बॉलीवुड की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर लगातार खराब प्रदर्शन कर रही हैं. केवल इस साल रिलीज हुई आधा दर्जन से अधिक फिल्में या तो फ्लॉप रही हैं या फिर डिजास्टर साबित हुई हैं. इनमें कार्तिक आर्यन की फिल्म 'शहजादा' (बजट- 75 करोड़ और कलेक्शन 47 करोड़), अक्षय कुमार की फिल्म 'सेल्फी' (बजट- 110 करोड़ और कलेक्शन 23 करोड़), रणबीर कपूर की फिल्म 'तू झूठी मैं मक्कार' (बजट- 110 करोड़ और कलेक्शन 100 करोड़) और अजय देवगन की फिल्म 'भोला' (बजट- 100 करोड़ और कलेक्शन 79 करोड़) का नाम शामिल है. ये सभी फिल्में बॉलीवुड के बड़े सुपर सितारों की हैं, जिनकी एक वक्त बॉक्स ऑफिस पर तूती बोलती थी. लेकिन आज सुपर फ्लॉप हैं. बिग बजट फिल्मों के लेकर बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि ऐसी फिल्में ही हिंदी फिल्म इंडस्ड्री को बर्बाद करने काम कर रही हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि बिग बजट फिल्मों में न तो कोई कहानी होती है, न ही एक्टिंग और न ही डायरेक्शन. ऐसी फिल्में बड़े सितारों को लेकर फॉर्मूला बेस्ड बनाई जाती हैं. इसकी वजह है कि दर्शक ऐसी फिल्मों को लगातार खारिज कर रहे हैं. जो कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बुरे दौर की तरफ ले जा रही है. नवाजुद्दीन का कहना है, ''बिग बजट फिल्मों में कोई कहानी नहीं होती है. इनमें कुछ गाने ले लिए जाते हैं, जिन्हें कोरियोग्राफर डिजाइन करते हैं. कई फिल्मों में एक्शन होता है, तो उसे एक्शन डिजाइनर तैयार कर देते हैं. इसमें डायरेक्टर या एक्टर क्या करता है, ये समझ से परे है. इसके साथ ही फिल्म मेकर्स कुछ खास एक्टर्स को लेकर फिल्में बनाते हैं, जिन्हें लोग देखना भी नहीं चाहते. एक जनता का एक्टर होता है और दूसरा इंडस्ट्री का. दूसरे वाले वापस आते रहते हैं, लेकिन दर्शक उन्हें पसंद नहीं करते हैं.''
बॉलीवुड की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर लगातार खराब प्रदर्शन कर रही हैं. केवल इस साल रिलीज हुई आधा दर्जन से अधिक फिल्में या तो फ्लॉप रही हैं या फिर डिजास्टर साबित हुई हैं. इनमें कार्तिक आर्यन की फिल्म 'शहजादा' (बजट- 75 करोड़ और कलेक्शन 47 करोड़), अक्षय कुमार की फिल्म 'सेल्फी' (बजट- 110 करोड़ और कलेक्शन 23 करोड़), रणबीर कपूर की फिल्म 'तू झूठी मैं मक्कार' (बजट- 110 करोड़ और कलेक्शन 100 करोड़) और अजय देवगन की फिल्म 'भोला' (बजट- 100 करोड़ और कलेक्शन 79 करोड़) का नाम शामिल है. ये सभी फिल्में बॉलीवुड के बड़े सुपर सितारों की हैं, जिनकी एक वक्त बॉक्स ऑफिस पर तूती बोलती थी. लेकिन आज सुपर फ्लॉप हैं. बिग बजट फिल्मों के लेकर बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि ऐसी फिल्में ही हिंदी फिल्म इंडस्ड्री को बर्बाद करने काम कर रही हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि बिग बजट फिल्मों में न तो कोई कहानी होती है, न ही एक्टिंग और न ही डायरेक्शन. ऐसी फिल्में बड़े सितारों को लेकर फॉर्मूला बेस्ड बनाई जाती हैं. इसकी वजह है कि दर्शक ऐसी फिल्मों को लगातार खारिज कर रहे हैं. जो कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बुरे दौर की तरफ ले जा रही है. नवाजुद्दीन का कहना है, ''बिग बजट फिल्मों में कोई कहानी नहीं होती है. इनमें कुछ गाने ले लिए जाते हैं, जिन्हें कोरियोग्राफर डिजाइन करते हैं. कई फिल्मों में एक्शन होता है, तो उसे एक्शन डिजाइनर तैयार कर देते हैं. इसमें डायरेक्टर या एक्टर क्या करता है, ये समझ से परे है. इसके साथ ही फिल्म मेकर्स कुछ खास एक्टर्स को लेकर फिल्में बनाते हैं, जिन्हें लोग देखना भी नहीं चाहते. एक जनता का एक्टर होता है और दूसरा इंडस्ट्री का. दूसरे वाले वापस आते रहते हैं, लेकिन दर्शक उन्हें पसंद नहीं करते हैं.''
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का मानना है कि बड़े बजट की ज्यादातर फिल्में इन्हीं वजहों से फ्लॉप हो रही हैं. वैसे देखा जाए तो नवाज की बातों में दम है. किसी फिल्म का बजट इसलिए ज्यादा नहीं होता कि उसकी शूटिंग या प्रोडक्शन खर्च ज्यादा होता है. बल्कि इसलिए होता है, क्योंकि उसमें कास्ट किए गए स्टार की फीस ज्यादा होती है. उदाहरण के लिए अक्षय कुमार की फिल्म 'सेल्फी' को ही ले लीजिए. इस फिल्म का बजट 110 करोड़ रुपए है. इस बजट में सबसे बड़ा हिस्सा अक्षय की फीस का होगा. सभी जानते हैं कि वो एक फिल्म के लिए 100 करोड़ रुपए तक चार्ज करते हैं. माना कि फिल्में फ्लॉप होने की वजह से उन्होंने अपनी फीस कुछ कम भी कर दी होगी, तो भी 60 से 70 करोड़ रुपए तक तो लिया ही होगा. ऐसे में बजट का आधे से अधिक हिस्सा तो उन पर ही खर्च हुआ है. उसकी वजह से फिल्म का बजट भी बढ़ गया.
यहां फिल्म 'सेल्फी' का मूल बजट अधिकतम 50 करोड़ रुपए तक हो सकता है. यदि ये फिल्म इसी बजट के साथ रिलीज होती, तो निश्चित तौर पर इसे बहुत ज्यादा घाटा नहीं होता. केवल अक्षय ही नहीं सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, अजय देवगन सहित कई सितारे 100 करोड़ रुपए तक फीस ले रहे हैं. इन सितारों को फिल्मों में लेने का सीधा मतलब है कि फिल्म का बजट बढ़ना. यदि इनकी फीस कम होती, तो फिल्म का बजट कम होता और उस पर ज्यादा पैसे कमाने का दबाव भी नहीं होता. ऐसे में फिल्म मेकर्स के सर्वाइव होने का अवसर ज्यादा रहता. आज ज्यादातर फिल्म मेकर्स ने फिल्में बनाना लगभग बंद कर दिया है. जो बड़े प्रोडक्शन हाऊस बना भी रहे हैं, तो वो भी चुनिंदा फिल्मों पर ही काम कर रहे हैं. जैसे कि यशराज फिल्म्स इस वक्त अपने स्पाई यूनिवर्स की फिल्मों पर फोकस किए हुए हैं.
कुछ दिन पहले ही नवाजुद्दीन ने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर कहा था, ''इसकी जिम्मेदारी फिल्म मेकर्स की होनी चाहिए. एक एक्टर को भला टिकटों की बिक्री के लिए क्यों परेशान किया जाना चाहिए. मैं इसे क्राफ्ट के भ्रष्टाचार के रूप में देखता हूं. बॉक्स ऑफिस को लेकर एक एक्टर को क्यों बात करनी चाहिए? वो सितारे जो अपनी हरेक फिल्म के लिए 100 करोड़ चार्ज करते हैं, वो असल में फिल्मों को नुकसान पहुंचाते हैं. एक छोटे या मामूली बजट की फिल्म कभी फ्लॉप नहीं होती. हर बार किसी फिल्म का बजट जरूरत से ज्यादा होता है, वो तो फ्लॉप ही होगी. एक्टर, डायरेक्टर और कहानीकार कभी फ्लॉप नहीं होते. फिल्मों का बजट है जिसकी वजह से कोई फिल्म हिट या फ्लॉप होती है.'' देखा जाए तो नवाज पिछले कुछ वक्त से बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स के खिलाफ लगातार मुखर हैं. उनके खिलाफ निशाना साध रहे हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बहुत लंबा संघर्ष किया है. नवाज ने सहारनपुर से मुंबई तक के सफर में हर तरह के दिन देखे हैं. कई बार बिना खाए, बिना सोए रहे हैं. अपनी गरीबी के बारे में खुद उन्होंने एक बार कहा था, ''आज जितना बड़ा मेरा पर्सनल बाथरूम है, उतना मेरा घर हुआ करता था. जब मैं मुंबई आया तो मैं बहुत छोटी जगहों पर रुका, जिन्हें मैं चार और स्ट्रगलिंग एक्टर्स के साथ शेयर करता था. वो कमरा इतना छोटा था कि यदि मैं दरवाजा खोलूं तो किसी के पैरों में लग जाता था क्योंकि हम सब जमीन पर बिस्तर लगाकर सोया करते थे. धीरे-धीरे मैंने तीन लोगों के साथ कमरा शेयर करना शुरू कर दिया. फिर दो लोगों के साथ. साल 2005 में मैंने अकेले रहना शुरू किया.'' उनके पास आज करोड़ों का बंगला है, लेकिन व्यक्तिगत जीवन परेशानियों से भरा है. उनकी पत्नी के साथ चल रहे झगड़े के बारे में सभी जानते हैं.
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