सुपरस्टार रजनीकांत की वो लड़की बहुत बड़ी फैन है. उनको भगवान मानकर उनकी पूजा करती है. उनकी कोई भी फिल्म हो, कैसी भी फिल्म हो, वह बिना देर किए थियेटर में जाकर उनकी फिल्म जरूर देखती है. फिल्मों के अलावा उसे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है. वह चंचल और आत्मविश्वासी है. उसके ठीक विपरीत वो लड़का कभी फिल्में नहीं देखता, क्योंकि पिक्चर देखने से उसे नींद आने लगती है. वह किताबें पसंद तो करता है, लेकिन बुक-क्रिकेट के लिए. वह अंतर्मुखी है, जो कोडिंग में करियर बनाना चाहता है. लड़की का नाम मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) है, जबकि लड़के का नाम है सुंदरेश्वर (अभिमन्यु दसानी). दो युवा कपल के रिलेशनशिप पर आधारित फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' में प्यार को एक अनोखे अंदाज में पारिभाषित किया गया है, जो शादी के बाद तमाम झंझावातों के बीच शुरू होता है.
दिग्गज फिल्म मेकर करण जौहर ने डिजिटल सिनेमा प्रोडक्शन के लिए अपनी एक अलग कंपनी बनाई है, जो धर्मा प्रोडक्शन से इतर ओटीटी के लिए फिल्म और वेब सीरीज का निर्माण कर रही है. इसके लिए उन्होंने नेटफ्लिक्स से हाथ मिलाया है. दोनों मिलकर ओरिजनल कंटेंट का तैयार कर रहे हैं. इस कंपनी का नाम धर्मे टिक एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन है. इसी के बैनर तले फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' का भी निर्माण हुआ है. करीब ढ़ाई घंटे की इस फिल्म में आज के युवाओं की उन वास्तविकताओं से रूबरू कराने की कोशिश की गई है, जिनमें जीवन और कार्य के बीच संतुलन बनाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता है. इसमें अक्सर रिश्ते कार्य की बलिबेदी पर न्यौछावर होते दिखते हैं. विवेक सोनी के निर्देशन में बनी फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' की कहानी अर्श वोरा ने लिखी है, जिसमें उनको निर्देशक का भी साथ मिला है.
सुपरस्टार रजनीकांत की वो लड़की बहुत बड़ी फैन है. उनको भगवान मानकर उनकी पूजा करती है. उनकी कोई भी फिल्म हो, कैसी भी फिल्म हो, वह बिना देर किए थियेटर में जाकर उनकी फिल्म जरूर देखती है. फिल्मों के अलावा उसे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है. वह चंचल और आत्मविश्वासी है. उसके ठीक विपरीत वो लड़का कभी फिल्में नहीं देखता, क्योंकि पिक्चर देखने से उसे नींद आने लगती है. वह किताबें पसंद तो करता है, लेकिन बुक-क्रिकेट के लिए. वह अंतर्मुखी है, जो कोडिंग में करियर बनाना चाहता है. लड़की का नाम मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) है, जबकि लड़के का नाम है सुंदरेश्वर (अभिमन्यु दसानी). दो युवा कपल के रिलेशनशिप पर आधारित फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' में प्यार को एक अनोखे अंदाज में पारिभाषित किया गया है, जो शादी के बाद तमाम झंझावातों के बीच शुरू होता है.
दिग्गज फिल्म मेकर करण जौहर ने डिजिटल सिनेमा प्रोडक्शन के लिए अपनी एक अलग कंपनी बनाई है, जो धर्मा प्रोडक्शन से इतर ओटीटी के लिए फिल्म और वेब सीरीज का निर्माण कर रही है. इसके लिए उन्होंने नेटफ्लिक्स से हाथ मिलाया है. दोनों मिलकर ओरिजनल कंटेंट का तैयार कर रहे हैं. इस कंपनी का नाम धर्मे टिक एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन है. इसी के बैनर तले फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' का भी निर्माण हुआ है. करीब ढ़ाई घंटे की इस फिल्म में आज के युवाओं की उन वास्तविकताओं से रूबरू कराने की कोशिश की गई है, जिनमें जीवन और कार्य के बीच संतुलन बनाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता है. इसमें अक्सर रिश्ते कार्य की बलिबेदी पर न्यौछावर होते दिखते हैं. विवेक सोनी के निर्देशन में बनी फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' की कहानी अर्श वोरा ने लिखी है, जिसमें उनको निर्देशक का भी साथ मिला है.
Meenakshi Sundareshwar फिल्म की कहानी
फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' कहानी शुरू होती है मदुरै से जहां एक इंजीनियर सुंदरेश्वर (अभिमन्यु दसानी) का परिवार उसके लिए लड़की देखने के लिए जाता है. लेकिन परिवार मैरिज ब्यूरो वालों के बताए पते की जगह मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) के घर पहुंच जाता है. वहां भी मीनाक्षी के लिए संभावित वर का इंतजार हो रहा है. जब तक दोनों परिवारों की गलतफहमी दूर हो तब तक तार जुड़ जाते हैं और शादी की बात पक्की हो जाती है. ट्विस्ट तब आता है जब शादी के अगले ही दिन सुंदरेश्वर को बेंगलुरु की एक ऐप डेवलप करने वाली कंपनी से जॉब ऑफर लेटर आता है और उसे जाना पड़ता है. कंपनी के मालिक की शर्त है कि वह केवल अविवाहित लोगों को काम पर रखेगा. अनुबंध साल भर का है. सुंदरेश्वर झूठ बोल कर बंगलुरु में रह जाता है. इधर मीनाक्षी मदुरै में सुंदरेश्वर के परिवार के साथ रहने लगती है.
मीनाक्षी और सुंदरेश्वर के बीच बातचीत भी बहुत कम हो पाती है. क्योंकि सुंदर अपने ऑफिस में किसी को भी ये पता नहीं चलने देना चाहता कि वो शादीशुदा है. इसलिए मीनाक्षी की कॉल आने पर अपनी मां का बताकर उससे बात करता है. इधर, शॉपिंग के लिए गई मीनाक्षी की मुलाकात उसके कॉलेज के एक दोस्त से होती है. दोनों मिलते हैं, तो पुरानी बातें याद आ जाती हैं. पति की उपेक्षा की शिकार मीनाक्षी की अपेक्षाएं जब कमजोर पड़ने लगती हैं, तो उसका झुकाव कॉलेज के दोस्त की तरफ बढ़ने लगता है. मन बहलाने के लिए वो उससे बातें करती है, जो सुसरालवालों को बुरी लगती हैं. हालांकि, मीनाक्षी और सुंदर लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप को संभालने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. क्या अलग-अलग शहर में रहने की वजह से उनका रिश्ता बिगड़ जाएगा, क्या वह अपने रिश्ते को संभाल पाएंगे? इसी पर कहानी आगे बढ़ती है.
Meenakshi Sundareshwar फिल्म की समीक्षा
ओटीटी को लेकर पहले ये कहा जाता था कि ये तो व्यक्तिगत माध्यम है. हर कोई मोबाइल पर अकेले में कंटेंट कंज्युम करता है. यही वजह है कि अश्लीलता और गाली-गलौच खूब परोसा जाता रहा है. लेकिन धीरे-धीरे धारणाएं बदल रही हैं. कई ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फैमिली फिल्म लगातार रिलीज हो रही हैं. नेटफ्लिक्स भी इस दिशा में सकारात्मक कोशिश कर रहा है. इसका नतीजा फिल्म 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' के रूप में देखा जा सकता है. इसे बेहतरीन तो नहीं लेकिन एक अच्छी फैमिली फिल्म का जा सकता है. इस फिल्म के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में उतरे विवेक सोनी ने शानदार काम किया है. उन्होंने अपनी पहली फिल्म में ही दिखा दिया है कि वो लंबी रेस के घोड़े साबित होने वाले हैं. करण जौहर का प्रोडक्शन और नेटफ्लिक्स जैसा प्लेटफॉर्म, उनकी वैसे भी लॉटरी लग चुकी है. बाकी फिल्म की सफलता पूरी कर देगी.
पूरी फिल्म दो किरदारों के ही आसपास घूमती रहती है, मीनाक्षी और सुंदरेश्वर. ऐसे में इन दोनों किरदारों के लिए कलाकारों का चयन सबसे अहम था. लेकिन सान्या मल्होत्रा और अभिमन्यु दसानी के अभिनय को देखकर कहा जा सकता है कि फिल्म मेकर्स ने कहानी के हिसाब से अच्छे कलाकारों का चुनाव किया है. खास तौर पर सान्या मल्होत्रा सबसे अधिक प्रभावित करती हैं. कई मौकों पर लगता है कि वह फिल्म को अपनी क्षमताओं से ही अकेले आगे बढ़ा रही है. सान्या मल्होत्रा ने आमिर खान की फिल्म 'दंगल' से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद तेजी से अपनी पहचान बनाई है. वह लीक से हट काम करने वाली अभिनेत्री के रूप उभर रही हैं. उनके खाते 'बधाई हो', 'फोटोग्राफ', 'शकुंतला देवी', 'लूडो' और 'पगलैट' जैसी फिल्में हैं, जिसमें वह अपने किरदारों में बखूबी निखर कर आती हैं. जैसे कि इस फिल्म में.
तकनीकी स्तर पर भी 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' को एक अच्छी फिल्म कहा जा सकता है. जस्टिन प्रभाकरन म्यूजिक कर्णप्रिय है, तो बैकग्राउंड स्कोर कहानी और परिस्थिति पर सटीक बैठता है. देबोजीत रे ने छायांकन भी शानदार किया है. कुल मिलाकर, 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' एक ऐसी फिल्म है, जिसे आप अपने परिवार के साथ ड्राइव में बैठकर टीवी पर देख सकते हैं. इसमें प्यार और परिवार दोनों को बखूबी परिभाषित किया गया है. फिल्म को एक बार देखा जाना चाहिए.
iChowk.in रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार
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