पठान के ट्रेलर दर ट्रेलर से ये साबित हो रहा है कि शाह रुख खान का 'कमबैक' इतना आसान नहीं है. वे पठान के ट्रेलर के जरिये दर्शकों को जो मैसेज देना चाहते हैं, वह बहुत ठीक से समझ लिया गया है.
पठान के ट्रेलर ने साबित कर दिया कि सात साल से कमबैक का प्रयास कर रहे शाह रुख खान को अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा. शायद जवान या डंकी उनकी कमबैक फिल्म बने. YRF की पठान औसत, आउटडेटेड वीडियोगेम कॉन्टेंट की वजह से फ्लॉप हो जाएगी. बात दूसरी है कि जर्मनी या दुबई में ब्लॉकबस्टर भी हो जाए. बॉलीवुड की खराब फ़िल्में भी पैसा कमाने में उस्ताद हैं. खान्स की पिछली फ्लॉप फिल्मों को ही देख लीजिए.
पठान की तारीफ़ या निंदा में 100 शब्द से ज्यादा भी लिखना दी ग्रेट शाहरुख खान की तौहीन है:
नाम बड़े और दर्शन छोटे. मैं अपने शब्द बचाकर रख रहा हूं. पठान कम्प्यूटर की मदद से बनाई गई औसत से भी कमजोर और बेहद नकली फिल्म है. कम्प्यूटर पर ही बनी शाह रुख खान की रा-वन इससे बेहतर है. पठान में बैनर, एक्टर्स के 'नाम' के सिवाय कुछ भी बड़ा नहीं. कुछ भी नहीं का मतलब कुछ भी नहीं ही है. समर्थकों-निंदकों को चाहिए कि अब जवान (कमबैक ही कही जाएगी) के लिए एनर्जी बचाएं. खुदा के लिए 25 जनवरी के बाद बर्बादी पर किसी बायकॉट को दोष ना दें. पठान अपनी मौत का सामान खुद लेकर आ रहा है.
पठान-शाहरुख खान की ये 13 कहानियां आपका नजरिया और साफ करेंगी:-
पठान के ट्रेलर ने साबित कर दिया कि सात साल से कमबैक का प्रयास कर रहे शाह रुख खान को अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा. शायद जवान या डंकी उनकी कमबैक फिल्म बने. YRF की पठान औसत, आउटडेटेड वीडियोगेम कॉन्टेंट की वजह से फ्लॉप हो जाएगी. बात दूसरी है कि जर्मनी या दुबई में ब्लॉकबस्टर भी हो जाए. बॉलीवुड की खराब फ़िल्में भी पैसा कमाने में उस्ताद हैं. खान्स की पिछली फ्लॉप फिल्मों को ही देख लीजिए.
पठान की तारीफ़ या निंदा में 100 शब्द से ज्यादा भी लिखना दी ग्रेट शाहरुख खान की तौहीन है:
नाम बड़े और दर्शन छोटे. मैं अपने शब्द बचाकर रख रहा हूं. पठान कम्प्यूटर की मदद से बनाई गई औसत से भी कमजोर और बेहद नकली फिल्म है. कम्प्यूटर पर ही बनी शाह रुख खान की रा-वन इससे बेहतर है. पठान में बैनर, एक्टर्स के 'नाम' के सिवाय कुछ भी बड़ा नहीं. कुछ भी नहीं का मतलब कुछ भी नहीं ही है. समर्थकों-निंदकों को चाहिए कि अब जवान (कमबैक ही कही जाएगी) के लिए एनर्जी बचाएं. खुदा के लिए 25 जनवरी के बाद बर्बादी पर किसी बायकॉट को दोष ना दें. पठान अपनी मौत का सामान खुद लेकर आ रहा है.
पठान-शाहरुख खान की ये 13 कहानियां आपका नजरिया और साफ करेंगी:-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.