90 के दशक में बॉलीवुड में दो चीजों के उभार का जिक्र किए बिना आधुनिक हिंदी फिल्म का इतिहास कभी पूरा नहीं होगा. यह वो दौर है जब दो नौजवान अभिनेता भारतीय सिनेमा में हीरो के नए मानक स्थापित करते नजर आते हैं. दोनों बेशुमार कामयाबी हैसल करते दिखते हैं. वह की और नहीं शाहरुख खान और गोविंदा हैं. दोनों सितारों के करियर में 1990 से लेकर 2000 तक का समय बहुत महत्वपूर्ण है. यह दौर बॉलीवुड के कायांतरण का भी है. शाहरुख खान ग्रे शेड और रोमांटिक किरदारों से शहरी दर्शक वर्ग के एक बड़े हिस्से के सबसे चहेते अभिनेता बन जाते हैं. वह अमिताभ के बाद लगभग महानायक का दर्जा हासिल करते नजर आते हैं. शाहरुख यशराज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन जैसे बड़े बड़े बैनर का अनिवार्य हिस्सा दिखते हैं और अभिजात्य दर्शकों में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल करते हैं.
दूसरी तरफ इसी दौर में गोविंदा भी कॉमेडी फिल्मों की वजह से एक ऐसे महानायक के रूप में उभरते हैं जो छोटे शहरों कस्बों और गांवों का सबसे चहेता अभिनेता बन जाता है. उनका स्टारडम और फिल्मों का सक्सेस रेट शाहरुख से किसी मायने में कम नजर नहीं आता. वो चाहे लोकप्रियता का मामला हो या फिल्मों की सक्सेस रेट का. गोविंदा छोटे बैनर की बिशुद्ध मसाला फिल्मों के सुपरस्टार थे. लेकिन उनकी ऑडियंस रीच बहुत व्यापक थी. वैसे गोविंदा, शाहरुख से पहले बॉलीवुड में सक्रिय थे, मगर 90 से पहले उनकी स्थिति सपोर्टिंग एक्टर की ही दिखती है. वो कम मौकों पर सोलो भूमिकाओं में नजर आए.
ज्यादातर मल्टीस्टारर या उम्रदराज सुपरस्टार्स की फिल्म का हिस्सा बने रहे. जिन फिल्मों में वे लीड एक्टर दिकह्ते हैं, वह भी छोटे बैनर की फ़िल्में ही थीं. बड़े बैनर उनको साइन करने से कतराते नजर आते हैं. उस जमाने में गोविंदा पर बी ग्रेड एक्टर का...
90 के दशक में बॉलीवुड में दो चीजों के उभार का जिक्र किए बिना आधुनिक हिंदी फिल्म का इतिहास कभी पूरा नहीं होगा. यह वो दौर है जब दो नौजवान अभिनेता भारतीय सिनेमा में हीरो के नए मानक स्थापित करते नजर आते हैं. दोनों बेशुमार कामयाबी हैसल करते दिखते हैं. वह की और नहीं शाहरुख खान और गोविंदा हैं. दोनों सितारों के करियर में 1990 से लेकर 2000 तक का समय बहुत महत्वपूर्ण है. यह दौर बॉलीवुड के कायांतरण का भी है. शाहरुख खान ग्रे शेड और रोमांटिक किरदारों से शहरी दर्शक वर्ग के एक बड़े हिस्से के सबसे चहेते अभिनेता बन जाते हैं. वह अमिताभ के बाद लगभग महानायक का दर्जा हासिल करते नजर आते हैं. शाहरुख यशराज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन जैसे बड़े बड़े बैनर का अनिवार्य हिस्सा दिखते हैं और अभिजात्य दर्शकों में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल करते हैं.
दूसरी तरफ इसी दौर में गोविंदा भी कॉमेडी फिल्मों की वजह से एक ऐसे महानायक के रूप में उभरते हैं जो छोटे शहरों कस्बों और गांवों का सबसे चहेता अभिनेता बन जाता है. उनका स्टारडम और फिल्मों का सक्सेस रेट शाहरुख से किसी मायने में कम नजर नहीं आता. वो चाहे लोकप्रियता का मामला हो या फिल्मों की सक्सेस रेट का. गोविंदा छोटे बैनर की बिशुद्ध मसाला फिल्मों के सुपरस्टार थे. लेकिन उनकी ऑडियंस रीच बहुत व्यापक थी. वैसे गोविंदा, शाहरुख से पहले बॉलीवुड में सक्रिय थे, मगर 90 से पहले उनकी स्थिति सपोर्टिंग एक्टर की ही दिखती है. वो कम मौकों पर सोलो भूमिकाओं में नजर आए.
ज्यादातर मल्टीस्टारर या उम्रदराज सुपरस्टार्स की फिल्म का हिस्सा बने रहे. जिन फिल्मों में वे लीड एक्टर दिकह्ते हैं, वह भी छोटे बैनर की फ़िल्में ही थीं. बड़े बैनर उनको साइन करने से कतराते नजर आते हैं. उस जमाने में गोविंदा पर बी ग्रेड एक्टर का ठप्पा भी लगाया जाता था. एक ऐसा एक्टर जो बेतहाशा और मनमानी फ़िल्में करता है.
जब गोविंदा की फिल्मों ने तहलका मचा दिया था
लेकिन 90 के बाद गोविंदा की एक पर एक सुपरहिट मसाला एंटरटेनर ने उनके स्टारडम को आसमान पर पहुंचा दिया. उनके आसपास शाहरुख के अलावा कोई दूसरा एक्टर ऐसी सफलता हासिल करते नहीं दिखता. ये दूसरी बात है कि लोकप्रियता के आसमान पर सवार गोविंदा को लेकर बड़े बैनर तब भी फिल्म बनाने में रूचि नहीं दिखाते हैं. आंखें, राजाबाबू, दुलारा, खुद्दार, कूली नंबर वन, साजन चले ससुराल, छोटे सरकार, हीरो नंबर 1, बनारसी बाबू, दीवाना मस्ताना, आंटी नंबर 1, परदेसी बाबू, हसीना मान जाएगी, हद कर दी आपने और कुंवारा जैसी मसाला एंटरटेनर दी. इन्हीं में से एक्टर की एक बड़ी फिल्म थी- दूल्हे राजा. मजेदार यह है कि शाहरुख और गोविंदा ने लगभग एक ही दौर में बेहतरीन कामयाबी जरूर हासिल की, बावजूद दोनों दो अलग-अलग धाराओं के अभिनेता थे. कैमियो छोड़ दिए जाए तो कभी याद नहीं आता कि दोनों किसी फिल्म में साथ-साथ दिखे भी थे.
दूल्हे राजा बनाएगी गोविंदा-शाहरुख के बीच पुल
शाहरुख फिलहाल भले संघर्ष कर रहे हों, बावजूद उनका स्टारडम अभी भी बरकारार है. जबकि गोविंदा का स्टारडम लगभग ख़त्म हो चुका है. अब भले ही दोनों एक्टर एक साथ स्क्रीन स्पेस साझा करते नहीं दिखे मगर एक फिल्म दोनों के बीच बड़ा पुल बनाने का काम कर सकती है. वह फिल्म है- दूल्हे राजा. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शाहरुख खान ने गोविंदा, कादर खान और रवीना टंडन की ब्लॉकबस्टर 'दूल्हे राजा' की रीमेक के लिए निगेटिव राइट खरीदा है. शाहरुख तीन बड़ी फिल्मों में व्यस्त हैं. जबकि उनका प्रोडक्शन रेडचिलीज एंटरटेनमेंट कई अन्य प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. तमाम प्रोजेक्ट में शाहरुख नहीं हैं. माना जा रहा कि सबकुछ ठीकठाक रहा तो दूल्हे राजा का रीमेक भी शाहरुख के प्रोडक्शन से आ सकती है.
पिंकविला ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि कॉमेडी एंटरटेनर के लिए मशहूर फरहद समजी दूल्हे राजा के स्क्रीनप्ले पर काम कर रहे हैं. दूल्हे राजा की कहानी को नए जमाने के ऑडियंस की जरूरत के हिसाब से लिखा जाएगा और अगर कहानी प्रभावी रही तो प्रोडक्शन रीमेक बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा. दूल्हे राजा के रीमेक को किसी ए लिस्टर एक्टर के साथ ही बनाया जा सकता है. हाल के दिनों में बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों का रीमेक बनाया गया है. कई रीमेक फिल्मों ने तो मूल फिल्मों की तरह ही दर्शकों का मनोरंजन करते हुए बेशुमार कामयाबी बटोरने में सफल रही हैं. जहां तक बात दूल्हे राजा की है यह फिल्म साल 1998 में आई थी. इसे हरमेश मल्होत्रा ने बनाया था. गोविंदा कादर खान और रवीना के अलावा फिल्म में मोहनीश बहल, जॉनी लीवर, प्रेम चोपड़ा, और असरानी नजर आए थे.
अगर दूल्हे राजा रीमेक के रूप में रेड चिलीज से प्रोड्यूस होती है तो शाहरुख और गोविंदा में एक पुल तो बन ही जाएगा.
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