फ़िल्म इंडस्ट्री में चाहे नेपोटिज्म हो या टैलेंट, स्टार किड्स पहले भी आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे. चाहे इनकी कितनी भी आलोचना हो जाए, लेकिन हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री, साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री हो या हॉलीवुड ही क्यों न हो, स्टार किड्स एक ऐसी सच्चाई की तरह हैं, जिन्हें आउटसाइडर्स के साथ ही फैंस और दर्शकों को भी फेस करना पड़ेगा. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नेपोटिज्म और बॉलीवुड के इनसाइडर-आउटसाइडर को लेकर लंबी बहस चली. इसके बाद आलिया भट्ट, सोनम कपूर, सोनाक्षी सिन्हा समेत स्थापित स्टार किड्स को एक-एक कर फैंस ने घेरा और इन स्टार्स की खूब ट्रोलिंग हुई. लेकिन इससे कुछ बदलेगा नहीं, क्योंकि स्टार किड्स को फ़िल्मों में आने से कोई नहीं रोक सकता. रोकना भी नहीं चाहिए, क्योंकि ये पसंद और मौके की बात है. जैसे इंजीनियर, डॉक्टर और सरकारी बाबू कोशिश में रहते हैं कि उनका बच्चा भी उनका फील्ड ही चुने, उसी तरह बड़े स्टार्स या उनके बच्चे भी इस कोशिश में रहते हैं कि अगर उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में काम मिल जाए तो क्या बात होगी. और अगर उनमें टैलेंट है तो फिर सोने पर सुहागा.
हालांकि, इन सबके बीच एक बात जानना बेहद जरूरी है कि स्टार किड्स भले फ़िल्म इंडस्ट्री में आसानी से आ जाएं, लेकिन वह स्थापित तभी हो पाएंगे, जब उन्हें दर्शकों का प्यार मिलेगा. दर्शकों के प्यार के लिए स्टार किड्स को कड़ी मेहनत करनी होती है. हर साल सैकड़ों स्टार किड्स फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़ते हैं, लेकिन उनमें कुछ ही अपनी पहचान बना पाते हैं. हमारे सामने सूरज पंचोली, फरदीन खान, सिकंदर खेर, तनीषा मुखर्जी, अध्ययन सुमन, उदय चोपड़ा समेत कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें मौके तो मिले, लेकिन वे दर्शकों की नजर में नहीं आ सके. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि या तो इन्होंने फ़िल्मों में ढंग से एक्टिंग नहीं की या दुनिया ने इन्हें ठीक से पहचाना नहीं. अभिषेक बच्चन जैसे स्टार भी बीते 20 साल से मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब तक इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल नहीं कर सके हैं, जिसकी ख्वाहिश रखते थे. वैसे हमारे सामने ऋतिक रोशन का भी उदाहरण हैं, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया.
फ़िल्म इंडस्ट्री में चाहे नेपोटिज्म हो या टैलेंट, स्टार किड्स पहले भी आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे. चाहे इनकी कितनी भी आलोचना हो जाए, लेकिन हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री, साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री हो या हॉलीवुड ही क्यों न हो, स्टार किड्स एक ऐसी सच्चाई की तरह हैं, जिन्हें आउटसाइडर्स के साथ ही फैंस और दर्शकों को भी फेस करना पड़ेगा. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नेपोटिज्म और बॉलीवुड के इनसाइडर-आउटसाइडर को लेकर लंबी बहस चली. इसके बाद आलिया भट्ट, सोनम कपूर, सोनाक्षी सिन्हा समेत स्थापित स्टार किड्स को एक-एक कर फैंस ने घेरा और इन स्टार्स की खूब ट्रोलिंग हुई. लेकिन इससे कुछ बदलेगा नहीं, क्योंकि स्टार किड्स को फ़िल्मों में आने से कोई नहीं रोक सकता. रोकना भी नहीं चाहिए, क्योंकि ये पसंद और मौके की बात है. जैसे इंजीनियर, डॉक्टर और सरकारी बाबू कोशिश में रहते हैं कि उनका बच्चा भी उनका फील्ड ही चुने, उसी तरह बड़े स्टार्स या उनके बच्चे भी इस कोशिश में रहते हैं कि अगर उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में काम मिल जाए तो क्या बात होगी. और अगर उनमें टैलेंट है तो फिर सोने पर सुहागा.
हालांकि, इन सबके बीच एक बात जानना बेहद जरूरी है कि स्टार किड्स भले फ़िल्म इंडस्ट्री में आसानी से आ जाएं, लेकिन वह स्थापित तभी हो पाएंगे, जब उन्हें दर्शकों का प्यार मिलेगा. दर्शकों के प्यार के लिए स्टार किड्स को कड़ी मेहनत करनी होती है. हर साल सैकड़ों स्टार किड्स फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़ते हैं, लेकिन उनमें कुछ ही अपनी पहचान बना पाते हैं. हमारे सामने सूरज पंचोली, फरदीन खान, सिकंदर खेर, तनीषा मुखर्जी, अध्ययन सुमन, उदय चोपड़ा समेत कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें मौके तो मिले, लेकिन वे दर्शकों की नजर में नहीं आ सके. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि या तो इन्होंने फ़िल्मों में ढंग से एक्टिंग नहीं की या दुनिया ने इन्हें ठीक से पहचाना नहीं. अभिषेक बच्चन जैसे स्टार भी बीते 20 साल से मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब तक इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल नहीं कर सके हैं, जिसकी ख्वाहिश रखते थे. वैसे हमारे सामने ऋतिक रोशन का भी उदाहरण हैं, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया.
अनन्या पांडे और ईशान खट्टर की फ़िल्म Khaali Peeli पर दिख रहा असर
फिलहाल जिन स्टार किड्स पर सबकी निगाहें टिकी हैं, वो हैं अनन्या पांडे और ईशान खट्टर. अनन्या पांडे चंकी पांडे की बेटी हैं और उन्होंने धर्मा प्रोडक्शंस की फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर से फ़िल्म में डेब्यू किया था. वहीं ईशान खट्टर ने साल 2017 में ईरानी डायरेक्टर माजिद मजीदी की फ़िल्म बियॉन्ड द क्लाउड्स से बॉलीवुड में एंट्री मारी थी. बाद में वह जान्ह्वी कपूर के साथ धड़क फ़िल्म में भी दिखे. ईशान खट्टर शाहिद कपूर के सौतेले भाई और राजेश खट्टर के बेटे हैं. अब अनन्या और ईशान एक साथ नजर आने वाले हैं. अनन्या पांडे और ईशान खट्टर की फ़िल्म खाली पीली का टीजर रिलीज हुआ है. ईशान, अनन्या के साथ ही जयदीप अहलावत और सतीश कौशिक अभिनीत इस फ़िल्म का निर्देशन मकबूल खान ने किया है और इसे प्रोड्यूस किया है अली अब्बास जफर ने. खाली पीली के टीजर में अनन्या और ईशान की जोड़ी खूब जम रही है और दोनों अच्छे लग रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इन दोनों को लेकर नेपोटिज्म और स्टार किड्स की बहस शुरू हो गई है. साथ ही खाली पीली के टीजर को भी डिसलाइक करने का दौर शुरू हो गया है. खाली पीली के टीजर को 25 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है, जिसमें 6 लाख ने से ज्यादा डिसलाइक्स ही मिले हैं.
जल्द ही ये स्टार किड्स लेंगे बॉलीवुड में एंट्री
आपको बता दूं कि अगर आपको नेपोटिज्म या स्टार किड्स की फ़िल्मों में एंट्री को लेकर कुछ संदेह या गुस्सा है तो आप अपने जज़्बात को समझाना शुरू कर दें कि स्टार किड्स फ़िल्मों में आते ही रहेंगे, चाहे वह एक्टर-एक्ट्रेस के रूप में हों या प्रोड्यूसर-डायरेक्टर के रूप में. फिलहाल तो स्टार किड्स की नई फसल तैयार हो रही है, जिनमें शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान, दिवंगत श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर, संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर, अमिताभ बच्चन की नाती नव्या नवेली, चंडी पांडे के भांजे और फिटनेस एक्सपर्ट डियाना पांडे के बेटे अहान पांडे, सलमान खान की भांजी अलिजा अग्निहोत्री, सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी, आमिर खान की बेटी इरा खान, मलाइका अरोड़ा के बेटे अरहान खान, इम्तियाज अली की बेटी इदा अली, अनुराग कश्यप की बेटी आलिया कश्यप समेत ढेरों न्यूकमर हैं, आगे चलकर एक्टिंग और डायरेक्शन में किस्मत चमकाने की कोशिश करते दिखेंगे और फिर दुनिया इनसे नेपोटिज्म और फेवरिज्म से जुड़े सवाल करेंगी.
आलिया, श्रद्धा और टाइगर ने खुद को साबित किया
बीते कुछ वर्षों की बात करें तो कई ऐसे स्टार किड्स हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और काम के मौकों से साबित किया है कि वह फ़िल्म इंडस्ट्री में टैलेंट के दम पर काफी दूर जाने वाले हैं. इनमें आलिया भट्ट, श्रद्धा कपूर और टाइगर श्रॉफ सबसे अच्छे उदाहरण के तौर पर दिखते हैं. आलिया और टाइगर ने तो फ़िल्मों में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है. श्रद्धा भी बड़ी-बड़ी फ़िल्मों में देखी जाती हैं. इन सबसे इतर प्रनूतन बहल, साईं मांजरेकर, सारा अली खान, जान्ह्वी कपूर, करण देओल, सूरज पंचोली, आलिया इब्राहिम समेत कई अन्य एक्टर-एक्ट्रेस खुद को साबित करने में लगे हुए हैं. दरअसल, फ़िल्म इंडस्ट्री में जितने आउटसाइडर्स आते हैं, उनसे संख्या में थोड़े ही कम इनसाइडर्स भी होते हैं, बस खेल है तो मौका मिलने का. स्टार किड्स के साथ ये प्लस पॉइंट होता है कि उन्हें किसी न किसी तरह से फ़िल्मों में ब्रेक मिल जाता है और आउटसाइडर्स को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. लेकिन इन सबके बीच सबसे अहम टैलेंट ही होता है. अगर स्टार किड्स के पास टैलेंट नहीं होगा तो वह कितनी भी कोशिशों के बाद भी फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित नहीं हो पाएगा. वहीं अगर आउटसाइडर्स के पास टैलेंट और धैर्य है तो आज न कल वो जरूर फ़िल्म इंडस्ट्री में खुद को स्थापित कर लेंगे.
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