80 का दशक वो दौर जब एंटरटेनमेंट के लिए भारतीय जनता केवल और केवल दूरदर्शन के मोहताज था. टीवी के नाम पर लोग या तो चित्रहार देखते या फिर समाचार सुनते. बहुत ही लिमिटेड ऑप्शन था. भारतीय टेलीविजन के इतिहास में बड़ा परिवर्तन कब हुआ? इस सवाल के मद्देनजर बड़ी बहस आयोजित हो सकती है और तमाम तरह के तर्क दिए जा सकते हैं. लेकिन 25 जनवरी 1987 वो तारीख थी जिस दिन भारतीय टेलीविजन एक दूसरी दुनिया में पहुंच गया. इस उपलब्धि का श्रेय जाता है रामानंद सागर को. जिन्होंने जब 25 जनवरी को अपनी रामायण को रिलीज किया तब शायद ही उन्होंने सोचा हो उनका ये सीरियल इतिहास का निर्माण करेगा.
रामानंद सागर के इस सीरियल को देश की जनता ने हाथों हाथ लिया. बताया तो यहां तक जाता है कि 31 जुलाई 1988 को जब इस सीरियल का आखिरी एपिसोड आया तमाम दर्शक थे जो सीरियल के ख़त्म होने से गहरे अवसाद में आ गए थे. सीरियल तो जितना लोकप्रिय हुआ सो हुआ इसके पात्र जैसे राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल, सीता का रोल करने वाली दीपिका चिखलिया, लक्ष्मण का रोल करने वाले सुनील लहरी, हनुमान बने दारा सिंह भारतीय जनता द्वारा हाथों हाथ लिए गए. सवाल होगा कि 87 की बातें आज आखिर 2021 में क्यों हो रही हैं ? तो इसका कारण हैं साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू जो भविष्य में उसी मुकाम पर पहुंच सकते हैं जहां आज अरुण गोविल हैं. साउथ सुपरस्टार महेश बाबू निर्माता मधु मंतेना की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म रामायण में लीड रोल यानी राम की भूमिका निभाने वाले हैं.
जी हां हैरत में आने की कोई ज़रूरत नहीं है. निर्माता मधु मंतेना के नए प्रोजेक्ट को लेकर जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं यदि उसपर यक़ीन किया जाए तो तेलुगु सुपर स्टार महेश बाबू एक बिल्कुल नई पारी...
80 का दशक वो दौर जब एंटरटेनमेंट के लिए भारतीय जनता केवल और केवल दूरदर्शन के मोहताज था. टीवी के नाम पर लोग या तो चित्रहार देखते या फिर समाचार सुनते. बहुत ही लिमिटेड ऑप्शन था. भारतीय टेलीविजन के इतिहास में बड़ा परिवर्तन कब हुआ? इस सवाल के मद्देनजर बड़ी बहस आयोजित हो सकती है और तमाम तरह के तर्क दिए जा सकते हैं. लेकिन 25 जनवरी 1987 वो तारीख थी जिस दिन भारतीय टेलीविजन एक दूसरी दुनिया में पहुंच गया. इस उपलब्धि का श्रेय जाता है रामानंद सागर को. जिन्होंने जब 25 जनवरी को अपनी रामायण को रिलीज किया तब शायद ही उन्होंने सोचा हो उनका ये सीरियल इतिहास का निर्माण करेगा.
रामानंद सागर के इस सीरियल को देश की जनता ने हाथों हाथ लिया. बताया तो यहां तक जाता है कि 31 जुलाई 1988 को जब इस सीरियल का आखिरी एपिसोड आया तमाम दर्शक थे जो सीरियल के ख़त्म होने से गहरे अवसाद में आ गए थे. सीरियल तो जितना लोकप्रिय हुआ सो हुआ इसके पात्र जैसे राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल, सीता का रोल करने वाली दीपिका चिखलिया, लक्ष्मण का रोल करने वाले सुनील लहरी, हनुमान बने दारा सिंह भारतीय जनता द्वारा हाथों हाथ लिए गए. सवाल होगा कि 87 की बातें आज आखिर 2021 में क्यों हो रही हैं ? तो इसका कारण हैं साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू जो भविष्य में उसी मुकाम पर पहुंच सकते हैं जहां आज अरुण गोविल हैं. साउथ सुपरस्टार महेश बाबू निर्माता मधु मंतेना की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म रामायण में लीड रोल यानी राम की भूमिका निभाने वाले हैं.
जी हां हैरत में आने की कोई ज़रूरत नहीं है. निर्माता मधु मंतेना के नए प्रोजेक्ट को लेकर जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं यदि उसपर यक़ीन किया जाए तो तेलुगु सुपर स्टार महेश बाबू एक बिल्कुल नई पारी के लिए बिल्कुल तैयार हैं. भविष्य में हम महेश बाबू को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की भूमिका निभाते देख सकते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस रोल के लिए खुद एक्टर महेश बाबू ने हामी भरी थी.खबरों पर यक़ीन किया जाए तो मधु मंतेना द्वारा प्रोड्यूस की जा रही रामायण हिंदी समेत एक साथ कई भाषाओं में रिलीज की जाएगी.
फ़िल्म का सबसे दिलचस्प पॉइंट रावण का कैरेक्टर है. जहां 1987 में आई रामायण में अरविंद त्रिवेदी ने रावण का रोल किया था इस नई रामायण में रावण का रोल ऋतिक रोशन करेंगे. सीता के रोल की जो जानकारी हाथ लगी है उसके अनुसार एक्टर दीपिका पादुकोण इस फ़िल्म में सीता का रोल करेंगी. फ़िल्म बड़े बजट की फ़िल्म है और फ़िल्म क्रिटिक्स ने अभी से इस बात की तरफ बल देना शुरू कर दिया है कि फ़िल्म न केवल सफलता के नए मानक स्थापित करेगी बल्कि हालिया दौर के बड़े स्टार्स लिए हुए ये फ़िल्म बॉक्स ऑफिस को रिकॉर्ड तोड़ फायदा पहुंचाएगी.
फ़िल्म की तमाम बातें एक तरफ हैं और श्री राम का रोल करने वाले साउथ सुपर स्टार महेश बाबू दूसरी तरफ हैं. सवाल ये है कि क्या महेश बाबू इस रोल के लिए परफेक्ट हैं? जवाब समझने के लिए हमें उस दौर में जाना होगा जब रामानंद सागर अपनी रामायण बना रहे थे. चाहे वो राम और सीता का रोल रहा हो या फिर लक्ष्मण, भरत, रावण और हनुमान का रोल जिन चेहरों को रामानंद सागर ने अपने सीरियल में रखा वो दिखने में पात्रों के अनुरूप थे. राम के लिए सागर ने एक्टर अरुण गोविल का चयन किया था.
ऐसे में अगर हम तब के अरुण गोविल को देखें तो जहां एक तरफ वो विवादों से दूर थे तो वही वो चेहरे मोहरे के हिसाब से भी काफी सौम्य नजर आते थे. अरुण गोविल की आवाज़ भी उनका रोल जस्टिफाई कर रही थी. ऐसा ही सीता, लक्ष्मण और हनुमान के रोल के साथ भी था. अब अगर हम बात महेश बाबू की करें तो आजके महेश बाबू भी कई मायनों में वैसे ही हैं जैसे तब के अरुण गोविल हुआ करते थे. महेश बाबू का चेहरा न केवल रोल को जस्टिफाई करता है. बल्कि उनकी एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी भी इस रोल के लिए उन्हें निर्माता निर्देशकों की सही चॉइस मानती है.
वहीं बात अगर एक्शन की हो तो महेश बाबू एक्शन के मद्देनजर भी कहीं से उन्नीस नहीं हैं. गौरतलब है कि वर्तमान परिदृश्य सोशल मीडिया का दौर है. यहां फ़िल्म आती नहीं है विवाद पहले शुरू हो जाते हैं इसलिए अगर राम के रोल के लिए हम महेश बाबू को देखें तो न केवल वो काम घर परिवार को समर्पित व्यक्ति हैं. बल्कि व्यर्थ की कॉन्ट्रोवर्सी और पॉलिटिकल बयानबाजी से भी दूर रहते हैं. ऐसे में यदि भगवान श्री राम के रूप में हम महेश बाबू को देखते हैं तो हमें इस बात का पूरा यकीन है कि महेश बाबू पूरी ईमानदारी के साथ अपना रोल करेंगे.
बहरहाल बात भगवान श्री राम के रोल में महेश बाबू की हुई है तो बताना जरूरी है कि साउथ की इंडस्ट्री के अलावा जैसी लोकप्रियता महेश बाबू की बॉलीवुड में उनके तमाम फॉलोवर्स हैं. ये संख्या इतनी है कि किसी भी फ़िल्म को हिट सुपर हिट, फ्लॉप या सुपर फ्लॉप बनाने का सामर्थ्य रखती है. तो महेश बाबू फ़िल्म को क्या ट्रीटमेंट देते हैं इसका फैसला वक़्त की गर्त में छिपा है लेकिन भगवान राम के रोल के प्रति लोगों का रवैया रहा है अपनी विशाल फैनफॉलोइंग के चलते महेश बाबू अरुण गोविल से भी दो हाथ आगे निकलेंगे और घर घर मे वैसे ही पूजे जाएंगे जैसे कभी देश के लोगों ने अरुण गोविल को पूजा था.
इन बातों के अलावा अगर जिक्र रावण और सीता के रोल का हो तो चूंकि इस फ़िल्म में रावण का रोल ऋतिक रोशन कर रहे हैं जबकि सीता का रोल दीपिका पादुकोण के जिम्मे आया है तो साफ है कि हर दूसरे दिन किसी न किसी विवाद को गले लगाने वाले इन एक्टर्स की भी जिंदगी बदलेगी और निश्चित ही राम बने महेश बाबू ही करेंगे इन लोगों का भी बेड़ा पार.
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