना का पता चलता है वह परिवार बचाने के लिए आगे आता है. लाश को ठिकाने लगाता है. वह हर चीज फुल प्रूफ तैयारी के साथ करता है जो पूरे मामले में कानूनी रूप से उसके परिवार को किसी भी तरह की आशंकाओं से बचाने के काम आती है. पुलिस अफसर को शक है कि उसके बेटे के गायब होने या हत्या के पीछे केबल ऑपरेटर का ही हाथ है, लेकिन सबूतों के अभाव में वह कुछ भी नहीं कर पाता. पुलिस को एक भी सबूत नहीं मिलता जिसमें केबल ऑपरेटर को गुनहगार साबित किया जा सके. यहां तक कि उसका व्यवहार भी कुछ ऐसा है कि उसके पड़ोसी भी कतई इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं कि वह किसी की हत्या भी कर सकता है. एक पिता अपने परिवार की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकता है, ये फिल्म दर्शाती है.
5. फिल्म- बागबान (Baghban)
IMDb रेटिंग- 7.4/10
रिलीज डेट- 3 अक्टूबर 2003
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
मल्टी स्टारर फिल्म 'बागबान' का निर्देशन रवि चोपड़ा ने किया है. फिल्म में अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, अमन वर्मा, समीर सोनी जैसे कलाकार लीड रोल में हैं. वहीं, सलमान खान और महिमा चौधरी कैमियो रोल में दिखाई दिए हैं. फिल्म एक बुजुर्ग जोड़े की कहानी पर आधारित है, जिनकी शादी के 40 साल हो चुके हैं. कपल का नाम राज मल्होत्रा (अमिताभ) और पूजा मल्होत्रा (हेमा मालिनी) होता है. राज अपने जीवन की सारी कमाई, यहां तक कि रिटायरमेंट का पैसा भी अपने बच्चों पर खर्च देते हैं. उनके चार बेटे अजय (अमन वर्मा), संजय (समीर सोनी), रोहित (साहिल चड्डा) और करण (नासिर खान) होते हैं. उनकी शादी के बाद वे नौकरी के लिए अलग-अलग शहरों में रहने लगते हैं. उनकी नजर अपने पिता के पैसों और प्रॉपर्टी पर रहती है, लेकिन जब बुढ़ापे में उनका ख्याल रखने की बात आती है, तो वो मां-बाप को अलग कर देते हैं. उनका अपमान करते हैं. उनको दुख देते हैं. ऐसे में राज और पूजा अपने बच्चों का घर छोड़ देते हैं. इसी बीच उनका दत्तक पुत्र आलोक उनको मिल जाता है, जो उनको मां-बाप का सम्मान देता है. राज की एक किताब बागबान छपती है, जिसे पूरे दुनिया में पसंद किया जाता है. राज रातों-रात करोड़पति बन जाते हैं. ये देखकर बच्चे उनके पास फिर आ जाते हैं, लेकिन राज-पूजा उनको इग्नोर कर देते हैं. तभी उनकी नजर अपने पोत-पोतियों पर पड़ती है. उनको देख उनका मन पिघल जाता है. फिल्म को देखने के बाद आपको माता-पिता अहमियत समझ में आएगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.