3 जून यूं तो नार्मल सी डेट है लेकिन बॉलीवुड इसपर टकटकी लगाए हुए है. करीब 300 करोड़ की लागत से बनी 'सम्राट पृथ्वीराज' सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. फिल्म में अक्षय और मानुषी लीड रोल में हैं. सोनू सूद, आशुतोष राणा, संजय दत्त जैसे एक्टर्स भी फिल्म के लिहाज से अहम हैं. फिल्म एक पीरियड ड्रामा फिल्म है जिसमें पृथ्वीराज चौहान की शौर्यगाथा को पर्दे पर उतारने की कोशिश मेकर्स द्वारा की गयी है. फिल्म हॉट हो, सुपर डुपर हिट हो इसलिए फिल्म का बंपर प्रमोशन चल रहा है. और शायद यही कारण है कि मेकर्स ने Samrat Prithviraj second trailer लॉन्च किया है. फिल्म के इस दूसरे ट्रेलर के बाद सवाल ये है कि क्या फिल्म को लेकर मेकर्स की कोशिशें कामयाब हुई या होंगी? जवाब शायद अक्षय के फैंस को आहत कर दे.
जैसे ही हम सम्राट पृथ्वीराज का ट्रेलर देखते हैं मिलता है कि ये फिल्म 2018 में आई संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत की सस्ती कॉपी है. सस्ती इसलिए क्योंकि पद्मावत में तो फिर भी शाहिद कपूर एक राजा की तरह लग रहे थे. लेकिन जब हम पृथ्वीराज में अक्षय कुमार को देखें तो शक होता है कि क्या प्राचीनकाल में राजा महाराजा ऐसे होते थे?
नहीं हमें अक्षय कुमार से कोई दुश्मनी नहीं है. न ही हम फिल्म के खिलाफ कोई एजेंडा चला रहे हैं. जब हम फिल्म के दूसरे ट्रेलर को देखते हैं तो इसमें कॉस्ट्यूम से लेकर लोकेशन तक और एक्टिंग से लेकर लुक तक ऐसा कुछ नहीं है जो हमें बांधे रखे. संजय लीला भंसाली की फिल्म में जो भव्यता हमें दिखी थी वो पृथ्वीराज में नदारद दिखती है. 1 मिनट 39 सेकण्ड्स का 'सम्राट पृथ्वीराज' का ट्रेलर हम बस इसलिए देखते हैं क्योंकि वो यूट्यूब में पड़ा है और फ्री...
3 जून यूं तो नार्मल सी डेट है लेकिन बॉलीवुड इसपर टकटकी लगाए हुए है. करीब 300 करोड़ की लागत से बनी 'सम्राट पृथ्वीराज' सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. फिल्म में अक्षय और मानुषी लीड रोल में हैं. सोनू सूद, आशुतोष राणा, संजय दत्त जैसे एक्टर्स भी फिल्म के लिहाज से अहम हैं. फिल्म एक पीरियड ड्रामा फिल्म है जिसमें पृथ्वीराज चौहान की शौर्यगाथा को पर्दे पर उतारने की कोशिश मेकर्स द्वारा की गयी है. फिल्म हॉट हो, सुपर डुपर हिट हो इसलिए फिल्म का बंपर प्रमोशन चल रहा है. और शायद यही कारण है कि मेकर्स ने Samrat Prithviraj second trailer लॉन्च किया है. फिल्म के इस दूसरे ट्रेलर के बाद सवाल ये है कि क्या फिल्म को लेकर मेकर्स की कोशिशें कामयाब हुई या होंगी? जवाब शायद अक्षय के फैंस को आहत कर दे.
जैसे ही हम सम्राट पृथ्वीराज का ट्रेलर देखते हैं मिलता है कि ये फिल्म 2018 में आई संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत की सस्ती कॉपी है. सस्ती इसलिए क्योंकि पद्मावत में तो फिर भी शाहिद कपूर एक राजा की तरह लग रहे थे. लेकिन जब हम पृथ्वीराज में अक्षय कुमार को देखें तो शक होता है कि क्या प्राचीनकाल में राजा महाराजा ऐसे होते थे?
नहीं हमें अक्षय कुमार से कोई दुश्मनी नहीं है. न ही हम फिल्म के खिलाफ कोई एजेंडा चला रहे हैं. जब हम फिल्म के दूसरे ट्रेलर को देखते हैं तो इसमें कॉस्ट्यूम से लेकर लोकेशन तक और एक्टिंग से लेकर लुक तक ऐसा कुछ नहीं है जो हमें बांधे रखे. संजय लीला भंसाली की फिल्म में जो भव्यता हमें दिखी थी वो पृथ्वीराज में नदारद दिखती है. 1 मिनट 39 सेकण्ड्स का 'सम्राट पृथ्वीराज' का ट्रेलर हम बस इसलिए देखते हैं क्योंकि वो यूट्यूब में पड़ा है और फ्री है.
ध्यान रहे पृथ्वीराज चौहान का शुमार चौहान वंश के उस राजा के रूप में था जिसका शौर्य और पराक्रम ही उसकी पहचान था. वहीं पृथ्वीराज रासो ने पृथ्वीराज चौहान को 'राजपूत' राजा के रूप में प्रस्तुत किया है. जब हम उस कालखंड का अध्यन्न करते हैं जब पृथ्वीराज चौहान थे तो तमाम बातें स्पष्ट होती हैं और इस बात की तस्दीख हो जाती है कि पृथ्वीराज चौहान कुछ भी रहे हों मगर अक्षय कुमार जैसे तो हरगिज नहीं होंगे.
सम्राट पृथ्वीराज एक पीरियड ड्रामा फिल्म है. ऐसी फिल्मों की एक बड़ी खासियत जहां दर्शकों को हुक देना है वहीं उन्हें बांधे रखना भी है. जब हम सम्राट पृथ्वीराज और उसका ट्रेलर देखते हैं तो जिस तरह इसका फिल्मांकन किया गया है कई छोटी छोटी चीजें हैं जिनमें चूक हुई. और यदि आने वाले वक़्त में फिल्म फ्लॉप होती है तो यही चीजें उत्प्रेरक का काम करेंगी.
जिक्र संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत का हुआ है. तो जब हम भंसाली की पद्मावत को देखते हैं तो मिलता है कि अपनी फिल्म को बनाने से पहले भंसाली ने ठीक ठाक रिसर्च की और बारीक से बारीक डिटेल का पूरा ध्यान रखा. पृथ्वीराज इस मामले में पद्मावत से उन्नीस ही है,
किसी भी पीरियड फिल्म में ऑडियंस को बांधे रखना कितना अहम है? गर इस सवाल का अवलोकन करना हो तो हम हॉलीवुड की किसी भी पीरियड फिल्म जैसे ट्रॉय, 300, किंग आर्थर, एलेक्सेंडर, हरक्यूलीज का रुख कर सकते हैं. ऐसी फिल्मों में चाहे वो कहानी हो या फिर किरदार का लुक और कास्टिंग हर उस बात का ख्याल रखा जाता है जिसके तहत ऑडियंस एंगेजमेंट होता है. आप ऐसी किसी भी मूवी को बार बार देख लीजिये हर बार आपको ये नई लगेंगी और यक़ीनन आप बोर नहीं होंगे.
जिस तरह 'सम्राट पृथ्वीराज' में पृथ्वीराज चौहान को भगवा साफे और सफ़ेद कुर्ते पैजामे में तलवार और ढाल लहराते दिखाया गया है वो क्लीशे की पराकाष्ठा है. मेकर्स आखिर क्यों नहीं इस बात को समझ रहे कि इन चीजों से कहीं न कहीं अब दर्शक भी भयंकर बोर हो गए हैं. दर्शक यही चाहते हैं कि अगर वो परदे पर एक वॉर फिल्म देख रहे हैं तो उसमें वॉर हो और राष्ट्रवाद को उसमें उतना ही रखा जाए जितने की जरूरत हो.
बाकी जिस तरह भारत जैसे देह में हिस्टॉरिकल कैरेक्टर्स पर बनी कोई फिल्म उससे पहले बनी किसी फिल्म की तरह होती है इससे भी दर्शकों को खूब परेशानी होती है. चूंकि जिक्र अक्षय की अपकमिंग फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' का हुआ है तो चाहे वो फिल्म का ट्रेलर वन हो या फिर ट्रेलर 2 इनसे बेहतर है कि आदमी ओटीटी पर भंसाली की फिल्म ही देख ले. कम से कम फिल्म उन्हें बांधे रखेगी साथ ही उन्हें इस बात का भी एहसास होगा कि यदि फिल्म युद्ध दिखा रही थी तो उसमें सलीके का युद्ध है न कि युद्ध और प्यार मुहब्बत की फर्जी नौटंकी.
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