करगिल गर्ल... आपने बीते 2 साल के दौरान यह नाम काफी सुना होगा. जी हां, बॉलीवुड में एक फिल्म बनी है इस नाम पर, जिसका पूरा टाइटल है- गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल (Gunjan Saxena: The Kargil Girl). नेटफ्लिक्स (Netflix) ने इसका लुक और अपने प्लैटफॉर्म पर रिलीज करने की घोषणा करते हुए टैगलाइन लिखा है- ‘प्लेन लड़का उड़ाए या लड़की, उसे पायलट ही कहते हैं.’ दरअसल, यह बात गुंजन सक्सेना के पिता कहा करते थे. इससे पता चल जाता है कि पुरुष प्रधान समाज में औरतों के लिए हर काम चुनौती भरा होता है. अगर कोई लड़की प्लेन उड़ाने या पायलट बनने की बात कह दे तो उसे नसीहत दी जाती कि पहले कार चलाना तो सीख लो. धर्मा प्रोडक्शन और जी स्टूडियो कै बैनर तले शरण शर्मा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जान्हवी कपूर (Janhvi Kapoor) गुंजन सक्सेना का किरदार निभा रही हैं. यह फिल्म सच्ची घटना और सच्चे किरदार पर आधारित है, जिसमें पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह, विजय वर्मा, मानव विज और नीना गुप्ता जैसे कलाकार भी हैं.
गुंजन सक्सेना भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलट थीं, जो कॉम्बैट की अन्य सदस्य श्रीविद्या राजन संग 1999 के करगिल युद्ध में भारतीय जवानों के साथ मुश्किल से मुश्किल वक्त में डटी रहीं और पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए. गुंजन सक्सेना कहानी है एक ऐसी लड़की की, जो आर्मी फैमिली में पली-बढ़ी और अपने पिता-भाई के साथ देश के लिए कुछ करने का ख्वाब बुना. जब हौसला और जज्बा हो तो रास्ते बनते जाते हैं. मिडिल क्लास फैमिली की गुंजन सक्सेना अपने सपने पूरे करने के लिए हर मुश्किल बाधाओं से लड़ीं और फिर वो कर दिखाया, जो महिलाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से भी ज्यादा है. आज भारतीय वायु सेना में 1600 से ज्यादा महिला पायलट हैं, लेकिन 20 साल पहले महज दो थे.
आपने वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध और इसमें दुश्मनों को हार का मुंह दिखाने वाले हीरो के बारे में बहुत सुना होगा. बीते 20 साल से ज्यादा समय से देशवासी शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा...
करगिल गर्ल... आपने बीते 2 साल के दौरान यह नाम काफी सुना होगा. जी हां, बॉलीवुड में एक फिल्म बनी है इस नाम पर, जिसका पूरा टाइटल है- गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल (Gunjan Saxena: The Kargil Girl). नेटफ्लिक्स (Netflix) ने इसका लुक और अपने प्लैटफॉर्म पर रिलीज करने की घोषणा करते हुए टैगलाइन लिखा है- ‘प्लेन लड़का उड़ाए या लड़की, उसे पायलट ही कहते हैं.’ दरअसल, यह बात गुंजन सक्सेना के पिता कहा करते थे. इससे पता चल जाता है कि पुरुष प्रधान समाज में औरतों के लिए हर काम चुनौती भरा होता है. अगर कोई लड़की प्लेन उड़ाने या पायलट बनने की बात कह दे तो उसे नसीहत दी जाती कि पहले कार चलाना तो सीख लो. धर्मा प्रोडक्शन और जी स्टूडियो कै बैनर तले शरण शर्मा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जान्हवी कपूर (Janhvi Kapoor) गुंजन सक्सेना का किरदार निभा रही हैं. यह फिल्म सच्ची घटना और सच्चे किरदार पर आधारित है, जिसमें पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह, विजय वर्मा, मानव विज और नीना गुप्ता जैसे कलाकार भी हैं.
गुंजन सक्सेना भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलट थीं, जो कॉम्बैट की अन्य सदस्य श्रीविद्या राजन संग 1999 के करगिल युद्ध में भारतीय जवानों के साथ मुश्किल से मुश्किल वक्त में डटी रहीं और पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए. गुंजन सक्सेना कहानी है एक ऐसी लड़की की, जो आर्मी फैमिली में पली-बढ़ी और अपने पिता-भाई के साथ देश के लिए कुछ करने का ख्वाब बुना. जब हौसला और जज्बा हो तो रास्ते बनते जाते हैं. मिडिल क्लास फैमिली की गुंजन सक्सेना अपने सपने पूरे करने के लिए हर मुश्किल बाधाओं से लड़ीं और फिर वो कर दिखाया, जो महिलाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से भी ज्यादा है. आज भारतीय वायु सेना में 1600 से ज्यादा महिला पायलट हैं, लेकिन 20 साल पहले महज दो थे.
आपने वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध और इसमें दुश्मनों को हार का मुंह दिखाने वाले हीरो के बारे में बहुत सुना होगा. बीते 20 साल से ज्यादा समय से देशवासी शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ ही लेफ्टिनेंट बलवान सिंह, मेजर राकेश अधिकारी समेत सैकड़ों लोगों की वीर गाथा समय-समय पर दोहराते रहे हैं, लेकिन बहुत कम लोगों ने सुना होगा कि करगिल युद्ध के समय ऑपरेशन विजय के तहत इन वीर जवानों के साथ इंडियन एयरफोर्स की महिला पायलट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना कॉम्बैट की एक और सदस्य श्रीविद्या राजन के साथ रणभूमि में हर समय डटी रहीं.
भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट
करगिल गर्ल के नाम से मशहूर गुंजन सक्सेना भारत की पहली एयरफोर्स महिला पायलट हैं, जो करगिल वॉर के समय चीता हेलिकॉप्टर उड़ा रही थीं और भारतीय सेना को दुश्मनों के ठिकाने के बारे में बताने के साथ ही घायल सैनिकों को बेस कैंप ला रही थी. गुंजन सक्सेना पूरे युद्ध के दौरान चीता हेलिकॉप्टर की मदद से भारतीय जवानों को राशन-पानी पहुंचाती रहीं और अपनी जिम्मेदारी का इतनी शिद्दत और देशभक्ति से निर्वहन किया कि आज दुनिया उन्हें करगिल गर्ल के नाम से जानती है. चलिए आपको 45 साल की गुंजन सक्सेना की जिंदगी और उनके संघर्षों से रूबरू कराते हैं.
गुंजन सक्सेना के जज्बे की कहानी
साल 1975 था. लखनऊ की एक आर्मी फैमिली के घर एक बच्ची का जन्म होता है. प्यार से उसे गुंजन नाम दिया जाता है. अनुशासन, अच्छी शिक्षा और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाली इस फैमिली में वह छोटी बच्ची भी इसी संस्कारों के साथ पली-बढ़ी. बड़ी हुई तो उसे हायर स्टडीज के लिए दिल्ली भेज दिया गया. वह लड़की दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में दाखिला लेती है, लेकिन उसके मन में देश के लिए कुछ बड़ा करने का जज्बा होता है. वह प्लेन उड़ाने यानी पायलट बनने का ख्वाब देखती है. खुली आंखों से देखे इस ख्वाब को फैमिली वाले पंख देते हैं और फिर ग्रैजुएशन के दौरान ही वह लड़की दिल्ली स्थित सफदरजंग फ्लाइंग क्लब में दाखिला ले लेती है और प्लेन उड़ाना सीखती है. इस लड़की की फैमिली में पिता और भाई आर्मी से जुड़े होते हैं.
ग्रैजुएशन के बाद वह पायलट की नौकरी के लिए आवेदन डालना शुरू करती है. एसएसबी के लिए भी अप्लाई करती है. साल 1994 की बात है, जब उस लड़की का चयन शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत इंडियन एयरफोर्स की महिला ट्रेनी पायलट के रूप में होता है. फिर तो गुंजन सक्सेना नाम की इस लड़की को जहान मिल जाता है. देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे को सहारा मिलता है और वह अपने सपने को जीने लगती है. गुंजन सक्सेना की पहली पोस्टिंग उधमपुर (हिमाचल प्रदेश) में होती है, जहां उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दरअसल, तत्कालीन समय में प्लेन उड़ाना भारतीय समाज में पुरुषों का काम माना जाता था. महिला पायलट की बात नई थी और इसलिए महिलाओं के लिए सुविधाएं भी सीमित थीं. लेकिन समय बदलने के साथ ही लोगों की सोच भी बदली और सुविधाएं भी बढ़ीं.
साल 1999 आ गया. भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद ने युद्ध का रूप ले लिया और फिर करगिल वॉर शुरू. करगिल वॉर में गुंजन सक्सेना को श्रीविद्या राजन के साथ चीता हेलिकॉप्टर के जरिये भारतीय सेना के लिए रसद पानी का इंतजाम करने, दुर्गम पहाड़ी इलाको में जाकर दुश्मनों के सैन्य अड्डे का पता लगाने और युद्ध में घायल सैनिकों को बेस कैंप पहुंचाने की अहम जिम्मेदारी दी गई. करगिल वॉर के दौरान गुंजन सक्सेना निडर, साहसी बन और देशभक्ति का जज्बा मन में लिए हर मुश्किल वक्त को पार करती गई. युद्ध खत्म हुआ. भारत की जीत हुई और पाकिस्तान की करारी हार. युद्ध में दोनों देशों ने सैकड़ों सैनिक गंवाए. लेकिन इस युद्ध ने भारत को करगिल गर्ल दिया यानी गुंजन सक्सेना. गुंजन सक्सेना यानी भारत की पहली महिला पायलट के जज्बे और साहस को दुनिया ने सलाम किया. गुंजन सक्सेना को उनकी योगदान के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
समय बीतता गया और साल 2004 के मध्य भारतीय वायु सेना में चॉपर पायलट के रूप में 7 साल सेवा देने के बाद गुंजन सक्सेना रिटायर हो गईं. फिलहाल गुंजन सक्सेना आईएफएस ऑफिसर की पत्नी और होम मेकर के रूप में गुजरात के जामनगर में जिंदगी गुजार रही हैं. गुंजन सक्सेना की स्टोरी इतनी इंस्पायरिंग है कि धर्मा प्रोडक्शन ने इसपर फिल्म बनाने का सोचा. साल 2018 में इसपर काम शुरू हुआ और जान्ह्वी कपूर को गुंजन सक्सेना का किरदार निभाने का मौका मिला. पिछले साल अक्टूबर में फिल्म की शूटिंग खत्म हुई और फिर पोस्ट प्रोडक्शन का काम शुरू. चूंकि यह साल कोरोनाग्रस्त हो गया है और थिएटर्स बंद हैं, ऐसे में धर्मा प्रोडक्शन और जी स्टूडियो ने नेटफ्लिक्स पर फिल्म को रिलीज करने का रास्ता बनाया. अब दर्शक जल्द ही नेटफ्लिक्स पर गुंजन सक्सेना की कहानी के साथ ये भी देखेंगे कि महिलाएं पुरुषों से तनिक भी कम नहीं हैं.
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