ड्रग्स (Drugs) और नेपोटिस्म (Nepotism) को लेकर भले ही आज बॉलीवुड (Bollywood) की अलोचना हो रही हो और उसे अराजकता का अड्डा कहा जा रहा हो. मगर इसी बॉलीवुड ने एक लंबे समय तक दर्शकों का ध्यान खींचा है. बात कारणों की हो तो वजह थी एक्टर्स और उनका काबिल ए तारीफ अभिनय. आज का दिन यानी 29 सिंतबर समर्पित है एक ऐसे एक्टर को जिसने अपने शुरुआती दिन मुफ़लिसी और तंगहाली में तो गुजारे लेकिन जब उसे पहचान मिली तो फिर उसने पलट के नहीं देखा. उस एक्टर की एक्टिंग आज भी तमाम एक्टिंग स्कूल्स (Acting Schools) में सिलेब्स का हिस्सा है. जिस एक्टर की बात हमने की है उसका नाम है 'महमूद' (Mehmood) आज महमूद का बर्थडे (Birthday) है. कहने को तो महमूद एक कॉमेडियन (Comedian) थे मगर किसी स्क्रिप्ट राइटर की स्क्रिप्ट के लिए महमूद कितने ज़रूरी थे इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि जब बात पेमेंट की आती थी तो उस आमुक फ़िल्म (Film) में काम करने वाले एक्टर के मुकाबले महमूद को कहीं ज्यादा पैसे मिलते थे.
जिस जिस ने पर्दे पर लोगों को हंसाते या फिर रुलाते हुए महमूद को देखा उसके लिए ये कहना शायद अतिशयोक्ति न हो कि न तो महमूद जैसा कोई हुआ है और न ही कभी होगा. महमूद के बारे में मशहूर है कि उनका अंदाज ऐसा था कि उन्हें पर्दे पर देखने मात्र से ही दर्शक चहक उठते थे. तकरीबन 300 फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाने वाले महमूद आज भी सिनेमा के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए किसी इंस्टिट्यूट से कम नहीं हैं.
दर्शकों की तालियां किसी भी कलाकार के लिए...
ड्रग्स (Drugs) और नेपोटिस्म (Nepotism) को लेकर भले ही आज बॉलीवुड (Bollywood) की अलोचना हो रही हो और उसे अराजकता का अड्डा कहा जा रहा हो. मगर इसी बॉलीवुड ने एक लंबे समय तक दर्शकों का ध्यान खींचा है. बात कारणों की हो तो वजह थी एक्टर्स और उनका काबिल ए तारीफ अभिनय. आज का दिन यानी 29 सिंतबर समर्पित है एक ऐसे एक्टर को जिसने अपने शुरुआती दिन मुफ़लिसी और तंगहाली में तो गुजारे लेकिन जब उसे पहचान मिली तो फिर उसने पलट के नहीं देखा. उस एक्टर की एक्टिंग आज भी तमाम एक्टिंग स्कूल्स (Acting Schools) में सिलेब्स का हिस्सा है. जिस एक्टर की बात हमने की है उसका नाम है 'महमूद' (Mehmood) आज महमूद का बर्थडे (Birthday) है. कहने को तो महमूद एक कॉमेडियन (Comedian) थे मगर किसी स्क्रिप्ट राइटर की स्क्रिप्ट के लिए महमूद कितने ज़रूरी थे इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि जब बात पेमेंट की आती थी तो उस आमुक फ़िल्म (Film) में काम करने वाले एक्टर के मुकाबले महमूद को कहीं ज्यादा पैसे मिलते थे.
जिस जिस ने पर्दे पर लोगों को हंसाते या फिर रुलाते हुए महमूद को देखा उसके लिए ये कहना शायद अतिशयोक्ति न हो कि न तो महमूद जैसा कोई हुआ है और न ही कभी होगा. महमूद के बारे में मशहूर है कि उनका अंदाज ऐसा था कि उन्हें पर्दे पर देखने मात्र से ही दर्शक चहक उठते थे. तकरीबन 300 फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाने वाले महमूद आज भी सिनेमा के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए किसी इंस्टिट्यूट से कम नहीं हैं.
दर्शकों की तालियां किसी भी कलाकार के लिए ईंधन सरीखी होती हैं ऐसे में जब हम इस पलड़े पर महमूद को तोलते हैं तो मिलता है कि इस मामले के मद्देनजर महमूद वाक़ई भाग्यशाली थे. महमूद के दौर की फिल्मों को देखें तो मिलता है कि फ़िल्म के मेन लीड की अपेक्षा ज्यादा तालियां और सीटियां महमूद की झोली में आईं.
महमूद के बारे में एक दिलचस्प बात जो उस समय के निर्देशक कहते थे वो ये थी कि, फ़िल्म में एक्टर और एक्ट्रेस कोई भी हो भले ही फ़िल्म में कितना भी पैसा क्यों न लगा हो मगर फ़िल्म तब तक हिट नहीं हो सकती जब तक उसमें महमूद न हों. बात अगर महमूद की शख्सियत और काबिलियत की हो तो उस दौर में चाहे वो दिलीप कुमार अशोक कुमार जैसे एक्टर रहे हों या फिर किशोर कुमार हर कोई महमूद का लोहा मानता था.
महमूद एक अच्छे टीचर भी थे वो अपने सहयोगी कलाकारों को खुद प्रैक्टिकल करके दिखाते और उनकी कमियों को दूर करते.जिंदादिली महमूद की पहचान थी इसलिए इसे ही उन्होंने अपनी जिंदगी का मूलमंत्र बनाया और ज़िंदगी को जिया. इन तमाम बातों के बाद हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि महमूद न केवल एक उम्दा एक्टर थे बल्कि उन्होंने लोगों की खूब मदद भी की.
कहा जाता है कि जिस वक्त अमिताभ बच्चन इंडस्ट्री में रहकर स्ट्रगल कसर रहे थे तो ये महमूद ही थे जिन्होंने न केवल अमिताभ को रहने के लिए छत मुहैया कराई बल्कि उन्हें अपनी फिल्म बॉम्बे टू गोवा में काम भी दिया. अंत में बस इतना ही 'हैप्पी बर्थडे महमूद'
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