''मेहनत खुद में आपका विश्वास बढ़ाती है, लेकिन सफलता हौसले बुलंद कर देती है. इससे भरोसा हो जाता है कि आपको लोग पसंद कर रहे हैं और आपको पीछे नहीं हटना है. आत्मविश्वास कैमरे पर झलकता है और इसका सीधा असर परफॉर्मेस पर पड़ता है''...बॉलीवुड के 'हल्क' जॉन अब्राहम ने ये बातें वर्षों पहले अपने एक इंटरव्यू में कही थीं, लेकिन उनके जीवन पर आज भी लागू होती हैं. उन्होंने अपनी लगन और मेहनत की बदौलत आज फिल्म इंडस्ट्री में जो मुकाम हासिल किया है, वो किसी आउटसाइडर्स के लिए संभव नहीं है. क्योंकि सभी जानते हैं कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म जमकर चलता है. ऐसे में मॉडलिंग से एक्टिंग में आना और सफलता हासिल करने के बाद खुद का प्रोडक्शन हाऊस संचालित करना जॉन के लिए एक उपलब्धि की तरह है. एक्टिंग से लेकर बॉडी बिल्डिंग तक वो लोगों के लिए आइकॉन हैं.
मायानगरी में सितारों की भारी भीड़ के बीच आज जॉन अब्राहम ध्रुवतारे की तरह अलग चमकते हैं. लेकिन उनके संघर्षों की दास्तान बहुत लंबी है. 17 दिसंबर 1972 को मुंबई के एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्में जॉन के पिता ईसाई और मां ईरानी हैं. पिता की इनकम बस इतनी थी कि परिवार का पेट पल रहा था. दिखने में दुबले-पतले जॉन का चेहरा भी बहुत खराब था. वो जब भी शीशा देखते तो रोते और भगवान को कोसते रहते. दरअसल उनके चेहरे पर पिंपल्स और मुहासे बहुत ज्यादा था. इस बारे में जॉन ने ही एक बार बताया था, ''ईमानदारी से कहूं तो मेरा चेहरा साफ होने से पहले बहुत सारे पिंपल्स थे. जब आपके चेहरे पर पिंपल्स होते हैं तो आत्मविश्वास कम हो जाता है. मेरे छोटे नहीं बल्कि बड़े मुहासे थे. मैं रो-रोकर भगवान से कहता था कि ऐसा चेहरा क्यों दिया. कोई जादू कर दो भगवान.''
''मेहनत खुद में आपका विश्वास बढ़ाती है, लेकिन सफलता हौसले बुलंद कर देती है. इससे भरोसा हो जाता है कि आपको लोग पसंद कर रहे हैं और आपको पीछे नहीं हटना है. आत्मविश्वास कैमरे पर झलकता है और इसका सीधा असर परफॉर्मेस पर पड़ता है''...बॉलीवुड के 'हल्क' जॉन अब्राहम ने ये बातें वर्षों पहले अपने एक इंटरव्यू में कही थीं, लेकिन उनके जीवन पर आज भी लागू होती हैं. उन्होंने अपनी लगन और मेहनत की बदौलत आज फिल्म इंडस्ट्री में जो मुकाम हासिल किया है, वो किसी आउटसाइडर्स के लिए संभव नहीं है. क्योंकि सभी जानते हैं कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म जमकर चलता है. ऐसे में मॉडलिंग से एक्टिंग में आना और सफलता हासिल करने के बाद खुद का प्रोडक्शन हाऊस संचालित करना जॉन के लिए एक उपलब्धि की तरह है. एक्टिंग से लेकर बॉडी बिल्डिंग तक वो लोगों के लिए आइकॉन हैं.
मायानगरी में सितारों की भारी भीड़ के बीच आज जॉन अब्राहम ध्रुवतारे की तरह अलग चमकते हैं. लेकिन उनके संघर्षों की दास्तान बहुत लंबी है. 17 दिसंबर 1972 को मुंबई के एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्में जॉन के पिता ईसाई और मां ईरानी हैं. पिता की इनकम बस इतनी थी कि परिवार का पेट पल रहा था. दिखने में दुबले-पतले जॉन का चेहरा भी बहुत खराब था. वो जब भी शीशा देखते तो रोते और भगवान को कोसते रहते. दरअसल उनके चेहरे पर पिंपल्स और मुहासे बहुत ज्यादा था. इस बारे में जॉन ने ही एक बार बताया था, ''ईमानदारी से कहूं तो मेरा चेहरा साफ होने से पहले बहुत सारे पिंपल्स थे. जब आपके चेहरे पर पिंपल्स होते हैं तो आत्मविश्वास कम हो जाता है. मेरे छोटे नहीं बल्कि बड़े मुहासे थे. मैं रो-रोकर भगवान से कहता था कि ऐसा चेहरा क्यों दिया. कोई जादू कर दो भगवान.''
कहते हैं ना 'हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा' यानी जो इंसान हिम्मत रखते हैं, कोशिश करना नहीं छोड़ते हैं, उनकी ईश्वर भी मदद करते हैं. जॉन के साथ भी यही हुआ. उन्होंने अपने शरीर पर काम करना शुरू कर दिया. एक्सरसाइज और योग के जरिए उन्होंने बॉडी बिल्डिंग शुरू कर दी. अपनी डाइट पर भी ध्यान दिया. इसके बाद उनका शरीर ऐसा तैयार हुआ कि उनको मॉडलिंग के ऑफर मिलने लगे. उन्होंने धीरे-धीरे मॉडलिंग की दुनिया में अपनी जगह और पहचान बना ली. इस दौरान एक्टिंग के गुर सीखने के लिए उन्होंने किशोर नमित कपूर ड्रामा स्कूल में दाखिला भी लिया था. एक दिन मॉडलिंग करते हुए उनकी मुलाकात मशहूर निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट से हो गई. उस वक्त वो संजय दत्त जैसे एक मॉचो एक्टर की तलाश में थे. उन्होंने मौका देखते ही जॉन अब्राहम को फिल्मों में काम करने का ऑफर दे दिया.
इस तरह साल 2003 में उनकी पहली फिल्म 'जिस्म' रिलीज हुई, जिसके जरिए उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू किया. इसमें उनके साथ बिपाशा बासु मुख्य भूमिका में थी. इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए जॉन अब्राहम को फिल्म फेयर बेस्ट डेब्यू ऐक्टर (मेल) अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद जॉन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिल्म 'जिस्म' के बाद उन्होंने 'साया', 'पाप', 'एतबार' और 'लकीर' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन उनको असली पहचान यश चोपड़ा की फिल्म 'धूम' से मिली. इसमें उनके एक्शन सीन और स्टंट्स को लोगों ने खूब पसंद किया. इसके बाद उन्होंने 'काल', 'वाटर', 'गरम मसाला', 'टैक्सी नबंर 9211', 'दोस्ताना', 'न्यूयॉर्क', 'मद्रास कैफ', 'सत्यमेव जयते' और 'मुंबई सागा' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया है. हालही में उनकी फिल्म 'सत्यमेव जयते 2' रिलीज हुई है, जिसमें उनके अभिनय को सराहा गया है.
आइए जानते हैं कि जॉन अब्राहम बॉलीवुड में सबसे जुदा फिल्मी सितारे क्यों माने जाते हैं...
अच्छी बॉडी मांसाहार की मोहताज नहीं
लोगों को लगता है कि बॉडी बिल्डिंग के लिए नॉनवेज खाना बहुत जरूरी है, क्योंकि उसके लिए जरूरी प्रोटीन मांस-मछली-अंडे से ही मिलता है. लेकिन जॉन अब्राहम ने लोगों की इस सोच गलत साबित किया है. वो प्योर वेजिटेरियन हैं. यहां तक कि अपने खाने में मिल्क प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल नहीं करते. वो वीगन डायट लेते हैं, जो वेजिटेरियन डाइट की तरह ही होती है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि इसमें मिल्क प्रोडक्ट्स भी इस्तेमाल नहीं करते. यानी वीगन डायट में मीट या अंडे से ही नहीं, बल्कि दूध से बनी सभी चीज़ों को भी नहीं खाते. मतलब फल, सब्जियां और अनाज यही सब वीगन डायट में खाया जाता है. इसके अलावा अक्षय कुमार की तरह जॉन भी अनुशासित जिंदगी जीते हैं. रात को 9 बजे तक सो जाना. सुबह 4 बजे उठकर एक्सरसाइज करना उनकी रूटीन में शामिल है. जॉन का कहना है, "बॉडी बनाने से ज्यादा जरूरी है तंदुरूस्त रहना और मैं इस मामले में काफी अनुशासित हूं. मैं अपने शरीर को लेकर कोई कोताही नहीं बरतता. जिम के साथ योग भी करता हूं.''
सेलिब्रिटी का मतलब शराब, ड्रग्स या पार्टी नहीं
बॉलीवुड की पार्टीज तो दुनियाभर में मशहूर है. रैंडम गेट-टुगेदर हो, बर्थडे या वेडिंग पार्टी हो, फिल्मों की सक्सेस पार्टी हो या अवॉर्ड नाइट्स, बॉलीवुड के सितारे जमकर पार्टी का लुफ्त लेते हैं. कई पार्टियों में तो शराब के साथ ड्रग्स के सेवन तक की बात सामने आ चुकी है. हालही में फिल्म मेकर करण जौहर के घर पर हुई एक पार्टी बहुत चर्चा में रही है, जिसमें पांच लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसमें करीना कपूर, अमृता अरोड़ा, महीप कपूर और सीमा खान का नाम शामिल है. इन सितारों से अलग जॉन अब्राहम अवॉर्ड फंक्शन और बॉलीवुड की पार्टीज से दूर रहते हैं. उनके मुताबिक, ज्यादातर अवॉर्ड फंक्शन टीआरपी के लिए होते हैं, जो कि फिक्स रहते हैं. वो कहते हैं, ''अवॉर्ड फंक्शन मुझे भरोसेमंद नहीं लगते और ये किसी सर्कस के शो की तरह हैं''. इसी तरह उनको पार्टी जाते हुए या नशा करते हुए नहीं देखा गया है.
जो जानवरों के प्रति करुणा रखता है
जॉन अब्राहम जानवरों से बहुत प्यार करते हैं. उनके नॉनवेज नहीं खाने के पीछे एक वजह यह भी है. वो जानवरों पर अत्याचार देखकर भावुक हो जाते हैं. उनको हालही में केसीबी के मंच पर रोता हुए देखा गया था. यहां उन्होंने अलवर के रैणी में 5 महीने पहले कुत्ते को बांधकर उसके तीन पैरों को एक-एक करके कुल्हाड़ी से काटने की घटना का जिक्र किया था. जॉन ने बिगबी से कहा था, ''जब भी ऐसी घटना के बारे में सुनता या वीडियो देखता हूं तो रोने लगता हूं. फिर मैं अपने दोस्त मीत को फोन करता हूं. अलवर में एक कुत्ते को बांधकर उसके पैर काट दिए गए. ऐसी घटनाओं से बहुत डिस्टर्ब हो जाता हूं. वहां की पुलिस अफसर को फोन कर बोलता हूं कि उसे अरेस्ट करो. जो उसने किया वो गलत किया. किसी आदमी को मैनहुड दिखाने के लिए जानवर को मारने की जरूरत क्या है. मैं तो कुछ भी तोड़ सकता हूं. बाइक उठा लेता हूं. आदमी को भी तोड़ सकता हूं, लेकिन जानवर और इंसान पर हाथ नहीं उठाता हूं. एक बेजुबान को मारकर आपको क्या मिलेगा?''
दिखावे में नहीं कर्म में विश्वास रखने वाला हीरो
बॉलीवुड के ज्यादातर सेलिब्रिटी दिखावे में विश्वास करते हैं. वो अपनी महंगे घर या लग्जरी कारों के साथ शोऑफ करते हुए नजर आते हैं. लेकिन जॉन अब्राहम इस मामले में बहुत ही जुदा हैं. उनको कभी भी दिखावा करते हुए नहीं देखा गया. वो बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं और खुद भी साधारण रहने की कोशिश करते हैं. उनके माता-पिता आज भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ऑटो में सफर करते हैं. जॉन को कई बार हवाई चप्पल पहने हुए सोशल लाइफ में देखा गया है. एक इंटरव्यू में जॉन ने खुद कहा था, ''मैं बेहद सिंपल फैमिली से आता हूं. मेरे साथी कलाकार अक्सर मुझसे शिकायत करते हैं कि कई बार तुम किसी फंक्शन या पार्टी में भी शूज नहीं पहनते तो मैं उनसे कहता हूं कि मुझे चप्पल में रहना ज्यादा अच्छा लगता है. मैं अपनी मिडल क्लास वैल्यू जानता हूं और यही मेरा प्लस प्वाइंट भी है. मेरे पापा आज भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आते-जाते हैं और मां ऑटो में चलती हैं.'' जॉन की यही खासियत उनको दूसरे सितारे से अलग खड़ा करती है.
सिर्फ एक्टिंग नहीं, कारोबार भी
जॉन अब्राहम अभी तक 50 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं. उनकी नेटवर्थ करीब 250 करोड़ रुपए बताई जाती है. वो फिल्मों में एक्टिंग करने के अलावा अपना प्रोडक्शन हाऊस भी चलाते हैं, जो कि साल 2012 में शुरू किया था. उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाऊस जेए एंटरटेनमेंट के तहत पहली फिल्म 'विक्की डोनर' का निर्माण किया था. आयुष्मान खुराना, यामी गौतम और अनू कपूर स्टारर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी. इसको सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था. इसके बाद दूसरी फिल्म 'मद्रास कैफे' का निर्माण किया था. इस फिल्म की भी बहुत तारीफ हुई थी. जॉन के दूसरे बिजनेस की बात करें तो वो दिल्ली में 'फैट अब्राहम बर्गर' के नाम से रेस्टोरेंट चलाते हैं. उनके पास अपनी एक फुटबॉल टीम भी है. इसका नाम 'मुंबई एंजेल्स' है. वो एक वोडका के ब्रांड के भी मालिक हैं, जिसका नाम 'पीयोर वंडर अब्राहम' है. इसके अलावा उनके पास एक परफ्यूम ब्रांड भी है, जिसका नाम 'जॉन अब्राहम सिडक्शन' है.
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