एक वक़्त था जब बॉलीवुड में चौड़े कंधे, मजबूत बाजू और हल्का सा पेट लिए धर्मेन्द्र सबसे मजबूत और फिटनेस के मामले में टॉप के सितारे कहलाते थे. विनोद खन्ना, फिरोज़ खान, सुनील दत्त आदि उस समय के अभिनेता भी फिट ही कहलाते थे. उनकी मजबूत कद काठी और चौड़ा शरीर दर्शकों को इन्सपाइर करता था. इनके बाद भी, सनी देओल, संजय दत्त, सुनील शेट्टी आदि स्टार्स फिट भी रहते थे और गर्व से बताते थे कि उन्हें छोले भटूरे पसंद हैं या वो आलू पराठा बहुत शौक से खाते हैं. वहीं युग बदला और प्रदर्शनी का दौर आया. आज की डेट में देखते ही देखते एक के बाद एक अभिनेता खुद को स्लिम, सिक्स पैक एब्स और दुबला रखने की दौड़ में बिना सोचे समझे भागे जा रहे हैं.
आज आप देखें, तो फिट रहने का मतलब है कि आप पतले दिखें, आपकी बॉडी में ढेरों कट्स हों जो लोगों को देखने में आकर्षक लगें. लेकिन इस फिटनेस की कीमत क्या है? इस फिटनेस की कीमत है अपने रेगुलर खाने से हाथ धो बैठना और उस भोजन का सेवन करना जो न स्वाद में कहीं टिकता है और न ही शरीर को किसी काबिल छोड़ रहा है. जी हां, आपको ये बात ज़रा अजीब लगे पर ये मेरी आब्ज़रवेशन है कि उबला खाना या मैं सभ्य तरीके से लिखूं तो डाइट फूड, लो फैट या फैटलेस फूड, लो कलोरी फूड इन स्टार्स को देखने में तो बहुत आकर्षक बना रहा है पर कहीं न कहीं ये अंदर से खोखला भी कर रहा है. वरना सोचिए, फिटनेस के लिए 3-3 घंटे जिम में पसीना बहाने वाले स्टार्स जैसे वरुण धवन, आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, आमिर खान, भूमि पेडनेकर, विकी कौशल आदि क्यों कोविड 19 की चपेट में आ गए हैं?
मेरी इस बात को पुख्ता यानी श्योर अक्षय कुमार के कोविड पाज़िटिव होने ने किया है. सोचिए, इंडस्ट्री के फिटनेस फ्रीक,...
एक वक़्त था जब बॉलीवुड में चौड़े कंधे, मजबूत बाजू और हल्का सा पेट लिए धर्मेन्द्र सबसे मजबूत और फिटनेस के मामले में टॉप के सितारे कहलाते थे. विनोद खन्ना, फिरोज़ खान, सुनील दत्त आदि उस समय के अभिनेता भी फिट ही कहलाते थे. उनकी मजबूत कद काठी और चौड़ा शरीर दर्शकों को इन्सपाइर करता था. इनके बाद भी, सनी देओल, संजय दत्त, सुनील शेट्टी आदि स्टार्स फिट भी रहते थे और गर्व से बताते थे कि उन्हें छोले भटूरे पसंद हैं या वो आलू पराठा बहुत शौक से खाते हैं. वहीं युग बदला और प्रदर्शनी का दौर आया. आज की डेट में देखते ही देखते एक के बाद एक अभिनेता खुद को स्लिम, सिक्स पैक एब्स और दुबला रखने की दौड़ में बिना सोचे समझे भागे जा रहे हैं.
आज आप देखें, तो फिट रहने का मतलब है कि आप पतले दिखें, आपकी बॉडी में ढेरों कट्स हों जो लोगों को देखने में आकर्षक लगें. लेकिन इस फिटनेस की कीमत क्या है? इस फिटनेस की कीमत है अपने रेगुलर खाने से हाथ धो बैठना और उस भोजन का सेवन करना जो न स्वाद में कहीं टिकता है और न ही शरीर को किसी काबिल छोड़ रहा है. जी हां, आपको ये बात ज़रा अजीब लगे पर ये मेरी आब्ज़रवेशन है कि उबला खाना या मैं सभ्य तरीके से लिखूं तो डाइट फूड, लो फैट या फैटलेस फूड, लो कलोरी फूड इन स्टार्स को देखने में तो बहुत आकर्षक बना रहा है पर कहीं न कहीं ये अंदर से खोखला भी कर रहा है. वरना सोचिए, फिटनेस के लिए 3-3 घंटे जिम में पसीना बहाने वाले स्टार्स जैसे वरुण धवन, आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, आमिर खान, भूमि पेडनेकर, विकी कौशल आदि क्यों कोविड 19 की चपेट में आ गए हैं?
मेरी इस बात को पुख्ता यानी श्योर अक्षय कुमार के कोविड पाज़िटिव होने ने किया है. सोचिए, इंडस्ट्री के फिटनेस फ्रीक, फिटेस्ट एक्टर अक्षय जो रोज़ सुबह चार बजे उठकर कसरत करते हैं, बिना मसाले और घी-वसा का उबला हुआ नाश्ता करते हैं और सारा दिन सुपर चार्ज रहते हैं, इंडस्ट्री में उनकी फिटनेस की मिसालें दी जाती हैं, वो च्यवनप्राश खाने की सलाह दूसरों को देते हैं तो खुद कैसे कोरोना संकरण की चपेट में आ सकते हैं.
मैं ये नहीं कहता हूं कि तला भुना खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है, बल्कि मैं ये बताना चाहता हूं कि सेहतमंद होने और आकर्षक होने में बहुत बड़ा फ़र्क होता है जो धीरे-धीरे लोगों की समझ से हटता जा रहा है. लेकिन उस फ़र्क को समझने से पहले ये जानते हैं कि कोरोना वायरस किस तरह अटैक करता है. कोरोना वायरस किसी भी लोहे, प्लास्टिक, मटेरियल पर 6 से 18 घंटे तक एक्टिव रह सकता है. सर्दी में समय थोड़ा बढ़ जाता है, गर्मी में ज़रा कम हो जाता है.
अब उस जगह, जहां ये वायरस किसी इंसान के सलाइवा (थूक) में मिला बहुत सूक्ष्म रूप में, यानी 100 नैनोमीटर सा बारीक कहीं छुपा बैठा है और आपने वहां हाथ लगा लिया तो ये वायरस आपके हाथ पर भी कुछ समय तक ज़िंदा रह सकता है. अब आप इस हाथ को अगर अपने मुंह, नाक या आंख में लगाओगे तो वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है. कर सकता है, करेगा ही करेगा ये ज़रूरी नहीं है.
लेकिन यहां तक भी आपको डरने की ज़रुरत नहीं है. क्योंकि हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता इस वायरस को शरीर में प्रवेश करते ही मार गिराती है. इसी को आप आम भाषा में इम्युनिटी कहते हैं. ये स्वस्थ शरीर की इम्युनिटी बहुत स्ट्रांग होती है, वहीं किसी रोग ग्रस्त शरीर में, या अस्वस्थ शरीर की इम्युनिटी कमज़ोर होती है. ऊपर बताया गया प्रोसेस सिर्फ एक कोरोना के लिए ही नहीं, हर कन्टेजियस या छुआछूत से फैलने वाली बीमारी का फॉर्मूला है.
अब आप सोचिए, एक स्टार जिसकी ज़िन्दगी में सबकुछ सलीके से, सनीटाइज़ किया मौजूद होता हो, दसियों लड़के सिर्फ और सिर्फ साफ़-सफ़ाई के लिए अवेलेबल रहते हों, मास्क, डिस्टेंस हर चीज़ का बहुत अच्छे से ध्यान रखा जाता हो, फिर सबसे इम्पोर्टेन्ट, अपनी फिटनेस पर वही स्टार इतना ध्यान देता हो वो वायरस से संक्रमित होता है तो उनकी फिटनेस पर मेरे जैसे आम शख्स का शक़ करना लाज़मी हो जाता है.
अब ये तो एक स्टार की ज़िन्दगी थी, आइए आम शख्स की ज़िन्दगी जानते हैं. आम भारतीय सुबह हाथ मुंह धोकर नहाकर देसी नाश्ता करता है. पराठे या पोहा वगैरह खाता है, मेट्रो के भरोसे हाथ सनीटाइज़ कर लेता है लेकिन फिर घूम-फिरकर रास्ते में कुछ न कुछ खाते हुए ऑफिस पहुंच जाता है. यहां वो बाजार के छोले-भठूरे सरीखा लंच करता है. इसी तरह शाम को भी कुछ न कुछ बाहर से खाता हुआ घर चला जाता है. घर आकर दाल-रोटी-सब्ज़ी-चावल वाला प्रॉपर खाना खाता है और अगर कहीं कोई तकलीफ़ लगे तो दूध में हल्दी मिला पीकर सो जाता है.
ये एक आम भारतीय की ज़िंदगी है. भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है और पिछले डेढ़ साल में कोई एक करोड़ मरीज़ (जानकारी में) कोरोना से संक्रमित हुए हैं. बेशक ये एक बहुत बड़ा आंकड़ा है लेकिन इसमें संतोष की बात ये भी है कि हमारी विशालकाय आबादी का ये एक प्रतिशत भी नहीं है. भारत में अभी भी खाना अच्छे से पकाकर खाने की रिवायत है, यहां हल्दी-जायफल-मिर्च-दालचीनी-इलायची आदि को सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं बल्कि ज़रूरी माना जाता है.
फिटनेस के पीछे भागते इन स्टार्स को लगता है कि बिना वसा का खाना इनकी सेहत बना रहा है पर हो न हो ये कहीं न कहीं अंदर से कमज़ोर होते जा रहे हैं. ऊपर से, हर तरफ हेल्थी फ़ूड का ऐसा प्रोपेगंडा मचा है कि लोग हमारे तले भुने खाने को सेहत के लिए सबसे बुरा मानते हैं. इन दिनों की किताबें भी यही सिखाने लगी हैं. बहुत से लड़के लड़कियां तो आजकल मोबाइल में कोई एप लिए घूमते हैं सिर्फ ये देखने के लिए कि जो वो खाने वाले हैं उसमें कितनी कैलोरीज़ हैं. ये वो चीज़ें हैं जो बताई जा रही हैं.
अब वही मैं वो बताता हूं जो मैं देखता हूं, वर्षों से हमारे देश के बुज़ुर्गों को हम देखते आए हैं. जिन्हें डॉयबिटीज़ नहीं है, वो अक्सर 75 की उम्र के बाद भी भुना-तला नॉन-वेज तक खाते मिलते हैं. खूब काम करते, यहां वहां दौड़ते भागते नज़र आते हैं. उनकी पाचन शक्ति इतनी मजबूत होती है कि घी का डब्बा भी पी जाएं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती, बल्कि उसी शाम फिर पूछते मिलते हैं कि खाने में क्या है?
पंजाब के आप किसी भी गांव शहर में जाइए, वहां किसी भी रेंडम गुरुद्वारे में घुसिए, मत्था टेकिए और लंगर भवन पहुंचिए. अब यहां पूरे दिन बैठकर बस सेवादारों पर नज़र रखिए. ये सेवादार आपको 80 साल तक के मिलेंगे और एक साथ में 15 किलो की बाल्टी लिए सेवा करते, सबको लंगर कराते 5 से 6 घंटे तक लगातार काम करते नज़र आयेंगे. मेरी नज़र में ये फिटनेस है.
मैं मानता हूं कि ये शो बिजनेस है. यहां, बॉलीवुड में जो दिखता है वही बिकता है, बेचना ज़रूरी भी है लेकिन साथ-साथ ये भी समझना ज़रूरी है कि व्यापार से पहले जान है, पहला सुख निरोगी काया है. बॉलीवुड स्टार्स के करोड़ों फैंस को भी ये समझने की ज़रुरत है कि उन्हें अपने स्टार की कौन सी आदत कॉपी करनी है और कौन सी नहीं, ख़ासकर लड़कियों को तो निश्चित ही ये समझने की ज़रुरत है कि सिर्फ पतली कमर रखना ही फिट होना नहीं होता, आपको ध्यान रखना होगा कि फिटनेस के चक्कर में आप अंदर से खोखले न हो जाएं. कोरोना से बचाव ही कोरोना की हार है, मास्क ज़रूर पहने, अपने आसपास साफ़ सफ़ाई रखें, साफ़ स्वच्छ खाएं और स्वस्थ रहें.
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