आर माधवन की रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट (Rocketry: The Nambi Effect) की जितनी तारीफें हुई, जून-जुलाई महीने में आई किसी दूसरी फिल्म के लिए लोगों ने परहेज ही किया. भारतीय सिनेमा में रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट संभवत: किसी वैज्ञानिक पर बनी पहली बायोग्राफिकल ड्रामा है. रॉकेट्री की कहानी इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन की भोगी दास्तान है. फिल्म देखने वाले समीक्षकों और दर्शको ने दिल खोलकर तारीफ़ की है. लगभग सभी ने मस्टवॉच मूवी बताते हुए बायोग्राफी को मास्टरपीस करार दिया. लेखक, निर्देशक, निर्माता और मुख्या अभिनेता के रूप में भी आर माधवन एंड टीम के काम की हर लिहाज से तारीफ़ देखने को मिली.
कहने की जरूरत नहीं कि माधवन की फिल्म तगड़े वर्ड ऑफ़ माउथ पर सवार है. इसका सबूत IMDb समेत फिल्म डेटाबेस से जुड़े तमाम इंटरनेट प्लेटफॉर्म और पहले दिन की तुलना में लगातार बेहतर निकले वीकएंड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से समझना मुश्किल नहीं. IMDb पर आगे विश्लेषण में कुछ चीजें अलग से कलेक्शन रिपोर्ट से अलग पढ़ने को मिल जाएंगी. खैर, मूल तमिल फिल्म को हिंदी, कन्नड़, तेलुगु और अंग्रेजी में भी डब करके करीब 2000 देसी स्क्रीन्स पर रिलीज की गई थी. सभी भाषाओं के बॉक्स ऑफिस पर क्लैश होने और मास एंटरटेनर नहीं होने की वजह से रॉकेट्री को पहले दिन सुस्त शुरुआत मिली. वैसे भी नॉन कमर्शियल फिल्मों का बज कभी नजर आता जैसे कमर्शियल फिल्मों के लिए दिखता है.
Sacnilk समेत तमाम ट्रेड रिपोर्ट्स के मुताबिक़ देसी टिकट खिड़की पर सभी भाषाओं में फिल्म ने पहले दिन 1.73 करोड़ कमाए. इसमें हिंदी टेरिटरी का कंट्रीब्यूशन 75 लाख रहा जिसे शानदार माना जा सकता है. दूसरे दिन फिल्म की कमाई में 71% से ज्यादा रिकॉर्ड ग्रोथ देखने को...
आर माधवन की रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट (Rocketry: The Nambi Effect) की जितनी तारीफें हुई, जून-जुलाई महीने में आई किसी दूसरी फिल्म के लिए लोगों ने परहेज ही किया. भारतीय सिनेमा में रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट संभवत: किसी वैज्ञानिक पर बनी पहली बायोग्राफिकल ड्रामा है. रॉकेट्री की कहानी इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन की भोगी दास्तान है. फिल्म देखने वाले समीक्षकों और दर्शको ने दिल खोलकर तारीफ़ की है. लगभग सभी ने मस्टवॉच मूवी बताते हुए बायोग्राफी को मास्टरपीस करार दिया. लेखक, निर्देशक, निर्माता और मुख्या अभिनेता के रूप में भी आर माधवन एंड टीम के काम की हर लिहाज से तारीफ़ देखने को मिली.
कहने की जरूरत नहीं कि माधवन की फिल्म तगड़े वर्ड ऑफ़ माउथ पर सवार है. इसका सबूत IMDb समेत फिल्म डेटाबेस से जुड़े तमाम इंटरनेट प्लेटफॉर्म और पहले दिन की तुलना में लगातार बेहतर निकले वीकएंड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से समझना मुश्किल नहीं. IMDb पर आगे विश्लेषण में कुछ चीजें अलग से कलेक्शन रिपोर्ट से अलग पढ़ने को मिल जाएंगी. खैर, मूल तमिल फिल्म को हिंदी, कन्नड़, तेलुगु और अंग्रेजी में भी डब करके करीब 2000 देसी स्क्रीन्स पर रिलीज की गई थी. सभी भाषाओं के बॉक्स ऑफिस पर क्लैश होने और मास एंटरटेनर नहीं होने की वजह से रॉकेट्री को पहले दिन सुस्त शुरुआत मिली. वैसे भी नॉन कमर्शियल फिल्मों का बज कभी नजर आता जैसे कमर्शियल फिल्मों के लिए दिखता है.
Sacnilk समेत तमाम ट्रेड रिपोर्ट्स के मुताबिक़ देसी टिकट खिड़की पर सभी भाषाओं में फिल्म ने पहले दिन 1.73 करोड़ कमाए. इसमें हिंदी टेरिटरी का कंट्रीब्यूशन 75 लाख रहा जिसे शानदार माना जा सकता है. दूसरे दिन फिल्म की कमाई में 71% से ज्यादा रिकॉर्ड ग्रोथ देखने को मिला और फिल्म का कलेक्शन 2.97 करोड़ पहुंच गया. इसमें भी सबसे ज्यादा कंट्रीब्यूशन हिंदी और तमिल टेरिटरी से निकलकर आया. अकेले हिंदी का कंट्रीब्यूशन 1.25 करोड़ निकलकर आया. जो पहले दिन के मुकाबले करीब करीब दोगुने के आसपास है.
तीन दिनों में रॉकेट्री की कमाई माधवन के लिए किसी सुपर सफलता से कम नहीं है
तीसरे दिन यानी रविवार को भी फिल्म ने बढ़िया कलेक्शन निकाला है. इंडिया टुडे और कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि तीसरे दिन भी फिल्म के कलेक्शन में जबरदस्त उछाल देखने को मिला और कमाई 3.70 करोड़ के आसपास रही. इस तरह देखा जाए तो कमजोर शुरुआत के बावजूद फिल्म ने तीन दिन में 8 करोड़ से ज्यादा का कारोबार करने में सफलता हासिल की है. अलग-अलग आकलन में फिल्म का बजट करीब 20 करोड़ रुपये तक बताया जा रहा है. इस आधार पर देखें तो 8 करोड़ से ज्यादा कमाई करने में कामयाब हुई रॉकेट्री को सफल फिल्म करार दिया जा सकता है. और निश्चित ही यह माधवन के लिए सुपर सक्सेस से कम नहीं है.
कंटेंट यूनिक और मजबूत होने की वजह से सिनेमाघर से बाहर आने वाला दर्शक इसका प्रचार करते नजर आ रहा है. कलेक्शन में दिन पर दिन हुई ग्रोथ के पीछे दर्शकों का यही प्रचार बड़ी वजह है. द कश्मीर फाइल्स के साथ भी ऐसा ही हुआ था. यानी अभी भी माधवन की फिल्म अपने स्केल में मजबूती के साथ संतोषजनक कारोबार करते नजर आएगी. चूंकि कश्मीर फाइल्स को विवादों ने कुछ ज्यादा ही हाइप दे दी थी, और बाद में हिंदी में उसे स्क्रीन्स भी खूब मिले. रॉकेट्री के साथ ऐसा नहीं है. इस वजह से फिल्म से किसी बड़े कारोबारी अमाउंट की उम्मीद करना बेवकूफी है. हालांकि फिल्म आसानी से पूरा बजट निकाल लेगी और हर लिहाज से मुनाफे का सौदा ही कही जाएगी.
बायोग्राफिकल ड्रामा में वैज्ञानिक के उत्पीड़न से कसैला हुआ लोगों का मन
रॉकेट्री आम बायोग्राफिकल ड्रामा नहीं है. इस वजह से यह एक वैज्ञानिक के संघर्ष और उपलब्धि भर की कहानी बनकर नहीं रह गई है. बल्कि एक साधारण परिवार से निकले ईमानदार वैज्ञानिक के उत्पीड़न की कहानी ज्यादा नजर आती है. इस वजह से दर्शकों को देशप्रेमी वैज्ञानिक प्रेरणा और भरोसा तो दे रहा है- मगर उस पर हुए उत्पीड़न देश विरोधी भ्रष्ट सिस्टम को लेकर लोगों के मन को कसैला भी कर रहे हैं. असल में एक वैज्ञानिक की कहानी में उत्पीड़न वह बड़ा फर्क भी बन जाता है जो इसे 'रसेल क्रो' की मुख्य भूमिका से सजी 'अ ब्यूटीफुल माइंड' बनने से रोक देता है. रॉकेट्री और अ ब्यूटीफुल माइंड केस स्टडी की तरह है. रॉकेट्री यह बताने में कामयाब है कि पश्चिम के विकसित देशों और भारत की सोच में कौन से कारक फर्क डालते हैं और उसका जिम्मेदार असल में कौन है?
आईएमडीबी पर भी तारीफ़ वक्त के साथ और मजबूत हुई
रिलीज के बाद पहले दिन आईएमडीबी पर रॉकेट्री को लेकर बहुत ज्यादा इंगेजमेंट नहीं दिखा था. पहले दिन रात तक एक हजार से कम रजिस्टर्ड यूजर्स ने फिल्म के पक्ष में वोट और समीक्षाएं दी थी. 10 में से 8.5 रेट दिया था. लेकिन तीन दिन में यहां भी इंगेजमेंट के लिहाज से जबरदस्त उछाल देखा जा सकता है. फिल्म को 10 में से 9.3 रेट मिल चुका है जो कंटेंट की मजबूती और उसे लेकर लोगों के रुझान को बताने के लिए पर्याप्त है. यहां करीब 5 हजार यूजर्स फिल्म के लिए इंगेज नजर आ रहे हैं. वैसे आने वाले दिनों में आईएमडीबी पर माधवन की फिल्म को लेकर और बेहतर डेटा नजर आ सकता है.
ख़ास बात यह भी है कि फिल्म को हर उम्र, जाति और धर्म के दर्शकों का प्यार मिल रहा है. फिल्म का यह हासिल भी मेकर्स के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.