करण जौहर की भारी भरकम बजट में बनी फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' 9 सितंबर को रिलीज हुई थी. कोविड की दूसरी लहर के बाद अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला कि हिंदी की किसी बड़ी फिल्म को टिकट खिड़की पर दो हफ़्तों का लंबा चौड़ा खाली समय मिला हो. फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते का समय सिनेमाघरों में मिला. कई शुक्रवार तो ऐसे भी हालात बने थे कि दो-दो तीन-तीन फ़िल्में साथ में रिलीज हुईं. बड़ी-बड़ी फिल्मों में भी जबरदस्त क्लैश दिखा. हालांकि करण जौहर के सामने बॉलीवुड की कोई भी मध्यम या बड़े बजट की फिल्म सामने नहीं आ पाई. इस दौरान दक्षिण से भी कोई पैन इंडिया ड्रामा नहीं आई.
करण जौहर की ब्रह्मास्त्र को इसका कितना फायदा मिला- यह देखने वाली बात है. वैसे रिलीज के बाद लगातार 14 दिनों से सिनेमाघरों पर करण जौहर का कब्ज़ा इसी शुक्रवार को ख़त्म हो जाएगा और दर्शकों को 'चुप: रिवेंज ऑफ़ द आर्टिस्ट' के रूप में हिंदी में एक बनी एक नई और बेहतर कहानी देखने को मिलेगी. चुप के मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन का जबरदस्त आइडिया भी निकाला है. अभी तक होता यह था कि बॉलीवुड में सबसे पहले फ़िल्में बॉलीवुड के यार दोस्त सितारों को दिखाई जाती थी. इसके बाद वे फिल्म के पक्ष में समीक्षाएं लिखकर सोशल मीडिया पर माहौल बनाते थे. सितारों की समीक्षा में फिल्म की भूरि-भूरि तारीफ़ ही देखने को मिलती है.
इसके बाद मेकर्स अलग-अलग शहरों में प्रेस शो आयोजित करते थे जहां समीक्षकों और पत्रकारों को फिल्म दिखाई जाती है. लेकिन चुप के मेकर्स ने फैसला लिया है कि वे रिलीज से तीन दिन पहले फिल्म को सीधे पुब्लिक को दिखाएंगे- वह भी मुफ्त में. मेकर्स ने बताया है कि फ्री में फिल्म देखने वाले दर्शक अपना टिकट बुक कर सकते हैं और देखने के बाद कंटेट के बारे में...
करण जौहर की भारी भरकम बजट में बनी फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' 9 सितंबर को रिलीज हुई थी. कोविड की दूसरी लहर के बाद अब तक ऐसा देखने को नहीं मिला कि हिंदी की किसी बड़ी फिल्म को टिकट खिड़की पर दो हफ़्तों का लंबा चौड़ा खाली समय मिला हो. फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते का समय सिनेमाघरों में मिला. कई शुक्रवार तो ऐसे भी हालात बने थे कि दो-दो तीन-तीन फ़िल्में साथ में रिलीज हुईं. बड़ी-बड़ी फिल्मों में भी जबरदस्त क्लैश दिखा. हालांकि करण जौहर के सामने बॉलीवुड की कोई भी मध्यम या बड़े बजट की फिल्म सामने नहीं आ पाई. इस दौरान दक्षिण से भी कोई पैन इंडिया ड्रामा नहीं आई.
करण जौहर की ब्रह्मास्त्र को इसका कितना फायदा मिला- यह देखने वाली बात है. वैसे रिलीज के बाद लगातार 14 दिनों से सिनेमाघरों पर करण जौहर का कब्ज़ा इसी शुक्रवार को ख़त्म हो जाएगा और दर्शकों को 'चुप: रिवेंज ऑफ़ द आर्टिस्ट' के रूप में हिंदी में एक बनी एक नई और बेहतर कहानी देखने को मिलेगी. चुप के मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन का जबरदस्त आइडिया भी निकाला है. अभी तक होता यह था कि बॉलीवुड में सबसे पहले फ़िल्में बॉलीवुड के यार दोस्त सितारों को दिखाई जाती थी. इसके बाद वे फिल्म के पक्ष में समीक्षाएं लिखकर सोशल मीडिया पर माहौल बनाते थे. सितारों की समीक्षा में फिल्म की भूरि-भूरि तारीफ़ ही देखने को मिलती है.
इसके बाद मेकर्स अलग-अलग शहरों में प्रेस शो आयोजित करते थे जहां समीक्षकों और पत्रकारों को फिल्म दिखाई जाती है. लेकिन चुप के मेकर्स ने फैसला लिया है कि वे रिलीज से तीन दिन पहले फिल्म को सीधे पुब्लिक को दिखाएंगे- वह भी मुफ्त में. मेकर्स ने बताया है कि फ्री में फिल्म देखने वाले दर्शक अपना टिकट बुक कर सकते हैं और देखने के बाद कंटेट के बारे में उन्हें बताए. चुप के लिए निश्चित ही मेकर्स की यह कोशिश यूनिक है. इससे जनता में फिल्म का बेहतर वर्ड ऑफ़ माउथ तैयार होगा और चुप को कारोबारी रूप से फायदा पहुंच सकता है. आइए जानते हैं उन तीन वजहों को जिसकी वजह से यह फिल्म दर्शकों को लाजवाब कर सकती है.
1. थ्रिलर ड्रामा और चुप का विषय
चुप का विषय थ्रिलर है. फिल्म की कहानी सिलसिलेवार खौफनाक हत्याओं को लेकर बुनी गई है. फिल्मों की समीक्षा करने वाले समीक्षकों की एक-एक कर क्रूर हत्याएं होती हैं. हत्यारा उनके शरीर पर स्टार भी बनाता है. फिल्म में हत्याओं की वजह और उसके पीछे के व्यक्ति को तलाशना है. हालांकि पिछले दिनों आया ट्रेलर साफ़ कर देता है कि कोई फिल्ममेकर ही समीक्षकों की हत्याएं करता है. वह उनके समीक्षा के तरीकों या पैमानों से नाराज है. उसे लगता है कि खराब समीक्षाओं की वजह से फिल्म मेकर्स की प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी प्रभावित होती है. फिल्म में गुरुदत्त का भी संदर्भ लिया गया है. कागज़ के फूल और प्यासा जैसी कालजयी फ़िल्में बनाने वाले गुरुदत्त ने आत्महत्या कर ली थी. कहा जाता है कि उन्होंने यह कदम डिप्रेशन में आकर उठाया था. बॉलीवुड के लिहाज से फिल्म का विषय यूनिक है. इसमें एक बेहतर कहानी और बेहतरीन थ्रिल की गुंजाइश दिख रही है. सबकुछ ठीकठाक रहा तो थ्रिल पसंद करने वाले दर्शकों को चुप से भरपूर मनोरंजन मिलेगा.
2. आर बाल्की का लेखन-निर्देशन
आर बाल्की की गिनती बॉलीवुड की पॉपुलर धारा में अलग से की जाती है. उनकी कहानियां प्रायोगिक, अनूठी और ताजगी से भरी दिखती हैं. लेखक निर्माता और निर्देशक के रूप में वे पिछले 15 साल से सक्रिय हैं. हालांकि इन वर्षों में उन्होंने नाममात्र फ़िल्में की हैं. अलग-अलग भूमिकाओं में अब तक उनकी मात्र सात फ़िल्में आई हैं. इनमें बतौर निर्देशन उन्होंने चीनी कम, पा, शमिताभ और पैडमैन जैसी फ़िल्में दी हैं. जिन्होंने आर बाल्की के सिनेमा को देखा होगा उन्हें पता है कि कैसे उनकी हर फिल्म की जमीन एक दूसरे से बिल्कुल अलग है. आर बाल्की की खासियत भी यही है कि वह खुद अपनी फिल्मों की कहानियां लिखते हैं. चुप भी उन्होंने ही लिखी है. ट्रेलर में आर बाल्की की छाप साफ़ नजर आ रही है.
पैडमैन के चार साल बाद आर बाल्की कोई फिल्म लेकर आ रहे हैं. इस बार उन्होंने चुप के रूप में पहली मर्तबा थ्रिलर में हाथ आजमाया है. दर्शक आर बाल्की की आने वाली फिल्म से उम्मीद कर सकते हैं.
3. बड़े स्केल की फिल्म में सनी देओल का दिखना
सनी देओल की गिनती बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेताओं में की जाती है. लेकिन पिछले एक दशक से बतौर अभिनेता उनका स्टारडम नहीं दिखता. उन्हें लेकर किसी बड़े फिल्ममेकर की फ़िल्में नहीं दिखतीं. पिछले 10-11 सालों में सनी देओल होम प्रोडक्शन या लो बजट फ़िल्में ही करते नजर आते हैं. इनमें एक दो को छोड़कर ज्यादातर फ्लॉप हैं. निश्चित ही बतौर एक्टर सनी देओल के लिए चुप एक बहुत बड़ी फिल्म साबित हो सकते है. फिल्म में एक्टर पुलिस अफसर की भूमिका में हैं जो हत्याओं की गुत्थी सुलझाने की कोशिश में लगे हैं. सनी देओल भी चुप में दर्शकों के लिए एक बड़ा आकर्षण हो सकते हैं.
सनी देओल के अलावा चुप में दुलकर सलमान भी है. दुलकर दक्षिण के मशहूर अभिनेता हैं और हिंदी की कुछ फ़िल्में कर चुके हैं. उनका चेहरा दर्शकों के लिए नया नहीं कहा जा सकता. चुप में वे फिल्म मेकर की भूमिका में हैं. जबकि उनके लव इंटरेस्ट के रूप में श्रेया धन्वंतरी नजर आ रही हैं. श्रेया भी कई वेब सीरीज और फिल्मों से अपनी पहचान बना चुकी हैं. पूजा भट्ट भी एक अहम किरदार में नजर आ रही हैं.
चुप 23 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
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