भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है. सीमा पर हर वक्त तनाव रहता है. पाकिस्तान अपनी फितरत के मुताबिक कभी भी कुछ भी कर सकता है, इसलिए भारत की सिक्योरिटी एजेंसियां हमेशा मुस्तैद रहती हैं. इसमें आर्मी, आईबी से लेकर रॉ तक शामिल है. रॉ भारत की खुफिया एजेंसी है, जो दुनिया भर के देशों में अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है. लेकिन पाकिस्तान पर खास नजर रहती है. बड़ी संख्या में हमारे देश के जासूस पड़ोसी मुल्क में रहते हैं. वहां से जरूरी सूचनाएं भेजते रहते हैं. इस वजह से जासूसों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहती है, लेकिन रोमांचक होती है. जासूसों के ऊपर कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'रोमियो अकबर वॉल्टर' (2019), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'मद्रास कैफे' (2013) जैसी फिल्मों के नाम प्रमुख हैं.
इसी कड़ी में एक जासूस की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'मिशन मजनू' अगले साल 23 जनवरी से ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की जाएगी. शांतनु बागची के निर्देशन में बनी इस फिल्म सिद्धार्थ मल्होत्रा और रश्मिका मंदाना लीड रोल में हैं. उनके साथ कुमुद मिश्रा, परमीत सेठी, मीर सरवार और जाकिर हुसैन की भी अहम भूमिका है. 'मिशन मजनू' सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और यह भारत के एक महत्वपूर्ण खुफिया मिशन पर आधारित है, जो कि 1971 भारत-पाक युद्ध के बाद उपजे हालात के दौरान का है. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा एक रॉ एजेंट का किरदार कर रहे हैं. उनके अपोजिट 'पुष्पा द राइज' फेम एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना एक मुस्लिम लड़की के किरदार में हैं. सिद्धार्थ और रश्मिका पहली बार एक-दूसरे के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे हैं. रश्मिका मंदाना की ये दूसरी बॉलीवुड फिल्म. उन्होंने गुड बॉय से डेब्यू किया है.
भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है. सीमा पर हर वक्त तनाव रहता है. पाकिस्तान अपनी फितरत के मुताबिक कभी भी कुछ भी कर सकता है, इसलिए भारत की सिक्योरिटी एजेंसियां हमेशा मुस्तैद रहती हैं. इसमें आर्मी, आईबी से लेकर रॉ तक शामिल है. रॉ भारत की खुफिया एजेंसी है, जो दुनिया भर के देशों में अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है. लेकिन पाकिस्तान पर खास नजर रहती है. बड़ी संख्या में हमारे देश के जासूस पड़ोसी मुल्क में रहते हैं. वहां से जरूरी सूचनाएं भेजते रहते हैं. इस वजह से जासूसों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहती है, लेकिन रोमांचक होती है. जासूसों के ऊपर कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'रोमियो अकबर वॉल्टर' (2019), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'मद्रास कैफे' (2013) जैसी फिल्मों के नाम प्रमुख हैं.
इसी कड़ी में एक जासूस की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'मिशन मजनू' अगले साल 23 जनवरी से ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की जाएगी. शांतनु बागची के निर्देशन में बनी इस फिल्म सिद्धार्थ मल्होत्रा और रश्मिका मंदाना लीड रोल में हैं. उनके साथ कुमुद मिश्रा, परमीत सेठी, मीर सरवार और जाकिर हुसैन की भी अहम भूमिका है. 'मिशन मजनू' सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और यह भारत के एक महत्वपूर्ण खुफिया मिशन पर आधारित है, जो कि 1971 भारत-पाक युद्ध के बाद उपजे हालात के दौरान का है. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा एक रॉ एजेंट का किरदार कर रहे हैं. उनके अपोजिट 'पुष्पा द राइज' फेम एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना एक मुस्लिम लड़की के किरदार में हैं. सिद्धार्थ और रश्मिका पहली बार एक-दूसरे के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे हैं. रश्मिका मंदाना की ये दूसरी बॉलीवुड फिल्म. उन्होंने गुड बॉय से डेब्यू किया है.
फिल्म 'मिशन मजनू' का 1 मिनट 19 सेकेंड का टीजर पूरी तरह से देशभक्ति के रंग में डूबा हुआ नजर आ रहा है. टीजर में बताया जाता है कि 1971 में पाकिस्तान तीसरी बार हिंदुस्तान से जंग हार चुका था. रस्सी जल गई थी, लेकिन बल नहीं गया था. इंडिया पर धाक जमाने का पाकिस्तान के पास बस एक ही रास्ता था. इंडिया पर न्यूक्लियर अटैक. लेकिन उनको रॉ की काबिलियत का अंदाजा नहीं था. ये कहानी एक ऐसा जाबांज एजेंट की है, जिसका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं है. इस वॉयस ओवर के खत्म होते ही सिद्धार्थ मल्होत्रा की धांसू एंट्री होती है. वो एक दौड़ती हुई ट्रेन के दो डिब्बों के बीच खड़े हुए नजर आते हैं. इधर पाकिस्तान न्यूक्लियर अटैक के लिए पूरी तरह तैयार नजर आता है. लेकिन सिद्धार्थ किरदार पाक के नापाक मिशन को नेस्तनाबूत करने के लिए हर संभव कोशिश करता हुआ नजर आ रहा है.
Mission Majnu Teaser देखिए...
''हिंदुस्तान की हिफाजत के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं''...फिल्म के टीजर में दिखाए गए इस संवाद से ही इसकी मूल भावना समझी जा सकती है. इसके साथ ही इस फिल्म में ये भी दिखाने की कोशिश की गई है कि जासूसी काम इतना आसान नहीं होता है. इसमें हर कदम पर जासूसों की जिंदगी पर खतरा मंडराता रहता है. लेकिन जासूस न हो तो किसी देश की सुरक्षा जरूर खतरे में पड़ सकती है. जासूस न केवल सूचनाएं भेजते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने कई बड़े ऑपरेशन को भी अंजाम देते हैं. इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा की उस लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश की गई है, जो उन्हें फिल्म 'शेरशाह' की सफलता के बाद मिली थी. इस फिल्म के बाद सिद्धार्थ सुपरस्टार बन गए हैं. एक आर्मी अफसर की भूमिका निभाने के बाद अब जासूस के किरदार में नजर आने वाले हैं. देखना दिलचस्प होगा कि 'मिशन मजनू' फिल्म 'शेरशाह' की तरह सफलता हासिल कर पाती है या नहीं.
फिल्म 'मिशन मजनू' की कहानी साल 1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद के दिनों पर आधारित है. इस युद्ध में हिंदुस्तानी फौज ने 93 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को पकड़ा था, जो कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद युद्ध बंदियों का सबसे बड़ा नंबर है. इस युद्ध में न केवल पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर शर्म का सामना भी करना पड़ा था. क्योंकि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज ने हिंदुस्तानी सेना के सामने घुटने टेक दिए थे. इसी शर्म की वजह से पाकिस्तान न्यक्लियर अटैक करके हिंदुस्तान से बदला लेना चाहता था. लेकिन उसके मुल्क में मौजूद हमारे देश के जासूसों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित बताई जा रही है. इसकी पहली झलक देखकर यही लगता है कि ये फिल्म लोगों को पसंद आएगी. वैसे भी सिद्धार्थ के साथ रश्मिका मौजूदगी इसकी सफलता की ओर इशारा करती है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.