शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके ये पता न हो कि नीना गुप्ता ने शादी किए बिना ही एक बच्ची को जन्म दिया था. और बच्ची के पिता वेस्ट इंडीज के क्रिकेट खिलाड़ी विवियन रिचर्ड्स हैं. नीना की जिंदगी के इस सच ने उन्हें चर्चित तो बना दिया था लेकिन समय ने उनके हिस्से में सिर्फ यही एक उपलब्धि दर्ज की. अफसोस यही था कि एक शानदार अभिनेत्री जिसे अपनी समकक्ष अभिनेत्रियों की तरह काम और नाम मिलना चाहिए था, वो नीना गुप्ता को नहीं मिला. बावजूद इसके कि वो श्याम बेनेगल जैसे निर्देशक की पहली पसंद थीं. बावजूद इसके कि उनकी अदाकारी के लिए दो बार (1993, 94) उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया.
सिंगल मदर रहते हुए जब एक मां अपनी बच्ची को पाल पोसकर अपने दम पर काबिल बनाती है तो लोग उस मां को सलाम करते हैं. उसे मजबूत और सशक्त कहते हैं. पर नीना खुद को स्ट्रॉन्ग नहीं कहतीं, क्योंकि वो समझती हैं कि हर महिला मजबूत होती है और समय आने पर वो ये साबित भी कर देती है. उनके हिसाब से काम करना और बच्चे को बड़ा करना कोई ऐसा काम नहीं है जिसके लिए खुद को एक सशक्त महिला कहा जाए. शादी के बिना बच्चे को दुनिया में लाने के फैसले पर अगर लोग उन्हें स्ट्रॉन्ग कहते हैं तो वो इसे सही नहीं मानतीं.
तो फिर क्या है सशक्त होना ?
अब लोग तो यही कहेंगे कि अगर ये सब करना मजबूत होना नहीं, तो फिर और क्या है? तो जवाब है नीना गुप्ता की वो इंस्टाग्राम पोस्ट जिसके जरिए उन्होंने इंडस्ट्री से काम मांगा था. ऐसा नहीं था कि नीना गुप्ता के पास काम नहीं था या वो मुफलिसी में जीवन जी रही थीं. लेकिन सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के जरिए उन्होंने अपने लिए अच्छे किरदार की उम्मीद की थी. ये वही दौर था जब बॉलीवुड में नेपोटिज़्म पर बहस जोरों पर थी. तब नीना गुप्ता ने एक तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्हेंने लिखा था- 'मैं मुंबई में रहती हूं, काम करती हूं और एक अच्छी अदाकारा भी हूं. मैं एक बढ़िया किरदार की तलाश में हूं.'
नीना गुप्ता ने इस पोस्ट के जरिए वो दम दिखाया जो अच्छे अच्छे नहीं कर पाए
ये मेरा कन्फेशन है कि मैंने भी नीना गुप्ता को इसी पोस्ट के बाद फॉलो करना शुरू किया था. नीना गुप्ता की यह पोस्ट कई लोगों के लिए प्रेरणा थी लेकिन इंडस्ट्री के मुंह पर ये किसी तमाचे की तरह पड़ी थी. ये आईना था इस फिल्म इंडस्ट्री के लिए जो हमेशा ही बेहतरीन कलाकारों खासकर महिला अभिनेत्रियों को थोड़ी भी उम्र हो जाने पर झटककर फेंक देती है. हां अगर आपके सगे संबंधी या फिर अपका PR बहुत मजबूत हो, तो ये सब किसी कलाकार को झेलना नहीं पड़ता. बेटी मसाबा ने इस पोस्ट को शेयर करते हुए ये बताया भी कि नीना हमेशा कहती हैं कि वो PR नहीं कर सकतीं. अच्छा काम ही उनका PR है. खुद को साबित करो. और वास्तविकता यही है कि अगर नीना गुप्ता जनसंपर्क में माहिर होतीं तो उन्हें काम मांगने के लिए ये पोस्ट भी नहीं करनी पड़ती.
नीना गुप्ता को फिल्मों में काम तो मिला लेकिन उस काम को करके उनको न तो मन का संतोष मिला और कुछ ऐसा जिसे सफलता कहा जाए. फिल्मों के अलावा दूरदर्शन के कई धारावाहिकों में भी उन्होंने अभिनय किया. और एक्टिंग के अलावा स्टार प्लास के सीरियल सांस के जरिए उन्होंने ये भी सिद्ध किया कि वो एक अभिनेत्री ही नहीं एक शानदार निर्देशक और लेखक भी हैं. लेकिन सांस के बाद फिर कोई जानदार रोल न कर पाईं. हालांकि हर दफा नीना ने खुद को साबित किय, लेकिन उन्हें कोई पहचान नहीं पाया. वैसे भी कुछ समय पहले तक फिल्म इंडस्ट्री के पास ज्यादा उम्र की अभिनेत्रियों के लिए दमदार रोल ही नहीं हुआ करते थे. पैसे नहीं होते थे तो नीना को भी रोल में समझौते करने पड़े. उन्होंने भी मां के किरदार निभाए क्योंकि असल जिंदगी में वो भी एक सिंगल मदर थीं जिन्हें अपनी बच्ची के लिए काम तो करना ही था. हां मजबूत इतनी थीं कि किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए थे.
इस फिल्म के जरिए नीना गुप्ता ने खुद को एक बार फिर साबित किया
अच्छा किरदार निभाने की जो भूख एक कलाकार में होती है वो नीना गुप्ता में भी थी. लेकिन अक्सर लोग झिझक के चलते या इमेज के चलते काम मांग नहीं पाते और खत्म हो जाते हैं. लेकिन नीना गुप्ता ने सोशल मीडिया पर बेझिझक होकर जिस हिम्मत से वो पोस्ट लिखी थी वो ये साबित करती है कि वो एक सशक्त महिला हैं. क्योंकि ये काम हर कोई नहीं कर पाता.
इसके बाद उम्मीद तो थी कि शायद नीना गुप्ता को लेकर अब लोग अपनी सोच बदलेंगे. जुलाई 2017 में उन्होंने ये पोस्ट लिखी थी और अक्टूबर 2018 में उनके जीवन की पहली सुपरहिट फिल्म 'बधाई हो' रिलीज़ हुई. ये फिल्म जिसने भी देखी, वो एक बार फिर नीना गुप्ता का फैन बन गया. नीना गुप्ता की जिंदगी में फिल्में और किरदार तो बहुत आए लेकिन सफलता 30 सालों के बाद मिली. बधाई हो एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. जिसने कमाई और अवार्ड दोनों में ही रिकॉर्ड तोड़े.
इसे सशक्त नहीं कहें तो क्या कहें
24 मार्च 2019 को इंस्टाग्राम पर नीना गुप्ता की एक और पोस्ट आई. जिसे देखकर इस महिला के लिए सम्मान और बढ़ गया. इस बार हाथ में फिल्म फेयर अवार्ड था. पोस्ट पर उन्होंने लिखा था- 'मेरा पहला फिल्म फेयर अवार्ड'. बहुत ही कम शब्दों में उन्होंने अपनी कामयाबी का सुबूत लोगों के सामने रख दिया. अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस पहले फिल्म फेयर अवार्ड को पाने के बाद नीना गुप्ता के मन में कितना कुछ होगा व्यक्त करने के लिए. 25 सालों की कड़ी मेहनत के बाद एक बार फिर हाथों में अवार्ड थामना नीना गुप्ता के लिए न सिर्फ एक भावुक पल रहा होगा, बल्कि इसने उनके अंदर के कलाकार को भी संतुष्ट किया होगा. जितनी सशक्त 2017 वाली तस्वीर थी उतनी ही सशक्त ये तस्वीर है. और ऐसा इसलिए क्योंकि इसे पोस्ट करने वाली महिला वो सशक्त महिला है जिसने कभी माना ही नहीं कि वो सशक्त है.
ऐसी नीना को 'बधाई हो' !
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