बॉलीवुड से लेकर कॉलीवुड और मॉलीवुड तक दमदार अभिनय से अपने नाम का परचम लहराने वाले दिग्गज अभिनेता, फिल्म निर्माता, निर्देशक, पार्श्व गायक, टेलीविजन होस्ट और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर, जिनको साउथ सिनेमा का 'शहंशाह' कहा जाता है. पिछले 40 साल से जिन्होंने मलयालम, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, अंग्रेजी और हिंदी सहित कई भाषाओं में 340 से ज्यादा फिल्में की हैं. भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक मोहनलाल विश्वनाथन का आज जन्मदिन है. फिल्मी दुनिया में ये मोहनलाल के नाम से मशहूर हैं. इनको 5 नेशनल, 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड के साथ ही पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.
मोहनलाल का जन्म 21 मई 1960 को केरल के पठानमथिट्टा जिले के एलंथूर गांव में हुआ था. बचपन से ही वह पढ़ाई के साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में बहुत एक्टिव रहते थे. स्कूल से ही उन्होंने प्ले में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. हायर एजुकेशन में आने के बाद उनका झुकाव कुश्ती की तरफ हुआ. शरीर से हष्टपुष्ठ मोहनलाल अखाड़े में भी उस्ताद निकले. वह एक प्रोफेशनल रेसलर भी रह चुके हैं. उन्होंने साल 1977-78 में केरल राज्य कुश्ती चैंपियनशिप जीती थी. इतना ही नहीं उनको ताइक्वांडो का भी शौक है. कोरिया के द वर्ल्ड ताइक्वांडो हेडक्वार्टर की तरफ से उनको 'ब्लैक बेल्ट' से सम्मानित किया जा चुका है.
रिलीज नहीं हो पाई पहली मलयालम फिल्म
साल 1978 में मलयालम फिल्म 'थिरानोत्तम' से मोहनलाल ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, लेकिन ये फिल्म बनने के बाद कभी रिलीज नहीं हो पाई. दो साल बाद फिल्म 'मांजी विरिंजा पूक्कई' में नजर आए. इस फिल्म ने उनको मशहूर कर दिया. इसके बाद उनको लगातार फिल्में मिलने लगीं. धीरे-धीरे...
बॉलीवुड से लेकर कॉलीवुड और मॉलीवुड तक दमदार अभिनय से अपने नाम का परचम लहराने वाले दिग्गज अभिनेता, फिल्म निर्माता, निर्देशक, पार्श्व गायक, टेलीविजन होस्ट और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर, जिनको साउथ सिनेमा का 'शहंशाह' कहा जाता है. पिछले 40 साल से जिन्होंने मलयालम, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, अंग्रेजी और हिंदी सहित कई भाषाओं में 340 से ज्यादा फिल्में की हैं. भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान अभिनेताओं में से एक मोहनलाल विश्वनाथन का आज जन्मदिन है. फिल्मी दुनिया में ये मोहनलाल के नाम से मशहूर हैं. इनको 5 नेशनल, 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड के साथ ही पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.
मोहनलाल का जन्म 21 मई 1960 को केरल के पठानमथिट्टा जिले के एलंथूर गांव में हुआ था. बचपन से ही वह पढ़ाई के साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में बहुत एक्टिव रहते थे. स्कूल से ही उन्होंने प्ले में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. हायर एजुकेशन में आने के बाद उनका झुकाव कुश्ती की तरफ हुआ. शरीर से हष्टपुष्ठ मोहनलाल अखाड़े में भी उस्ताद निकले. वह एक प्रोफेशनल रेसलर भी रह चुके हैं. उन्होंने साल 1977-78 में केरल राज्य कुश्ती चैंपियनशिप जीती थी. इतना ही नहीं उनको ताइक्वांडो का भी शौक है. कोरिया के द वर्ल्ड ताइक्वांडो हेडक्वार्टर की तरफ से उनको 'ब्लैक बेल्ट' से सम्मानित किया जा चुका है.
रिलीज नहीं हो पाई पहली मलयालम फिल्म
साल 1978 में मलयालम फिल्म 'थिरानोत्तम' से मोहनलाल ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, लेकिन ये फिल्म बनने के बाद कभी रिलीज नहीं हो पाई. दो साल बाद फिल्म 'मांजी विरिंजा पूक्कई' में नजर आए. इस फिल्म ने उनको मशहूर कर दिया. इसके बाद उनको लगातार फिल्में मिलने लगीं. धीरे-धीरे पूरे केरल में उनके नाम की चर्चा होने लगी. मोहनलाल ने अपने करियर में योद्धा, मणिचित्राथाजू, विलेन, जनता गैराज, दृश्यम, इरूवर, नरसिम्हा, ग्रैंडमास्टर, ओप्पम जैसी कई हिट फिल्में दी हैं. हालही में मलयालम भाषा में रिलीज हुई इनकी फिल्म दृश्यम 2 ने खूब चर्चा बटोरी है. इस फिल्म ने भाषाई दीवार भी तोड़ दी है.
बड़ी फिल्मी है मोहनलाल की लव स्टोरी
महान अभिनेता मोहनलाल की लव स्टोरी उनके फिल्मी करियर की तरह ही बहुत दिलचस्प है. उनकी फिल्में देखकर मलयालम फिल्म प्रोड्यूसर सुरेश बालाजी की बहन सुचित्रा लाखों लड़कियों की तरह उनकी दीवानी हो गईं. दोनों एक स्टार और फैन की तरह मिले, लेकिन बहुत जल्द इश्क कर बैठे. गुपचुप एक-दूसरे को खत लिखा करते थे. धीरे-धीरे दोनों का प्यार परिवार के सामने आ गया. सुचित्रा की चाची ने मोहनलाल के पिता से दोनों की शादी की बात की, तो कुंडली मिलाई गई. दुर्भाग्य से दोनों की कुंडली नहीं मिल सकी. इससे दोनों परिवारों ने रिश्ता तोड़ दिया. इधर, सुचित्रा मोहनलाल के प्यार में पूरी तरह दीवानी हो चुकी थीं.
बहुत मुश्किल से हुई दोनों की शादी
मोहनलाल शादी टूटने के बाद अपनी फिल्मों में व्यस्त हो गए. उस वक्त उनका फिल्मी करियर उफान पर था. लगातार हिट फिल्में दे रहे थे. करीब दो साल बाद एक दिन मोहनलाल की मुलाकात सुचित्रा से हुई. उनके एक दोस्त ने बताया कि सुचित्रा आज भी उनसे प्यार करती हैं. उनका इंतजार करती हैं. यह सुनकर मोहनलाल का पुराना प्यार जाग उठा. उन्होंने शादी का फैसला कर लिया. उस वक्त वह साउथ सिनेमा में पूरी तरह स्थापित हो चुके थे. सुपरस्टार बन चुके थे. ऐसे में भला उनकी बात कौन टाल सकता था. 28 अप्रैल 1998 में मोहनलाल और सुचित्रा की शादी हो गई. आज शादी के 33 साल पूरे हो चुके हैं. दो बच्चे प्रणव और विसमाया है.
साउथ सिनेमा के 'अमिताभ बच्चन'
साउथ सिनेमा में मोहनलाल का दर्जा वैसे ही है जैसे बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन का है. उनको साउथ सिनेमा का 'महानायक' कहा जाता है. बहुत कम लोगों को पता है कि हिंदी की बहुत सारी सुपरहिेट फिल्में मोहनलाल की मलयालम फिल्मों की रीमेक हैं. फिल्म दृश्यम की बात करें, ये मूल मलयालम फिल्म का रीमेक है, जिसमें अजय देवगन और तब्बू ने लीड रोल किया था. इसके अलावा साल 2007 में रिलीज हुई अक्षय कुमार की फिल्म 'भूल भुलैया' 1993 में रिलीज हुई मोहनलाल की सुपरहिट फिल्म 'मणिचित्रताजू' का रीमेक थी. साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म 'खट्टा मीठा' साल सुपरहिट मलयालम फिल्म 'वेल्लनाकालुदे नाडु' का हिंदी रीमेक है.
फिल्म 'कंपनी' से बॉलीवुड में किया डेब्यू
मोहनलाल ने साल 2002 में आई फिल्म 'कंपनी' से बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया था. उन्होंने फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें अजय देवगन लीड रोल में थे. इसके करीब पांच साल बाद साल 2007 में उन्होंने बॉलीवुड फिल्म 'रामगोपाल वर्मा की आग' में काम किया. इसमें अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे. मोहनलाल ने फिल्म में एक पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी. इस रोल में उनके दमदार परफॉर्मेंस ने हिंदी दर्शकों के दिल में उनके लिए खास जगह बना दी. इसके बाद साल 2012 में आई फिल्म तीज में भी वो नजर आए थे. फिलहाल, 3डी फिल्म 'बरोज-गार्जियन ऑफ डी गामास ट्रेजर' से निर्देशन की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं.
TA में ले. कर्नल बनने वाले पहले एक्टर
साल 2009 में मोहनलाल टेरिटोरियल आर्मी (TA) में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे. वह इकलौते ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला है. मोहनलाल ने 'कीर्ति चक्र' और 'कुरुक्षेत्र' जैसी फिल्में करने के बाद आर्मी में दिलचस्पी ली. इसके बाद वह अपनी इच्छा से टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हुए. उनके अलावा भारत को क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले कपिल देव भी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. शूटर अभिनव बिंद्रा और क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को भी ये सम्मान मिला है. 'सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस' कही जाने वाली टेरिटोरियल आर्मी में वॉलंटियर्स होते हैं जिन्हें मिलिट्री टेनिंग दी जाती है. 9 अक्टूबर, 1949 को टेरिटोरियल आर्मी के पहले कैंप का उद्घाटन हुआ था.
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