आम तौर पर छोटे और फिल्मी पर्दे की अभिनेत्रियां यह आरोप लगाती आई हैं कि निर्माता निर्देशक उन्हें कामुक और उत्तेजक दृश्यों को करने के लिए मजबूर करते हैं. कई बार इन सींन को लेकर अभिनेत्रियां सहज भी होती हैं तो कई सीधे नकार भी देतीं हैं. बॉलीवुड की अदाकारा जरीन खान से लेकर राखी सावंत तक, ऐसे मुद्दे कई बार मीडिया द्वारा चर्चा के केंद्र में लाए गए हैं और इनपर बहस हुई है. ताजा मामला छोटे पर्दे की बंगाली अभिनेत्री श्वेता भट्टाचार्य से जुड़ा हुआ है. जिन्होंने अपने शो 'जय कन्हैया लाल की' के लिए निर्माता द्वारा सुहागरात के सीन करने और भड़कीले कपड़े पहनने से साफ इंकार कर दिया.
खबरों में आ रहा है कि श्वेता ने अपने कांट्रैक्ट में भी यह साफ कर दिया था कि वे ऐसा कुछ भी नहीं करेंगी जिससे उनकी गरिमा भंग हो. खुद श्वेता की ही मानें तो 'मैं स्लीवलेस कपड़ों में खुद को सहज महसूस नहीं करती हूं. मैंने प्रोड्यूसर्स को पहले ही कह दिया था कि मैं हॉट पैंट्स या छोटे कपड़े नहीं पहनूंगी. यह बंगाली शो का रीमेक है और हम ऑरिजनल स्क्रिप्ट पर ही काम कर रहे हैं. जब बंगाली शो में ऐसा कोई सीन नहीं था तो हिंदी रीमेक में भी इसकी कोई जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि मौजूदा समय में इंटीमेट सीन से लेकर भड़कीले कपड़ों का चलन इतना आम होता जा रहा है कि उससे किसी अभिनेत्री का बच पाना मुश्किल है. श्वेता का तर्क यहां बहस को आगे बढ़ाने के लिए काफी है कि जिस मूल कहानी या कार्यक्रम में जब ऐसा कोई दृश्य था ही नहीं तो रिमेक में इसकी क्या जरूरत आ पड़ी. यहां एक प्रश्न यह भी किया जा सकता है कि क्या निर्माता इससे दर्शको को लुभाने के प्रयास करते हैं? क्या टीवी सीरियल भी फिल्मों की तरह अश्लीलता और फूहड़ता के...
आम तौर पर छोटे और फिल्मी पर्दे की अभिनेत्रियां यह आरोप लगाती आई हैं कि निर्माता निर्देशक उन्हें कामुक और उत्तेजक दृश्यों को करने के लिए मजबूर करते हैं. कई बार इन सींन को लेकर अभिनेत्रियां सहज भी होती हैं तो कई सीधे नकार भी देतीं हैं. बॉलीवुड की अदाकारा जरीन खान से लेकर राखी सावंत तक, ऐसे मुद्दे कई बार मीडिया द्वारा चर्चा के केंद्र में लाए गए हैं और इनपर बहस हुई है. ताजा मामला छोटे पर्दे की बंगाली अभिनेत्री श्वेता भट्टाचार्य से जुड़ा हुआ है. जिन्होंने अपने शो 'जय कन्हैया लाल की' के लिए निर्माता द्वारा सुहागरात के सीन करने और भड़कीले कपड़े पहनने से साफ इंकार कर दिया.
खबरों में आ रहा है कि श्वेता ने अपने कांट्रैक्ट में भी यह साफ कर दिया था कि वे ऐसा कुछ भी नहीं करेंगी जिससे उनकी गरिमा भंग हो. खुद श्वेता की ही मानें तो 'मैं स्लीवलेस कपड़ों में खुद को सहज महसूस नहीं करती हूं. मैंने प्रोड्यूसर्स को पहले ही कह दिया था कि मैं हॉट पैंट्स या छोटे कपड़े नहीं पहनूंगी. यह बंगाली शो का रीमेक है और हम ऑरिजनल स्क्रिप्ट पर ही काम कर रहे हैं. जब बंगाली शो में ऐसा कोई सीन नहीं था तो हिंदी रीमेक में भी इसकी कोई जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि मौजूदा समय में इंटीमेट सीन से लेकर भड़कीले कपड़ों का चलन इतना आम होता जा रहा है कि उससे किसी अभिनेत्री का बच पाना मुश्किल है. श्वेता का तर्क यहां बहस को आगे बढ़ाने के लिए काफी है कि जिस मूल कहानी या कार्यक्रम में जब ऐसा कोई दृश्य था ही नहीं तो रिमेक में इसकी क्या जरूरत आ पड़ी. यहां एक प्रश्न यह भी किया जा सकता है कि क्या निर्माता इससे दर्शको को लुभाने के प्रयास करते हैं? क्या टीवी सीरियल भी फिल्मों की तरह अश्लीलता और फूहड़ता के सहारे ही दर्शकों को जुटाने की चाह रखने लगे हैं. हिन्दी सिनेमा में तो यह आम हो चला है लेकिन टीवी की दुनिया में इस तरह के प्रयोग होने से एक स्वस्थ समाज की कल्पना पर इसका असर पड़ता साफ दिखाई दे रहा है.
बहरहाल हमें श्वेता जैसी अभिनेत्रियों की तारीफ करनी होगी जो ऐसे निर्माताओं के चंगुल में न फंसते हुए, सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में खुद के साथ किसी भी प्रकार का सौदा नहीं कर रहीं. कहा जा सकता है कि पैसा कमाने की होड़ में नैतिकता को दरकिनार कर चुके निर्माता निर्देशक को अब नैतिकता और मूल्यों से कोई लेना देना नहीं हैं. बस उन्हें टार्गेट ऑडियन्स तक वह चीज पहुंचानी होती है जो और कुछ नहीं बस फूहड़ता का प्रचार और प्रसार करती है. यह कहना गलत नहीं होगा कि श्वेता जैसी अभिनेत्रियों की हिम्मत ही है जो खुद के कैरियर की चिंता न करते हुए उन्होंने ऐसे कदम उठाए और अपनी मुहीम में कामयाब हुईं.
ज्ञात हो कि, स्टार भारत के लिए निर्मित हो रहे कार्यक्रम जय कन्हैया लाल की में श्वेता को अपने को-स्टार विशाल वशिष्ठ के साथ सुहागरात का दृश्य करना था. लेकिन श्वेता के मना करने के बाद निर्माता को यह सीन हटाना पड़ा. यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस इंकार के क्या मायने होंगे. एक ओर जहां टीवी और फिल्म की दुनिया में ऐसे दृश्य आम हो गए हैं, वैसे में श्वेता द्वारा इस इंकार का कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा यह तो हमें आने वाला वक्त ही बता पाएगा.
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