Zee5 पर रिलीज हुई फिल्म 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' (Lahore Confidential) पर बात करने से पहले आपको 'हनी ट्रैप' (Honey Trap) के बारे में बताते हैं. जैसा कि नाम से ही साफ है 'Honey' यानि 'शहद' और 'Trap' यानि जाल. हनी ट्रैप एक ऐसा जाल होता है, जिसमें शिकार को फंसाकर उससे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जाती हैं. ज्यादातर स्पाई एजेंसियां इसका इस्तेमाल करती हैं. उनके लिए खूबसूरत महिलाएं जासूसी का काम करती हैं, जो किसी को अपनी हुस्न की जाल में फंसाकर सूचनाएं निकाल लेती हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी भारत के खिलाफ ऐसा ही जाल बिछाती है. इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और अफसरों को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश करती रहती है. फिल्म 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' (lahore confidential zee5 review) की कहानी भी 'हनी ट्रैप' पर ही आधारित है.
'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' फिल्म की कहानी एक भारतीय जासूस अनन्या और आईएसआई एजेंट रऊफ अहमद काज़मी के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों, एक-दूसरे की पहचान से अनजान, भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर बढ़ते तनाव के बीच प्रेम की पराकाष्ठा पर पहुंच जाते हैं. उनके रोमांस के बीच जासूसी का ऐसा तड़का लगता है कि फिल्म में जबरदस्त रोमांच पैदा हो जाता है. अनन्या (Richa Chadda) दिल्ली में भारतीय जासूस एजेंसी रॉ (R&AW) के लिए काम करती है. लेकिन उसका डेस्क जॉब होता है. इसी बीच भारत-पाक के तल्ख रिश्तों और बढ़ते आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए उसे सीक्रेट मिशन पर भेज दिया जाता है. वह पाकिस्तान के लाहौर जाती है. वहां उसकी मुलाकात रऊफ अहमद काज़मी (Arunoday Singh) से होती है, जो कि एक इवेंट मैनेजर होता है, लेकिन आईएसआई (ISI) के लिए काम करता है.
फिल्म Lahore Confidential का...
Zee5 पर रिलीज हुई फिल्म 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' (Lahore Confidential) पर बात करने से पहले आपको 'हनी ट्रैप' (Honey Trap) के बारे में बताते हैं. जैसा कि नाम से ही साफ है 'Honey' यानि 'शहद' और 'Trap' यानि जाल. हनी ट्रैप एक ऐसा जाल होता है, जिसमें शिकार को फंसाकर उससे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जाती हैं. ज्यादातर स्पाई एजेंसियां इसका इस्तेमाल करती हैं. उनके लिए खूबसूरत महिलाएं जासूसी का काम करती हैं, जो किसी को अपनी हुस्न की जाल में फंसाकर सूचनाएं निकाल लेती हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी भारत के खिलाफ ऐसा ही जाल बिछाती है. इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और अफसरों को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश करती रहती है. फिल्म 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' (lahore confidential zee5 review) की कहानी भी 'हनी ट्रैप' पर ही आधारित है.
'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' फिल्म की कहानी एक भारतीय जासूस अनन्या और आईएसआई एजेंट रऊफ अहमद काज़मी के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों, एक-दूसरे की पहचान से अनजान, भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर बढ़ते तनाव के बीच प्रेम की पराकाष्ठा पर पहुंच जाते हैं. उनके रोमांस के बीच जासूसी का ऐसा तड़का लगता है कि फिल्म में जबरदस्त रोमांच पैदा हो जाता है. अनन्या (Richa Chadda) दिल्ली में भारतीय जासूस एजेंसी रॉ (R&AW) के लिए काम करती है. लेकिन उसका डेस्क जॉब होता है. इसी बीच भारत-पाक के तल्ख रिश्तों और बढ़ते आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए उसे सीक्रेट मिशन पर भेज दिया जाता है. वह पाकिस्तान के लाहौर जाती है. वहां उसकी मुलाकात रऊफ अहमद काज़मी (Arunoday Singh) से होती है, जो कि एक इवेंट मैनेजर होता है, लेकिन आईएसआई (ISI) के लिए काम करता है.
फिल्म Lahore Confidential का ट्रेलर...
आईएसआई एजेंट रऊफ अहमद काज़मी को हनी ट्रैप में फंसाकर उससे पाकिस्तान की खुफिया मिशन की जानकारी हासिल करने की जिम्मेदारी अनन्या को दी जाती है. एक बेहद ही इमोशनल लड़की, जिसके घर में उसकी शादी की चिंता में डूबी एक मां रहती है, वो रऊफ का प्यार पाकर उसे दिल दे बैठती है. यहां तक कि अपने सीक्रेट मिशन को भूलकर उल्टा रऊफ की मदद करने लगती है. इसी बीच अनन्या के सामने रऊफ की सच्चाई सामने आ जाती है. इश्क के सागर में गोते लगा रही अनन्या की नींद खुल जाती है और देशप्रेम हिलोरे मारने लगता है. इसके बाद अनन्या अपने प्रेमी रऊफ के साथ जो करती है, वो बेहद ही रोमांचकारी है. दोनों के बीच ऐसा क्या होता है? ये जानने के लिए तो आपको फिल्म देखनी होगी, लेकिन इतना हिंट दिया जा सकता है कि प्यार पर देशप्रेम भारी पड़ता है.
'मुझसे दोस्ती करोगे', 'हम-तुम और 'फना' जैसी सुपरहिट फिल्में बना चुके कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित, यह स्पाई थ्रिलर फिल्म भारत और पाकिस्तान सीमा के आर-पार चल रही जासूसी गतिविधियों और समकालीन वास्तविकताओं पर आधारित है. इसके केंद्र में पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई और भारतीय एजेंसी रॉ की गतिविधियां हैं. फिल्म की शुरुआत में एक सीन है, जिसमें युक्ति (करिश्मा तन्ना) और आरडी (खालिद जाफरी) के बीच पाकिस्तानी खुफिया मिशन को लेकर बातचीत होती है. इसके बाद अनन्या को लाहौर भेजने का फैसला लिया जाता है. लेकिन जासूसी की ये कहानी पाकिस्तान में जाकर रोमांस में तब्दील हो जाती है. महज 1 घंटे 10 मिनट की फिल्म में जासूसी पर रोमांस हावी हो जाता है, जो निराशाजनक है. इस पर डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर को ध्यान देना चाहिए था.
फिल्म 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' की कहानी पत्रकार से लेखक बने हुसैन जैदी ने लिखी है, लेकिन इसकी स्क्रिप्टिंग विभा सिंह ने की है. जैदी क्राइम की कहानियां लिखने के लिए जाने जाते हैं. लेकिन 'लाहौर कॉन्फिडेंशियल' को देखने के बाद ऐसा लगता है कि विभा सिंह ने स्टोरी नैरेशन में जरा जल्दीबाजी कर दी है. रोमांच और जासूसी को यदि बैलेंस दिखाया जाता, तो गजब का रोमांच पैदा किया जा सकता था. हालांकि, फिल्म के कलाकारों ने बहुत मेहनत किया है. उनकी एक्टिंग शानदार है. फिल्म एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा तो दिन-ब-दिन निखरती जा रही हैं. उनकी एक्टिंग बेहतर होती जा रही है. अरुणोदय सिंह ने भी अपने कैरेक्टर में जान डाल दी है. उनकी ऊर्दू की शेरो-शायरी प्रभाव डालने में कामयाब होती है. सबसे ज्यादा उभर कर सामने आई हैं, करिश्मा तन्ना. उनके हिस्से सीन कम हैं, लेकिन असरदार हैं. फिल्म में रोमांस और रोमांच खूब है, लेकिन जासूसी का केवल तड़का ही लग पाया है. जबकि फिल्म जासूसी पर ही आधारित है. जो कि दर्शकों को जरा खलेगा. कुल मिलाकर फिल्म एक बार देखी जा सकती है.
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