ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपने ओरिजनल कंटेंट की बदौलत मनोरंजन के तमाम माध्यमों के बीच अपनी मजबूत जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह की फिल्में ओटीटी पर स्ट्रीम की जा रही हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कुछ भी नया दिखाने की होड़ में अब कंटेंट से ही समझौता किया जाने लगा है. नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, जी5 और डिज्नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी के बीच इस वक्त नए ओरिजनल कंटेंट दिखाने और उसके जरिए अपने सब्सक्राइबर्स बढ़ाने की जंग तेज है. ऐसे में कुछ फिल्म मेकर्स इस मौके का फायदा उठाकर अपनी डिब्बा बंद फिल्मों का डेंट-पेंट करके ओटीटी को बेंच दे रहे हैं. उनकी तो कमाई हो जा रही है, लेकिन ओटीटी के दर्शक ठगे रह जाते हैं. ऐसा कुछ फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' को देखकर लगता है.
इंडियन ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' में दिवंगत अभिनेता इरफान खान अहम रोल में हैं. उनके साथ अभिनेता रणवीर शौरी, लकी अली और दीपल शॉ जैसे कलाकार भी नजर आ रहे हैं. नवनीत बज सैनी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को साल 2007 में ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन उस वक्त कुछ वजहों से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थी. अब फिल्म के निर्माण के 14 साल के लंबे इंतजार और इरफान खान के निधन के 20 महीने बाद इस फिल्म की रिलीज किया गया है. इस फिल्म में साजिद-वाजिद ने संगीत दिया है. इस संगीतकार जोड़ी के वाजिद खान का भी निधन हो चुका है. ऐसे में इस फिल्म को इरफान और वाजिद के लिए श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा सकता है. लेकिन फिल्म बहुत ज्यादा खराब है. अच्छा तो ये होता कि इसे रिलीज ही नहीं किया गया होता.
ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपने ओरिजनल कंटेंट की बदौलत मनोरंजन के तमाम माध्यमों के बीच अपनी मजबूत जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह की फिल्में ओटीटी पर स्ट्रीम की जा रही हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कुछ भी नया दिखाने की होड़ में अब कंटेंट से ही समझौता किया जाने लगा है. नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, जी5 और डिज्नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी के बीच इस वक्त नए ओरिजनल कंटेंट दिखाने और उसके जरिए अपने सब्सक्राइबर्स बढ़ाने की जंग तेज है. ऐसे में कुछ फिल्म मेकर्स इस मौके का फायदा उठाकर अपनी डिब्बा बंद फिल्मों का डेंट-पेंट करके ओटीटी को बेंच दे रहे हैं. उनकी तो कमाई हो जा रही है, लेकिन ओटीटी के दर्शक ठगे रह जाते हैं. ऐसा कुछ फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' को देखकर लगता है.
इंडियन ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' में दिवंगत अभिनेता इरफान खान अहम रोल में हैं. उनके साथ अभिनेता रणवीर शौरी, लकी अली और दीपल शॉ जैसे कलाकार भी नजर आ रहे हैं. नवनीत बज सैनी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को साल 2007 में ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन उस वक्त कुछ वजहों से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थी. अब फिल्म के निर्माण के 14 साल के लंबे इंतजार और इरफान खान के निधन के 20 महीने बाद इस फिल्म की रिलीज किया गया है. इस फिल्म में साजिद-वाजिद ने संगीत दिया है. इस संगीतकार जोड़ी के वाजिद खान का भी निधन हो चुका है. ऐसे में इस फिल्म को इरफान और वाजिद के लिए श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा सकता है. लेकिन फिल्म बहुत ज्यादा खराब है. अच्छा तो ये होता कि इसे रिलीज ही नहीं किया गया होता.
Murder At Teesri Manzil 302 Movie story plot
फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' की कहानी एक बिजनेसमैन अभिषेक दीवान (रणवीर शौरी), उसकी पत्नी माया (दीपल शॉ) और टूरिस्ट गाइड शेखर (इरफान खान) के इर्द-गिर्द घूमती है. दरअसल होता ये है कि अभिषेक दीवान और माया थाइलैंड घूमने जाते हैं. वहां टूरिस्ट गाइड शेखर उनको घूमने में मदद करता है. लेकिन एक दिन माया अपने होटल से गायब हो जाती है. कुछ समय बाद अभिषेक को फिरौती की कॉल आती है, जिसके बाद पता चलता है कि माया का किडनैप हो चुका है. किडनैपर शेखर (इरफान खान) उससे 5 लाख डॉलर की मांग करता है. लेकिन अभिषेक उसे पैसे देने की बजाए पहले पुलिस की मदद लेता है.
माया किडनैपिंग केस तेज तर्रार पुलिस अफसर तेजेन्द्र (लकी अली) के सौंपा जाता है, जो अपनी खूबसूरत असिस्टेंट (नौशीन अली सरदार) के साथ इस केस की जांच करने लगता है. लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिल पाता है. अंत में थककर अभिषेक दीवान शेखर को फिरौती के पैसे दे देता है. शेखर पैसे लेकर जैसे ही अपने फ्लैट पर पहुंचता है, वहां का दृश्य देखकर हैरान रह जाता है. उसके सामने माया की लाश पड़ी होती है. अब यहां बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि माया का कत्ल किसने किया? शेखर ने माया को किडनैप क्यों किया? माया की मौत से किसे फायदा होने वाला था? फिल्म इन्हीं सवालों के जवाब खोजते हुए खत्म हो जाती है.
Murder At Teesri Manzil 302 Movie की समीक्षा
क्राइम-थ्रिलर फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' का निर्देशन नवनीत बज सैनी ने किया है. उन्होंने फिल्म में कई ट्विस्ट और टर्न डालकर दर्शकों को सोचने पर थोड़ा मजबूर तो किया है, लेकिन बहुत सफल नहीं हो पाए हैं. फिल्म को देखकर तो कई बार ऐसा लगता है कि जो जैसे हुआ है, निर्देशक ने वैसा होने दिया है. इसमें निर्देशक की कोशिश कहीं नजर ही नहीं आती. निर्देशक ने तो जो किया सो किया ही, उनकी तकनीकी टीम ने भी उनकी कोई मदद नहीं की है. सिनेमेटोग्राफर रवि वालिया ने थाईलैंड के कुछ बहुत खूबसूरत लोकेशंस को कैप्चर तो किया है, लेकिन सुंदर चीज को सुंदर दिखा देना कोई कलाकारी नहीं होती. कई ऐसे सीन हैं, जहां देखकर लगता है कि यदि कैमरा वर्क सही होता, तो शायद कुछ अच्छा देखने को मिल जाता. फिल्म की एडिटिंग भी दोयम दर्जे की है. ऐसी कहानी के लिए दो घंटे कौन खर्च करता है.
फिल्म की कहानी को बैंकॉक और थाइलैंड को पृष्ठभूमि में रखकर लिखा गया है. ऐसे इसलिए कि यहां हिंदी भी आसानी से लोग बोल लेते हैं. इसलिए फिल्म का टाइटल पहले 'बैंकॉक ब्लूज़' था, लेकिन 14 साल बाद जब इसे ओटीटी पर स्ट्रीम किया गया, तो नाम नया दे दिया गया ताकि नयापन लगे. लेकिन एक डिब्बा बंद फिल्म को बेचने के फिराक में मेकर्स ने इरफान खान के साथ धोखा कर दिया है. इरफान होते तो वो कभी नहीं चाहते कि उनकी ये इस वक्त रिलीज हो. दरअसल, 14 साल पुराने कॉन्सेप्ट, कहानी और तकनीकी पर बनी फिल्म को आज का दर्शक भला क्यों देखना चाहेगा, जब तक कि उसमें कुछ नया और रोचक न हो. इसमें यदि कुछ अच्छा लगता है तो इरफान खान को अभिनय करते देखना. लेकिन इसके लिए उनकी बेहतरीन पुरानी फिल्में देखी जा सकती हैं. कुल मिलाक, फिल्म 'मर्डर एट तीसरी मंजिल 302' को देखना समय की बर्बादी है. यदि आपके पास फालतू समय हो और करने के लिए कुछ भी न हो तो इरफान के लिए इस फिल्म को देख सकते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.