ओमिक्रोन वेरिएंट के बाद कोरोना महामारी की नई लहर की आशंका में जनवरी महीने में आने वाली फ़िल्में टाल दी गई हैं. कुछ इलाकों को छोड़कर अभी भी सिनेमाघर खुले ही हैं. हालांकि सिनेमाघरों के पास अब दिखाने के लिए कोई नया कंटेंट नहीं है. अब तक जर्सी, आरआरआर, राधेश्याम और पृथ्वीराज समेत जनवरी में रिलीज होने वाली ज्यादातर फिल्मों को टाला जा चुका है. ये फ़िल्में बड़े स्केल की थीं जिनके जरिए ट्रेड एक्सपर्ट्स को नए साल के भव्य होने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन जनवरी का पूरा रिलीज शेड्यूल महामारी की आशंका में डूब चुका है.
माना जा रहा है कि फिल्मों के पोस्टफोन होने का असर दूसरी फिल्मों पर भी पड़ेगा. हालांकि फरवरी और मार्च में जो फ़िल्में पहले से शेड्यूल हैं उनके टलने के कयास तो लग रहे हैं बावजूद अभी तक आधिकारिक रूप कुछ भी सामने नहीं आया है. फरवरी और मार्च में गंगूबाई काठियावाड़ी (आलिया भट्ट), भूल भुलैया 2 (कार्तिक आर्यन), शमशेरा (रणबीर कपूर), शाबास मिठू (तापसी पन्नू), विक्रांत रोना (सुदीप), जयेश भाई जोरदार (रणवीर सिंह), बच्चन पांडे (अक्षय कुमार), केजीएफ़ 2 (यश) जैसी फ़िल्में हैं. अब सवाल है कि क्या ये फ़िल्में तय तारीख पर ही सिनेमाघरों में आएंगी?
भारत में करीब-करीब 7 महीने बाद 1.17 लाख केस निकलकर आए हैं. डेल्टा वैरिएंट के साथ ओमिक्रॉन वैरिएंट फ़ैल रहा है. हालात पर संबंधित एजेंसियों की नजर है. एक्सपर्ट ओपिनियन में महामारी को लेकर सामने आ रहा है कि मध्य जनवरी के बाद फरवरी तक कोरोना पीक पर होगी. अभी तक अच्छी बात सिर्फ यह है कि हालात चिंताजनक नहीं हैं. बावजूद की इसकी आशंका बनी रहेगी. सरकारों की ओर से लगातार कोरोना से जुड़ी गाइडलाइंस सामने आ रही हैं. भीड़भाड़ को नियंत्रित करने की कोशिशें हो रही हैं. खासकर उन इलाकों में जहां कोरोना के मामले ज्यादा निकल रहे हैं- बहुत ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है. नाइट कर्फ्यू वीकएंड कर्फ्यू लग रहे हैं.
गंगूबाई काठियावाड़ी की रिलीज अगले महीने 18 फरवरी को है.
दिल्ली और हरियाणा के कुछ जिलों में सिर्फ एहतियात के तौर पर सिनेमाघरों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. बिहार में सिनेमाघरों को बंद रखने को कहा गया है. जबकि अन्य इलाकों में लोकल कंडीशन के हिसाब से सिनेमाघर अभी भी खुले हैं. कुछ जगह 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता और कुछ जगहों पर 100 प्रतिशत क्षमता के साथ. हालांकि कुछ इलाकों में वीकएंड पर सिनेमाघरों को बंद रखने को कहा गया है. वैसे नई फिल्मों के नहीं होने की वजह से थियेटर बिजनेस पर प्रभाव पड़ता दिख रहा है.
कुल मिलाकर फरवरी का सीन बहुत साफ नहीं है. जो फ़िल्में शेड्यूल हैं उनके निर्माताओं ने अभी कोई अनाउंसमेंट भी नहीं की है. लेकिन फरवरी मार्च को लेकर दो सीन नजर आ रहे हैं. अगर जनवरी के अंत तक महामारी विस्फोटक रूप में नहीं होती है तो संभव है कि निर्माता फिल्मों की रिलीज के लिए आगे आए. अभी महाराष्ट्र के सिनेमाघर पहले की तरह 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ खुल रहे हैं. यूपी, पंजाब, हरियाणा के तमाम जिलों, गुजरात, राजस्थान में भी सिनेमाघर खुले हैं.
हालात खराब नहीं हुए और सरकार ने सिनेमाघरों को बंद करने का आदेश नहीं दिया तो फरवरी में मिड बजट की फ़िल्में रिलीज हो सकती हैं. ये फ़िल्में पहले से ही शेड्यूल हैं. इस स्थिति में यह भी हो सकता है कि छोटे निर्माता जो थियेटर रिलीज के लिए विंडो तलाश रहे वो भी फिल्मों को रिलीज करने के लिए आगे आए. जो फ़िल्में शेड्यूल हैं उनके निर्माता हालात पर नजर बनाए हुए हैं.
लेकिन अगर जनवरी के अंत तक हालात विस्फोटक हुए तो शायद ही कोई निर्माता फिल्मों को रिलीज करने में दिलचस्पी दिखाए. कम से कम फरवरी तक रिलीज का सीन इसलिए भी नहीं बनेगा क्योंकि विस्फ़ोटक हालात में सरकार शायद ही सिनेमाघरों को खोले रखने में रुचि दिखाए. फरवरी में सिनेमाघरों के बंद होने या रिलीज नहीं होने का असर अगले दो महीने तक पड़ेगा. इस स्थिति में अप्रैल से पहले तक सिनेमाघरों की हालत सामान्य नहीं हो सकती. साफ़ है कि इससे फिल्मों का रिलीज कैलेंडर गड़बड़ होगा.
मुंबई में ज्यादा मामले निकल रहे. केस चिंताजनक स्तर तक पहुंचे तो वहां सिनेमाघरों को बंद करने का फरमान आ सकता है. और अगर दिल्ली के बाद महाराष्ट्र के सिनेमाघर बंद हो गए तो फरवरी मार्च की फिल्मों की रिलीज पर असर पड़ना तय है.
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