लोगों ने भले ही संजय दत्त को टेररिस्ट कहा हो, या अब भी कहते हों, लेकिन संजय दत्त की बायोपिक फिल्म 'संजू' उनके प्रति लोगों के नजरिए को बदलने का काम जरूरी करेगी. ये बात इस फिल्म के ट्रेलर को देखकर साफ तौर पर कही जा सकती है जो एक लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो गया है.
संजय दत्त एक ऐसे स्टार हैं जिन्हें एक्टिंग और स्टारडम विरासत में मिला. पिता सुनील दत्त और मां नरगिस का एकलौता बेटा, जब से लॉन्च हुआ तब से लाइमलाइट में ही रहा. संजय दत्त के जीवन का हर हिस्सा मीडिया ने उनके चाहने वालों के सामने रखा, चाहे वो उनकी चॉकलेटी इमेज हो जिसपर लड़कियां फिदा रहती थीं, या फिर उनके जीवन के वो पल जब वो ड्रग्स के नशे में चूर रहते थे.
पूरा देश तब हिल गया था जब 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों में संजय दत्त का नाम आया था. माता-पिता की उम्मीदों के चिराग ने तब देश में कई दिल तोड़े. क्योंकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि संजय दत्त के संबंध अंडरवर्ल्ड से भी हो सकते हैं. घर में एके-56 राइफल रखने के आरोप में संजय दत्त को 1994 में गिरफ्तार किया गया और एक 'खलनायक' वास्तव में खलनायक साबित हुआ.
ट्रेलर भी यही कहता है कि 'इतना वेराइटी वाला लाइफ आपको कहां मिलेगा- मैं बेवड़ा हूं, ठरकी हूं, ड्रेग एडिक्ट हूं...लेकिन टेररिस्ट नहीं हूं'.
हालात वो भी आए जब अपने अभिनय से दर्शकों...
लोगों ने भले ही संजय दत्त को टेररिस्ट कहा हो, या अब भी कहते हों, लेकिन संजय दत्त की बायोपिक फिल्म 'संजू' उनके प्रति लोगों के नजरिए को बदलने का काम जरूरी करेगी. ये बात इस फिल्म के ट्रेलर को देखकर साफ तौर पर कही जा सकती है जो एक लंबे इंतजार के बाद रिलीज हो गया है.
संजय दत्त एक ऐसे स्टार हैं जिन्हें एक्टिंग और स्टारडम विरासत में मिला. पिता सुनील दत्त और मां नरगिस का एकलौता बेटा, जब से लॉन्च हुआ तब से लाइमलाइट में ही रहा. संजय दत्त के जीवन का हर हिस्सा मीडिया ने उनके चाहने वालों के सामने रखा, चाहे वो उनकी चॉकलेटी इमेज हो जिसपर लड़कियां फिदा रहती थीं, या फिर उनके जीवन के वो पल जब वो ड्रग्स के नशे में चूर रहते थे.
पूरा देश तब हिल गया था जब 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों में संजय दत्त का नाम आया था. माता-पिता की उम्मीदों के चिराग ने तब देश में कई दिल तोड़े. क्योंकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि संजय दत्त के संबंध अंडरवर्ल्ड से भी हो सकते हैं. घर में एके-56 राइफल रखने के आरोप में संजय दत्त को 1994 में गिरफ्तार किया गया और एक 'खलनायक' वास्तव में खलनायक साबित हुआ.
ट्रेलर भी यही कहता है कि 'इतना वेराइटी वाला लाइफ आपको कहां मिलेगा- मैं बेवड़ा हूं, ठरकी हूं, ड्रेग एडिक्ट हूं...लेकिन टेररिस्ट नहीं हूं'.
हालात वो भी आए जब अपने अभिनय से दर्शकों को लुभाने वाले संजय की असल जिंदगी दर्शकों को ज्यादा इंटरटेन करने लगी थी. वजह था उनका बार-बार जेल जाना. लेकिन यही वो समय था जब संजय दत्त ने जिंदगी के असल मायने सीखे थे. जो इंसान चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ था उसने जेल की जिंदगी में वो अनुभव किया जो शायद एक आम इंसान भी नहीं करता है. संजय दत्त के जीवन का समय वास्तव में कितना कष्टदायक रहा होगा उसकी कहानी इस ट्रेलर में साफ देखी जा सकती है.
लोगों ने किसी भी स्टार के स्टार से सुपर स्टार बनने का सफर देखा होगा, लेकिन किसी ने भी एक स्टार के कैदी बनने का सफर नहीं देखा. और राजकुमार हिरानी ने संजय दत्त की जिंदगी का यही हिस्सा दुनिया को दिखाने की एक सफल कोशिश की है. सफल इसलिए क्योंकि इन सीन्स को देखकर कोई भी संजय दत्त के लिए दुखी हो जाएगा.
तेज रफ्तार से चलने वाला संगीत अचानक से गंभीर हो जाता है जब संजय दत्त यानी रणबीर कपूर को पुलिस वाले के सामने नग्न अवस्था में खड़ा दिखाया जाता है. लैट्रीन से आने वाला पीला और गंदा पानी जब संजय दत्त के पैरों को छूता है तो दिल में अजीब सा होता है, और यही राजकुमार हीरानी के निर्देशन का जादू भी है, कि वो घिनौना सा स्पर्श जो संजय ने वहां महसूस किया वो अब दर्शक भी महसूस कर रहे हैं. मायूसी से संजय का दीवार से सिर पटकना हो या एक बेबस इंसान की तरह अस्पताल के बेड पर पड़े होना, रणबीर कपूर ने अपने अभिनय से लोगों के दिलों पर एक बार फिर दस्तक दी है.
संजय दत्त के जीवन के सारे रंगों में से ब्लैक एंड व्हाइट तो सबने देखा है, लेकिन ये ग्रे शेड लोगों तक पहुंचाने का काम कर रही है ये फिल्म 'संजू'. ट्रेलर ही ऐसा है जो संजय दत्त के प्रति लोगों की नकारात्मक सोच को बदल सकता है. और पिता सुनील दत्त की इस बात को सार्थक भी करता है कि 'मेरा बेटा कोई गुजरा हुआ वक्त नहीं है जो लौटकर वापिस नहीं आ सकता'. संजय दत्त की निगेटिव इमेज आधी तो धुल गई, आधी रहती है, क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त...
संजय दत्त के किरदार को जितनी बारीकी और गंभीरता से रणबीर कपूर ने निभाया है शायद ही अब तक किसी बायोपिक में किसी कलाकार ने ऐसा किया हो. वो इसलिए कि जब आप ये ट्रेलर देखते हैं तो आपको ये अहसास ही नहीं होता कि आप संजय दत्त को नहीं रणबीर कपूर को देख रहे हैं. इस फिल्म में न संगीत मायने रखता है, और न कहानी, मायने रखती है तो एक स्टार की जिंदगी, जिसकी कई पर्तों से पर्दा उठाना बाकी है. ट्रेलर के लिए दर्शकों का इंतजार सफल रहा. और अब इंतजार है फिल्म की रिलीज का जिसके लिए अब एक महीने का इंतजार काफी भारी है.
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