इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हालिया दौर में बॉलीवुड ने महिलाओं को न केवल आधार दिया बल्कि उन्हें सशक्त भी किया है. हम वो दौर नहीं है जब हीरो के नाम पर फिल्में हिट होती थीं आज वीमेन सेंट्रिक फ़िल्म बन रही हैं जिसे न केवल लोग पसंद कर रहे हैं बल्कि ये फिल्में हिट भी हो रही हैं. बात इंडस्ट्री की सशक्त महिलाओं की हुई है तो भले ही मौजूदा दौर में फेहरिस्त बहुत लंबी हो लेकिन एक्टर कंगन रनाउत और स्वरा भास्कर का शुमार उन लोगों में है जो टॉप पर हैं. चाहे वो कंगना हों या स्वरा इस बात में कोई शक नहीं है कि दोनों ही बेमिसाल एक्टर हैं लेकिन विचारधारा के लिहाज से दोनों ही दो अलग धूरियों पर हैं. यूं यो कंगना और स्वरा को लेकर हजार बातें हों सकती हैं लेकिन इन दोनों ही कलाकारों के विषय में सबसे मुनासिब बात वही कर सकता है जिसने इन दोनों के साथ काम किया है. ऐसे में निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने कंगना और स्वरा को लेकर तमाम बड़ी बातें की हैं और बताया है कि दोनों का काम करने का तरीका कैसा है?
ध्यान रहे कि चाहे वो स्वरा हों या कंगना विचारधारा के चलते दोनों ही एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाते लेकिन जब बात जब काम करने या ये कहें कि वर्किंग एथिक्स की हो तो ,निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी के मुताबिक दोनों ही एक्टर्स ये चाहते हैं कि वो अपना बेस्ट दें. सवाल होगा कि आखिर स्वरा और कंगना के बीच अश्विनी क्यों चौधरी की भूमिका निभा रही हैं?
तो बताते चलें कि अश्विनी जहां अपनी फिल्म नील बटे सन्नाटा में स्वरा को कास्ट कर चुकी हैं तो वहीं उन्होंने अपनी फिल्म पंगा में कंगना रनौत को बतौर एक्ट्रेस लिया था. अश्विनी के मुताबिक स्वरा तब तक कोशिश करती रहती हैं जब तक कि उन्हें सही टेक नहीं मिल...
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हालिया दौर में बॉलीवुड ने महिलाओं को न केवल आधार दिया बल्कि उन्हें सशक्त भी किया है. हम वो दौर नहीं है जब हीरो के नाम पर फिल्में हिट होती थीं आज वीमेन सेंट्रिक फ़िल्म बन रही हैं जिसे न केवल लोग पसंद कर रहे हैं बल्कि ये फिल्में हिट भी हो रही हैं. बात इंडस्ट्री की सशक्त महिलाओं की हुई है तो भले ही मौजूदा दौर में फेहरिस्त बहुत लंबी हो लेकिन एक्टर कंगन रनाउत और स्वरा भास्कर का शुमार उन लोगों में है जो टॉप पर हैं. चाहे वो कंगना हों या स्वरा इस बात में कोई शक नहीं है कि दोनों ही बेमिसाल एक्टर हैं लेकिन विचारधारा के लिहाज से दोनों ही दो अलग धूरियों पर हैं. यूं यो कंगना और स्वरा को लेकर हजार बातें हों सकती हैं लेकिन इन दोनों ही कलाकारों के विषय में सबसे मुनासिब बात वही कर सकता है जिसने इन दोनों के साथ काम किया है. ऐसे में निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने कंगना और स्वरा को लेकर तमाम बड़ी बातें की हैं और बताया है कि दोनों का काम करने का तरीका कैसा है?
ध्यान रहे कि चाहे वो स्वरा हों या कंगना विचारधारा के चलते दोनों ही एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाते लेकिन जब बात जब काम करने या ये कहें कि वर्किंग एथिक्स की हो तो ,निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी के मुताबिक दोनों ही एक्टर्स ये चाहते हैं कि वो अपना बेस्ट दें. सवाल होगा कि आखिर स्वरा और कंगना के बीच अश्विनी क्यों चौधरी की भूमिका निभा रही हैं?
तो बताते चलें कि अश्विनी जहां अपनी फिल्म नील बटे सन्नाटा में स्वरा को कास्ट कर चुकी हैं तो वहीं उन्होंने अपनी फिल्म पंगा में कंगना रनौत को बतौर एक्ट्रेस लिया था. अश्विनी के मुताबिक स्वरा तब तक कोशिश करती रहती हैं जब तक कि उन्हें सही टेक नहीं मिल जाता. इसके ठीक विपरीत कंगना पहले से तैयारी करने और एक ही टेक में सही टेक देने में विश्वास करती हैं.
हाल ही में दिए अपने एक इंटरव्यू में अश्विनी ने स्वरा और कंगना को लेकर इस बात को स्वीकार किया है कि दोनों बहुत मेहनती व्यक्ति हैं. दोनों ही कलाकार अपना दिल और आत्मा कैरेक्टर में डाल देते हैं. अपनी फिल्म निल बटे सन्नाटा का जिक्र करते हुए अश्विनी ने कहा कि मेरे पास स्वरा की 'निल बटे सन्नाटा' का स्क्रीनप्ले है. उन्होंने इसके चारों तरफ हरे और लाल रंग के पेन का इस्तेमाल किया है, प्वाइंटर्स बनाने के लिए.
अश्विनी के अनुसार स्वरा अपने किरदार में बैकस्टोरी जोड़ती हैं. यही बात कंगना के साथ भी होती है. वह कैरेक्टर में इस कदर ढल जाती हैं कि वह हमेशा अपने एक्सपीरियंस का इस्तमाल करती हैं. इंटरव्यू में जब अश्विनी से ये सवाल हुआ कि आखिर वो क्या चीज है जो एक कलाकार के रूप में स्वरा और कंगना को अलग करती है?
सवाल का जवाब देते हुए अश्विनी ने कहा कि 'स्वरा बार-बार अपनी लाइंस की प्रैक्टिस करेगी, और टेक देती रहेंगी क्योंकि वह उनक व्यक्तित्व में है. कंगना वास्तव में अपनी पिच जानती है और वह मेरे साथ पिच पर चर्चा करेगी और वह 'उस पिच' पर पहुंच जाएंगी. क्योंकि उनकी पिच बहुत सही है. उन्होंने कहा कि कंगना रीटेक भी मांगती हैं जब उन्हें लगता है कि वह 'गलत' हो गई हैं.
गौरतलब है कि मौजूदा वक्त में जो लड़ाई स्वरा और कंगना के बीच है वो कुछ कुछ सांप नेवले जैसी ही है. अभी दिन ही कितने हुए हैं जब कंगना ने स्वरा को बी-ग्रेड एक्टर कहा था और डंके की चोट पर इस बात को भी स्वीकार किया था कि स्वरा हमेशा ही 'करण जौहर' जैसे लोगों की साइड लेने की कोशिश करती हैं और करण जैसे लोग इतनी निष्ठा, इतनी स्वामिभक्ति के बावजूद स्वरा को काम नहीं देते.
चाहे वो कंगना हों या स्वरा हम लोग अपनी अपनी राजनीतिक विचारधारा के तहत दोनों का विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन चूंकि दोनों ही उम्दा एक्टर हैं तो कंगना और स्वरा दोनों ही इस इस बात को बखूबी जानते हैं कि यदि इंडस्ट्री में बने रहना है तो हल्की एक्टिंग से काम नहीं चलने वाला इसलिए दोनों लगातार मेहनत और नए प्रयोग कर रही हैं.
जिक्र चूंकि अश्विनी अय्यर तिवारी का हुआ है तो भले ही आप कंगना और स्वरा का समर्थन और विरोध अपनी पॉलिटिकल पसंद के तहत करते हों लेकिन जब अश्विनी ने इन दोनों के विषय में बात की है तो जाहिर है आपसे और हमसे कहीं बेहतर तर्क एक निर्देशक के रूप में अश्विनी के पास होंगे.
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