सारा अली ख़ान जो एक फ़िल्म स्टार हैं वो एक हिन्दू मां और मुस्लिम पिता की संतान हैं औऱ ये सभी को पता भी है सारा अली खान दोनों धर्मो को मानती हैं उन्हें अक़्सर अपनी मां के साथ मंदिरों पर जाते हुए भी देखा गया है. वैसे भी हमारे देश में सभी को अपना मनचाहा धर्म मानने की आज़ादी हैं लेकिन ये आज़ादी कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है.
ये लोग ख़ुद धर्म/मज़हब को माने ना माने दूसरों को अक्सर मज़हब की राह पर चलने की हिदायत देते है धर्म याद दिलाते रहते हैं, तब इन के अन्दर का सेक्युलर मर जाता है और इन्हें सिर्फ़ धर्म याद आता हैं. औऱ ऐसा नहीं है कि ये ख़ुद एकदम पूरे मजहबी ही हैं या उसका पालन करते हैं. आप सारा अली ख़ान की दूसरी फोटोज के कमेंट देखेंगे तो ख़ुद समझ जाएंगे. वहां यही लोग बिकिनी वाली पिक्स देखकर मजे ले रहे हैं.
इतना ही नहीं यही लोग ऐसी तस्वीरों पर लिख रहे हैं कि जरा ये बाल हटाइये हमें आपका दिल नहीं दिख रहा है. एक औरत के लिए ऐसी नज़र रखने पर आपको हिदायत नहीं मिलेगी अल्लाह से औऱ उसकी शिवरात्रि मनाने पर आप लिखतें हैं आल्हा आपको हिदायत दे. इसके साथ ही तमाम गंदी से गंदी बातें जो आप सभी ख़ुद जाके पढ़ सकते हैं.
अब आप सोचे की इस देश के एक मात्र सेक्युलर लोग जो अक्सर एक धर्म की वजह से सेक्युलर का नारा जपते हैं कुछ बोल दे बिल्कुल भी नहीं. अब वो अन्धे या अनजान बन जाएंगे, अपने बिल में घुस जाएंगे, क्योंकि उनका सारा ज्ञान सिर्फ़ चुनिंदा मौको के लिए है.
अब अपना पर्सनल किस्सा बताता हूं...
मेरे कई सारे दोस्तों में आफ़िस का एक दोस्त है वो भी मुस्लिम है. आज उसने ख़ुद से सबको शिवरात्रि विश किया औऱ भी त्योहार में पूरे मन औऱ उत्साह से हमें विश करते रहता है. हम लोग भी उसे उसी तरह से विश करते हैं.
फिर धर्म कहां से आया बीच में आज उसके हमको विश कर देने से वो...
सारा अली ख़ान जो एक फ़िल्म स्टार हैं वो एक हिन्दू मां और मुस्लिम पिता की संतान हैं औऱ ये सभी को पता भी है सारा अली खान दोनों धर्मो को मानती हैं उन्हें अक़्सर अपनी मां के साथ मंदिरों पर जाते हुए भी देखा गया है. वैसे भी हमारे देश में सभी को अपना मनचाहा धर्म मानने की आज़ादी हैं लेकिन ये आज़ादी कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है.
ये लोग ख़ुद धर्म/मज़हब को माने ना माने दूसरों को अक्सर मज़हब की राह पर चलने की हिदायत देते है धर्म याद दिलाते रहते हैं, तब इन के अन्दर का सेक्युलर मर जाता है और इन्हें सिर्फ़ धर्म याद आता हैं. औऱ ऐसा नहीं है कि ये ख़ुद एकदम पूरे मजहबी ही हैं या उसका पालन करते हैं. आप सारा अली ख़ान की दूसरी फोटोज के कमेंट देखेंगे तो ख़ुद समझ जाएंगे. वहां यही लोग बिकिनी वाली पिक्स देखकर मजे ले रहे हैं.
इतना ही नहीं यही लोग ऐसी तस्वीरों पर लिख रहे हैं कि जरा ये बाल हटाइये हमें आपका दिल नहीं दिख रहा है. एक औरत के लिए ऐसी नज़र रखने पर आपको हिदायत नहीं मिलेगी अल्लाह से औऱ उसकी शिवरात्रि मनाने पर आप लिखतें हैं आल्हा आपको हिदायत दे. इसके साथ ही तमाम गंदी से गंदी बातें जो आप सभी ख़ुद जाके पढ़ सकते हैं.
अब आप सोचे की इस देश के एक मात्र सेक्युलर लोग जो अक्सर एक धर्म की वजह से सेक्युलर का नारा जपते हैं कुछ बोल दे बिल्कुल भी नहीं. अब वो अन्धे या अनजान बन जाएंगे, अपने बिल में घुस जाएंगे, क्योंकि उनका सारा ज्ञान सिर्फ़ चुनिंदा मौको के लिए है.
अब अपना पर्सनल किस्सा बताता हूं...
मेरे कई सारे दोस्तों में आफ़िस का एक दोस्त है वो भी मुस्लिम है. आज उसने ख़ुद से सबको शिवरात्रि विश किया औऱ भी त्योहार में पूरे मन औऱ उत्साह से हमें विश करते रहता है. हम लोग भी उसे उसी तरह से विश करते हैं.
फिर धर्म कहां से आया बीच में आज उसके हमको विश कर देने से वो कम मुसलमान तो नहीं हो जाएगा ना, वैसा ही रहेगा ना. ऐसे लोग ही सम्माज में भाईचारा बढ़ाते हैं न कि वो जो दूसरों के ऊपर गंदे कंमेंट्स करते हैं. आपके पास दोनों ऑप्शन हैं. आप देख लीजिए आपको क्या करना और बनना है.
जय हिंद!!!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.