अपनी अदाकारी के बल पर हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अहम मुकाम हासिल करने वाले बेहद संवेदनशील और उम्दा एक्टर मनोज बाजपेयी एक नए अवतार में फैंस का मनोरंजन करने आ गए हैं और इस अवतार का नाम है- बंबई में का बा. सबसे पहले आपको बता दूं कि ‘बंबई में का बा’ एक भोजपुरी वाक्य है, जिसका मतलब होता है- ‘मुंबई में है क्या?’. बंबई में का बा मनोज तिवारी का नया गाना है, जिसमें द फैमिली मैन एक्टर भोजपुरी भाषा में रैप कर रहे हैं और इस गीत के बहाने बिहार, यूपी से मुंबई आने वाले प्रवासी मजदूरों की व्यथा बता रहे हैं. मनोज बाजपेयी का यह भोजपुरी रैप वीडियो जितना देखने में अच्छा है, उससे ज्यादा अच्छा इस गाने के बोल हैं, जिसे गैर भोजपुरी भाषी के लिए इंग्लिस सब टाइटल के साथ पेश किया गया है. बेहद मौजूं और हार्ड हीटिंग शब्दों के साथ पेश भोजपुरी रैप सॉन्ग बंबई में का बा रिलीज होते ही वायरल हो गया है, जिसमें बिहारी बाबू मनोज तिवारी गाते और परफॉर्म करते नजर आ रहे हैं.
डॉ. सागर के लिखे भोजपुरी रैप सॉन्ग ‘बंबई में का बा’ को संगीतबद्ध किया है अनुराग सैकिया ने और इस म्यूजिक वीडियो को अनुभव सिन्हा ने प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया है. बंबई में का बा गाने में मनोज तिवारी का बेहद जबरदस्त अवतार देख फैंस के रोमांच की सीमा नहीं है. आपको बता दूं कि कोरोना संकट के कारण बीते 6 महीने में दुनिया काफी बदल चुकी है और इस संकट के कारण आए बदलाव से समाज का जो तबका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, वो है प्रवासी मजदूर. कोरोना संकट के कारण काम ठप होने से लाखों-करोड़ों मजदूरों के आय का साधन एक झटके में खत्म हो गया और वो दो जून की रोटी के लिए पैसे न जुटा पाने की विवशता में अपने गांव को पलायन करने को मजबूर हो गए. आपको अप्रैल और मई महीने का वो मंजर तो याद ही होगा, जब महानगरों से हजारों लोगों की भीड़ मजबूरी और बेरोजगारी में गांव जाने की खातिर सैकड़ों किलोमीटर के फासले को पैदल पार कर लेने के लिए निकल पड़े थे, जिनमें सैकड़ों लोगों की भूख, प्यास और थकान से मौत हो गई थी.
अपनी अदाकारी के बल पर हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अहम मुकाम हासिल करने वाले बेहद संवेदनशील और उम्दा एक्टर मनोज बाजपेयी एक नए अवतार में फैंस का मनोरंजन करने आ गए हैं और इस अवतार का नाम है- बंबई में का बा. सबसे पहले आपको बता दूं कि ‘बंबई में का बा’ एक भोजपुरी वाक्य है, जिसका मतलब होता है- ‘मुंबई में है क्या?’. बंबई में का बा मनोज तिवारी का नया गाना है, जिसमें द फैमिली मैन एक्टर भोजपुरी भाषा में रैप कर रहे हैं और इस गीत के बहाने बिहार, यूपी से मुंबई आने वाले प्रवासी मजदूरों की व्यथा बता रहे हैं. मनोज बाजपेयी का यह भोजपुरी रैप वीडियो जितना देखने में अच्छा है, उससे ज्यादा अच्छा इस गाने के बोल हैं, जिसे गैर भोजपुरी भाषी के लिए इंग्लिस सब टाइटल के साथ पेश किया गया है. बेहद मौजूं और हार्ड हीटिंग शब्दों के साथ पेश भोजपुरी रैप सॉन्ग बंबई में का बा रिलीज होते ही वायरल हो गया है, जिसमें बिहारी बाबू मनोज तिवारी गाते और परफॉर्म करते नजर आ रहे हैं.
डॉ. सागर के लिखे भोजपुरी रैप सॉन्ग ‘बंबई में का बा’ को संगीतबद्ध किया है अनुराग सैकिया ने और इस म्यूजिक वीडियो को अनुभव सिन्हा ने प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया है. बंबई में का बा गाने में मनोज तिवारी का बेहद जबरदस्त अवतार देख फैंस के रोमांच की सीमा नहीं है. आपको बता दूं कि कोरोना संकट के कारण बीते 6 महीने में दुनिया काफी बदल चुकी है और इस संकट के कारण आए बदलाव से समाज का जो तबका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, वो है प्रवासी मजदूर. कोरोना संकट के कारण काम ठप होने से लाखों-करोड़ों मजदूरों के आय का साधन एक झटके में खत्म हो गया और वो दो जून की रोटी के लिए पैसे न जुटा पाने की विवशता में अपने गांव को पलायन करने को मजबूर हो गए. आपको अप्रैल और मई महीने का वो मंजर तो याद ही होगा, जब महानगरों से हजारों लोगों की भीड़ मजबूरी और बेरोजगारी में गांव जाने की खातिर सैकड़ों किलोमीटर के फासले को पैदल पार कर लेने के लिए निकल पड़े थे, जिनमें सैकड़ों लोगों की भूख, प्यास और थकान से मौत हो गई थी.
मनोज बाजपेयी का नया भोजपुरी रैप वीडियो ‘बंबई में का बा’ प्रवासी मजदूरों की इसी दर्द भरी कहानी को बखूबी दर्शाता है, जिसमें सच्चाई और दिहाड़ी मजदूरों की मजबूरी समाहित है. इस भोजपुरी रैप वीडियो के शब्द आपको दिखाते-पढ़ाते हैं कि आखिरकार इसमें क्या-क्या लिखा है-
का बा? दू बिगहा मैं घर बा लेकिन सूतल बानी टैम्पू में, जिंदगी अझुराइल बाटे नून तेल और शैम्पू में, मनवा हरियर लागे भईया हाथ लगवते माटी में, जियरा अजुओ अटकल बाटे घर में चोखा बाटी में, का बा? जिंदगी हम ता जियल चाही खेत बगइचा बाड़ी में, छोड़ छाड़ सब आईल बानी हम इहवां लाचारी में, का बा? बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बम्बई में का बा? का बा, का बा? बनके हम सिक्योरिटी वाला डबल ड्यूटिया खाटतानी, केकरे इतना शौख बाटे मच्छर से कटवावे के, के चाहेला ऐ तरहे अपने के नर्वसावे के, का बा? इहवां का बा? गांव शहर के बिचवा में हम गजबे कन्फूजआइल बानी, दू जून के रोटी खातिर बंबई में हम आईल बानी, ना ता बंबई में का बा? का बा? इहवां का बा? हेलो हेलो.. अरे सुनाता!अरे कहा बाड़ू? सुना होली, होली में आवतानी, ठीक बा! हें! क्यों दूध और माथा मिसरी मिलेला हमरे गांव में, लेकिन इहवां काम चलत बा खाली भजिया पाव में, खईबा का? ना हई काम काज ना गांव में बाटे मिलत नहीं नौकरिया हो, देखा कइसे हाकत बाड़े जइसे भेड़ बकरियां हो, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? धत्त, चला हटा! काम धाम रोजगार मिलत ते गंववे सड़क बनयति जा, जिला जवाड़ी छोड़ के इहवां ठोकर काहे खयति जा, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा?
अइसे कउनो दुखवा बांटे हम कितना मजबूर हई, लइका फरिहा मेहरारू से एक बरिस से दूर रही, के छोड़ले बा ऐ तरह हमहन के लाचारी में, अपना छुटकी बुचिया के हम भर ना सकी अखवारी में, ऐ बउउी, आव ना गोदीया में, आव ना अरे यहां सूत ना गोदी में, सूत जो! हाहाहा! बूढ़ पुरनिया माई बाबू ताल तलैया छूट गईल, केकरा से दिखलाई मनवा, केकरे बीते टूट गई, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? हसुआ अउरी खाची फरुआ, बड़की चोख कुदार मुहाल महर चाकर घर दुतल्ला हमरो है सरकार ओहां, हमरे हाथ बनावल बिल्डिंगआसमान के छुवत गए, हम तो झोपड़ पट्टी वाला हमरे खोली चुअत रहे, का बा? क्यों बा? आके देखा शहरिया बबुआ का भेड़िया धसान लगे, मुर्गी के दरबा में जइसे फसल सभी के जान लगे, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा? का बा? इतना मुअला जियला पर भी फुटल कौड़ी मिलत ना, लाउना लकड़ी खर्चा पर्ची घर के कउनो जूरत ना, महानगर के तोर तरीका, समझ में हमरे आवे ना, घड़ी-घड़ी पर डांटे लोगवा ढंग से केहू बतावे ना, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा? अरे बंबई में ता आए बंबई ना तो क्या बोले मुंबई? मुंबई है, अरे हम तो बंबई आए हैं, हम भी क्या साला! मुंबई हो गया, बंबई हो गया, दिल्ली हो गया, चेन्नई हो गया, हमनी के ता जान ओहि तरह सांसें में फसल बाड़े बाबू, छपरा के हथवा में भइया नियम और कानून ओहां, छोट छोट बतिया पर ओ कइदेलन सा खून ओहां, ऐ समाज में देखा कितना ऊंच नीच के भेद हवे, उनका खातिर सविधान में ना कउनो अनुच्छेद हवे, इहवां का बा? बेटा बेटी लेके गांवे जिंदगी जियल मुहाल हवे, ना निम्मन स्कूल कहीं बा, ना ही अस्पताल हवे, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा? का बा? जुलुम होतबा हमनी संगमा, कितना अब बरदाश करि, देश का बड़का हाकिम लोग पर, अब कइसे विश्वास करी. अब ता भैया लेकिन आइहा बहुत ऊंच सिंघासन बा, सब जानेला केकरा चलते ना घरवा में राशन बा, इहवां का बा? ऐ साहेब लोग, ऐ हाकिम लोग, ऐ साहेब लोग, हमरो कुछ सुनवाही बा, गांव में रोगिया मरत बाड़े मिलत नहीं दवाई बा, ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? ना ता बंबई में का बा? इहवां का बा? चले गए? चला बाबू बड़ा लंबा रास्ता बा, जबले जान रही गोड़ चलत रही, बाबू चल-चल ना, हम बानी नू अरे कुछ ना, 1500 किलोमीटर कहत आड़ू, अरे चल जाई, आदमी ऐ चल जाई, चल जाई, अरे बस भोलेनाथ के नाम लियाचल बाड़ बोल बम बोल बम!
मनोज बाजपेयी और अनुभव सिन्हा के इस गाने के केंद्र में बिहार और यूपी से मुंबई आए मजदूरों की दशा और व्यथा है कि किस तरह गांव में नौकरी के अवसर न मिलने की वजह से वो घर परिवार छोड़ सैकड़ों किलोमीटर दूर बंबई आते हैं और बस भजिया पाव खाकर मजदूर के रूप में हों या सिक्युरिटी गार्ड के रूप में, किसी तरह लोगों के ताने या डांट सुनकर जिंदगी गुजारते हैं. इस भोजपुरी रैप सॉन्ग में न केवल शहर में प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति के बारे में बताया गया है, बल्कि उनके गांव में हॉस्पिटल, स्कूल के अभाव के साथ ही लोगों की खराब स्थिति की तरफ भी ध्यान खींचने की कोशिश की गई है, नहीं तो लोग क्यों घर-बार घोड़कर शहर में ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर होंगे, जहां उनके बनाए घरों में लोग आराम की जिंदगी जी रहे होते हैं और वो कबूतर के छत्ते जैसी खोली में किसी तरह जीने की कोशिश करते दिखते हैं. डॉक्टर सागर ने बंबई में का बा रैप सॉन्ग के जरिये समाज के सबसे जरूरी तबके की स्थिति को इस तरह बयां किया है, जिसे सुन समझकर लोगों की आंखे नम हो जाती हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.