सारा अली खान और सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म केदारनाथ के टीजर ने 2013 में हुई आपदा की यादें ताजा कर दीं. फिल्म के प्रमुख किरदारों का नाम है मंसूर और मुक्कू. जिस केदारनाथ त्रासदी जिसमें हजारों लोग मारे गए थे उससे जुड़ी किसी फिल्म का बनना काफी संवेदनशील मुद्दा है और डायरेक्टर अभिषेक कपूर कैसे इसे दिखाते हैं. फिलहाल जो टीजर आया है उसमें एक भी डायलॉग नहीं है. बैकग्राउंड म्यूजिक के सहारे ही फिल्म की स्टोरी लाइन बताने की कोशिश की गई है. इस बहुप्रचारित फिल्म के बारे में जो संकेत मिले हैं, वे कुछ इस प्रकार हैं:
टाइटैनिक थीम: फिल्म टाइटैनिक की कौन सी बात सबसे ज्यादा याद है? एक महाकाय जहाज ब्रिटेन से अमेरिका के लिए निकला. जिस पर जैक और रोज़ की प्रेम कहानी ने जन्म लिया. फिर पानी पर तैरता हिमखंड जहाज से टकराया, जिससे कभी न डूब सकने वाला जहाज दो टूकड़े में टूटकर पानी में समा गया. इस भयानक त्रासदी को एक मार्मिक कहानी में बदल देने के लिए जेम्स कैमरन ने एक खूबसूरत प्रेम कहानी को ऊपर रखा. हीरो का अंत हो गया, और उसकी दास्तान सुनाने के लिए रह गई नायिका.
अब केदारनाथ की कहानी पर आते हैं. टीजर में कुछ दृश्य वैसे ही हैं, जैसे टाइटैनिक में. खासतौर पर पानी में डूबने वाला दृश्य. इस कहानी का बैकग्राउंड इतिहास की भयानक त्रासदी पर ही आधारित है. इस त्रासदी ने हजारों जानें लीं, लेकिन जीवन के लिए संघर्ष करने की कई असाधारण कहानियां भी बाद में सामने आईं.
केदारनाथ आपदा में बचे, या बचाए गए सब लोगों के पास अपनी कहानी है. और यकीन रखिए हर कहानी किसी फिल्म की कहानी हो सकती है. कई दिनों तक भूखे रहना. हड्डियां कंपकंपा देने वाली ठंड में भारी बारिश का...
सारा अली खान और सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म केदारनाथ के टीजर ने 2013 में हुई आपदा की यादें ताजा कर दीं. फिल्म के प्रमुख किरदारों का नाम है मंसूर और मुक्कू. जिस केदारनाथ त्रासदी जिसमें हजारों लोग मारे गए थे उससे जुड़ी किसी फिल्म का बनना काफी संवेदनशील मुद्दा है और डायरेक्टर अभिषेक कपूर कैसे इसे दिखाते हैं. फिलहाल जो टीजर आया है उसमें एक भी डायलॉग नहीं है. बैकग्राउंड म्यूजिक के सहारे ही फिल्म की स्टोरी लाइन बताने की कोशिश की गई है. इस बहुप्रचारित फिल्म के बारे में जो संकेत मिले हैं, वे कुछ इस प्रकार हैं:
टाइटैनिक थीम: फिल्म टाइटैनिक की कौन सी बात सबसे ज्यादा याद है? एक महाकाय जहाज ब्रिटेन से अमेरिका के लिए निकला. जिस पर जैक और रोज़ की प्रेम कहानी ने जन्म लिया. फिर पानी पर तैरता हिमखंड जहाज से टकराया, जिससे कभी न डूब सकने वाला जहाज दो टूकड़े में टूटकर पानी में समा गया. इस भयानक त्रासदी को एक मार्मिक कहानी में बदल देने के लिए जेम्स कैमरन ने एक खूबसूरत प्रेम कहानी को ऊपर रखा. हीरो का अंत हो गया, और उसकी दास्तान सुनाने के लिए रह गई नायिका.
अब केदारनाथ की कहानी पर आते हैं. टीजर में कुछ दृश्य वैसे ही हैं, जैसे टाइटैनिक में. खासतौर पर पानी में डूबने वाला दृश्य. इस कहानी का बैकग्राउंड इतिहास की भयानक त्रासदी पर ही आधारित है. इस त्रासदी ने हजारों जानें लीं, लेकिन जीवन के लिए संघर्ष करने की कई असाधारण कहानियां भी बाद में सामने आईं.
केदारनाथ आपदा में बचे, या बचाए गए सब लोगों के पास अपनी कहानी है. और यकीन रखिए हर कहानी किसी फिल्म की कहानी हो सकती है. कई दिनों तक भूखे रहना. हड्डियां कंपकंपा देने वाली ठंड में भारी बारिश का मुकाबला करना. पानी से बचने के लिए सूनसान बियाबां जंगलों में रातें गुजारना. अपनी आंखों के सामने अपनों को दम तोड़ते देखना. सैकड़ों दास्तनें थीं. कुछ सुनी गईं, कुछ अनसुनी रह गईं. और सिर्फ तीर्थयात्री ही क्यों, कई सैन्यकर्मियों की बहादुरी और बलिदान के किस्से भी देश के सामने आए. किस तरह असाधारण जगहों से लोगों को बचाकर लाया गया. दिन-रात एक किए गए.
खैर, फिल्म केदारनाथ का टीजर 2013 की विनाषकारी बाढ़ की चपेट में आए तीर्थयात्रियों के जीवन संघर्ष को दिखाता है, लेकिन साथ ही इसमें प्रेम के कुछ अंश बॉलीवुड का तड़का भी दिखाते हैं. अभी तो यह सस्पेंस है कि फिल्म का अंत सुखद है या दुखद. यानी कहानी का अंत टाईटैनिक की तरह है, या हीरो-हिरोईन पर केदारनाथ की कृपा बनी रहती है. लेकिन, इतना जरूर तय है कि इस केदारनाथ आपदा को प्रेम की खुबसूरत चासनी में लपेटकर परोसने की कोशिश की गई है.
केदारनाथ त्रासदी में 2845 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए थे, लेकिन 4 हज़ार से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी की रिपोर्ट्स भी दर्ज हुई थीं. केदारनाथ की त्रासदी इतनी भयानक थी कि लाशें हरिद्वार तक बहती हुई आईं थीं. उम्मीद करें कि यह फिल्म लोगों के जख्मों पर मरहम ही लगाएगी. हालांकि, जिन्होंने अपनों को खोया है, उनका दर्द वे ही बयां कर सकते हैं.
मुसलमान वाला एंगल यहां भी ढूंढ लिया-
सोशल मीडिया पर केदारनाथ को लेकर एक और विवाद उभरता हुआ दिख रहा है. यहां सुशांत सिंह राजपूत के मुस्लिम होने को लेकर सवाल उठाया जा रहा है.
पर क्या असल में ऐसी स्थिति नहीं है? भारत के कई तीर्थ स्थानों को देख लीजिए. चलिए सबसे बड़े तीर्थ वैष्णो देवी की ही बात करते हैं. अगर वहां जाकर किसी ने देखा हो तो पैरों की मसाज करने वाले से लेकर पालकी चलाने वाले और प्रसाद की दुकानें लगाने वाले और घोड़ों को लेकर चलने वाले 70% लोग मुस्लिम हैं. इसे लेकर अगर अभिषेक कपूर के सटीक चित्रण को देखा जा सकता है. हिंदुस्तानी तीर्थ वाकई कई मुसलमान परिवारों की आजीविका का साधन हैं.
हालांकि फिल्म के टीजर को अगर बाकी देखा जाए तो एक तरह से ये अच्छा है. हीरो और हिरोइन दोनों ही एक साथ अच्छे लग रहे हैं और साथ ही सारा अली खान बहुत ज्यादा ही एक्सप्रेसिव लग रही हैं. हीरो को देखकर भी लग रहा है कि फिल्म में एक्टिंग अच्छी देखने को मिलेगी.
जिस तरह से उस दौर में केदारनाथ से जुड़ी बहुत सी कहानियां सामने आई थीं वैसे ही इस कहानी को भी दिखाया जा रहा है और सही मायने में देखा जाए तो वाकई बहुत सी कहानियां केदारनाथ त्रासदी से जुड़ी होंगी, लेकिन इसी के साथ ये भी देखना है कि बहुत संवेदनशीलता के साथ इस टॉपिक को दिखाना होगा. बहरहाल, फिल्म का ट्रेलर आने पर इसके बारे में ज्यादा बातें पता चलेंगी.
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