एक्शन, सस्पेंस और थ्रिलर के शौकीन हैं तो मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज़ The family man देखनी चाहिए. 10 एपिसोड की इस सीरीज़ के लिए आपको कम से कम 10 घंटे निकालने होंगे. और देखने के बाद आपको ये जरा भी नहीं लगेगा कि आपने अपना समय बर्बाद किया. वेस सीरीज़ की खासियत ही यही होती है कि ये आपको बांधे रखती हैं और आप binge watching से बच नहीं पाते.
The family man के जरिए Manoj Bajpayee ने OTT दुनिया में डेब्यू किया है. और वो सीरीज़ में श्रीकांत तिवारी का किरदार निभा रहे हैं जो इंटेलीजेंस एजेंसी टास्क (TASC) में काम करता है. वो एक इंटेलिजेंस ऑफिसर है जिसकी जिम्मेदारी है देश की रक्षा करना. लेकिन टाइटल ये बताता है कि वो एक फैमिली मैन है.
इस वेबसीरीज की सबसे अच्छी बात यही है कि ये फिल्मों के बाकी इंस्पैक्टर्स, स्पाई और देशभक्त हीरोज की छवि से एकदम अलग है. यानी देश को आतंकी हमले से बचाने वाले हीरो की निजी जिंदगी को भी बखूबी दिखाया गया है जिसमें वो एक मिडिल क्लास कॉमन फैमिली मैन है. जिसके सिर पर EMI का बोझ भी है, जो परिवार के लिए अच्छा घर चाहता है, जो नौकरी की वजह से परिवार को समय भी कम दे पाता है, वो बाहर बंदूक चलाता है तो घर के लिए सब्जी भी लेता लाता है, पत्नी की नाराजगी भी झोलता है और बच्चों से ब्लैकमेल भी होता है.
यानी demanding जॉब और demanding फैमिली के बीच सामंजस्य बैठाने वाला वो शख्स जो शायद हम और आप जैसा ही हो. देखा जाए तो घर और फैमिली तो इस वेबसीरीज़ का एक हिस्सा भर हैं, जो कहानी में स्पाइस और रोचकता भरती हैं. असल में तो ये वेबसीरीज देश और देशभक्ति पर ही है. और जब बात देशभक्ति की आती है तो फिर बात भी होती है और बहस...
एक्शन, सस्पेंस और थ्रिलर के शौकीन हैं तो मनोज वाजपेयी की वेब सीरीज़ The family man देखनी चाहिए. 10 एपिसोड की इस सीरीज़ के लिए आपको कम से कम 10 घंटे निकालने होंगे. और देखने के बाद आपको ये जरा भी नहीं लगेगा कि आपने अपना समय बर्बाद किया. वेस सीरीज़ की खासियत ही यही होती है कि ये आपको बांधे रखती हैं और आप binge watching से बच नहीं पाते.
The family man के जरिए Manoj Bajpayee ने OTT दुनिया में डेब्यू किया है. और वो सीरीज़ में श्रीकांत तिवारी का किरदार निभा रहे हैं जो इंटेलीजेंस एजेंसी टास्क (TASC) में काम करता है. वो एक इंटेलिजेंस ऑफिसर है जिसकी जिम्मेदारी है देश की रक्षा करना. लेकिन टाइटल ये बताता है कि वो एक फैमिली मैन है.
इस वेबसीरीज की सबसे अच्छी बात यही है कि ये फिल्मों के बाकी इंस्पैक्टर्स, स्पाई और देशभक्त हीरोज की छवि से एकदम अलग है. यानी देश को आतंकी हमले से बचाने वाले हीरो की निजी जिंदगी को भी बखूबी दिखाया गया है जिसमें वो एक मिडिल क्लास कॉमन फैमिली मैन है. जिसके सिर पर EMI का बोझ भी है, जो परिवार के लिए अच्छा घर चाहता है, जो नौकरी की वजह से परिवार को समय भी कम दे पाता है, वो बाहर बंदूक चलाता है तो घर के लिए सब्जी भी लेता लाता है, पत्नी की नाराजगी भी झोलता है और बच्चों से ब्लैकमेल भी होता है.
यानी demanding जॉब और demanding फैमिली के बीच सामंजस्य बैठाने वाला वो शख्स जो शायद हम और आप जैसा ही हो. देखा जाए तो घर और फैमिली तो इस वेबसीरीज़ का एक हिस्सा भर हैं, जो कहानी में स्पाइस और रोचकता भरती हैं. असल में तो ये वेबसीरीज देश और देशभक्ति पर ही है. और जब बात देशभक्ति की आती है तो फिर बात भी होती है और बहस भी.
हर एपिसोड से पहले लिखा हुआ है inspired by daily news stories यानी हर एपिसोड में आपको रोजाना खबरों में आने वाली बातें जरूर दिखेंगी. गाय, आतंकवाद, कश्मीर, लिंचिग, मुस्लिम और आतंकवाद, देशभक्ति जैसी सारी बातें इन 10 एपिसोड में इस तरह पुरोई गई हैं कि हर एपिसोड कमाल करता है. लेकिन इस वेबसीरीज़ में बहुत सी बातें सामने आई हैं जिनपर चर्चा हो रही है-
कश्मीरी दुश्मन नहीं
मामला देश पर होने वाले आतंकी हमले, आतंकवाद और सुरक्षा का हो तो कश्मीर का जिक्र आना स्वाभाविक है. सीरीज में दिखाया गया है कि मनोज वाजपेयी को कश्मीर भेज दिया जाता है. जहां उनकी कमांडिंग ऑफिसर Gul Panag हैं. गुल पनाग मनोज वाजपेयी को कश्मीर के हालात बताती हैं. हो सकता है कि देश के बाकी लोगों को कश्मीरियों के बारे में बोले गए हमदर्दी की ये बातें अच्छी न लगें. 'कश्मीरियों को दबाया जा रहा है, जिसकी कीमत बच्चों को चुकानी पड़ रही है. वहां के लोग हमारे (आर्मी के) रहमो करम पर जी रहे हैं. किसी को खुल के आजादी से जीने न देना अगर जुल्म नहीं है तो क्या है. इस खेल के बहुत से खिलाड़ी हैं सब अपना अपना खेल खेल रहे हैं. और पिस रही है कश्मीर की आवाम. हम में और मिलिटेंटेस में फर्क ही क्या है.'
गो-रक्षक नेता दुश्मन हैं
सीरीज चूंकि हालिया खबरों से प्रेरित है इसलिए इसमें गाय भी है, गोरक्षक भी हैं और लिंचिग भी. ये साफ साफ दिखाया गया है कि मुस्लिम लोगों पर गोरक्षकों का कितना प्रभाव है. कैसे मुस्लिमों पर दबाव है. कैसे अगर वो उनकी बात पर भरोसा नहीं करके मांस को गौमांस समझा जाता है और किस तरह उन्हें भीड़ प्रताड़ित करती है. यहां गोरक्षकों की छवि को इस तरह दिखाया गया है जैसे वो विलेन हों. इसी वजह से मुस्लिमों में गुस्सा है.
#TheFamilyMan series on Amazon prime is highly Islamophobic, they are tryting to portray tht muslims are becoming terrorists because of Mob Lynching and communal riots.
Not a single such case has been reported in India.@marKhalidJN@FatimaNafis1
— Fahad Ahmad (@FahadTISS) September 22, 2019
Decent आतंकवाद नहीं
ये इंटेलिजेंस और आतंकी हमले पर आधारित फिल्म है इसलिए पुलिस और लोगों के उस माइंडसेट को भी सामने लाने की कोशिश की गई है कि कैसे सरकार के खिलाफ सवाल उठाने वालों को एंटीनेशनल कह दिया जाता है. इस सीरीज में एक युवा मुस्लिम छात्र को दिखाया गया है जो सरकार की नीति और कट्टरपंथ का विरोधी है. विरोध दर्ज करवाने के लिए उसने नेता पर इंक डाल दी थी, वो सरकार के विरोध में ब्लॉग लिखता था. लेकिन उसे सिर्फ इसी आधार पर आतंकी या एंटीनेशनल बोल दिया गया. ये सवाल खड़े करता है हमारे सिस्टम और लोगों की सोच पर जहां सवाल करना और लोगों से अलग सोचने को देशद्रोह का नाम दे दिया जाता है.
पुलिस नहीं सुधरी
यूं तो कहानी इंटेलिजेंस की है लेकिन काम में आर्मी और पुलिस की भी मदद ली गई है. लेकिन सीरीज में सिर्फ इंटेलिजेंस की वाहवाही नहीं दिखाई गई है बल्कि पुलिस की नाकामियों का भी हिसाब किताब बखूबी रखा गया है. अक्सर पुलिस वालों पर ये आरोप लगते हैं कि वो मारपीट कर बयान कुबूल करवाती है. सीरीज में भी एक सीन ऐसा है जहां 4 लड़कों को शक के आधार पर पकड़ा गया. जिनमें से 3 निर्दोष थे. पुलिस इंस्पेक्टर का कहना था कि- आप कहें तो कल तक इनके गुनाह कबूल करवा देंगे, और नीचे साइन भी करवा लेंगे. यानी पुलिस को अपनी मार-तेड़ पर इतना यकीन होता है कि वो किसी भी निर्दोष से किसी भी कागज पर दस्तखत करवा ले. हालांकि उन लड़कों को बाद में छोड़ भी दिया जाता है. पुलिस की इन्वेस्टिगेशन की नाकामी ये थी कि इन 4 में से एक असल में आतंकी था. जिसे पुलिस पहचान ही नहीं सकी. वहीं एक संदिग्ध पर नजर रखने के लिए ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसवाले को काम के वक्त सोता हुआ दिखाया गया है, किस किस तरह वो इतने गंभीर काम में भी लापरवाही बरत रहा है. यानी पुलिस की छवि को वैसे ही दिखाया गया है जैसी है.
इंटेलिजेंस एजेंसी की चूक
इस सीरीज की सबसे खास बात ये नहीं है कि इसमें इंटेलिजेंस आतंकियों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देती. बल्कि खास बात तो ये है कि कैसे बड़ी बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी भी चूक जाती हैं. कैसे एक भूल की वजह से तीन निर्दोष लोगों को आतंकी समझकर इनकाउंटर कर दिया गया. और जब सच्चाई सामने आई तो आनन-फानन में कैसे NIA ने उसे कवरअप किया. ये वाला सीन भी फर्जी इनकाउंटर पर होने वाले शक को और गहरा करता है.
जब किसी भी फिल्म में सरकार, कट्टरपंथ, पुलिस के खिलाफ कुछ भी दिखाया जाता है तो लोग उसपर तुरंत प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं. सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं. लोग ऊपर लिखे इन सभी बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं और इसका विरोध भी. कहा जा रहा है कि इससीरीज में आतंकवाद को जस्टीफाई किया गया है.
फिल्म एक्शन थ्रिलर है. लेकिन अगर आप इसे Sacred Games से कंपेयर करेंगे तो यहां आपको उतना खून खराबा नहीं दिखेगा. The family man ये साबित करती है कि भयानक खून खराबे के बिना भी अच्छी एक्शन थ्रिलर बनाई जा सकती हैं. बाकी सीरीज के डायलॉग्स कमाल के लगते हैं क्योंकि उन्हें बोलने वाले कलाकार मंझे हुए हैं. इस फिल्म को देखने के बाद ये तो तय है कि आप इसके अगला पार्ट छोड़ेंगे नहीं.
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