'कंगना रनौत अगर मुंबई आएंगी तो उनका थोबड़ा फोड़ दिया जाएगा और ये हमारे वीर योद्धा करेंगे.'प्रताप सरनाइक (Pratap Sarnaik) MLA हैं शिवसेना से. उन्होंने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) का मुंह तोड़ने की धमकी दी है ट्विटर पर. अब वो सारे फ़ेमनिस्ट (Feminist) चुप हैं, जिनको सलेक्टिव महिला अधिकारों की पड़ी रहती है. यहां उनको एक स्त्री की अस्मिता ख़तरे में नहीं दिख रही. यहां उन्हें कंगना को लेकर कुछ फ़ील नहीं हो रहा क्योंकि वो उनके एजेंडे में फ़िट नहीं हो रही हैं. अगर यही कंगना वामपंथ (Left) की तरफ़दारी कर रही होतीं तो आज देश की सभी स्त्रियों की आन-बान-शान ख़तरे में पड़ती दिखाई दे रही होती.
ये जो सलेक्टिव अप्रोच है न इन डिज़ाइनर-फ़ेमिनिस्टों का स्त्रियों को लेकर यही इनकी हिपोक्रेसी दिखाता है. और सिर्फ़ स्त्रीवादी ही क्यों? बहुत सारे बुद्धिजीवी पुरुषों को भी रिया चक्रवर्ती के साथ जो हो रहा है उसपर दुःख है. इस दुःख में मैं भी शरीक हूं, मुझे भी मीडिया-ट्रायल से एतराज़ है. लेकिन उन्हें कंगना के साथ जो हो रहा है वो नहीं दिख रहा है. विडंबना देखिये अब इन्हें ह्यूमन राइट्स ख़तरे में जाता नहीं दिख रहा. अफ़सोस है कि कंगना को मारने-पीटने की धमकी मिल रही है और इनको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है.
शाबाश... बस यही करते चले जाइए, सही रास्ते पर हैं आप!
और किसे नहीं पता बॉलीवुड की हक़ीक़त आखिर कोई तो आए उनके सपोर्ट में, फिर किसके लिए ये सब करना है? कंगना आराम से फ़िल्म करतीं और पैसे कमातीं और लोगों की गुड बुक्स में रहती सो अलग. मर्दों के वर्चस्व वाले बॉलीवुड में चुपचाप, उनकी हां में हां मिलाकर वो सबकी चहेती बनी रहतीं.
लेकिन वही बात है न. जो शेर है, वो...
'कंगना रनौत अगर मुंबई आएंगी तो उनका थोबड़ा फोड़ दिया जाएगा और ये हमारे वीर योद्धा करेंगे.'प्रताप सरनाइक (Pratap Sarnaik) MLA हैं शिवसेना से. उन्होंने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) का मुंह तोड़ने की धमकी दी है ट्विटर पर. अब वो सारे फ़ेमनिस्ट (Feminist) चुप हैं, जिनको सलेक्टिव महिला अधिकारों की पड़ी रहती है. यहां उनको एक स्त्री की अस्मिता ख़तरे में नहीं दिख रही. यहां उन्हें कंगना को लेकर कुछ फ़ील नहीं हो रहा क्योंकि वो उनके एजेंडे में फ़िट नहीं हो रही हैं. अगर यही कंगना वामपंथ (Left) की तरफ़दारी कर रही होतीं तो आज देश की सभी स्त्रियों की आन-बान-शान ख़तरे में पड़ती दिखाई दे रही होती.
ये जो सलेक्टिव अप्रोच है न इन डिज़ाइनर-फ़ेमिनिस्टों का स्त्रियों को लेकर यही इनकी हिपोक्रेसी दिखाता है. और सिर्फ़ स्त्रीवादी ही क्यों? बहुत सारे बुद्धिजीवी पुरुषों को भी रिया चक्रवर्ती के साथ जो हो रहा है उसपर दुःख है. इस दुःख में मैं भी शरीक हूं, मुझे भी मीडिया-ट्रायल से एतराज़ है. लेकिन उन्हें कंगना के साथ जो हो रहा है वो नहीं दिख रहा है. विडंबना देखिये अब इन्हें ह्यूमन राइट्स ख़तरे में जाता नहीं दिख रहा. अफ़सोस है कि कंगना को मारने-पीटने की धमकी मिल रही है और इनको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है.
शाबाश... बस यही करते चले जाइए, सही रास्ते पर हैं आप!
और किसे नहीं पता बॉलीवुड की हक़ीक़त आखिर कोई तो आए उनके सपोर्ट में, फिर किसके लिए ये सब करना है? कंगना आराम से फ़िल्म करतीं और पैसे कमातीं और लोगों की गुड बुक्स में रहती सो अलग. मर्दों के वर्चस्व वाले बॉलीवुड में चुपचाप, उनकी हां में हां मिलाकर वो सबकी चहेती बनी रहतीं.
लेकिन वही बात है न. जो शेर है, वो झुंड में नहीं ही चलेगा और कंगना शेर हैं हमारी. मोर पॉवर टू आवर क्वीन. आज जिस तरह से डिज़ाइनर पत्रकार, संजय राऊत और उनके नेतागण बौखलाए हुए हैं वो ये साबित करने के लिए काफ़ी है कि कंगना ने अकेले अपने दम पर इनके सिंहासन को हिला कर रख दिया है. वो न तो डरेगी और न रुकेगी. देश की जनता उसकी इस लड़ाई में उसके साथ खड़ी है.
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