बॉलीवुड में दोस्ती को लेकर कई तरह की फिल्में बनी हैं. अलग-अलग तरह से दोस्ती दिखाई गई है. लेकिन इनमें से कुछ फिल्में ऐसी हैं जो वाकई किसी के भी दिल में घर कर जाएंगी. कारण इनकी स्टोरी लाइन और दोस्ती दिखाने का अनोखा तरीका. चलिए आज बात करते हैं उन फिल्मों की जिन्होंने दोस्ती को कुछ अलग ढंग से दिखाया है.
1. जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
अगर आपको लगता है कि इस लिस्ट में सबसे पहले दिल चाहता है का नाम होना चाहिए था तो मेरे हिसाब से ये पूरी तरह से सही नहीं है. दिल चाहता है में दोस्ती दिखाई गई थी और तीनों कैरेक्टर अपनी अपनी जिंदगी जी रहे थे दोस्ती के कारण उनकी जिंदगी नहीं बदली थी, लेकिन जिंदगी ना मिलेगी दोबारा में कुछ ऐसा ही हुआ है. अगर स्टोरी लाइन को ध्यान से देखें तो ये समझ आता है कि इस फिल्म में एक खास सीख दी गई है. दोस्त जिंदगी भी बदल सकते हैं, फैसले भी और सोच भी. खुद सोच कर देखिए क्या ऐसा नहीं है?
2. शैतान
अगर इस फिल्म को लिस्ट में देखकर आप हैरान हैं तो आपको बता दूं कि इस फिल्म में भी एक ऐसी दोस्ती दिखाई गई है जिसने सभी दोस्तों की जिंदगी ही बदल दी या यूं कहूं खत्म कर दी. इस फिल्म में भी दोस्ती को अलग एंगल से दिखाया गया है. एक दोस्ती जो आपकी जिंदगी पर ऐसा फर्क डालेगी कि आप उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएंगे. ये वो दोस्ती है जो समाज के एक तब्के में वाकई मौजूद है.
3. एक मैं और एक तू
ये फिल्म अगर आपने नहीं देखी तो मैं इसकी कहानी आपको बता दूं कि इस फिल्म में वो बात बताई गई है जो डीडीएलजे को पूरी तरह से पीछे छोड़ देती है....
बॉलीवुड में दोस्ती को लेकर कई तरह की फिल्में बनी हैं. अलग-अलग तरह से दोस्ती दिखाई गई है. लेकिन इनमें से कुछ फिल्में ऐसी हैं जो वाकई किसी के भी दिल में घर कर जाएंगी. कारण इनकी स्टोरी लाइन और दोस्ती दिखाने का अनोखा तरीका. चलिए आज बात करते हैं उन फिल्मों की जिन्होंने दोस्ती को कुछ अलग ढंग से दिखाया है.
1. जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
अगर आपको लगता है कि इस लिस्ट में सबसे पहले दिल चाहता है का नाम होना चाहिए था तो मेरे हिसाब से ये पूरी तरह से सही नहीं है. दिल चाहता है में दोस्ती दिखाई गई थी और तीनों कैरेक्टर अपनी अपनी जिंदगी जी रहे थे दोस्ती के कारण उनकी जिंदगी नहीं बदली थी, लेकिन जिंदगी ना मिलेगी दोबारा में कुछ ऐसा ही हुआ है. अगर स्टोरी लाइन को ध्यान से देखें तो ये समझ आता है कि इस फिल्म में एक खास सीख दी गई है. दोस्त जिंदगी भी बदल सकते हैं, फैसले भी और सोच भी. खुद सोच कर देखिए क्या ऐसा नहीं है?
2. शैतान
अगर इस फिल्म को लिस्ट में देखकर आप हैरान हैं तो आपको बता दूं कि इस फिल्म में भी एक ऐसी दोस्ती दिखाई गई है जिसने सभी दोस्तों की जिंदगी ही बदल दी या यूं कहूं खत्म कर दी. इस फिल्म में भी दोस्ती को अलग एंगल से दिखाया गया है. एक दोस्ती जो आपकी जिंदगी पर ऐसा फर्क डालेगी कि आप उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएंगे. ये वो दोस्ती है जो समाज के एक तब्के में वाकई मौजूद है.
3. एक मैं और एक तू
ये फिल्म अगर आपने नहीं देखी तो मैं इसकी कहानी आपको बता दूं कि इस फिल्म में वो बात बताई गई है जो डीडीएलजे को पूरी तरह से पीछे छोड़ देती है. हर दोस्ती प्यार में नहीं बदल सकती और प्यार का मतलब सिर्फ दोस्ती तो कतई नहीं है. ये फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस में बुरी तरह से पिट गई हो, लेकिन इस फिल्म ने फेमिनिजम का एक नया आयाम दिखाया था. एक तरफ वो फिल्में जहां हीरो अगर पीछे पड़ता है तो हिरोइन किसी ना किसी वजह से मान ही जाती है और दूसरा वो जो इस फिल्म में दिखाया गया है. ये कि दोस्ती को गलत नहीं समझना चाहिए और लड़की की ना में उसकी हां छुपी होती है.
4. दोस्ताना
दो लड़के एक लड़की के लिए सिर्फ लड़ेंगे और सुलह कभी नहीं करेंगे. अंतिम सीन में जॉन और अभिषेक ने प्रिंयका का दिल जीतने के लिए और उसे ये बताने के लिए कि दोस्ती कितनी जरूरी है एक दूसरे को किस किया था. दोस्ती का ये एक एंगल भी है.
5. आनंद
एक डॉक्टर और एक पेशंट कभी दोस्त नहीं बन सकते. ये बिलकुल झूठ है, ये सच है कि डॉक्टरी पेशे के कुछ नुकसान होते हैं, लेकिन फिर भी आनंद फिल्म में वो दर्द महसूस किया जा सकता है जो एक दोस्त को खोने के बाद दूसरे दोस्त को होता है.
6. मुन्ना भाई एमबीबीएस
मुन्ना: सर्किट बॉडी चाहिए... सर्किट: टेंशन नहीं लेना भाई तुम पढ़ाई पर ध्यान दो अपुन कुछ करता है...
ये बॉस और एम्प्लॉय का रिश्ता नहीं था ये दोस्ती थी जिसे किसी भी हाल में निभना है. जो कहा है वो करना है. ये दोस्ती ही थी कि एक परेशान हो तो दूसरा भी हो जाए. ये दोस्ती ही थी कि किसी भी हाल में साथ देना है बस.
7. इंग्लिश विंग्लिश
ना भाषा एक ना शहर एक और ना मकसद एक फिर भी इंग्लिश क्लास के कुछ स्टूडेंट दोस्त बन जाते हैं. इतने अच्छे दोस्त कि उन्हें एक दूसरे का साथ निभाने के लिए भाषा कि जरूरत नहीं होती.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.