आर माधवन के लेखन-निर्देशन और मुख्य भूमिका से सजी रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म 1 जुलाई को सिनेमाघरों में आ रही है. यह एक बायोपिक ड्रामा है. लेकिन किसी स्पोर्ट्सपर्सन, नेता, बिजनेसमैन या फिर गैंगस्टर के जीवन को दिखाने वाली कहानी नहीं है. बल्कि एक वैज्ञानिक की ईमानदारी और सेवाओं के बदले समाज और राजनीतिक व्यवस्था से मिले जख्म को दर्शाती है. याद नहीं आता कि भारतीय सिनेमा में इससे पहले कब किसी वैज्ञानिक के जीवन को केंद्र बनाकर फिल्म बनाई थी?
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को तीन अहम भाषाओं- तमिल, हिंदी और अंग्रेजी में दिखाया जा रहा है. देश में रिलीज से पहले फिल्म को इसी साल मई में आयोजित कान फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर किया जा चुका है. वैसे यह फिल्म अनाउंसमेंट के साथ ही चर्चा में हैं, मगर प्रीमियर के बाद दुनियाभर के सिनेमा विशेषज्ञों को आकर्षित किया. फिल्म की कहानी एक साधारण घर से निकले वैज्ञानिक की है जिसने 'इसरो' के लिए अपनी सेवाएं दीं और उन्हें बदले में असहनीय सामाजिक कानूनी परेशानियां मिलीं. आर माधवन ने नाम्बी नारायणन की मुख्य भूमिका निभाई है. उनकी पत्नी के किरदार में सिमरन हैं.
आइए उन 3 वजहों के बारे में जानते हैं- जो किसी भी दर्शक के लिए रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट देखने की वजहें हो सकती हैं. आगे कहानी पर बढ़ने से पहले चाहें तो फिल्म का ट्रेलर देख सकते हैं:-
#1. बायोपिक पसंद करने वालों के लिए एक असाधारण कहानी
दुनियाभर में दर्शकों का एक बड़ा तबका बायोपिक देखना पसंद करता है. बॉलीवुड या भारतीय सिनेमा में अब तक नेताओं या माफियाओं के जीवन पर आधारित या उनसे प्रेरित कई फ़िल्में बनी हैं. किसी वैज्ञानिक के जीवन अनुभवों पर केंद्रित यह संभवत: सबसे बड़ा प्रयास है. एक वैज्ञानिक के जीवन में जासूसी, हनी ट्रैप, इंटरनेशनल रैकेट, राजनीति और प्रशासनिक सिस्टम की गैरजिम्मेदार भूमिका के बहाने इस बायोपिक में नाम्बी नारायणन को लेकर बहुत सारी चीजें देखने समझाने को मिल सकती हैं.
नाम्बी के...
आर माधवन के लेखन-निर्देशन और मुख्य भूमिका से सजी रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म 1 जुलाई को सिनेमाघरों में आ रही है. यह एक बायोपिक ड्रामा है. लेकिन किसी स्पोर्ट्सपर्सन, नेता, बिजनेसमैन या फिर गैंगस्टर के जीवन को दिखाने वाली कहानी नहीं है. बल्कि एक वैज्ञानिक की ईमानदारी और सेवाओं के बदले समाज और राजनीतिक व्यवस्था से मिले जख्म को दर्शाती है. याद नहीं आता कि भारतीय सिनेमा में इससे पहले कब किसी वैज्ञानिक के जीवन को केंद्र बनाकर फिल्म बनाई थी?
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को तीन अहम भाषाओं- तमिल, हिंदी और अंग्रेजी में दिखाया जा रहा है. देश में रिलीज से पहले फिल्म को इसी साल मई में आयोजित कान फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर किया जा चुका है. वैसे यह फिल्म अनाउंसमेंट के साथ ही चर्चा में हैं, मगर प्रीमियर के बाद दुनियाभर के सिनेमा विशेषज्ञों को आकर्षित किया. फिल्म की कहानी एक साधारण घर से निकले वैज्ञानिक की है जिसने 'इसरो' के लिए अपनी सेवाएं दीं और उन्हें बदले में असहनीय सामाजिक कानूनी परेशानियां मिलीं. आर माधवन ने नाम्बी नारायणन की मुख्य भूमिका निभाई है. उनकी पत्नी के किरदार में सिमरन हैं.
आइए उन 3 वजहों के बारे में जानते हैं- जो किसी भी दर्शक के लिए रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट देखने की वजहें हो सकती हैं. आगे कहानी पर बढ़ने से पहले चाहें तो फिल्म का ट्रेलर देख सकते हैं:-
#1. बायोपिक पसंद करने वालों के लिए एक असाधारण कहानी
दुनियाभर में दर्शकों का एक बड़ा तबका बायोपिक देखना पसंद करता है. बॉलीवुड या भारतीय सिनेमा में अब तक नेताओं या माफियाओं के जीवन पर आधारित या उनसे प्रेरित कई फ़िल्में बनी हैं. किसी वैज्ञानिक के जीवन अनुभवों पर केंद्रित यह संभवत: सबसे बड़ा प्रयास है. एक वैज्ञानिक के जीवन में जासूसी, हनी ट्रैप, इंटरनेशनल रैकेट, राजनीति और प्रशासनिक सिस्टम की गैरजिम्मेदार भूमिका के बहाने इस बायोपिक में नाम्बी नारायणन को लेकर बहुत सारी चीजें देखने समझाने को मिल सकती हैं.
नाम्बी के माता-पिता बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. पिता नारियल का छोटा कारोबार करते थे. हालांकि नाम्बी बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेजतर्रार थे और शिक्षकों के चहेते थे. इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले नाम्बी को एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग हमेशा आकर्षित करती थी. चीनी फैक्टरी में काम करने के बाद वे इसरो पहुंचे थे. मन का प्रोजेक्ट पाने के बाद नाम्बी ने रात दिन एक कर दिया. इसका नतीजा सामने आया. उन्हें अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में रॉकेट तकनीकी के लिए बड़ी स्कॉलरशिप मिली. अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद भारत लौटकर नाम्बी इसरो के लिए काम करते रहे. उन्होंने इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लगभग सभी दिग्गजों के साथ काम किया. इसमें इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई भी थे.
नाम्बी के दौरान इसरो तब एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए अमेरिका और फ्रांस के रॉकेट का इस्तेमाल करता था. हालांकि बाद में नारायणन स्वदेशी रॉकेट बनाने के प्रोजेक्ट में जुड़े और उनकी भूमिका अहम थी. सबकुछ ठीक चल रहा था. एक वैज्ञानिक के रूप में उनके काम और कौशल की तारीफ़ हो रही थी. उनका सपना था कि देश को अंतरिक्ष तकनीक में ऊंचाई पर ले जाए. मगर साल 1994 में अचानक चीजें बदल गईं. उसी समय केरल में मालदीव की एक महिला और पुरुष को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने जांच खुलासा किया कि दोनों पाकिस्तान के लिए इसरो से रॉकेट तकनीक चुरा रही थीं.
मालदीव की महिला नागरिक असल में हनीट्रैप के जरिए लोगों को फंसाती थी. कहा गया कि उसने इसरो के वैज्ञानिकों के जरिए जरूरी जानकारियां निकालकर पाकिस्तान को बेंच डाले. नाम्बी को गिरफ्तार कर लिया गया और बताया गया कि हनीट्रैप में फंसने वालों में नाम्बी भी एक थे. एक होनहार वैज्ञानिक सलाखों के पीछे पहुंच गया. मीडिया ट्रायल में उन्हें रातोरात देशद्रोही करार दे दिया गया. फिर तो पुलिस, राजनीति, सरकार, मीडिया और समाज ने नाम्बी को ट्रायल से पहले ही अपराधी साबित कर दिया. यहां तक कि उनके अपने रिश्तेदारों ने भी कसूरवार ठहराने में कसर बाकी नहीं रखी.
गिरफ्तारी के बाद नाम्बी को खूब टॉर्चर किया गया. वे करीब सालभर जेल में रहें और जमानत पर बाहर निकले. नाम्बी घर, परिवार, करियर सबकुछ बिखर चुका था. उन्हें जासूस बनाया जा चुका था. उन्हें सीबीआई ने दो साल बाद क्लीन चिट दे दी, लेकिन लंबी अदालती लड़ाई में उन्हें उलझना पड़ा. केरल सरकार ने उनका जमकर पीछा किया. हालांकि एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को आदेश दिया कि वह नाम्बी के उत्पीडन के लिए हर्जाना भरे. इस मामले में केरल पुलिस के अलावा सीबीआई ने भी जांच की.
#2. आर माधवन के लिए
तमिल सिनेमा में आर माधवन की हैसियत किसी सुपरस्टार से बिल्कुल कम नहीं है. उन्होंने तमिल के साथ दक्षिण की लगभग सभी भाषाओं, मसलन- तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयाली फिल्मों के लिए काम किया है. हिंदी के लिए भी वे जाना पहचाना चेहरा हैं. उन्होंने रहना है तेरे दिल में, दिल विल प्यार व्यार, रामजी लंदनवाले, रंग दे बसंती, थ्री इडियट्स, तनु वेड्स मनु, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स और साला खडूस जैसी फ़िल्में की हैं. इनमें से कई फ़िल्में बेहद कामयाब रही हैं. हिंदी में आई वेबसीरीज ब्रीद भी बेहद कामयाब फिल्मों में शुमार की जाती है.
माधवन ने कुछ फिल्मों में सहयोगी एक्टर की भूमिका निभाई, जबकि कई कामयाब फिल्मों में मेन लीड के रूप में भी नजर आए. माधवन के काम की खूब तारीफ हुई. छोटी छोटी भूमिकाओं में सिर्फ उम्दा अभिनय की वजह से दर्शकों पर छाप छोड़ने में कामयाब रहें. लगभग हर तरह की भूमिकाएं कीं. रोमांटिक, कॉमेडी और थ्रिलर. लेकिन हर अवतार में असरदार रहे और लोगों का ध्यान खींचा. माधवन की फिल्मोग्राफी करीब से देखें तो पता चलता है कि उनके लिए रोल की लम्बाई चौड़ाई से ज्यादा फिल्मों के विषय जरूरी होते हैं.
माधवन की फ़िल्में और उनकी भूमिका एक-दूसरे से अलग नजर आती हैं. इसमें उन फिल्मों को भी शामिल किया जा सकता है- जो कारोबारी लिहाज से घाटे का सौदा साबित हुईं. नाम्बी नारायणन की कहानी अपने आप में थ्रिल और रोमांच से भरी है. माधवन का वहां होना भरोसा जताने के लिए पर्याप्त है. माधवन बड़ा सितारा होने के बावजूद लो प्रोफाइल हैं. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं लेकिन कभी सितारों की तरह नखरा दिखाते नजर नहीं हैं. सामान्य व्यवहार में भी उन्हें शांत और मिलनसार बताया जाता है.
#3. शाहरुख खान और दूसरे कलाकारों के लिए
हिंदी दर्शकों के लिए फिल्म में शाहरुख खान का होना सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र है. असल में शाहरुख गेस्ट अपीयरेंस की एक शानदार और महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. एक तरह से फिल्म में शाहरुख के विजुअल होने को मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है. शाहरुख एंकर/पत्रकार की भूमिका में हैं. वे नाम्बी का लंबा चौड़ा इंटरव्यू करते दिखाई दे सकते हैं. किंग खान के होने से उनके प्रशंसक फिल्म के प्रति स्वाभाविक रूप से आकर्षित होंगे. तमिल के सुपरस्टार और जयभीम फेम सुरिया भी गेस्ट आर्टिस्ट के रूप में नजर आएंगे.
फ़िल्म के ट्रेलर से पता चलता है कि नारायणन की पत्नी के रूप में सिमरन और उन्नी के रूप में सैम मोहन भी उम्दा काम करते नजर आ सकते हैं. कुलमिलाकर फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट अपीलिंग है. गुलशन ग्रोवर, रजित कपूर, रवि राघवेन्द्र, मुरलीधरन और श्याम रंगनाथन समेत कई कलाकरों को रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट में देखना दिलचस्प साबित हो सकता है.
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