नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद के आरोपों ने फिल्म इंडस्ट्री खासकर बॉलीवुड का बहुत नुकसान किया है. पिछले दो साल के अंदर बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई बॉलीवुड के सुपर सितारों की फिल्में इस बात की गवाह है. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद तो नेपोटिज्म के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा. इस वजह से सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों ने बॉलीवुड फिल्मों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया. माना कि नेपोटिज्म दीमक की तरह फिल्म इंडस्ट्री को खोखला कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच में कुछ स्टार किड्स ऐसे भी हैं, जिनको मौका तो मिला अपने किसी रिश्तेदार की वजह से, लेकिन उन्होंने अपना मुकाम और नाम अपनी मेहनत के दम पर बनाया है. ऐसे स्टार किड्स की फेहरिस्त में साउथ सिनेमा के सुपर स्टार राम चरण का नाम भी दर्ज है.
मुख्यत: तेलुगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले अभिनेता राम चरण की फिल्म 'आरआरआर' इस वक्त पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है. इस फिल्म के गाने 'नाटू नाटू' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद पूरे देश में खुशी की लहर है. फिल्म की टीम लॉस एंजेलिस में एकेडमी अवॉर्ड इवेंट में हिस्सा लेने के बाद स्वदेश लौट रही है. इसी के तहत फिल्म के लीड एक्टर राम चरण दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में हिस्सा लिया. यहां बातचीत के दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के सवाल जो कुछ कहा वो बायकॉट गैंग की हवा निकालने के लिए काफी है. दरअसल, अभिनेता से पूछा गया कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के बारे में वो क्या सोचते हैं? इस उन्होंने कहा, ''देखिए पत्रकार का बेटा पत्रकार बनने की इच्छा रख सकता है. एक डॉक्टर का बेटा भी डॉक्टर बनने के बारे में सोच सकता है और बन भी सकता है.''
नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद के आरोपों ने फिल्म इंडस्ट्री खासकर बॉलीवुड का बहुत नुकसान किया है. पिछले दो साल के अंदर बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई बॉलीवुड के सुपर सितारों की फिल्में इस बात की गवाह है. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद तो नेपोटिज्म के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क उठा. इस वजह से सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों ने बॉलीवुड फिल्मों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया. माना कि नेपोटिज्म दीमक की तरह फिल्म इंडस्ट्री को खोखला कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच में कुछ स्टार किड्स ऐसे भी हैं, जिनको मौका तो मिला अपने किसी रिश्तेदार की वजह से, लेकिन उन्होंने अपना मुकाम और नाम अपनी मेहनत के दम पर बनाया है. ऐसे स्टार किड्स की फेहरिस्त में साउथ सिनेमा के सुपर स्टार राम चरण का नाम भी दर्ज है.
मुख्यत: तेलुगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले अभिनेता राम चरण की फिल्म 'आरआरआर' इस वक्त पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है. इस फिल्म के गाने 'नाटू नाटू' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद पूरे देश में खुशी की लहर है. फिल्म की टीम लॉस एंजेलिस में एकेडमी अवॉर्ड इवेंट में हिस्सा लेने के बाद स्वदेश लौट रही है. इसी के तहत फिल्म के लीड एक्टर राम चरण दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में हिस्सा लिया. यहां बातचीत के दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के सवाल जो कुछ कहा वो बायकॉट गैंग की हवा निकालने के लिए काफी है. दरअसल, अभिनेता से पूछा गया कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के बारे में वो क्या सोचते हैं? इस उन्होंने कहा, ''देखिए पत्रकार का बेटा पत्रकार बनने की इच्छा रख सकता है. एक डॉक्टर का बेटा भी डॉक्टर बनने के बारे में सोच सकता है और बन भी सकता है.''
''इसी तरह मेरा भी शुरू से फिल्मों में काम करने के प्रति झुकाव रहा है. मैं एक फिल्म फैमिली में पैदा हुआ हूं. उसी में पलकर बड़ा हुआ हूं. मेरी पैदाइश फिल्म स्कूल में हुई है. मैं इस कला को नजदीक से देखता रहा हूं. इसके बारे में समझता हूं. इसे जीता हूं. ऐसे में मेरा यहां होना किसी को हैरान नहीं करता है. मैं ये मानता हूं कि कोई आपको आसानी से एक अवसर उपलब्ध करा सकता है, लेकिन वो आपकी बाह पकड़कर आगे नहीं ले सकता. मैं पिछले 14 साल से फिल्म इंडस्ट्री में वो अपनी मेहनत की बदौलत हूं. यहां कोई भी कलाकार अपनी प्रतिभा की बदौलत ही सफल हो सकता है. प्रतिभा बोलती है. यदि किसी कलाकार में प्रतिभा नहीं है. उसे अपना काम अच्छे से नहीं आता है, तो दर्शक उसे नकार देंगे. कोई भी अपना कीमती पैसा किसी बेकार कलाकार के ऊपर खर्च करने नहीं जाएगा.'' राम चरण सुपरस्टार चिरंजीवी के बेटे हैं.
यहां नेपोटिज्म को लेकर राम चरण ने जो कहा, वो पूरी तरह से सही है. क्योंकि बिना प्रतिभा और मेहनत के कोई भी किसी भी क्षेत्र में लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए बॉलीवुड के कुछ स्टार किड्स को ही ले लीजिए. यहां दो तरह के उदाहरण देखने को मिलते हैं. एक तरफ कई बड़े सुपर सितारों के बच्चे भव्य लॉन्चिंग के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में अपने पांव पर खड़े नहीं हो पाए, जैसे कि अभिषेक बच्चन, तुषार कपूर, फरदीन खान और वरुण धवन. वहीं दूसरी तरफ कुछ स्टार किड्स ने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर अपना मुकाम बना लिया है, जैसे कि आलिया भट्ट, जॉन्हवी कपूर और सारा अली खान. अभिषेक तो सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बेटे हैं, जो कि 80 साल की उम्र में भी सक्रिय है. उनकी डिमांड भी है. ऐसे में चाहते तो अभिषेक बच्चन को सुपरस्टार बना देते.
लेकिन अभिषेक बच्चन में उनके जैसी प्रतिभा और मेहनत नहीं है. यही वजह है कि वो एक औसत कलाकार बनकर रह गए. अभिनेता जितेंद्र के बेटे तुषार कपूर तो कुछ फिल्मों में काम करने के बाद खुद ब खुद बाहर हो गए. यही हाल फरदीन खान और वरुण धवन का है. वरुण भी अपने करियर के ढलान पर हैं. इसके उलट आलिया भट्ट ने अपनी मेहनत से अपने उपर लगे नेपोटिज्म के दाग को पूरी तरह से धो दिया है. उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह की फिल्में की हैं, उनमें उनका अभिनय देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. 'हाईवे', 'राजी', उड़ता पंजाब', 'डियर जिंदगी' और 'गंगूबाई काठियावाड़ी' जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को देख लीजिए, उनकी प्रतिभा का लोह मान जाएंगे. इसी तरह सारा अली खान और जॉन्हवी कपूर भी स्टार किड्स होने के बावजूद अपने अभिनय कौशल से लोगों का मन मोह रही हैं.
इंडिया टुडे कॉनक्लेव के मंच पर राम चरण ने नेपोटिज्म के साथ कई अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखी हैं. इसी दौरान उन्होंने ये भी बताया कि जब वो अपनी पहली फिल्म करने जा रहे थे, तो पिता चिरंजीवी के पास पहुंचे. तब उनके पिता उनको सीख दी थी कि अपने स्टाफ का सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. राम चरण ने बताया, ''मेरे पिता चिरंजीवी ने मुझे मेरी पहली फिल्म के समय सिखाया था कि स्टाफ का ध्यान रखो. उनकी इज्जत करो. यदि उन्होंने तुम्हारे बारे में बात करना शुरू कर दिया तो तुम्हारा करियर खत्म हो जाएगा. तो मैं हमेशा अपने स्टाफ का ध्यान रखता हूं. मेरा मेकअप मैन, मैनेजर, स्टाइलिस्ट. मेरी फिल्म फ्लॉप भी हो जाए तो भी मैं अपने स्टाफ का ख्याल रखता हूं.'' इतना ही नहीं उन्होंने अपने मैनेजर प्रवीण, हेयर और मेकअप आर्टिस्ट विपिन और गौरव को मंच पर बुलाकर सबसे मिलवाया भी.
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