हिंदुस्तान में खेल चाहे जो भी हो, लेकिन मठाधीशी हर जगह है. क्रिकेट से लेकर कुश्ती तक, हर खेल इसमें शामिल है. क्रिकेट में जगमोहन डालमिया और ललित मोदी के दौर को याद कीजिए. उस वक्त उन दोनों की इच्छा के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता था. कुछ वक्त कांग्रस नेता राजीव शुक्ला का भी दौर चला. वो जिसे चाहते उसे स्टेट से लेकर नेशनल क्रिकेट टीम तक में कथित रूप से जगह दिलाने में कामयाब हो जाते थे. मैदान से बाहर की राजनीति अक्सर ड्रेसिंग रूम में भी दिखाई देती रही है.
सिक्का उसी का चलता रहा है, जिसकी पहुंच जितनी ऊंची रही है. महिला क्रिकेट टीम में भी इस तरह की मठाधीशी और राजनीति देखने को अक्सर मिलती रही है. तभी तो यहां लंबे समय तक एक ही खिलाड़ी टीम में जमा रहता है. वरना कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो पुरुष क्रिकेट टीम को देख लीजिए 30 से 32 की उम्र तक रिटायरमेंट मिल जाती है, लेकिन महिला क्रिकेट टीम में 32 से 40 की उम्र के बीच कई खिलाड़ी आज भी खेल रही हैं. ऐसी खिलाड़ी नए प्रतिभाओं का रास्ता रोके रहती हैं. लंबे समय तक टीम में जमी रहने वाली खिलाड़ियों में क्रिकेटर मिताली राज का नाम भी शुमार है.
मिताली राज ने 23 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के बाद सन्यास लिया है. उन्होंने 232 वनडे, 89 टी20 और 12 टेस्ट मैच खेले हैं. इस दौरान उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए, लेकिन उनमें ज्यादातर ऐसे रिकॉर्ड हैं, जो उनके ज्यादा समय तक क्रिकेट खेलने की वजह से बने हैं. उदाहरण के लिए मिताली इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा 22 साल 274 दिन तक खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं. उन्होंने वनडे में बतौर कप्तान सबसे ज्यादा मैच जीते हैं. उन्होंने 155 वनडे खेलकर 89 मैच जीते हैं.
उनके...
हिंदुस्तान में खेल चाहे जो भी हो, लेकिन मठाधीशी हर जगह है. क्रिकेट से लेकर कुश्ती तक, हर खेल इसमें शामिल है. क्रिकेट में जगमोहन डालमिया और ललित मोदी के दौर को याद कीजिए. उस वक्त उन दोनों की इच्छा के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता था. कुछ वक्त कांग्रस नेता राजीव शुक्ला का भी दौर चला. वो जिसे चाहते उसे स्टेट से लेकर नेशनल क्रिकेट टीम तक में कथित रूप से जगह दिलाने में कामयाब हो जाते थे. मैदान से बाहर की राजनीति अक्सर ड्रेसिंग रूम में भी दिखाई देती रही है.
सिक्का उसी का चलता रहा है, जिसकी पहुंच जितनी ऊंची रही है. महिला क्रिकेट टीम में भी इस तरह की मठाधीशी और राजनीति देखने को अक्सर मिलती रही है. तभी तो यहां लंबे समय तक एक ही खिलाड़ी टीम में जमा रहता है. वरना कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो पुरुष क्रिकेट टीम को देख लीजिए 30 से 32 की उम्र तक रिटायरमेंट मिल जाती है, लेकिन महिला क्रिकेट टीम में 32 से 40 की उम्र के बीच कई खिलाड़ी आज भी खेल रही हैं. ऐसी खिलाड़ी नए प्रतिभाओं का रास्ता रोके रहती हैं. लंबे समय तक टीम में जमी रहने वाली खिलाड़ियों में क्रिकेटर मिताली राज का नाम भी शुमार है.
मिताली राज ने 23 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के बाद सन्यास लिया है. उन्होंने 232 वनडे, 89 टी20 और 12 टेस्ट मैच खेले हैं. इस दौरान उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए, लेकिन उनमें ज्यादातर ऐसे रिकॉर्ड हैं, जो उनके ज्यादा समय तक क्रिकेट खेलने की वजह से बने हैं. उदाहरण के लिए मिताली इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा 22 साल 274 दिन तक खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं. उन्होंने वनडे में बतौर कप्तान सबसे ज्यादा मैच जीते हैं. उन्होंने 155 वनडे खेलकर 89 मैच जीते हैं.
उनके बाद इंग्लैंड के सी. एडवर्ड्स ने 117 मैच खेलकर 72 जीते हैं. ऑस्ट्रेलिया के बी. क्लार्क ने 101 मैच खेलकर 83 मैच जीते हैं. अब यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि मिताली ने 89 मैच जीतने के लिए 155 मैच खेले, जबकि क्लार्क ने 101 मैच में ही 83 जीत लिया, जो कि मिताली से मात्र 6 मैच ही कम है. इसी तरह मिताली के नाम महिला वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी है. उन्होंने 232 मैच में 7805 रन बनाए हैं. उनके बाद इंग्लैंड के सी. एडवर्ड्स ने 191 मैच में 5992 रन बनाए हैं. वेस्टइंडीज़ की सारा टेलर 145 मैच में 5298 रन बनाए हैं.
इस तरह महिला क्रिकेट में मिताली लंबे समय तक खेलती रही हैं. उनके साथ कई बार विवाद भी हुआ है, लेकिन हर बार उन्होंने टीम में वापसी की है. महिला टीम के कोच रहे रमेश पवार के साथ हुआ उनका विवाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहा था. साल 2018 में मिताली का रमेश पवार और कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ एक मैच को लेकर विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि मिताली को उस साल आयोजित टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल मैच से बाहर कर दिया गया. मिताली ने बीसीसीआई को कोच और सीओए के खिलाफ लेटर लिख दिया.
यह विवाद लंबा खिंचा, लेकिन बाद में रमेश पवार को कोच पद से हटा दिया गया और मिताली की टीम में वापसी हो गई. इसके बाद मिताली राज को कोई भी टीम से बाहर नहीं कर पाया. इतना ही नहीं कई बार लगातार खराब प्रदर्शन करने के बावजूद उनको टीम शामिल रखा गया. उनकी वजह से कई प्रतिभावान महिला क्रिकेटरों को टीम से बाहर बैठना पड़ा. केवल मिताली ही नहीं झूलन गोस्वामी भी 39 साल की होने के बावजूद क्रिकेट टीम में जमी हुई हैं. इस तरह महिला क्रिकेट टीम में खिलाड़ियों का लंबे समय तक जमे रहने का पुराना इतिहास है, जो नई प्रतिभाओं के लिए खतरा है.
बताते चलें कि मिताली ने बचपन से क्लासिकल डांस सीखना शुरू कर दिया था. 10 साल की उम्र में तो वह भरतनाट्यम में पारंगत हो गई थी. लेकिन बचपन से बहुत आलसी थीं, इसीलिए वायुसेना में वारंट अधिकारी उनके पिता ने उन्हें सक्रिय बनाए रखने के लिए डांस के साथ क्रिकेट की ट्रेनिंग भी दिलानी शुरू कर दी. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उनको डांस और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था, तो उन्होंने क्रिकेट को गले लगाया. मिताली ने क्रिकेट को अपने जीवन का लंबा वक्त दिया है. अब वो अपने जीवन की दूसरी पारी शुरू करने जा रही हैं. ऐसे में हम उनको शुभकानाएं देते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.