बॉलीवुड की कंट्रोवर्सी 'क्वीन' कंगना रनौत की एक्टिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मुझे उनके कर्ली बाल बहुत पसंद हैं. मैं भलमनसाहत से कह सकता हूं कि मैंने उनकी 'तनु वेड्स मनु' फ्रेंचाइजी की दोनों फिल्मों के अलावा और कोई फिल्म नहीं देखी है. कंगना अभिनीत 'कनपुरिया' तनुजा त्रिवेदी का किरदार मेरे दिल के बेहद करीब है. 2011 में कंगना ने जब तनु का किरदार निभाया तब तक वह ऐसी नहीं थी, जैसी आज हो गई हैं. कनपुरिया स्वभाव में जो 'अक्खड़ता' है, वह उन्होंने काफी बाद में आत्मसात की है. मुझे लगता है कि इसी अक्खड़पन की वजह से ट्विटर समेत हर जगह रौब और दबंगई झाड़ने वाली कंगना रनौत आज तमाम मुकदमेबाजी झेल रही हैं. बावजूद इसके उनके तेवर कमजोर नहीं पड़ते हैं.
कंगना रनौत देश में चल रहे तकरीबन हर छोटे-बड़े मुद्दे पर अपनी 'विशेष टिप्पणियों' की वजह से अपना और लोगों का जीना हलकान करती रहती हैं. बॉलीवुड में फैले 'नेपोटिज्म' से लेकर राजनीति में 'राष्ट्रवाद' तक अपनी बेबाक राय रखने वाली कंगना रनौत हमेशा ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. इसे आसान भाषा में ऐसे भी कहा जा सकता है कि चर्चा में कैसे बने रहना है, ये कंगना को बखूबी आता है. कंगना रनौत हाल ही में प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल के विवादित इंटरव्यू को लेकर तीन ट्वीट किए हैं. इन ट्वीटस को देखने के बाद मुझे लगता है कि उनमें कुछ बदलावों (ट्वीट स्ट्रेजडी में) की गुंजाइश है. ये कर भी लेने चाहिए और ऐसा करने में उनका कोई नुकसान भी नहीं है. कंगना को मैं बदलने के लिए नहीं कह रहा हूं, वो जो कर रही हैं, करती रहें. उन्हें बस थोड़े से करेक्शन की जरूरत है.
उदाहरण देने के लिए महात्मा गांधी जैसी बड़ी हस्तियों को न चुनें
कंगना को पहली सलाह यही है- वो कोशिश करें कि महात्मा गांधी जैसी महान हस्तियों को अपने फैलाए रायते में न लपेटें. वह दिन दूना और रात चौगुना रायता...
बॉलीवुड की कंट्रोवर्सी 'क्वीन' कंगना रनौत की एक्टिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मुझे उनके कर्ली बाल बहुत पसंद हैं. मैं भलमनसाहत से कह सकता हूं कि मैंने उनकी 'तनु वेड्स मनु' फ्रेंचाइजी की दोनों फिल्मों के अलावा और कोई फिल्म नहीं देखी है. कंगना अभिनीत 'कनपुरिया' तनुजा त्रिवेदी का किरदार मेरे दिल के बेहद करीब है. 2011 में कंगना ने जब तनु का किरदार निभाया तब तक वह ऐसी नहीं थी, जैसी आज हो गई हैं. कनपुरिया स्वभाव में जो 'अक्खड़ता' है, वह उन्होंने काफी बाद में आत्मसात की है. मुझे लगता है कि इसी अक्खड़पन की वजह से ट्विटर समेत हर जगह रौब और दबंगई झाड़ने वाली कंगना रनौत आज तमाम मुकदमेबाजी झेल रही हैं. बावजूद इसके उनके तेवर कमजोर नहीं पड़ते हैं.
कंगना रनौत देश में चल रहे तकरीबन हर छोटे-बड़े मुद्दे पर अपनी 'विशेष टिप्पणियों' की वजह से अपना और लोगों का जीना हलकान करती रहती हैं. बॉलीवुड में फैले 'नेपोटिज्म' से लेकर राजनीति में 'राष्ट्रवाद' तक अपनी बेबाक राय रखने वाली कंगना रनौत हमेशा ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. इसे आसान भाषा में ऐसे भी कहा जा सकता है कि चर्चा में कैसे बने रहना है, ये कंगना को बखूबी आता है. कंगना रनौत हाल ही में प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल के विवादित इंटरव्यू को लेकर तीन ट्वीट किए हैं. इन ट्वीटस को देखने के बाद मुझे लगता है कि उनमें कुछ बदलावों (ट्वीट स्ट्रेजडी में) की गुंजाइश है. ये कर भी लेने चाहिए और ऐसा करने में उनका कोई नुकसान भी नहीं है. कंगना को मैं बदलने के लिए नहीं कह रहा हूं, वो जो कर रही हैं, करती रहें. उन्हें बस थोड़े से करेक्शन की जरूरत है.
उदाहरण देने के लिए महात्मा गांधी जैसी बड़ी हस्तियों को न चुनें
कंगना को पहली सलाह यही है- वो कोशिश करें कि महात्मा गांधी जैसी महान हस्तियों को अपने फैलाए रायते में न लपेटें. वह दिन दूना और रात चौगुना रायता फैलाएं, लेकिन उदाहरण देने के लिए ऐसी बड़ी हस्तियों का नाम लेने से तौबा करें. मुझे पता है कि उनको अंदाजा हो चुका है, उनका फिल्मी करियर अब ज्यादा नहीं बचा है. ऐसे में आगे जब वह राजनीति में ही करियर बनाना चाहती हैं, तो इस चीज से सबसे पहले तौबा कर लें. 2024 में उन्हें टिकट आसानी से मिल जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे उन्हें 'Y' श्रेणी की सुरक्षा मिली है. लेकिन, लोगों के दिल में आज भी महात्मा गांधी और नेहरू जैसे नेताओं के लिए प्रेम है. उन्हें चुनाव जीतने के लिए केवल 'राष्ट्रवादी' वोट नहीं चाहिए होंगे, तो एक छोटा सा ये बदलाव कर लें.
कन्फ्यूजन दूर कर लें
ट्वीट करने से पहले वह अपना कन्फ्यूजन दूर कर लें. 'फेमिनिज्म' का झंडा उठाने से पहले वो ये तय कर लें कि वह एक महिला का साथ देने के लिए एक अन्य महिला पर ही आरोप न थोपें. कोशिश करें कि ऐसे मामलों में हाथ ना ही डालें, तो अच्छा है. एक महिला 'नस्लवाद' के खिलाफ आवाज उठा रही है और आप उसको ही कमतर साबित करने में जुटी हैं. एक महिला के महिमामंडन के लिए एक अन्य महिला का अपमान करने से उन्हें बकोचना चाहिए. पितृसत्ता और पुरुषों पर खुलकर हमला बोलें, लेकिन महिलाओं के लिए महिलाओं पर हमलावर होने से बचें.
थोड़ा सेलेक्टिव हो जाएं
हर विवादित मुद्दे पर ट्वीट करना जरूरी नही है और अगर करना ही है, तो थोड़ा सेलेक्टिव हो जाएं. किसान आंदोलन के खिलाफ उन्होंने ट्वीट कर विरोध जताया, अच्छी बात है. लेकिन, पॉपस्टार रिहाना के किसान आंदोलन के समर्थन करने पर कंगना रनौत ने उनकी कुछ बोल्ड तस्वीरें शेयर कर दी थीं. रिहाना की तस्वीर शेयर करते हुए कंगना ने कैप्शन में संघी नारी सब पर भारी लिखा था. इसके बाद लोगों ने उनकी पुरानी फिल्मों की बोल्ड तस्वीरों के साथ उन्हें ट्रोल कर दिया था. कंगना को इतना तो पता ही होना चाहिए कि आज की संघी नारी कुछ समय पहले तक ग्लैमरस अवतार में ही नजर आती रही है. कुल मिलाकर एक ही विषय पर केंद्रित रहें और मुद्दे से ज्यादा इधर-उधर न भटकें.
मुंहफट बनी रहें, बस आत्मश्लाघा से बचें
कंगना रनौत मुंहफट हैं, इसमें कोई दो राय नही है. वह ऐसी ही बनी रहें, बस आत्मश्लाघा (अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने) से बचें. आत्ममुग्धता अच्छी चीज है, किसे अपनी कामयाबी पर गर्व नहीं होता है. लेकिन, खुद ही अपनी तारीफ में जुट जाना और तारीफ करने में अपनी तुलना ऐसे लोगोंr से कर देना, जो आप से कई दर्जा आगे हो, ये थोड़ा अजीब लगता है. मेरिल स्ट्रीप और टॉम क्रूज सरीखी हस्तियों से खुद की तुलना ना ही करें, तो बेहतर है.
अगर कंगना रनौत खुद के अंदर केवल इतने ही बदलाव ले आती हैं, तो आगे आने वाले समय में ट्रोलिंग समेत कई चीजों से आसानी से बच जाएंगी. उकी इमेज में भी सुधार आ सकता है. डैमेज कंट्रोल की ये स्ट्रेटजी उनकी लिए अच्छी साबित हो सकती है. शहाब बलरामपुरी साहब का ये शेर कंगना रनौत को नजर करते हुए अपनी सलाह को खत्म करता हूं.
मुझपे क्यूं इस कत्ल का इल्जाम आना चाहिए,
अब मददगारों में मेरा नाम आना चाहिए.
खुदकुशी करने चला वो मैने गोली मार दी,
आदमी को आदमी के काम आना चाहिए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.