किसी का बैकग्राउंड उसे एक अच्छा मौका दिला सकता है, लेकिन निरंतर सफलता पाने के लिए इंसान को खुद संघर्ष करना होता है. मेहनत करनी होती है. अपने टैलेंट के दम पर मिले हुए मौके को भुनाना पड़ता है. ऐसा करने वाला समय के साथ सफलता के सोपान पर होता है. ऐसे ही सफल लोगों में से एक राम चरण भी हैं. राम चरण इस वक्त किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनको सुपर स्टार, मेगा स्टार और पैन इंडिया स्टार, न जाने कितने तमगों से नवाजा जा रहा है, क्योंकि उनकी फिल्म 'आरआरआर' को ऑस्कर अवॉर्ड मिल चुका है. उनकी फिल्म पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी है. लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि राम चरण अरसे पहले बॉलीवुड में ऐसे फ्लॉप हुए थे कि फिर कभी उन्होंने इधर का रुख नहीं किया. पर आज कई हिंदी निर्माता-निर्देशक उन्हें साइन करना चाहते हैं.
फिल्म 'आरआरआर' की बंपर सफलता के बाद पैन इंडिया सुपर स्टार बन चुके राम चरण अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं. राम चरण साउथ सिनेमा के मशहूर सितारे चिरंजीवी के बेटे हैं. उनके पिता तेलुगू सिनेमा के स्थापित नाम हैं. उन्होंने हिंदी, तमिल सहित कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया है. इसके साथ ही वो साउथ सिनेमा के उन सितारों में से हैं, जिनकी फिल्में सबसे पहले डब होकर हिंदी में आईं और खूब चलीं. उन्होंने 'प्रतिबंध' जैसी कई हिंदी फिल्मों में किया, जिन्होंने रिकॉर्ड बिजनेस किया. लेकिन जिस दौर में चिरंजीवी का सिक्का चल रहा था, वो अपने घरवालों को फिल्मों से दूर रख रहे थे. खासकर अपने बच्चों को. इसके बावजूद गुप्त तरीके से राम चरण की फिल्मों के लिए ट्रेनिंग चल रही थी. एक वक्त ऐसा भी आया जब चिरंजीवी ने खुद बेटे को कहा कि वो फिल्मों के लिए बना है.
ऐसे में क्या कहा जाए कि एक...
किसी का बैकग्राउंड उसे एक अच्छा मौका दिला सकता है, लेकिन निरंतर सफलता पाने के लिए इंसान को खुद संघर्ष करना होता है. मेहनत करनी होती है. अपने टैलेंट के दम पर मिले हुए मौके को भुनाना पड़ता है. ऐसा करने वाला समय के साथ सफलता के सोपान पर होता है. ऐसे ही सफल लोगों में से एक राम चरण भी हैं. राम चरण इस वक्त किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनको सुपर स्टार, मेगा स्टार और पैन इंडिया स्टार, न जाने कितने तमगों से नवाजा जा रहा है, क्योंकि उनकी फिल्म 'आरआरआर' को ऑस्कर अवॉर्ड मिल चुका है. उनकी फिल्म पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी है. लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि राम चरण अरसे पहले बॉलीवुड में ऐसे फ्लॉप हुए थे कि फिर कभी उन्होंने इधर का रुख नहीं किया. पर आज कई हिंदी निर्माता-निर्देशक उन्हें साइन करना चाहते हैं.
फिल्म 'आरआरआर' की बंपर सफलता के बाद पैन इंडिया सुपर स्टार बन चुके राम चरण अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं. राम चरण साउथ सिनेमा के मशहूर सितारे चिरंजीवी के बेटे हैं. उनके पिता तेलुगू सिनेमा के स्थापित नाम हैं. उन्होंने हिंदी, तमिल सहित कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया है. इसके साथ ही वो साउथ सिनेमा के उन सितारों में से हैं, जिनकी फिल्में सबसे पहले डब होकर हिंदी में आईं और खूब चलीं. उन्होंने 'प्रतिबंध' जैसी कई हिंदी फिल्मों में किया, जिन्होंने रिकॉर्ड बिजनेस किया. लेकिन जिस दौर में चिरंजीवी का सिक्का चल रहा था, वो अपने घरवालों को फिल्मों से दूर रख रहे थे. खासकर अपने बच्चों को. इसके बावजूद गुप्त तरीके से राम चरण की फिल्मों के लिए ट्रेनिंग चल रही थी. एक वक्त ऐसा भी आया जब चिरंजीवी ने खुद बेटे को कहा कि वो फिल्मों के लिए बना है.
ऐसे में क्या कहा जाए कि एक सुपरस्टार ने अपने बेटे में छिपी अभिनय प्रतिभा को पहचान लिया था या फिर उसके अंदर का पिता जग गया था. साउथ के सितारों की जिस तरह की सभ्यता और संस्कृति है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि किसी ने भी अपनी 'लेगेसी' का नाजायज फायदा नहीं उठाया है. ऐसा नहीं है कि वहां नेपोटिज्म नहीं है. वहां तो बॉलीवुड से कहीं ज्यादा फिल्मी खानदान हैं, जिनकी कई पीढ़ियां फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. लेकिन एक बात जो साउथ सिनेमा और बॉलीवुड को इस मामले में अलग करती है, वो है सबको समान अवसर. वहां बाहरी कलाकार को भी उसी तरह से मौका दिया जाता है, जैसे कि स्टार के बच्चे को मिलता है. यदि ऐसा नहीं होता तो ऐसे कई एक्टर और एक्ट्रेस जो आज बॉलीवुड में सफल हैं, उन्होंने अपने करियर की शुरूआत साउथ सिनेमा से ही की है.
खैर, पिता के कहने पर राम चरण फिल्मों में आ गए. उनकी पहली फिल्म 'चिरुथा' (चीता) साल 2007 में रिलीज हुई. पुरी जगन्नाथ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में राम चरण के साथ नेहा शर्मा, प्रकाश राज और आशीष विद्यार्थी जैसे कलाकार अहम रोल में थे. इस एक्शन फिल्म की मेकिंग बहुत मेहनत से की गई थी. इसके एक एक्शन सीक्वेंस को फिल्माने के लिए 70 लाख रुपए तक खर्च कर दिए गए थे. यही वजह है कि फिल्म रिलीज के बाद बॉक्स ऑफिस पर हिट हो गई. इसने उस वक्त 22 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. इस फिल्म के लिए राम चरण को कई अवॉर्ड भी मिले थे. इनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड (बेस्ट मेल डेब्यू) और नंदी स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड शामिल है. इस तरह उनकी पहली फिल्म ने ही उनको फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने का काम कर दिया था. आगे फिल्म सलेक्शन अहम था.
इसी वक्त एसएस राजामौली की नजर राम चरण पर पड़ी. उन्होंने अपनी फिल्म 'मगधीरा' में बतौर लीड एक्टर साइन कर लिया. ये राजामौली के करियर की सातवीं फिल्म थी. लेकिन इसमें उन्होंने बहुत अलग तरह का प्लान किया था. इस फिल्म को बनाने में 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जिसमें से ज्यादातर पैसा स्पेशल विजुएल इफेक्ट्स और वीएफएक्स पर खर्च किए गए थे. इस फिल्म से पहले इस स्तर का स्पेशल इफेक्ट्स किसी फिल्म में इस्तेमाल नहीं किया गया था. सही मायने में कहें तो किसी फिल्म मेकर ने इस स्तर पर जाकर सोचा ही नहीं था. राजामौली की सोच का कमाल था कि रिलीज के बाद फिल्म ब्लॉकबस्टर हो गई. इसे बहुत ज्यादा पसंद किया गया. इसका वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 150 करोड़ है, जो कि साल 2009 के समय में एक बड़ी बात थी. उस वक्त फिल्मों की कमाई कम थी.
फिल्म 'मगधीरा' ने राम चरण के करियर को बूम दे दिया. इसके बाद उन्होंने आधा दर्जन से अधिक फिल्मों में काम किया. इसमें 'जंजीर' जैसी बॉलीवुड की सुपर फ्लॉप फिल्म शामिल थी, तो वहीं 'रंगस्थलम' जैसी सुपर डुपर हिट फिल्म भी शामिल है. 'रंगस्थलम' ने राम चरण के करियर को एक नई ऊंचाई दी थी. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राजामौली के साथ काम करने का फैसला किया. उनको कालजयी फिल्म 'आरआरआर' में बतौर लीड एक्टर कास्ट किया गया. इस फिल्म के लिए तीन साल तक लगातार मेहनत करने के बाद राम चरण आज इस मुकाम पर स्थापित हो चुके हैं. बिना हिंदी फिल्मों में काम किए हिंदी बेल्ट में लोकप्रिय हो चुके हैं. फिल्म 'आरआरआर' की सफलता और ऑस्कर में 'नाटू नाटू' के झंडे गाड़ने के बाद हर तरफ उनकी चर्चा है. बॉलीवुड तो छोड़िए हॉलीवुड के प्रोड्यूसर उनको अपनी फिल्मों में काम करने का ऑफर दे रहे हैं. लॉस एंजेलिस में ऑस्कर सेरेमनी के दौरान एक प्रोड्यूसर से उनकी बात बन भी गई है. हालांकि, उन्होंने अभी इसका खुलासा नहीं किया है, लेकिन फिल्म साइन हो चुकी है.
उनके पिता चिरंजीवी तो मानो खुशी के मारे फूले नहीं समां रहे हैं. क्योंकि उनके बेटे ने भाषा की सारी दीवारे तोड़ते हुए एक नया मानक स्थापित कर दिया है. चिरंजीवी को शायद साल 1989 की वो बात नहीं भूलती होगी, जब उनकी फिल्म 'रुद्रवीना' को एक अवॉर्ड सेरेमनी में नरगिस दत्त अवॉर्ड दिया जाना था. एक रात पहले सेलेब्रिटीज के लिए पार्टी थी. वहां एक वॉल पर भारतीय सिनेमा का इतिहास बताया गया था, लेकिन इसमें साउथ इंडियन एक्टर्स का जिक्र ना के बराबर था. चिरंजीवी को ये बात बहुत अपमानित करने वाली लगी. उन्होंने ने बाद में कुछ हिंदी फिल्मों में काम किया, जो हिट भी रहीं. लेकिन, 34 साल बाद अब वो बहुत खुश होंगे क्योंकि उनका बेटा राम चरण उस फिल्म से जुड़ा है, जिसने भाषा की सरहदें खत्म कर दी है. राम चरण को हिंदी पट्टी में भी ऐसी पहचान मिल रही है, मानो वो बॉलीवुड के सुपर स्टार ही हों. स्टार किड होते हुए भी राम चरण ने अपनी मेहनत से अपना मुकाम बनाया है. आज वो जो कुछ भी हैं, अपनी मेहनत, लगन और सच्चे स्वभाव की वजह से हैं.
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