कहावत है हर पीली चीज सोना नहीं होती. इसी तरफ किसी फिल्म में अगर नवाज़ (Nawazuddin Siddiqui) या मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) को डाल दें और बतौर आई कैंडी उसमें कोई सुंदर बाला फिट कर दें और ये सोच लें कि फ़िल्म हिट हो जाए ये भी जरूरी नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग फ़िल्म की मजबूत शिला तो होंगे मगर एक कमज़ोर कड़ी के रूप में वो हॉट सी दिखने वाली एक्ट्रेस संतुलन बनाने में नाकाम होगी जिसका सीधा असर फ़िल्म पर दिखेगा और फ़िल्म औंधे मुंह गिरेगी. बात समझने के लिए हम फ़िल्म 'मिसेज सीरियल' किलर (Mrs Serial Killer Review) का रुख कर सकते हैं. नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज हुई जैकलीन फर्नांडिस (Jacqueline Fernandez) की फ़िल्म (Film) का कुछ वैसा ही हाल हुआ है जिसकी चर्चा तब हुई थी जब इस फ़िल्म का ट्रेलर लांच हुआ था.
अमूमन होता ये है कि व्यक्ति ट्रेलर देख कर फ़िल्म की गुणवत्ता का अंदाजा लगा लेता है. जब हमने मिसेज सीरियल किलर के ट्रेलर को देखा था तो मिला था कि इस फ़िल्म में मनोज बाजपेयी को फिट करने के बावजूद बड़ी कमी रह गई है. निर्देशक ने दर्शकों को बांधे रखने के लिए भारी कन्फ्यूजन पैदा तो किया मगर ट्रेलर में ही चीजें इतनी उलझ गईं थीं कि महसूस हुआ था कि एक अच्छी फिल्म खराब कर दी गयी है. अब जबकि फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गयी है हमारे द्वारा तब लगाए गए ये कयास एकदम सही निकले हैं.
कहावत है हर पीली चीज सोना नहीं होती. इसी तरफ किसी फिल्म में अगर नवाज़ (Nawazuddin Siddiqui) या मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) को डाल दें और बतौर आई कैंडी उसमें कोई सुंदर बाला फिट कर दें और ये सोच लें कि फ़िल्म हिट हो जाए ये भी जरूरी नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग फ़िल्म की मजबूत शिला तो होंगे मगर एक कमज़ोर कड़ी के रूप में वो हॉट सी दिखने वाली एक्ट्रेस संतुलन बनाने में नाकाम होगी जिसका सीधा असर फ़िल्म पर दिखेगा और फ़िल्म औंधे मुंह गिरेगी. बात समझने के लिए हम फ़िल्म 'मिसेज सीरियल' किलर (Mrs Serial Killer Review) का रुख कर सकते हैं. नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज हुई जैकलीन फर्नांडिस (Jacqueline Fernandez) की फ़िल्म (Film) का कुछ वैसा ही हाल हुआ है जिसकी चर्चा तब हुई थी जब इस फ़िल्म का ट्रेलर लांच हुआ था.
अमूमन होता ये है कि व्यक्ति ट्रेलर देख कर फ़िल्म की गुणवत्ता का अंदाजा लगा लेता है. जब हमने मिसेज सीरियल किलर के ट्रेलर को देखा था तो मिला था कि इस फ़िल्म में मनोज बाजपेयी को फिट करने के बावजूद बड़ी कमी रह गई है. निर्देशक ने दर्शकों को बांधे रखने के लिए भारी कन्फ्यूजन पैदा तो किया मगर ट्रेलर में ही चीजें इतनी उलझ गईं थीं कि महसूस हुआ था कि एक अच्छी फिल्म खराब कर दी गयी है. अब जबकि फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गयी है हमारे द्वारा तब लगाए गए ये कयास एकदम सही निकले हैं.
जैकलीन फर्नांडिस और मनोज बाजपेयी की फ़िल्म मिसेज सीरियल किलर होने को तो एक मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म है मगर ढीला स्क्रीनप्ले और कमज़ोर डाइरेक्शन दर्शकों को रिझाने में नाकाम रहा. बात अगर डायलॉग्स की हो तो जैकलीन को निर्देशक की गलत चॉइस कहना कहीं से भी गलत नहीं है वहीं मनोज इस फ़िल्म में भी हमेशा की तरह शानदार रहे हैं.
फ़िल्म के डायरेक्टर शिरीष कुंदर हैं. अगर शिरीष डायरेक्शन तक रहते तब भी ठीक था चूंकि निर्देशन, क्रिएशन और यहां तक कि फ़िल्म के गाने भी उन्होंने ख़ुद लिखे हैं इसे फ़िल्म के पिटने की एक बड़ी वजह माना जा रहा है.
क्या है फ़िल्म की पटकथा.
फ़िल्म में शहर के एक मशहूर डॉक्टर को सीरियल किलिंग के जुर्म में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है. ऐसे में उसकी पत्नी अपने निर्दोष पति को बचाने और उसकी बेगुनाही साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. पत्नी यानी जैकलीन ऐसा बहुत कुछ कर देती हैं जो मिस्ट्री तो नहीं हां मेलो ड्रामा ज़रूर दिखाई दे रहा है.
बात अगर परफॉरमेंस की हो तो फिल्म में जैकलीन फर्नांडिस ने सोना का किरदार निभाया है. वहीं उनके पति डॉक्टर मृत्युंजॉय मुखर्जी के रोल में मनोज बाजपेयी हैं. फ़िल्म में दिखाया गया है कि मृत्युंजॉय उर्फ जॉय एक बड़ा मैटरनिटी होम चलाते हैं जिन्हें इंस्पेक्टर इमरान शाहिद का किरदार निभा रहे मोहित रैना द्वारा सीरियल किलिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है. ये बात सोना को बहुत दुखी करती है और वो अपने पति को बेगुनाह साबित करने का प्लान बनाती है और यहीं स्टोरी वो टर्न लेती है जिसमें दर्शकों को स्क्रीन पर सिवाए कन्फ्यूजन के कुछ और दिखाई नहीं देता.
इस फ़िल्म में मोहित रैना भी हैं और अगर जिक्र उनकी एक्टिंग का हो तो छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाले मोहित रैना को एक सफल एक्टर बनने के लिए अभी भी बहुत कुछ सीखना है. किसी भी कलाकार के लिए अपने एक्सप्रेशन को काबू में रखना हमेशा ही एक बड़ी चीज मानी गयी है और इस मामले में अभी मोहित रैना को खूब काम करना है.
मनोज बाजपेयी और उनका अभिनय इस फ़िल्म की जान है इसलिए जो भी कोई इस फ़िल्म को देखने जा रहा हो वो मनोज बाजपेयी और उनके काम के लिए इस फ़िल्म को ज़रूर देखे.
डाइरेक्शन, स्क्रिप्ट और म्यूज़िक
किसी भी फ़िल्म के हिट या फ्लॉप होने के लिए ये तीन चीजें हमेशा ही जिम्मेदार रही हैं. जिक्र चूंकि मिसेज सीरियल किलर का हुआ है तो इस मामले में भी ऐसा ही है. फ़िल्म पिटी तो इसके लिए सिर्फ एक्टर्स और सपोर्टिंग कास्ट को ही सारा दोष क्यों दिया जाए.
फ़िल्म के इस बुरे ट्रीटमेंट के लिए शिरीष कुंदर की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है. अगर उन्होंने अपना काम सही से किया होता तो ये नौबत न आती और फ़िल्म को दर्शकों की तरफ से अच्छा रिस्पांस मिलता.
बहरहाल, अब जबकि फ़िल्म आ गयी है तो कोई और इससे प्रेरणा ले न ले शिरीष मोहित और जैकलीन इस फ़िल्म से जरूर प्रेरणा लेंगे. यूं भी कहावत है करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान.
ये भी पढ़ें -
Mrs Serial Killer trailer: थ्रिलर संग रोमांस के तड़के ने एक ठीक ठाक फिल्म की लंका लगा दी!
ऋषि कपूर, इरफान खान ने खुद मरकर मार दिया नफरत का वायरस...
Hasmukh Review : अच्छी स्टारकास्ट को अच्छी कहानी मिलती तो और मजा देता हसमुख!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.