इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मोंटी पनेसर (Monty Panesar) ने आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का बहिष्कार (Boycott Lal Singh Chadda) किया है. उनका मानना है कि फिल्म में भारतीय सेना और सिखों का अपमान किया गया है.
मोंटी पनेसर ने कहा है कि इस फिल्म की ओरीजलन कॉपी फोरेस्ट गंप अमेरिकी आर्मी पर फिट बैठी थी, क्योंकि विएतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका उन पुरुषों की भी भर्ती कर रहा था जो मंदबुद्धि थे. मगर भारतीय सेना और सिखों के लिए यह फिल्म शर्मनाक है.
मोंटी पनेसर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर #BoycottLalSinghChadda लिखा है. इनकी कही गई बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाल सिंह चड्ढा को देखकर वे कितना नाराज हैं. इस फिल्म ने उनकी भावनाओं को चोट पहुंचाकर उन्हें निराश किया है. वहीं अब मोंटी पनेसर के इस बयान पर एक तबका अपनी समहति दर्ज कहा रहा है.
फिल्म के मंदबुद्धि जैसा ही बर्ताव हुआ है-
असल में लाल सिंह चड्ढा साल 1994 में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गंप की हिंदी रीमेक है. जिसमें आमिर खान एक सरदार बने हैं, उन्होंने फिल्म में मूर्ख इंसान का किरदार निभाया है. शायद, फिल्म को बनाते समय भारतीय सेना और सिखों के भावनात्मक पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया. यह नहीं सोचा गया कि किसी सिख को एक सैनिक के रूप में दर्शाते समय बारीकियों पर नजर रखनी होती है. जिस समाज में सिखों को मंद बुद्दि समझा जाता है. जिनके बारे में चुटकले बनाए जाते हैं. जिनके बारे में कहा जाता है कि सरदार पागल हो जाते हैं. जिन्हें दिन के 12 बजे के नाम पर ताना मारा जाता है...उसी सरदार को लाल सिंह चड्ढा फिल्म में मंदबुद्धि दिखाया है.
इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मोंटी पनेसर (Monty Panesar) ने आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का बहिष्कार (Boycott Lal Singh Chadda) किया है. उनका मानना है कि फिल्म में भारतीय सेना और सिखों का अपमान किया गया है.
मोंटी पनेसर ने कहा है कि इस फिल्म की ओरीजलन कॉपी फोरेस्ट गंप अमेरिकी आर्मी पर फिट बैठी थी, क्योंकि विएतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका उन पुरुषों की भी भर्ती कर रहा था जो मंदबुद्धि थे. मगर भारतीय सेना और सिखों के लिए यह फिल्म शर्मनाक है.
मोंटी पनेसर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर #BoycottLalSinghChadda लिखा है. इनकी कही गई बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाल सिंह चड्ढा को देखकर वे कितना नाराज हैं. इस फिल्म ने उनकी भावनाओं को चोट पहुंचाकर उन्हें निराश किया है. वहीं अब मोंटी पनेसर के इस बयान पर एक तबका अपनी समहति दर्ज कहा रहा है.
फिल्म के मंदबुद्धि जैसा ही बर्ताव हुआ है-
असल में लाल सिंह चड्ढा साल 1994 में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गंप की हिंदी रीमेक है. जिसमें आमिर खान एक सरदार बने हैं, उन्होंने फिल्म में मूर्ख इंसान का किरदार निभाया है. शायद, फिल्म को बनाते समय भारतीय सेना और सिखों के भावनात्मक पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया. यह नहीं सोचा गया कि किसी सिख को एक सैनिक के रूप में दर्शाते समय बारीकियों पर नजर रखनी होती है. जिस समाज में सिखों को मंद बुद्दि समझा जाता है. जिनके बारे में चुटकले बनाए जाते हैं. जिनके बारे में कहा जाता है कि सरदार पागल हो जाते हैं. जिन्हें दिन के 12 बजे के नाम पर ताना मारा जाता है...उसी सरदार को लाल सिंह चड्ढा फिल्म में मंदबुद्धि दिखाया है.
अभिनेता आमिर खान ने शायद टॉम हैंक्स को कॉपी करने पर कुछ ज्यादा ही जोर दे दिया. इसलिए वे कहानी को भारत देश के हिसाब से दर्शाने में नाकामयाब साबित हुए. यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत देश में किसी मंदबुद्धि इंसान को सेना में भर्ती भी नहीं किया जाता है. सैनिक भर्ती के लिए बकायद मेडिकल टेस्ट होता है. हमारे भारतीय जवान दिमाग से तेज और शरीर से फुर्तीले होते हैं. आमिर खान को तो क्या ही कहें, कम से कम लाल सिंह चड्ढा के डायरेक्टर अद्वैत चंदन को तो भारतीय सेना की सेंसविटी का ख्लाय रखना चाहिए था. क्योंकि सिख और सैनिक दोनों ही मंदबुद्धि नहीं होते हैं.
आमिर खान पहले ही लाल सिंह चड्ढा को लेकर परेशान थे क्योंकि रिलीज से पहले ही सोशल मीडिया पर लागातार लाल सिंह चड्ढा को बायकॉट करने की मांग की जा रही थी. जिसका असर फिल्म की ओपनिंग पर भी पड़ा है. इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पहले दिन फिल्म का कलेक्शन करीब 10-11 करोड़ ही रहा है. फिल्म को रक्षाबंधन हॉलीडे का भी कोई फायदा नहीं मिला. अब अगर आमिर खान की फिल्म की इतनी धीमी शुरुआत होती है, तो कुछ कमियां रही होंगी. वहीं अब मोंटी पनेसर के बयान के बाद फिल्म को नुकसान ही होगा...
हमारे यहां के कुछ निर्माता बड़ी ही आसानी से हॉलीवुड की फिल्मों की कॉपी कर लेते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि वे इतनी मेहनत करके वे किसी फिल्म का रीमेक भारत के लोगों के लिए बनाते हैं ना कि विदेशियों के लिए...परफेक्ट कहलाने वाले अभिनेता भी पहले भारतीयों का दिल दुखाते हैं फिर जब फिल्म फ्लॉप होने का डर सताता है तो मांफी मांगते हैं. अब आप बताइए ऐसे लोगों का क्या ही किया जाए?
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