पीयूष मिश्रा हरफनमौला कलाकारों में शुमार किए जाते हैं और बेबाकी के लिए मशहूर हैं. ड्रग मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की रिहाई को लेकर उनकी प्रतिक्रया आई है. इसपर बात भी हो रही है. 46 साल की उम्र में बॉलीवुड में करियर शुरू करने वाले पीयूष मिश्रा ने दरअसल, इशारों-इशारों में शाहरुख खान को अपने बेटे को संभालने की सलाह दी है. पीयूष ने शाहरुख के साथ दिल से में स्क्रीन साझा कर चुके है. एक इंटरव्यू में आर्यन खान की बेल से जुड़े सवाल पर एक्टर ने कहा- "मेरी प्रतिक्रिया क्या होगी. उसको बेल मिल गई."
पीयूष ने कहा- "अब शाहरुख खान जाने, उनका बेटा जाने या समीर वानखेड़े जाने. मुझे उससे क्या मतलब है? ठीक है हो गया. जो किया है वो भुगतेंगे आप. अपने अपने बच्चों को संभालिए, बस यही है." बॉलीवुड से कुछ गिने चुने लोगों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी बड़े सितारों ने आर्यन खान मामले में शाहरुख के बेटे को निर्दोष बताते हुए सपोर्ट किया. जिन ए लिस्टर सितारों ने सपोर्ट नहीं किया वे भी पूरे मामले में चुप ही रहे. वैसे पीयूष का अपना अंदाज है और उनकी प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है कि शाहरुख समेत तमाम लोगों से बच्चों को संभालने के लिए कह रहे हैं.
आर्यन पर पीयूष की प्रतिक्रया को लेकर बिल्कुल हैरान नहीं होना चाहिए. वे बेल्लौस हैं. जो उनके बारे में पढ़ते सुनते हैं, उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता है. एक्टर खुद को वामपंथी बताते हैं मगर कई बार इंटरव्यूज में वामपंथियों को आड़ेहाथ भी ले चुके हैं और एक उम्र में सबको वामपंथी बनने की सलाह तो देते ही हैं लेकिन एक वक्त के बाद उससे बाहर निकलने को भी कहते हैं. बहुत साल पहले बीबीसी से बातचीत में एक सवाल पर उन्होंने कहा था- "मैं लेफ्टिस्ट रहा हूं. वैसे भी जो 22 में वामपंथी न हो उसकी जिंदगी बेकार है और जिसने 30 में वामपंथ न छोड़ दिया वो भी बेकार है." मिहिर पांड्या के ब्लॉग पर प्रकाशित वरुण ग्रोवर के साथ इंटरव्यू में भी उन्होंने मार्क्सवाद को लेकर कुछ ऐसा ही कहा था.
पीयूष मिश्रा शाहरुख खान के साथ दिल से में काम कर चुके हैं.
वरुण ग्रोवर से एक्टर ने कहा था- "लेफ्ट बहुत अच्छा है एक उमर तक…उसके बाद में लेफ्ट आपको…या तो आप लेफ्टिस्ट हो जाओ…लेफ्टिस्ट वाली पार्टी में मिल जाओ…तब आप बहुत सुखी… (तब) लेफ्ट आपके जीवन का ज़रिया बन सकता है. और अगर आप लेफ्ट आइडियॉलजी के मारे हो… तो प्रॉब्लम यह है कि आप देखिए कि आप किसका भला कर रहे हो? सोसाइटी का भला नहीं कर सकते, एक हद से आगे. सोसाइटी को हमारी ज़रूरत नहीं है. कभी भी नहीं थी. आज मैं पीछे मुड़ के देखता हूं तो लगता है कि (लेफ्ट के शुरुआती दिनों में भी) ज़िंदा रहने के लिए, फ्रेश बने रहने के लिए, एक्टिव रहने के लिए (ही) किया था तब… बोलते तब भी थे की ज़माने के लिए सोसाइटी के लिए किया है."
वैचारिक जकड़न में पीयूष ने काफी चीजें छोड़ी हैं. शायद बताने की जरूरत नहीं कि सलमान खान से पहले ब्लॉक बस्टर रोमांटिक ड्रामा "मैंने प्यार किया" ऑफर हुई मगर पीयूष निर्माताओं के बुलाने के बावजूद मिलने तक नहीं गए. उस वक्त मसाला फिल्मों के मुकाबले उन्हें थियेटर और तमाम दूसरी चीजें ही पसंद आ रही थीं. मुंबई 40 साल की उम्र में गए. यह उम्र कम से कम बॉलीवुड में हीरो बनने की तो नहीं कही जा सकती. पीयूष को काम भी 46 साल की उम्र में मिला और उसके बाद तो उन्होंने गुलाल और गैंग्स ऑफ़ वासेपुर जैसी कई फिल्मों में बेजोड़ काम किया. फिल्मों में गाने लिखे और गाए भी. पीयूष ने मसाला फिल्मों में भी काम किया. लेकिन जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा गुमनामी में बिताया. हालांकि एक्टर को किसी चीज के मिलने और छूटने का कभी पछतावा नहीं रहा.
लगता है कि पूर्व वामपंथी और कांग्रेसी नेता कन्हैया कुमार ने वामपंथ और उसकी व्यावहारिकता को लेकर पीयूष के दर्शन को बढ़िया से समझ लिया है. पूजा के दौरान की उनकी वायरल तस्वीर इस बात का गवाह मानी जा सकती है. तीस की उम्र के बाद वामपंथी बने रह के भला कन्हैया अपना राजनीतिक करियर क्यों ही खराब करें.
वैसे आर्यन खान मामले में पीयूष की सलाह उनके पुराने वैचारिक दोस्तों को शायद ठीक ना लगे.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.