हिंदी सिनमा की बेमिसाल फिल्मों के लिए अपनी अलग पहचान रखने वाले निर्देशक महेश भट्ट का यूं तो विवादों से गहरा नाता रहा है. लेकिन और निर्देशकों की तरह यह विवाद उनके निजी जीवन और उनके कैरियर में कभी बाधा नहीं बना. महेश ने अपनी निजी जिनगी के इन तथाकथित विवादास्पद बयानों को खूब भुनाया भी. फिर वो चाहे पहली बीबी किरण भट्ट को छोड़ परवीन बॉबी के इश्क़ में पगलाया जाना हो या फिर सोनी राजदान को अपना बनाना हो. कहना गलत नहीं है कि फिल्म अर्थ और आशिक़ी उन्हीं की निजी ज़िंदगी के कई बड़े प्रश्न को चित्रित करती है.
यूं तो महेश भट्ट ने हर बार और बार- बार वह सब कुछ स्वीकारा जो सुनने और कहने में कुछ अटपटा सा लगता है, लेकिन यही सच है. हाल ही में एक साक्षात्कार में महेश भट्ट ने खुद को एक मुस्लिम मां का नाजायज बेटा तक स्वीकार लिया. यह सच है कि महेश भट्ट की मां शिरीन मोहम्मद अली और उनके पिता नानाभाई भट्ट ने कभी शादी नहीं की. महेश भट्ट स्वयं को हिंदू मान्यताओं में से एक प्रतीक गणेश सा खुद को मानते हैं. उनके लिए उनके पिता एक अजनबी थे.
हालांकि पिता ने ही उनका नाम महेश यानी देवों के देव रखा था. महेश भट्ट साक्षात्कार में बताते हैं कि यह नाम मुझे कभी पसंद नहीं रहा क्योंकि महेश गुस्से वाले थे और अपने बेटे का सिर उन्होंने काट दिया था. भगवान गणेश के पिता की तरह मेरे पिता भी मेरे लिए एक अजनबी थे. वो मेरी जिंदगी से गायब थे. इसी कारण उन्हें नहीं पता कि पिता का फर्ज क्या होता है.
महेश भट्ट ने अपने इन्हीं चौकाने वाले साक्षात्कार से एक बार फिर मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी है. यह महेश भट्ट की आदतों में शुमार है जो दिल में हो ज़ुबान पर ला ही देते हैं. महेश भट्ट को न इन बयानों से खुद...
हिंदी सिनमा की बेमिसाल फिल्मों के लिए अपनी अलग पहचान रखने वाले निर्देशक महेश भट्ट का यूं तो विवादों से गहरा नाता रहा है. लेकिन और निर्देशकों की तरह यह विवाद उनके निजी जीवन और उनके कैरियर में कभी बाधा नहीं बना. महेश ने अपनी निजी जिनगी के इन तथाकथित विवादास्पद बयानों को खूब भुनाया भी. फिर वो चाहे पहली बीबी किरण भट्ट को छोड़ परवीन बॉबी के इश्क़ में पगलाया जाना हो या फिर सोनी राजदान को अपना बनाना हो. कहना गलत नहीं है कि फिल्म अर्थ और आशिक़ी उन्हीं की निजी ज़िंदगी के कई बड़े प्रश्न को चित्रित करती है.
यूं तो महेश भट्ट ने हर बार और बार- बार वह सब कुछ स्वीकारा जो सुनने और कहने में कुछ अटपटा सा लगता है, लेकिन यही सच है. हाल ही में एक साक्षात्कार में महेश भट्ट ने खुद को एक मुस्लिम मां का नाजायज बेटा तक स्वीकार लिया. यह सच है कि महेश भट्ट की मां शिरीन मोहम्मद अली और उनके पिता नानाभाई भट्ट ने कभी शादी नहीं की. महेश भट्ट स्वयं को हिंदू मान्यताओं में से एक प्रतीक गणेश सा खुद को मानते हैं. उनके लिए उनके पिता एक अजनबी थे.
हालांकि पिता ने ही उनका नाम महेश यानी देवों के देव रखा था. महेश भट्ट साक्षात्कार में बताते हैं कि यह नाम मुझे कभी पसंद नहीं रहा क्योंकि महेश गुस्से वाले थे और अपने बेटे का सिर उन्होंने काट दिया था. भगवान गणेश के पिता की तरह मेरे पिता भी मेरे लिए एक अजनबी थे. वो मेरी जिंदगी से गायब थे. इसी कारण उन्हें नहीं पता कि पिता का फर्ज क्या होता है.
महेश भट्ट ने अपने इन्हीं चौकाने वाले साक्षात्कार से एक बार फिर मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी है. यह महेश भट्ट की आदतों में शुमार है जो दिल में हो ज़ुबान पर ला ही देते हैं. महेश भट्ट को न इन बयानों से खुद की पर्सनल जिंदगी या फिर कैरियर की कभी चिंता रही, न खुद इंडस्ट्री में स्थापित उनकी बेटियां आलिया और पूजा को लेकर कभी चिंतित हुए. वहीं शाहीन और राहुल भट्ट के लिए भी वह हमेशा सकारात्मक रहे हैं भले ही उन्हें पिता का वह सुख नहीं मिला जो अन्य बेटों/बेटियों को अपने पिता से मिलता रहा है.
26 वर्ष की उम्र से फिल्मी दुनिया में खुद को उतारने वाले महेश ने फिल्म मंज़िले और भी हैं से शुरुआत की थी. फिर लहू के दो रंग, अर्थ, सारांश, नाम, कब्जा, डैडी, आवारगी, जुर्म, आशिकी, सर, हम हैं राही प्यार के, क्रिमिनल, दस्तक, तमन्ना, डुप्लिकेट, जख्म, कारतूस, संघर्ष, राज, मर्डर, रोग, जहर, कलयुग, गैंगस्टर, वो लम्हे, तुम मिले, जिस्म 2, मर्डर 3 जैसी अनेकों फ़िल्में निर्देशित की. गौरतलब है कि इनमें से अधिकतर फिल्मों में महेश ने नए कलाकारों को मौका दिया उन्हें नई जमीन दी जिस पर चलते हुए वे आज अपनी एक अलग पहचान बना सके हैं.
फिर वो चाहे सारांश के अनुपम खेर हों या फिर मर्डर के इमरान हाशमी. दूसरी तरफ जिस्म 2 में उन्होंने जिस स्वीकार्यता से एक पोर्न स्टार को बड़ी फिल्म में मौका दिया वह आसान फैसला नहीं था. पूरी फिल्म इंडस्ट्री में इस बात की चर्चा हुई कि इससे इंडस्ट्री की छवि खराब होगी. आज सनी लियोन बड़े से बड़े फिल्म स्टार्स के साथ काम कर खुद को साबित कर चुकी हैं. इसका श्रेय महेश भट्ट को दिया जा सकता है.
दूसरी तरफ अपनी बेटियों पूजा और आलिया को लेकर भी वह सख्त बाप की भूमिका में कभी नहीं रहे. फिल्म चयन की अपनी रजामंदी ही आलिया और पूजा को बुलंदी पर ले जा कर खड़ा करती है. हाल ही में आलिया और रणवीर कपूर के प्रेम प्रसंग और रिश्ते को भी महेश ने मीडिया में स्वीकारा है. साथ ही दोनों को खुल कर अपने रिश्ते को कबूलने की सलाह दी है.
सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि महेश भट्ट ऐसे निर्देशकों में से हैं जिन्होंने दिल की बात कहने में हिचकिचाहट नहीं की. जो मन आया वो कहा. वायरल मीडिया के दौर में महेश भट्ट को कभी इन बयानों के चलते इस तरह के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा. जिससे उन्हें दिक्कत हो.
अमूमन ऐसे बयानों से निजी ज़िंदगी के साथ सामाजिक जीवन पर उसका असर पड़ता है लेकिन महेश भट्ट के साथ ऐसा नहीं हुआ. यह उनका सच ही है जो वे अब तक बोलते आए हैं. फिर वो चाहे अपनी बेटी पूजा के साथ शादी करने का ही प्रस्ताव ही क्यों ना रहा हो. अगर पूजा उनकी बेटी ना होती तो...यह सुनने में अटपटा है पर महेश भट्ट की जिंदगी का एक कड़वा सच ये भी है.
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