आर माधवन के निर्माण निर्देशन और लेखन में बनी रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को समीक्षकों का जबरदस्त प्यार हासिल हुआ है. फिल्म आज ही रिलीज हुई है. इसे देखने वाले दर्शक भी खूब सरहाना कर रहे हैं. फिल्म का वर्ड ऑफ़ माउथ बहुत बढ़िया आ रहा है, मगर इससे बॉक्स ऑफिस पर रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट के बढ़िया कारोबार करने की संभावनाएं नजर नहीं आती हैं. पहले दिन की कमाई को लेकर ट्रेड सर्किल के जो अनुमान सामने आए हैं, वे खराब करने वाले हैं लेकिन ऐसा होने की संभावना कम नहीं कि कारोबारी फ्रंट पर भी मेकर्स को लाभ मिल जाए. क्यों, इसकी चर्चा स्टोरी में आगे है.
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को दुनियाभर में करीब 2800 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. इसमें से देसी स्क्रीन्स की संख्या 2000 है. पहले दिन करीब 5000 शोज की संभावना अलग अलग रिपोर्ट्स में जताई गई है. आर माधवन की मुख्य भूमिका से सजी इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन की सच्ची कहानी को कई भारतीय भाषाओं- तमिल, हिंदी, कन्नड़, तेलुगु के साथ अंग्रेजी में भी रिलीज किया गया है. पहले दिन के बॉक्स ऑफिस को लेकर कुछ ट्रेड रिपोर्ट्स में आंकड़े सामने आ रहे हैं. इसके मुताबिक़ फिल्म माधवन की फिल्म टिकट खिड़की पर शुक्रवार को मात्र 1.5 से 2 करोड़ रुपये कमा सकती है.
पहले दिन अनुमानित कमाई खराब लेकिन फिल्म का एक भविष्य दिख रहा है
अगर देखा जाए तमिल बॉक्स ऑफिस को छोड़ दिया जाए तो भी हिंदी फिल्मों की टेरिटरी के लिहाज से भी पहले दिन का बिजनेस कतई बेहतर नहीं कहा जा सकता. 2000 स्क्रीन्स के बदले 2 करोड़ की कमाई मामूली ही कही जाएगी. वैसे भी फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर ख़ास चर्चा नहीं है. जिस तरह से बायोग्राफिकल ड्रामा पर बात हो रही है उसे देखकर समझ आ जाता है...
आर माधवन के निर्माण निर्देशन और लेखन में बनी रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को समीक्षकों का जबरदस्त प्यार हासिल हुआ है. फिल्म आज ही रिलीज हुई है. इसे देखने वाले दर्शक भी खूब सरहाना कर रहे हैं. फिल्म का वर्ड ऑफ़ माउथ बहुत बढ़िया आ रहा है, मगर इससे बॉक्स ऑफिस पर रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट के बढ़िया कारोबार करने की संभावनाएं नजर नहीं आती हैं. पहले दिन की कमाई को लेकर ट्रेड सर्किल के जो अनुमान सामने आए हैं, वे खराब करने वाले हैं लेकिन ऐसा होने की संभावना कम नहीं कि कारोबारी फ्रंट पर भी मेकर्स को लाभ मिल जाए. क्यों, इसकी चर्चा स्टोरी में आगे है.
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट को दुनियाभर में करीब 2800 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. इसमें से देसी स्क्रीन्स की संख्या 2000 है. पहले दिन करीब 5000 शोज की संभावना अलग अलग रिपोर्ट्स में जताई गई है. आर माधवन की मुख्य भूमिका से सजी इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन की सच्ची कहानी को कई भारतीय भाषाओं- तमिल, हिंदी, कन्नड़, तेलुगु के साथ अंग्रेजी में भी रिलीज किया गया है. पहले दिन के बॉक्स ऑफिस को लेकर कुछ ट्रेड रिपोर्ट्स में आंकड़े सामने आ रहे हैं. इसके मुताबिक़ फिल्म माधवन की फिल्म टिकट खिड़की पर शुक्रवार को मात्र 1.5 से 2 करोड़ रुपये कमा सकती है.
पहले दिन अनुमानित कमाई खराब लेकिन फिल्म का एक भविष्य दिख रहा है
अगर देखा जाए तमिल बॉक्स ऑफिस को छोड़ दिया जाए तो भी हिंदी फिल्मों की टेरिटरी के लिहाज से भी पहले दिन का बिजनेस कतई बेहतर नहीं कहा जा सकता. 2000 स्क्रीन्स के बदले 2 करोड़ की कमाई मामूली ही कही जाएगी. वैसे भी फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर ख़ास चर्चा नहीं है. जिस तरह से बायोग्राफिकल ड्रामा पर बात हो रही है उसे देखकर समझ आ जाता है कि यह मास एंटरटेनर तो नहीं है. इस वजह से भी टियर 2 और टियर 3 शहरों फिल्म से बेहतर बिजनेस की उम्मीद करना बेमानी है.
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट क्लास मूवी है और यह जो भी कारोबार करेगी उसमें महानगरों या बड़े शहरों का योगदान ही रहेगा. हालांकि ट्रेड सर्किल में फिल्म को लेकर एक चर्चा ऐसी भी है जो कारोबारी फ्रंट पर मेकर्स के चेहरे पर खुशी ला सकता है. द इंडियन एक्सप्रेस ने एक ट्रेड रिपोर्ट में बताया भी कि माधवन की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर द कश्मीर फाइल्स की तरह कारोबारी कारनामा दोहरा सकती है भले ही अलग-अलग बॉक्स ऑफिस पर फिल्म क्लैश में भी फंसी है. रिपोर्ट में वजहें भी बताई गई हैं.
कमर्शियल ड्रामा नहीं मगर कश्मीर फाइल्स की तरह फिल्म का बिजनेस चौंका सकता है
रिपोर्ट के मुताबिक़ फिल्म हार्डकोर कमर्शियल ड्रामा नहीं है. इसका टारगेट ऑडियंस पूरी तरह से अलग है. फिल्म जिस तरह से बनाई गई है और उसपर मजबूत प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वह माधवन की फिल्म के पक्ष में है. एक ट्रेड एक्सपर्ट ले हवाले से रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट की तुलना द कश्मीर फाइल्स से की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक़ बेहतर वर्ड ऑफ़ माउथ की वजह से फिल्म का बिजनेस रिलीज के बाद आने वाले दिनों में चौंका सकता है. द कश्मीर फाइल्स का बिजनेस भी पहले दो दिन कमजोर दिखा था, लेकिन वर्ड ऑफ़ माउथ और राजनीतिक वजहों ने टिकट खिड़की पर उसे राकेट बना दिया.
वैसे भी रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट का कंटेट बेहतरीन बताया जा रहा है. और यह लॉन्ग एज कंटेंट भी नजर आ रहा है. लेकिन इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि कश्मीर फाइल्स जैसी कारोबारी कामयाबी हासिल करे. क्योंकि कश्मीर फाइल्स पर पहले दिन से ही जबरदस्त चर्चा शुरू हो गई थी. रॉकेट्री के मामले में सिर्फ समीक्षक और फिल्म देखने आले दर्शक ही उसे प्रमोट करते नजर आ रहे हैं. तो क्लैश और फिल्म के बज लेकर इतना तो समझा जा सकता है कि यह मास एंटरटेनर फिल्मो की तरह कमाई नहीं करेगी. बावजूद फिल्म की कमाई वीकएंड की तुलना में आने वाले दिनों में बेहतर नजर आए.
रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट की कहानी नाम्बी की है. नाम्बी इसरो में काम करते थे. वे कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे. लेकिन 1994 में एक जासूसी मामले में उनपर आरोप लगे. कहा गया कि मालदीव की एक महिला और पुरुष ने इसरो के वैज्ञानिकों को हनीट्रैप के जरिए फंसाकर रॉकेट की तकनीक निकाली और उसे पाकिस्तान को बेंच दिया. मामले में केरल पुलिस ने नाम्बी पर कार्रवाई की थी. उन्हें जेल जाना पड़ा और टार्चर का भी सामना करना पड़ा. मामले में सीबीआई ने भी जांच की. बाद में नाम्बी को निर्दोष करार दिया गया.
हालांकि नाम्बी ने आरोपों के खिलाफ अदालत में लंबी कानूनी लड़ाई की. एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह नाम्बी को हर्जाना दे. नाम्बी को केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
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