सोशल मीडिया पर एक लॉबी भूखे भेड़िए की तरह आमिर खान और उनकी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ दिख रही है. लाल सिंह चड्ढा अगले महीने 11 गस्त को रिलीज होगी, मगर उससे बहुत पहले तमाम सोशल माध्यमों पर फिल्म के खिलाफ एक मजबूत हेट कैम्पेन नजर आ रहा है. बॉलीवुड बायकाट, लाल सिंह चड्ढा और आमिर खान के नाम से तमाम हैशटैग के साथ एक्टर की फिल्म के खिलाफ निगेटिविटी साफ साफ़ सतह पर नजर आ रही है. लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं में आमिर और उनकी फ़िल्म के विरोध में तीन बड़ी वजहें सामने आ रही हैं.
#1. आमिर खान की धार्मिक पहचान सबसे बड़ी वजह
लाल सिंह चड्ढा के बहाने आमिर खान का जितना भी विरोध हो रहा है उसमें सबसे बड़ी वजह उनका मुस्लिम होना है. लोग हज के दौरान की आमिर की तस्वीरों को साझा कर बताने की कोशिश कर रहे कि बॉलीवुड एक्टर भी एक आम मुसलमान की तरह धार्मिक हैं. लेकिन उनकी टिप्पणियां खासतौर से बहुसंख्यकों के धर्म को लेकर होती हैं. हज के दौरान पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी और दूसरे लोगों के साथ एक्टर की तस्वीरों के जरिए एक्टर को संदिग्ध बताया जा रहा है.
आमिर साल 2012 में अपनी मां को लेकर हज करने गए थे. दुनिया के प्रत्येक मुसलमान के लिए पांच फर्ज बताए गए हैं जिसमें से हज सबसे अहम है. इस्लाम में भरोसा करने वाले किसी भी मुसलमान से उम्मीद की जाती है कि वह हज के साथ साथ इस्लाम के अन्य चार फर्जों शहादा, नमाज़, रोज़ा और ज़कातजरूर करेगा.
हज की तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर एक्टर की फिल्मों में हिंदू धर्म से जुड़े सीन्स को भी साझा किया जा रहा है. इनके जरिए बताया जा रहा कि एक्टर किस तरह से हिंदुओं के कथित रूढ़ीवाद का महिमामंडन करते हैं मगर अपने धर्म की रुढियों पर कभी बात नहीं...
सोशल मीडिया पर एक लॉबी भूखे भेड़िए की तरह आमिर खान और उनकी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ दिख रही है. लाल सिंह चड्ढा अगले महीने 11 गस्त को रिलीज होगी, मगर उससे बहुत पहले तमाम सोशल माध्यमों पर फिल्म के खिलाफ एक मजबूत हेट कैम्पेन नजर आ रहा है. बॉलीवुड बायकाट, लाल सिंह चड्ढा और आमिर खान के नाम से तमाम हैशटैग के साथ एक्टर की फिल्म के खिलाफ निगेटिविटी साफ साफ़ सतह पर नजर आ रही है. लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं में आमिर और उनकी फ़िल्म के विरोध में तीन बड़ी वजहें सामने आ रही हैं.
#1. आमिर खान की धार्मिक पहचान सबसे बड़ी वजह
लाल सिंह चड्ढा के बहाने आमिर खान का जितना भी विरोध हो रहा है उसमें सबसे बड़ी वजह उनका मुस्लिम होना है. लोग हज के दौरान की आमिर की तस्वीरों को साझा कर बताने की कोशिश कर रहे कि बॉलीवुड एक्टर भी एक आम मुसलमान की तरह धार्मिक हैं. लेकिन उनकी टिप्पणियां खासतौर से बहुसंख्यकों के धर्म को लेकर होती हैं. हज के दौरान पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी और दूसरे लोगों के साथ एक्टर की तस्वीरों के जरिए एक्टर को संदिग्ध बताया जा रहा है.
आमिर साल 2012 में अपनी मां को लेकर हज करने गए थे. दुनिया के प्रत्येक मुसलमान के लिए पांच फर्ज बताए गए हैं जिसमें से हज सबसे अहम है. इस्लाम में भरोसा करने वाले किसी भी मुसलमान से उम्मीद की जाती है कि वह हज के साथ साथ इस्लाम के अन्य चार फर्जों शहादा, नमाज़, रोज़ा और ज़कातजरूर करेगा.
हज की तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर एक्टर की फिल्मों में हिंदू धर्म से जुड़े सीन्स को भी साझा किया जा रहा है. इनके जरिए बताया जा रहा कि एक्टर किस तरह से हिंदुओं के कथित रूढ़ीवाद का महिमामंडन करते हैं मगर अपने धर्म की रुढियों पर कभी बात नहीं की.
#2. तुर्की विजिट की तस्वीरें आफत बनी हुई हैं आमिर के लिए
आमिर कई मर्तबा तुर्की भी विजिट कर चुके हैं. उन्होंने वहां के प्रेसिडेंट एर्दोगान और उनकी पत्नी से भी मुलाकातें की हैं. अभी कुछ ही महीने पहले आमिर ने तुर्की में एर्दोगान की पत्नी से ख़ास मुलाक़ात की थी. मुलाक़ात के वक्त भारत में काफी आलोचना हुई थी. असल में तुर्की की भारत में खिलाफत के दौर से ही काफी अहमियत है.
100 साल पहले तुर्की का खलीफा भारत समेत दुनियाभर के तमाम मुसलमानों का सर्वोच्च धार्मिक नेता था. मगर विश्वयुद्ध के बाद अंग्रेजों ने खलीफा सिस्टम ख़त्म कर दिया था. इसे लेकर भारतीय मुसलमानों में गहरा असंतोष छा गया. समूचे देश में मुसलमानों ने एकजुट होकर आंदोलन किया. महात्मा गांधी ने भी इस्लामिक आंदोलन को संपूर्ण समर्थन दिया और उसमें शामिल भी हुए. माना जाता है कि खिलाफत की वजह से ही मुस्लिम एकजुट हुए और इस्लामिक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान का जन्म हुआ. कट्टरपंथी इस्लामिक जमात पाकिस्तान को भारत में इस्लाम के आठ सौ सालों के संघर्ष का नतीजा मानती है. दुनिया में कहीं और इस्लाम के नाम पर किसी देश के बंटवारे का ऐसा उदाहरण नहीं मिलता है.
आम भारतीयों की तुर्की से नाराजगी की एकमात्र वजह यह है कि वह भारत का विरोध सिर्फ इस्लामिक वजहों से करता है. कश्मीर के मामले को मुस्लिमों के उत्पीडन के तौर पर उठाता है और पाकिस्तान की वकालत करता है. लोग आज भी हैरान हैं कि आमिर भला एक राष्ट्राध्यक्ष से किस हैसियत से मुलाक़ात करने पहुंचे थे. कुछ लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं लेकी कभी नहीं दिखा कि किसी दूसरे देश के बड़े कलाकार ने उनसे इस तरह मुलाक़ात की हो जैसे एर्दोगान और उनकी पत्नी से आमिर मिलते हैं.
वैसे कुछ लोगों ने एर्दोगान और उनकी पत्नी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को साझा कर बताया कि जब प्रधानमंत्री मोदी उनसे मिल सकते हैं तो आमिर के मिलने में क्या आपत्ति है. जवाब में लोग यह कहते नजर आ रहे कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. एक राष्ट्राध्यक्ष से उनकी मुलाक़ात का मतलब समझ में आता है. आमिर खान देश के किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं और ऐसा भी नहीं है कि तुर्की में बॉलीवुड फ़िल्में बहुत लोकप्रिय हों इस वजह से एक कलाकार की हैसियत से उन्होंने मुलाकातें कीं. लोगों का कहना है कि मुलाक़ात की वजह एर्दोगान और आमिर खान का धर्म एक होना है बस.
#3. भारत विरोधी बयान का भूत भी आमिर खान के पीछे पड़ा हुआ है
असल में एक मीडिया इवेंट में आमिर ने असहिष्णुता को लेकर भारत विरोधी बयान दे डाला था. कुछ साल पहले पुरस्कार वापस लौटाने वालों का समर्थन करते हुए एक्टर ने कहा था- रचनात्मक लोगों का पुरस्कार लौटाना असंतोष या निराशा व्यक्त करने के तरीकों में से एक है. एक व्यक्ति और एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि क्या हो रहा है. हम इसे समाचारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूं. मैं इससे इनकार नहीं कर सकता. मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूं.
आमिर ने कहा था कि पिछले कुछ महीनों में असुरक्षा और भय की भावना बढ़ी है. उन्हें भी डर लगता है. उन्होंने यह भी कहा था कि घर में जब उनकी पत्नी किरण राव से ऐसे हालात को लेकर बात होती है तो उन्होंने सुझाव दिया कि हमें देश छोड़कर बाहर चले जाना चाहिए था. किरण अब आमिर से अलग हैं. बयान की वजह से एक्टर का आज भी विरोध होता है. यह बयान जब आया था तब भी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने आमिर की निंदा की थी और मुस्लिम नेताओं ने कहा था कि भारत दुनिया में सर्वाधिक सहिष्णु देशों में शामिल है.
फिलहाल लोग इस बयान की क्लिप भी साझा कर रहे हैं और लाल सिंह चड्ढा का विरोध करते दिख रहे हैं. लोगों का कहना है कि भारत जैसे देश में अगर आमिर खान जैसे सेलिब्रिटी भी सुरक्षित नहीं हैं तो अच्छा यही है कि लाल सिंह चड्ढा को ना देखा जाए. फिल्म फ्लॉप हो जाएगी तो आमिर खान को किसी सुरक्षित देश में शरण लेने का बहाना भी मिल जाएगा.
कुछ लोग आमिर खान की तलाकशुदा हिंदू पत्नियों का जिक्र कर 'लव जिहाद' का मुद्दा भी उठा रहे और उनका विरोध कर रहे हैं. कुछ यूजर्स ने तो यहां तक लिखा कि आमिर खान की कही एक भी बात लोग नहीं भूले हैं. देश, हिंदुओं, उनके त्यौहार को लेकर एक्टर की टिप्पणियां आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं. अच्छा यही होगा कि आमिर जैसे एक्टर की लाल सिंह चड्ढा पर पैसे बर्बाद करने की बजाए इसी दिन आ रही आनंद एल रॉय की फैमिली ड्रामा 'रक्षा बंधन' देखी जाए. पैसा बर्बाद करने की बजाए बहनों पर खर्च करना ही ठीक रहेगा.
बताते चलें कि लाल सिंह चड्ढा, टॉम हैंक्स स्टारर फारेस्ट गंप की आधिकारिक रीमेक है. फारेस्ट गंप क्लासिकल में शुमार है. फिल्म ने दुनियाभर के दर्शकों का ध्यान खींचा था और कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड अपने नाम किए थे. फारेस्ट गंप को पैरामाउंट पिक्चर्स ने डिस्ट्रीब्यूट किया था. पैरामाउंट पिक्चर्स को ही लाल सिंह चड्ढा के ओवरसीज डिस्ट्रीब्यूशन का राइट मिला है. लाल सिंह चड्ढा का निर्देशन अद्वैत चंदन ने किया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.