बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव (Rajkummar rao), वरुण शर्मा (Varun Sharma) और एक्ट्रेस जान्हवी कपूर (Janhvi Kapoor) स्टारर फिल्म 'रूही' (Roohi Movie) देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज कर दी गई है. कोरोना की वजह से लगे लंबे लॉकडाउन के बाद अब बड़ी फिल्मों के रिलीज होने का सिलसिला शुरू हो गया है. साल 2018 में हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'स्त्री' लेकर आने वाले प्रोड्यूसर दिनेश विजान अब फिल्म 'रूही' लेकर आए हैं. फिल्म के डायरेक्टर हार्दिक मेहता हैं, जिन्होंने 'पाताल लोक' जैसी शानदार वेब सीरीज लिखी है.
देखा जाए तो बीते तीन वर्षों बाद बॉलीवुड ने हॉरर-कॉमेडी जेनर में कोई अच्छी फिल्म दी है. लेकिन फिल्म निर्माताओं का ये पसंदीदा विषय जरूर रहा है. निर्देशक हार्दिक मेहता ने अपनी फिल्म 'रूही' में कॉमेडी और हॉरर दोनों शैलियों को मिलाने की कोशिश की है, जिसमें वो एक हद तक सफल भी दिख रहे हैं. फिल्म की कहानी के केंद्र में तीन कलाकार राजकुमार राव, वरुण शर्मा और जान्हवी कपूर हैं, जिनका अभिनय प्रदर्शन एक-दूसरे के पूरक है. राजकुमार एक बार फिर छोटे बालों और रंगीन मुस्कान के साथ छोटे शहर के लड़के की भूमिका में हैं.
फिल्म 'रूही' को 'स्त्री' की अगली कड़ी या सीक्वल कहें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इसमें राजकुमार राव के कैरेक्टर को बिल्कुल वैसा ही रखा गया है. हालांकि, एक्टर यह जरूर सुनिश्चित करते हैं कि उनका कैरेक्टर अलग रंग-ढ़ंग और बॉडी लैंग्वेज के साथ दिखाई दे. वरुण शर्मा अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और पिच परफेक्ट एक्सप्रेशंस के साथ चमक रहे हैं. जान्हवी कपूर एक जिस्म दो किरदार निभा रही हैं. लेकिन चाहे 'रूही' हो या 'अफजा', दोनों ही किरदारों में जान्हवी ने जान डाल दी है. 'रूही'...
बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव (Rajkummar rao), वरुण शर्मा (Varun Sharma) और एक्ट्रेस जान्हवी कपूर (Janhvi Kapoor) स्टारर फिल्म 'रूही' (Roohi Movie) देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज कर दी गई है. कोरोना की वजह से लगे लंबे लॉकडाउन के बाद अब बड़ी फिल्मों के रिलीज होने का सिलसिला शुरू हो गया है. साल 2018 में हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'स्त्री' लेकर आने वाले प्रोड्यूसर दिनेश विजान अब फिल्म 'रूही' लेकर आए हैं. फिल्म के डायरेक्टर हार्दिक मेहता हैं, जिन्होंने 'पाताल लोक' जैसी शानदार वेब सीरीज लिखी है.
देखा जाए तो बीते तीन वर्षों बाद बॉलीवुड ने हॉरर-कॉमेडी जेनर में कोई अच्छी फिल्म दी है. लेकिन फिल्म निर्माताओं का ये पसंदीदा विषय जरूर रहा है. निर्देशक हार्दिक मेहता ने अपनी फिल्म 'रूही' में कॉमेडी और हॉरर दोनों शैलियों को मिलाने की कोशिश की है, जिसमें वो एक हद तक सफल भी दिख रहे हैं. फिल्म की कहानी के केंद्र में तीन कलाकार राजकुमार राव, वरुण शर्मा और जान्हवी कपूर हैं, जिनका अभिनय प्रदर्शन एक-दूसरे के पूरक है. राजकुमार एक बार फिर छोटे बालों और रंगीन मुस्कान के साथ छोटे शहर के लड़के की भूमिका में हैं.
फिल्म 'रूही' को 'स्त्री' की अगली कड़ी या सीक्वल कहें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इसमें राजकुमार राव के कैरेक्टर को बिल्कुल वैसा ही रखा गया है. हालांकि, एक्टर यह जरूर सुनिश्चित करते हैं कि उनका कैरेक्टर अलग रंग-ढ़ंग और बॉडी लैंग्वेज के साथ दिखाई दे. वरुण शर्मा अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और पिच परफेक्ट एक्सप्रेशंस के साथ चमक रहे हैं. जान्हवी कपूर एक जिस्म दो किरदार निभा रही हैं. लेकिन चाहे 'रूही' हो या 'अफजा', दोनों ही किरदारों में जान्हवी ने जान डाल दी है. 'रूही' रोमांटिक है, तो 'अफजा' लोगों को डराती है.
ऐसी है फिल्म की कहानी
फिल्म 'रूही' एक छोटे शहर में रहने वाले दो लड़कों और उनकी जिंदगी में आई एक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है. भावरा पांडे (राजकुमार राव) और कट्टानी कुरैशी (वरुण शर्मा) पेशे से पत्रकार हैं, लेकिन साथ में पकड़वा विवाह भी कराते हैं. इसके लिए दोनों लड़कियों को अगवा करते हैं और जबरन उनकी शादियां कराते हैं. पकड़वा विवाह एक जमाने में बिहार में बहुत होता था. उस वक्त अच्छे लड़कों को अगवा करके उनकी जबरन शादी कर दी जाती थी. वेस्ट यूपी के गांव की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में पकड़वा विवाह का कॉन्सेप्ट लिया गया है.
भावरा पांडे और कट्टानी कुरैशी रूही (जान्हवी कपूर) को अगवा करके एक जगह कैद कर देते हैं. रूही को पहले देखकर ऐसा लगता है कि वह बहुत सीधी लड़की है. लेकिन जब उसका दूसरा व्यक्तित्व (personality) अफजा के रूप में सामने आता है, तो दोनों हक्के-बक्के रह जाते हैं. इधर भावरा रूही से प्यार करने लगता है, तो कट्टानी अफजा से. एक जिस्म, लेकिन दो रूप में रूही और अफजा रोमांच पैदा कर देती हैं. भूरा, अफजा से छुटकारा पाना चाहता है, जबकि कट्टानी ऐसा नहीं चाहता. वह चाहता है कि अफजा भी रूही के साथ ही रहे, ताकि वह प्रेम कर सके.
'डर लागे और हंसी आवे'
इन तीनों के बीच रोमांस की अलग तरंगे अंगड़ाई लेती हैं और कहानी यहीं से आगे बढ़ती है. भावरा और कट्टानी दोनों अलग-अलग तरीकों से अफजा को भगाने और बचाने की कोशिश करते हैं. इस दौरान अजीब-अजीब तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इन समस्याओं के बीच कॉमेडी का ऐसा तड़का लगता है कि दर्शक हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते हैं. 'डर लागे और हंसी आवे अजब जमाना आया रे' कबीर की ये लाइन फिल्म के कुछ दृश्यों पर सटीक बैठती है, क्योंकि डर के बीच हंसी का समावेश सटीक है. फिल्म कई जगह दर्शकों को हंसाती और डराती है.
रूही और अफजा का अंत में क्या होता है? भूरा और कट्टानी को उनका प्यार मिल पाता है कि नहीं? इसे जानने के लिए तो आपको ये फिल्म देखनी होगी. क्योंकि यदि राज खुल गया, तो आपके फिल्म देखने का मजा खराब हो जाएगा. फिल्म का सिनेमाटोग्राफी और म्यूजिक भी बहुत अच्छा है. फिल्म के डायरेक्टर हार्दिक मेहता ने प्रत्येक सीन, डायलॉग और कैरेक्टर पर बारीकी से काम किया है. डायरेक्टर के साथ ही एक लेखक होने की वजह से उन्होंने बहुत करीने से फिल्म को रूपहले पर्दे पर सजाया है. फिल्म एक बार जरूर देखी जानी चाहिेए.
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