ये जो दुनिया है न! ये दुनिया... ये एक नहीं तीन दुनिया है. सबसे ऊपर स्वर्ग लोक जिसमें देवता रहते हैं. बीच में धरती लोक जिसमें आदमी रहते हैं और सबसे नीचे पाताल लोक जिसमें कीड़े रहते हैं वैसे तो ये शास्त्रों में लिखा हुआ है पर मैंने व्हाट्सऐप पर पढ़ा है...
इस डायलॉग के साथ होती है शुरुआत 'पाताल लोक' (Paatal Lok) की. अमेज़न प्राइम (Amazon Prime) पर रिलीज हुई 9 एपिसोड की इस सीरीज को लेकर जैसे कयास लगाए जा रहे थे नज़ारा कुछ वैसा ही है. क्या सोशल मीडिया क्या एंटरटेनमेंट से जुड़ी खबरें हर जगह नीरज काबी और जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) छाए हुए हैं. मिर्जापुर (Mirzapur) और सेक्रेड गेम्स (Sacred Games) के बाद अब पाताल लोक वो सीरीज है जिसमें रियलिस्टिक अप्रोच के जरिये क्राइम थ्रिलर को दिखाया गया है. जैसी एक्टिंग इसमें कलाकारों ने की है उसने उन शिकायतों को दूर कर दिया है जो भारतीय दर्शक लंबे समय से करते आ रहे थे. अमेज़न प्राइम पर दर्शकों द्वारा हाथों हाथ ली जा रही इस सीरीज में हर वो एलिमेंट है जिनकी उन दर्शकों को चाह थी जिन्हें थ्रिलर और सस्पेंस पसंद है. 9 एपिसोड की इस सीरीज की सभी कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हैं इसलिए दावा ये भी किया जा रहा है कि दर्शक जब एक बार देखना शुरू करेगा तो पूरा खत्म करके ही उठेगा.
पाताल लोक एक अच्छी सीरिज साबित होगी. इस बात की तस्दीख तब ही कर दी गयी थी जब इसका ट्रेलर आया था. कहा जा रहा था सेक्रेड गेम्स और मिर्जापुर के बाद ये पहली बार होगा जब एक बिल्कुल नए तरह के ट्रेंड की शुरुआत होगी. अब जबकि सीरीज हमारे सामने हैं तो इसे देखकर बस इतना ही कहा जा सकता है कि पूर्व में कही गईं वो तमाम बातें बिल्कुल सही साबित हुई हैं. सीरीज देखने पर महसूस...
ये जो दुनिया है न! ये दुनिया... ये एक नहीं तीन दुनिया है. सबसे ऊपर स्वर्ग लोक जिसमें देवता रहते हैं. बीच में धरती लोक जिसमें आदमी रहते हैं और सबसे नीचे पाताल लोक जिसमें कीड़े रहते हैं वैसे तो ये शास्त्रों में लिखा हुआ है पर मैंने व्हाट्सऐप पर पढ़ा है...
इस डायलॉग के साथ होती है शुरुआत 'पाताल लोक' (Paatal Lok) की. अमेज़न प्राइम (Amazon Prime) पर रिलीज हुई 9 एपिसोड की इस सीरीज को लेकर जैसे कयास लगाए जा रहे थे नज़ारा कुछ वैसा ही है. क्या सोशल मीडिया क्या एंटरटेनमेंट से जुड़ी खबरें हर जगह नीरज काबी और जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) छाए हुए हैं. मिर्जापुर (Mirzapur) और सेक्रेड गेम्स (Sacred Games) के बाद अब पाताल लोक वो सीरीज है जिसमें रियलिस्टिक अप्रोच के जरिये क्राइम थ्रिलर को दिखाया गया है. जैसी एक्टिंग इसमें कलाकारों ने की है उसने उन शिकायतों को दूर कर दिया है जो भारतीय दर्शक लंबे समय से करते आ रहे थे. अमेज़न प्राइम पर दर्शकों द्वारा हाथों हाथ ली जा रही इस सीरीज में हर वो एलिमेंट है जिनकी उन दर्शकों को चाह थी जिन्हें थ्रिलर और सस्पेंस पसंद है. 9 एपिसोड की इस सीरीज की सभी कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हैं इसलिए दावा ये भी किया जा रहा है कि दर्शक जब एक बार देखना शुरू करेगा तो पूरा खत्म करके ही उठेगा.
पाताल लोक एक अच्छी सीरिज साबित होगी. इस बात की तस्दीख तब ही कर दी गयी थी जब इसका ट्रेलर आया था. कहा जा रहा था सेक्रेड गेम्स और मिर्जापुर के बाद ये पहली बार होगा जब एक बिल्कुल नए तरह के ट्रेंड की शुरुआत होगी. अब जबकि सीरीज हमारे सामने हैं तो इसे देखकर बस इतना ही कहा जा सकता है कि पूर्व में कही गईं वो तमाम बातें बिल्कुल सही साबित हुई हैं. सीरीज देखने पर महसूस होगा कि इसमें बहुत कुछ ऐसा दिखाया गया है जो हमारे आस पास घटता है. जिनका सामना हम जाने अनजाने हर रोज़ करते हैं.
अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन और सुदीप शर्मा के निर्देशन में बनी ये सीरीज क्राइम थ्रिलर के मद्देनजर इसलिए भी मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि नीरज काबी, जयदीप अहलावत, अभिषेक बनर्जी और गुल पनाग जैसे एक्टर्स के अलावा सपोर्टिंग कास्ट तक ने अपना काम इतना बखूबी किया है कि शायद ही कोई इसमें किसी तरह की कोई कमी निकाल पाए. पाताल लोक की इन तारीफों के बीच हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि सबसे पहले हम कहनी को समझें. तो आइए जानें क्या है पाताल लोक की कहानी.
कहानी
कहानी की शुरुआत होती है एक होटल से जहां 4 लोग एक सीनियर जॉर्नलिस्ट संजीव मेहरा (नीरज काबी) को मारने की प्लानिंग करते हैं. इसके बाद दिल्ली के एक ब्रिज यानी पुल से पुलिस इन चारों कॉन्ट्रैक्ट किलर्स को साजिश और मर्डर के आरोप में गिरफ्तार करती है. क्योंकि आला अधिकारी केस को ओपन एंड शट केस मान रह हैं इसलिए खाना पूर्ति के नाते ये केस दिल्ली के आउटर जमुनापार थाने में तैनात इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) को दिया जाता है.
केस में कई पहलू हैं जिन्हें हाथीराम सुलझाना चाहता है मगर चीजें कुछ इस तरह उलझती हैं कि स्वयं हाथी राम भी कंफ्यूज हो जाता है और उसे वो तमाम बातें पता चलती हैं जिनके मद्देनजर चारों लोग कॉन्ट्रैक्ट किलर बने थे. इस सीरीज में दो लोगों यानी संजीव मेहरा और हाथीराम चौधरी के संघर्षों को भी दिखाया गया है कहीं न कहीं दोनों ही अपने जीवन में फेल हैं और समाज के सामने अपने को प्रूव करना चाहते हैं.
सीधे शब्दों में कहें तो अमेज़न प्राइम पर आई इस सीरिज की कहानी में मीडिया है, पुलिस है, नौकरशाही है, कॉरपोरेट कल्चर है, कम्पटीशन और सबको धक्का देते हुए आगे निकलने की होड़ है. सिरीज़ की कहानी उम्दा है और आप इससे तभी रिलेट कर पाएंगे जब आप इसे देखें और अपने आस पास घटने वाले अपराध को समझने का प्रयास करें.
तो क्यों देखना चाहिए पाताल लोक
यूं तो कुछ भी देखना एक बेहद निजी फैसला है. मगर इस सीरीज को इसलिए भी देखना चाहिए क्योंकि निर्देशक सुदीप शर्मा ने रियलिस्टिक अप्रोच के जरिये पुलिस, मीडिया और नौकरशाही की तल्ख हकीकत को हमारे सामने रखा है. इसके बाद कलाकारों की परफॉरमेंस वो दूसरा अहम कारण हैं जिसे जानकर हमारे लिए इसे देखना ज़रूरी हो जाता है.
ध्यान रहे कि निर्देशक सुदीप शर्मा इससे पहले एनएच10 और उड़ता पंजाब का निर्देशन कर चुके हैं. वो जानते हैं कि वो कौन कौन सी डिटेलिंग है जो एक कहानी को हिट बनाती हैं. बात इस वेब सीरीज की हो तो भाषा से लेकर कलाकारों के चयन तक हर चीज को साधारण रखा गया है जो इस सीरीज की यूएसपी है. कहानी में इतने ट्विस्ट एंड टर्न हैं कि कब आप इससे जुड़ जाएंगे आपको पता ही नहीं चलेगा. कहानी की डिटेलिंग चूंकि बहुत उम्दा है इसलिए आपको कहीं से भी ऐसा नहीं लगेगा कि सीरीज अपना प्लाट छोड़ रही है.
एक्टिंग
जैसा कि हम बता चुके हैं कि इस वेब सीरीज को देखने का सबसे बड़ा कारण अगर निर्देशन के अलावा कुछ है तो वो इसकी एक्टिंग है. चाहे नीरज काबी हों या जयदीप अहलावत या फिर बाकी के कलाकार सभी ने अपने अपने रोल को पूरी शिद्दत से निभाया है.
नीरज जहां एक पत्रकार की भूमिका में फिट बैठे हैं वहीं गैंग्स ऑफ वासेपुर में शाहिद की भूमिका निभाने वाले जयदीप ने एक ऐसे पुलिस वाले का रोल निभाया है जो सिस्टम को जनता है और साथ ही ये भी जानता है कि ये सिस्टम इतना मजबूत है कि इससे अकेले नहीं लड़ा जा सकता.
वहीं जयदीप के साथी बने इश्वाक सिंह ने भी अपने अभिनय से जयदीप का पूरा साथ दिया है जो अपने आप में सोने पर सुहागा है. चूंकि कहानी में ट्विस्ट है इसलिए इस सीरीज में ऐसा बहुत कुछ है कि दर्शक जब एक बार इसे देखना शुरू करेगा वो इसे पूरा ख़त्म करके ही उठेगा.
क्या बताता है टेक्नीकल पक्ष
इस बात में कोई शक नहीं है कि सीरीज़ का टेक्नीकल पक्ष बहुत मजबूत है. चूंकि ये एक क्राइम थ्रिलर है इसलिए इसकी शूटिंग भी इसी लिहाज से की गई है यानी ज्यादातर शूटिंग रियल लोकशन पर हुई है. सीरीज का कैमरा वर्क और लाइटिंग शानदार है जो इसे रियल फील देती है. सीरीज में जहां जहां भी हिंसक दृश्य है उन्हें जिस लिहाज से शूट किया गया है देखकर एहसास होगा कि ये वास्तविक हैं और ये सब हमारे आस पास घट रहा है.
कहां रह गयी कमी
वेब सीरीज या ये कहें कि क्राइम थ्रिलर के मामले में अभी भारतीय निर्देशकों को और मेहनत की ज़रुरत है. तो उन्हें इस बात को समझना होगा कि आप बेवजह की मार-धाड़ और अपशब्द दिखाकर स्क्रिप्ट को भारी नहीं बना सकते. चूंकि इसमें गालियों का भरसक प्रयोग किया है इसलिए कहीं न कहीं दर्शक सीरीज देखते हुए अपने को असहज महसूस कर सकता है.
सीरीज की शुरुआत तो अच्छी हुई मगर जैसे जैसे आप आगे बढ़ते हैं आपको महसूस होगा कि पिछली कहानी दिखाने के चक्कर में एपिसोड्स स्लो कर दिए गए हैं. निर्देशक और प्रोडूसर को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जब आप ऐसा कुछ बना रहे हों तो इसकी कंटीन्यूटी बरक़रार रखें.
कई बार ऐसा होता है कि ज्यादा क्रिएटिव होने या बेहतरीन दिखाने के चक्कर में निर्देशक प्लाट से हट जाते हैं और जब वो वापस लौटते हैं तब तक देर हो चुकी होती है. चूंकि इस सीरीज में नेता और मीडिया के रिश्ते का जिक्र हुआ है तो बता दें कि इस सीरीज में कई ऐसे भी दृश्य हैं जो राजनितिक दृष्टिकोण से बहुत संवदेनशील हैं जिन्हें देखकर कहीं न कहीं आप असहज हो सकते हैं.
बहरहाल, ओटीटी और वेब सीरीज के इस दौर में 'पाताल लोक' एक ऐसी सीरीज है जो आपको बिलकुल नया अनुभव देगी. इसमें इस हद तक रोमांच है कि देखते हुए कई मौके ऐसे आएंगे जब आप दांतों तले अंगुलियां दबाने पर मजबूर हो जाएंगे.
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