कंगना रनौत की फिल्म Manikarnika - The Queen of Jhansi रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म में कंगना रनौत झांसी की रानी बनी हुई हैं और शुरुआत से फिल्म की शूटिंग के समय से ही कंगना ने झांसी की रानी का रुख ही अपना लिया था. पहले फिल्म के डायरेक्टर से झगड़ा कर मणिकर्णिका के डायरेक्शन की जिम्मेदारी खुद पर ही ले ली थी फिर लगातार विवादों के बीच फिल्म भी पूरी की, और अब करणी सेना से भिड़ भी गई थीं. और ये तक कह डाला था कि वो करणी सेना को बर्बाद कर देंगी.
करणी सेना ने आरोप लगाया था कि फिल्म मणिकर्णिका में कंगना का किसी अंग्रेजी अफसर से अफेयर दिखाया गया है और एक गाना है जिसमें मणिकर्णिका और अंग्रेजी अफसर को साथ दिखाया गया है. और उस कथित अफेयर की हकीकत भी सामने आ चुकी है. फिल्म रिलीज होने के साथ साबित हो गया कि रानी लक्ष्मीबाई के किसी अंग्रेज अफसर की बात सिर्फ कंट्रोवर्सी में ही थी, फिल्म में कहीं नहीं.
पूरी फिल्म देख लेने वालों के मन में करणी सेना के प्रति घृणा का भाव और बढ़ा है. जिसने बिना फिल्म देखे इसकी रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. अब पूरी फिल्म देखने केे बाद कंगना के प्रति दूसरी ओर आदर का भाव बढ़ा है, और गुस्सा भी जायज लग रहा है.
खैर, जहां तक मणिकर्णिका फिल्म की बात है तो इस फिल्म में रानी लक्ष्मी बाई को थोड़ा मॉडर्न दिखाया गया है. वो मॉडर्न स्टंट भी करती हैं और साथ ही साथ वो अंग्रेजी भी बोलती हैं. ये थोड़ी अजीब बात है क्योंकि इसके पहले कहीं भी रानी लक्ष्मी बाई के बारे में ऐसा नहीं कहा गया है. खैर, रानी बोलती हैं कि "words without culture have no meaning" (बिना संस्कृति के शब्दों का कोई अर्थ...
कंगना रनौत की फिल्म Manikarnika - The Queen of Jhansi रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म में कंगना रनौत झांसी की रानी बनी हुई हैं और शुरुआत से फिल्म की शूटिंग के समय से ही कंगना ने झांसी की रानी का रुख ही अपना लिया था. पहले फिल्म के डायरेक्टर से झगड़ा कर मणिकर्णिका के डायरेक्शन की जिम्मेदारी खुद पर ही ले ली थी फिर लगातार विवादों के बीच फिल्म भी पूरी की, और अब करणी सेना से भिड़ भी गई थीं. और ये तक कह डाला था कि वो करणी सेना को बर्बाद कर देंगी.
करणी सेना ने आरोप लगाया था कि फिल्म मणिकर्णिका में कंगना का किसी अंग्रेजी अफसर से अफेयर दिखाया गया है और एक गाना है जिसमें मणिकर्णिका और अंग्रेजी अफसर को साथ दिखाया गया है. और उस कथित अफेयर की हकीकत भी सामने आ चुकी है. फिल्म रिलीज होने के साथ साबित हो गया कि रानी लक्ष्मीबाई के किसी अंग्रेज अफसर की बात सिर्फ कंट्रोवर्सी में ही थी, फिल्म में कहीं नहीं.
पूरी फिल्म देख लेने वालों के मन में करणी सेना के प्रति घृणा का भाव और बढ़ा है. जिसने बिना फिल्म देखे इसकी रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. अब पूरी फिल्म देखने केे बाद कंगना के प्रति दूसरी ओर आदर का भाव बढ़ा है, और गुस्सा भी जायज लग रहा है.
खैर, जहां तक मणिकर्णिका फिल्म की बात है तो इस फिल्म में रानी लक्ष्मी बाई को थोड़ा मॉडर्न दिखाया गया है. वो मॉडर्न स्टंट भी करती हैं और साथ ही साथ वो अंग्रेजी भी बोलती हैं. ये थोड़ी अजीब बात है क्योंकि इसके पहले कहीं भी रानी लक्ष्मी बाई के बारे में ऐसा नहीं कहा गया है. खैर, रानी बोलती हैं कि "words without culture have no meaning" (बिना संस्कृति के शब्दों का कोई अर्थ नहीं.). NDTV ने अपने रिव्यू में लिखा है कि ये फिल्म में ये भी नहीं दिखाया गया है कि रानी लक्ष्मी बाई का ट्यूटर कौन था और कैसे उन्होंने ऐसे बिना रुके अंग्रेजी बोल ली.
कंगना रनौत की फिल्म में वैसे तो बेहद अनोखे स्टंट दिए गए हैं. फिल्म में कंगना के साथ-साथ बाकी लोगों की एक्टिंग की तारीफ भी हो रही है. इस फिल्म को अंकिता लोखंडे का बड़ा ब्रेक माना जा रहा है.
जो सबसे खराब बात फिल्म की है वो ये कि सेट और ग्राफिक्स फीके लग रहे हैं. ये कुछ-कुछ अमर चित्र कथा वाली फीलिंग दे रहे हैं. घोड़े-हाथी पर चढ़ने वाले स्टंट बहुत नकली लगते हैं, लेकिन ये देखकर अच्छा लग रहा है कि मणिकर्णिका एक हीरो नहीं हिरोइन हैं जो बाहुबली की तर्ज पर हाथी पर चढ़ सकती हैं.
कहानी कहीं-कहीं फीकी पड़ती है, लेकिन जैसा की झांसी की रानी के साथ मामला था. मणिकर्णिका भी वन वुमेन शो ही है.
जहां तक लोगों के रिव्यू का सवाल है तो मणिकर्णिका फिल्म को लेकर ट्विटर पर हज़ारों ट्वीट्स आ चुकी हैं. कई लोगों को ये बेहद पसंद आ रही है, तो हां कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें ये पसंद नहीं आ रही और फेक लग रही है.
जहां इन दिनों देश भक्ति पर बनाई जा रही फिल्मों की बाढ़ सी आ गई है वहीं मणिकर्णिका थोड़ी अलग है. कारण ये है कि यहां फेमिनिज्म की बात तो हो रही है, लेकिन एक ऐसी रानी जिसने 1857 में उस जमाने में अपना लोहा मनवा लिया था जब महिलाएं पर्दे में रहा करती थीं उसे बड़े पर्दे पर देखने का एहसास थोड़ा अच्छा है. मणिकर्णिका के साथ कंगना रनौत ने न्याय किया है.
इस फिल्म की एक और कमी है वो ये कि कंगना रनौत इमोशन्ल या फिर एक्शन सीन में तो बेहद आकर्षक लगी हैं, लेकिन जब बात आती है नॉर्मल सीन की तो वो थोड़ी पीछे रह जाती हैं. आम बोल चाल के सीन स्लो हैं काफी. फिल्म में एक सीन ऐसा भी है जहां गरीब गांव वालों के लिए कंगना एक बछड़े की जान बचाती हैं. ये सब थोड़ा नकली सा लग रहा है और साथ ही साथ अंग्रेज के साथ संवाद वाले सीन भी थोड़े स्लो हैं.
जो लोग इसके निगेटिव फैक्ट दिखा रहे हैं वो भी कुछ हद तक सही हैं. पर हर चीज़ में परफेक्शन नहीं हो सकता. किसी को कोई चीज़ अच्छी लगेगी तो किसी को नहीं. फिल्म को लेकर ये कहना कि फिल्म पूरी तरह सही ही होनी चाहिए ऐसा नहीं हो सकता. कितनी भी कोशिश कर लीजिए कोई न कोई कमी रह ही जाएगी. मुझे तो याद भी नहीं है कि आखिरी बार किस फिल्म को हर किसी ने 5 स्टार दिए थे. बहरहाल, छुट्टी का मज़ा लीजिए और फिल्म देखने जाइए.
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