'हाँ भाई, जिस थाली में खाओ उसमें छेद नहीं करो, भले ही उस थाली में ज़हर ही क्यों न परोसा जा रहा हो!'
अब आदरणीय जया बच्चन जी को सुन कर तो यही लग रहा है. उनको इस बात से बहुत तकलीफ़ हुई है कि कैसे कंगना रनौत से ले कर रवि किशन तक बॉलीवुड के ड्रग्स-माफ़िया के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं. उनको ऐसा एकदम नहीं कहना चाहिए. तो क्या हुआ अगर ड्रग्स की ज़द में आ कर किसी की जान ही क्यों न चली गयी हो या कोई जेल में क्यों न बंद हो. ड्रग्स और नशे का चोली-दामन का साथ रहा बॉलीवुड के साथ और जया जी तो पचास एक साल से यही सब देखते आयी होंगी लेकिन कभी उसके ख़िलाफ़ आवाज़ तक नहीं उठाईं. उनके लिए ये नॉर्मल सी बात होगी, मगर अब जब कोई आवाज़ उठा रहा हैै तो ये उन्हें हज़म भी नहीं हो रहा है.
सही ही है, मैं तो फिर से कह रही हूँ कि कीचड़ की सबको आदत हो गयी है अगर आप उनको कीचड़ से बाहर आने को कहेंगे तो आपको भी वो कीचड़ में ही उतार लेंगे. बॉलीवुड में यही हो रहा है.
मैं मानती हूँ कि कंगना को ड्रग्स के मामले में जेनरलाईज स्टेटमेंट नहीं देना चाहिए. फिर कंगना के साथ जो हुआ है, उसके हिस्से का सच तो वही है न. और इस बात से कौन इनकार करेगा कि जिसका गॉड-फ़ादर न हो या बाप-माँ बॉलीवुड का न हो उसे न जाने कितने नर्क से गुज़रना पड़ता है. अगर कंगना कहती है कि उसे ज़बरदस्ती ड्रग्स दे कर मॉलेस्ट किया गया है तो ये कंगना का सच है. कहाँ आपको उसका साथ देना चाहिए और बाक़ी की भी हीरोईन्स को और कहाँ आप उसे ही थाली का बैंगन बनाने पर तुली हैं.
सोनम कपूर और तापसी पन्नु को अलग ही लेवल पर चापलूसी करना है. वैसे तो कंगना का घर टूटा उस पर एक शब्द...
'हाँ भाई, जिस थाली में खाओ उसमें छेद नहीं करो, भले ही उस थाली में ज़हर ही क्यों न परोसा जा रहा हो!'
अब आदरणीय जया बच्चन जी को सुन कर तो यही लग रहा है. उनको इस बात से बहुत तकलीफ़ हुई है कि कैसे कंगना रनौत से ले कर रवि किशन तक बॉलीवुड के ड्रग्स-माफ़िया के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं. उनको ऐसा एकदम नहीं कहना चाहिए. तो क्या हुआ अगर ड्रग्स की ज़द में आ कर किसी की जान ही क्यों न चली गयी हो या कोई जेल में क्यों न बंद हो. ड्रग्स और नशे का चोली-दामन का साथ रहा बॉलीवुड के साथ और जया जी तो पचास एक साल से यही सब देखते आयी होंगी लेकिन कभी उसके ख़िलाफ़ आवाज़ तक नहीं उठाईं. उनके लिए ये नॉर्मल सी बात होगी, मगर अब जब कोई आवाज़ उठा रहा हैै तो ये उन्हें हज़म भी नहीं हो रहा है.
सही ही है, मैं तो फिर से कह रही हूँ कि कीचड़ की सबको आदत हो गयी है अगर आप उनको कीचड़ से बाहर आने को कहेंगे तो आपको भी वो कीचड़ में ही उतार लेंगे. बॉलीवुड में यही हो रहा है.
मैं मानती हूँ कि कंगना को ड्रग्स के मामले में जेनरलाईज स्टेटमेंट नहीं देना चाहिए. फिर कंगना के साथ जो हुआ है, उसके हिस्से का सच तो वही है न. और इस बात से कौन इनकार करेगा कि जिसका गॉड-फ़ादर न हो या बाप-माँ बॉलीवुड का न हो उसे न जाने कितने नर्क से गुज़रना पड़ता है. अगर कंगना कहती है कि उसे ज़बरदस्ती ड्रग्स दे कर मॉलेस्ट किया गया है तो ये कंगना का सच है. कहाँ आपको उसका साथ देना चाहिए और बाक़ी की भी हीरोईन्स को और कहाँ आप उसे ही थाली का बैंगन बनाने पर तुली हैं.
सोनम कपूर और तापसी पन्नु को अलग ही लेवल पर चापलूसी करना है. वैसे तो कंगना का घर टूटा उस पर एक शब्द न मुँह से फूटा लेकिन आज सोनम कपूर को बड़ी हो कर जया बच्चन बनना है और तापसी को कीचड़ पर चादर डालना है. हिपोक्रेसी की देवियाँ.
और ऊपर से जया बच्चन कहती हैं कि बॉलीवुड को प्रोटेक्शन की ज़रूरत है. हम को भी लगता है कि एकदम सभी ड्रगी ग्रूप्स को y+ सुरक्षा मिलनी ही चाहिए. आख़िर देश की शान हैं ये. थोड़े नशेडी निकल गए तो क्या, हीरो हैं हमारे. सरकार उनको ड्रग्स दे ताकि वो और उनका कारोबार फल-फूल सके.
बॉलीवुड की फ़र्स्ट-फ़ैमिली की फ़र्स्ट महिला और राज्य सभा की माननीय सदस्या ने नशोखोरी जैसे गंभीर विषय पर भी बॉलीवुड की ओर न देखने की जो गुजारिश की है, उसका सपोर्ट करना तो बनता ही है. अब सब बॉलीवुड की डिजायनर-फ़ेमिनिस्ट मैं-मैं करके उनके सपोर्ट आएँगी ही. उनका तो हाँ में हाँ मिलाना बनता भी है. जय हो!
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