जिस फिल्म के पोस्टर पर हीरो के कंधे पर हल दिखे, उसकी छाती से टपक रहे खून का रंग तिरंगा यानी भगवा-हरा और सफ़ेद हो- ज्यादा क्लू देने की जरूरत नहीं कि उस फिल्म में क्या होगा? सत्यमेव जयते 2 के पोस्टर पर गौर तो किया ही होगा. ऐसी फिल्मों में छिपाने के कुछ होता भी तो. यहां देखने लायक सिर्फ एक बात रह जाती है. वो ये कि निर्माताओं ने मनोरंजन का जो जायका तैयार किया है वह ठीक से पका है या नहीं. उसमें डाले गए मसाले अनुपात के हिसाब से ही हैं या कम ज्यादा. बाकी चीजों को कसौटी पर कसना ही क्यों?
दुनिया के क्लाइमेट चिंताओं से परेशान लोगों की अपनी दिक्कत है जो वे सत्यमेव जयते 2 में द इक्वलाइजर टाइप की चीजें खोज रहे हैं. जॉन अब्राहम में जबरदस्ती डेंजेल वाशिंगटन या कियानू रीव्स को देखने की बजाय उन्हें वहीं खड़े होना चाहिए असल में जहां वो हैं.
तो सत्यमेव जयते 2 जिन्होंने देख लिया है- सोशल मीडिया पर इसके बारे में लिख रहे हैं. समीक्षकों के साथ आम दर्शक और पीआर वाले फर्जी यूजर्स भी. उनकी तारीफों में निकले पॉइंट्स से एक बात पूरी तरह से साफ़ है कि सत्यमेव जयते 2 पूरी तरह से मास ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनी है और विशुद्ध मास एंटरटेनर फिल्म है. कॉमनमैन सिस्टम और पॉलिटिक्स में किन दिक्कतों पर गौर कर रहा है और उनसे आजिज आकर निपटारा कैसे चाहता है- मिलाप जावेरी एंड टीम ने उसे वैसे ही दिखाया है.
सत्यमेव जयते 2 में जॉन अब्राहम कॉमनमैन की आवाज हैं. मसीहा हैं. सुपरमैन हैं. जो मुद्दे हल नहीं हो सकते, जो परेशानी ख़त्म नहीं हो सकती- कॉमनमैन के लिहाजा से जॉन अब्राहम करते दिखते हैं. कॉमनमैन ने अपने मसीहा को सबकुछ करने की छूट दे रखी है. क़ानून के दायरे से बाहर बहुत बाहर जाने की भी छूट. अब कॉमनमैन को मसीहा...
जिस फिल्म के पोस्टर पर हीरो के कंधे पर हल दिखे, उसकी छाती से टपक रहे खून का रंग तिरंगा यानी भगवा-हरा और सफ़ेद हो- ज्यादा क्लू देने की जरूरत नहीं कि उस फिल्म में क्या होगा? सत्यमेव जयते 2 के पोस्टर पर गौर तो किया ही होगा. ऐसी फिल्मों में छिपाने के कुछ होता भी तो. यहां देखने लायक सिर्फ एक बात रह जाती है. वो ये कि निर्माताओं ने मनोरंजन का जो जायका तैयार किया है वह ठीक से पका है या नहीं. उसमें डाले गए मसाले अनुपात के हिसाब से ही हैं या कम ज्यादा. बाकी चीजों को कसौटी पर कसना ही क्यों?
दुनिया के क्लाइमेट चिंताओं से परेशान लोगों की अपनी दिक्कत है जो वे सत्यमेव जयते 2 में द इक्वलाइजर टाइप की चीजें खोज रहे हैं. जॉन अब्राहम में जबरदस्ती डेंजेल वाशिंगटन या कियानू रीव्स को देखने की बजाय उन्हें वहीं खड़े होना चाहिए असल में जहां वो हैं.
तो सत्यमेव जयते 2 जिन्होंने देख लिया है- सोशल मीडिया पर इसके बारे में लिख रहे हैं. समीक्षकों के साथ आम दर्शक और पीआर वाले फर्जी यूजर्स भी. उनकी तारीफों में निकले पॉइंट्स से एक बात पूरी तरह से साफ़ है कि सत्यमेव जयते 2 पूरी तरह से मास ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनी है और विशुद्ध मास एंटरटेनर फिल्म है. कॉमनमैन सिस्टम और पॉलिटिक्स में किन दिक्कतों पर गौर कर रहा है और उनसे आजिज आकर निपटारा कैसे चाहता है- मिलाप जावेरी एंड टीम ने उसे वैसे ही दिखाया है.
सत्यमेव जयते 2 में जॉन अब्राहम कॉमनमैन की आवाज हैं. मसीहा हैं. सुपरमैन हैं. जो मुद्दे हल नहीं हो सकते, जो परेशानी ख़त्म नहीं हो सकती- कॉमनमैन के लिहाजा से जॉन अब्राहम करते दिखते हैं. कॉमनमैन ने अपने मसीहा को सबकुछ करने की छूट दे रखी है. क़ानून के दायरे से बाहर बहुत बाहर जाने की भी छूट. अब कॉमनमैन को मसीहा की जरूरत इसलिए है कि वो 24 घंटे अपनी रोजी-रोटी में परेशान है. वो तमाम मुद्दों पर चिंताग्रस्त है मगर सिस्टम की अराजकता के खिलाफ खड़ा होने के लिए उसके पास समय और साहस दोनों की कमी है.
यहां तक कि कई बार वो वोट देने तक भी नहीं जाता. उसमें एक चीज पर्याप्त है- हर गलत चीज के खिलाफ खूब ढेर सारा गुस्सा. सत्यमेव जयते 2 कॉमनमैन के उन्हीं गुस्सों का विस्फोट है. "नो डिबेट नो टॉक- फैसला ऑन दी स्पॉट" टाइप में.
सोशल मीडिया पर आ रही समीक्षाओं की मानें तो सत्यमेव जयते 2 की स्क्रिप्ट एंगेजिंग है. संवाद सब्जेक्ट के मुताबिक़ हाई हैं और लगभग सभी वन लाइनर लाजवाब हैं. तालियां पाने वाले. वैसे भी इन फिल्मों की जान वनलाइनर ही हैं. जॉन अब्राहम तिहरे किरदार में हैं. एक्शन सीक्वेंस भी पॉपुलर कैटेगरी वाले हैं. मसलन एक सीन सोशल मीडिया पर खूब साझा हो रहा है जिसमें जॉन भ्रष्ट पुलिसवाले को पंच मारते हैं और पीछे से उसकी पैंट फंस जाती है. अब देखने वाले बेहतर बता सकते हैं कि पैंट फटी कैसे. लोगों को जॉन का हर अंदाज पसंद आ रहा है. लगा रहा है कि सत्यमेव जयते 2 केवल और केवल जॉन अब्राहम का शो है. बाकी लोग सपोर्ट भर के लिए हैं. हालांकि लोगों ने हर्ष छाया, गौतमी कपूर, दयाशंकर प्रसाद और जाकिर हुसैन को भी सराहा है.
सत्यमेव जयते 2 में एक्शन-स्क्रीन प्ले के बाद जो चीजें बचती हैं उसमें आइटम नंबर, गाना और निर्देशन आता है. नोरा फतेही आधुनिक हेलन हैं. उन्हें फिल्मों में आइटम नंबर का स्पेस भरते देखा जा सकता है. सत्यमेव जयते 2 में नोरा के जिम्मे कुजू-कुजू आया है. यह पहले से ही चार्टबीट में ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर इसके बारे में खूब प्रतिक्रियाएं हैं. देशभक्ति बढाने वाले जन गण मन की भी तारीफ़ हो रही है और मेरी जिंदगी है तू भी सराहा जा रहा है.
समीक्षकों ने मिलाप जावेरी के निर्देशन ठीक-ठीक नंबर दिया है. बिना वोट दिए सरकार से नाना प्रकार की उम्मीद पाले बैठी जनता और बिना वोट दिए सरकार को सबक सिखाने वाली जनता को जिस तरह से समस्याओं का निपटारा चाहिए- वो सबकुछ सत्यमेव जयते 2 में है. जनता को और क्या चाहिए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.