शाहरुख खान के पुत्र आर्यन को क्रूज़ पर ड्रग्स पार्टी के मामले में हिरासत में लिए जाने के बाद कई तरह की बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है कि शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान ने अपने बेटे आर्यन खान का लालन-पालन सही से नहीं किया जिससे कि वह एक बेहतर नागरिक बन कर उभऱता. बेशक, इस तरह की चर्चा करना फिलहाल सही नहीं है. अभी तो बस शाहरुख खान से देश इतनी भर उम्मीद जरूर करता है कि वे कानून को अपना काम करने देंगे. अगर आर्यन पर कोई आरोप साबित नहीं होंगे तो वह रिहा तो हो ही जाएगा. शाखरुख खान यकीनन भारत की महत्वपूर्ण शख्सियत हैं. सारा देश उन्हें कलाकार के रूप में चाहता है. उनका संबंध एक स्वाधीनता सेनानी परिवार से भी रहा है. उनके पिता ताज मोहम्मद खान स्वाधीनता सेनानी थे. मोहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई में मुस्लिम लीग का पृथक इस्लामी राष्ट्र का सपना 14 अगस्त 1947 को पूरा हो गया. लेकिन ताज मोहम्मद जैसे बहुत से मुसलमानों को जिन्ना का पाकिस्तान मंजूर नहीं था. इन्हें मुसलमान होने के बाद भी इस्लामी मुल्क का नागरिक बनना नामंजूर था.
बस, इसीलिए ताज मोहम्मद पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे. ताज मोहम्मद खान सरहदी गांधी कहे जाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान के शिष्य थे. उन्होंने इस्लामी राष्ट्र की बजाय धर्मनिरपेक्ष देश का नागरिक बनना पसंद किया. तो आप समझ सकते हैं कि शाहरुख खान कितने अहम परिवार से आते हैं. उनकी देश भक्ति पर सवाल उठाना सरासर भूल होगी.
उन्होंने करगिल की जंग के समय भारत के तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए 25 लाख रुपए भी दिए थे. यह सन 2000 की बात है. बहरहाल, शाहरुख खान से पहले भी कई नामवर हस्तियों की...
शाहरुख खान के पुत्र आर्यन को क्रूज़ पर ड्रग्स पार्टी के मामले में हिरासत में लिए जाने के बाद कई तरह की बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है कि शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान ने अपने बेटे आर्यन खान का लालन-पालन सही से नहीं किया जिससे कि वह एक बेहतर नागरिक बन कर उभऱता. बेशक, इस तरह की चर्चा करना फिलहाल सही नहीं है. अभी तो बस शाहरुख खान से देश इतनी भर उम्मीद जरूर करता है कि वे कानून को अपना काम करने देंगे. अगर आर्यन पर कोई आरोप साबित नहीं होंगे तो वह रिहा तो हो ही जाएगा. शाखरुख खान यकीनन भारत की महत्वपूर्ण शख्सियत हैं. सारा देश उन्हें कलाकार के रूप में चाहता है. उनका संबंध एक स्वाधीनता सेनानी परिवार से भी रहा है. उनके पिता ताज मोहम्मद खान स्वाधीनता सेनानी थे. मोहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई में मुस्लिम लीग का पृथक इस्लामी राष्ट्र का सपना 14 अगस्त 1947 को पूरा हो गया. लेकिन ताज मोहम्मद जैसे बहुत से मुसलमानों को जिन्ना का पाकिस्तान मंजूर नहीं था. इन्हें मुसलमान होने के बाद भी इस्लामी मुल्क का नागरिक बनना नामंजूर था.
बस, इसीलिए ताज मोहम्मद पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे. ताज मोहम्मद खान सरहदी गांधी कहे जाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान के शिष्य थे. उन्होंने इस्लामी राष्ट्र की बजाय धर्मनिरपेक्ष देश का नागरिक बनना पसंद किया. तो आप समझ सकते हैं कि शाहरुख खान कितने अहम परिवार से आते हैं. उनकी देश भक्ति पर सवाल उठाना सरासर भूल होगी.
उन्होंने करगिल की जंग के समय भारत के तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए 25 लाख रुपए भी दिए थे. यह सन 2000 की बात है. बहरहाल, शाहरुख खान से पहले भी कई नामवर हस्तियों की अपने संतानों की हरकतों के कारण शर्मसार होना पड़ा है. गांधी जी के सबसे बड़े पुत्र हरिलाल गांधी की कभी अपने पिता से नहीं बनी.
उनके बापू से कई मसलों पर गहरे मतभेद रहे. वे उच्च शिक्षा लेने के लिए ब्रिटेन जाना चाहते थे. वे भी अपने पिता की तरह से बैरिस्टर बनने का ख्वाब रखते थे. पर बापू नहीं चाहते थे कि हरिलाल पढ़ने के लिए ब्रिटेन जाएं. इन्हीं सब वजहों के चलते उनकी और बापू से दूरियां बढ़ती गईं. कहने वाले कहते हैं कि हरिलाल वेश्यागामी भी थे. नशा भी करते थे.
महात्मा गांधी और हरिलाल के संबंधों पर कुछ साल पहले एक फिल्म ‘गांधी, माई फादर’ भी आई थी. उसमें बापू और उनके विद्रोही बड़े बेटे के कलहपूर्ण रिश्तों को दिखाया गया था. फिल्म पिता और पुत्र के बीच आदर्शों की लड़ाई को दिखाती थी. फ़िल्म 'गांधी माई फ़ादर' भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि हरिलाल और उनके पिता मोहनदास करमचंद गांधी की कहानी है.
गांधी जी ने हरिलाल की गलत हरकतों पर उन्हें संरक्षण नहीं दिया. इसलिए ही वे देश के आदर्श बने. माफ करें, पर इस मोर्चे पर फिल्म अभिनेता सुनील दत्त कमजोर साबित हो गये थे. उनका पुत्र और खुद मशहूर एक्टर संजय दत्त 1993 के मुम्बई में हुए बम विस्फोटों का गुनाहगार था. मुंबई बम विस्फोट में 270 निर्दोष नागरिक मारे गए थे और सैकड़ों जीवन भर के लिए विकलांग भी हो गए थे.
सैकड़ों करोड़ रुपयों की संपत्ति नष्ट हो गई थी. देश की वित्तीय राजधानी मुंबई कई दिनों तक पंगु हो गई थी. उन धमाकों के बाद मुंबई पहले वाली रौनक और बेख़ौफ़ जीवन कभी रही ही नहीं. दरअसल 12 मार्च,1993 को मुंबई में कई जगहों पर बम धमाके हुए थे. जब वो भयानक धमाके हुए थे तब मुंबई पुलिस के कमिश्नर एमएनसिंह थे. सरकार कांग्रेस की थी पर पुलिस कमिश्नर कड़क अफसर थे.
उन्होंने एक बार कहा भी था कि यदि संजय दत्त अपने पिता सुनील दत्त को यह जानकारी दे देते कि उनके पास हथियार हैं तो मुंबई में धमाके होते ही नहीं. उनका कहना था कि यह जानकारी सुनील दत्त निश्चित रूप से पुलिस को दे देते. लेकिन संजय दत्त ने यह नहीं किया. काश! संजय दत्त ने उपर्युक्त जानकारी अपने पिता को बताई होती तो मुंबई तबाह होने से बच जाती. तब सैकड़ों मासूम लोग नहीं मरते, हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति भी तबाह न होती.
मुंबई धमाकों के आरोपियों पर सुप्रीम कोर्ट तक में लम्बा केस चला था. उस केस की सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को गुनाहगार माना था. संजय दत्त ने अपने बचाव में तमाम दलीलें दी, बडे-बड़े नमी गिरामी वकीलों को लाखों की फ़ीस देकर खड़ा किया, पर उनकी दलीलों को कोर्ट ने सिरे से खारिज किया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को छह बरस की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई.
संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीक़ी से अवैध बंदूक़ें प्राप्त करने, उन्हें अपने घर में रखने और अंत में विस्फोट और दंगे के बाद नष्ट करने की कोशिश का दोषी माना गया था. कोर्ट में पेश साक्ष्यों के आधार पर ये हथियार उसी ज़खीरे का हिस्सा थे, जिन्हें बम धमाकों और मुंबई पर हमले के दौरान इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तानी आतंकियों के माध्यम से मंगवाया गया था.
संजय दत्त ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था, 'मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित था. इसलिए इन अवैध और तस्करी कर लाये हथियारों को रखने का यही कारण था. मैं घबरा गया था और कुछ लोगों के कहने में आकर मैंने ऐसा किया.' अफसोस कि एक्टर से कांग्रेस के नेता और फिर यूपीए सरकार में मंत्री रहे सुनील दत्त ने भी अपने लाड़ले को बचाने के लिए हरचंद कोशिश की थी.
उनका इस तरह का आचरण देश भर के अधिकांश लोगों को पसंद नहीं आया था. वे एक तरफ तो शांति और भाई चारे की बातें करते थे और दूसरी तरफ अपने तमाम गंभीर आरोपों में फंसे पुत्र को बचाने की कोशिश कर रहे थे. अब शाहरुख खान को भी अपना उदाहरण पेश करना होगा. उन्हें इस सारे मामले में तटस्थ रवैया अपनाना होगा, ताकि कानून आर्यन के साथ न्याय करें.
अगर वे यह करते हैं तो उनके प्रति देश का आदर का भाव बढ़ेगा ही. फिलहाल सारे देश की शाहरुख खान और उन अभिभावकों के साथ सहानुभूति तो जरूर ही है, जो नशे के शिकार हो जाते हैं.
ये भी पढ़ें -
Aryan Khan case: आपदा में शाहरुख-सलमान के प्रशंसकों की एकजुटता तो नई कहानी है!
शाहरुख खान के बेटे आर्यन का सबसे ताकतवर बचाव बन गया 'विक्टिम कार्ड'
शाहरुख खान ने अपने बच्चे के ड्रग्स लेने को लेकर मजाक किया था, बात 'मन्नत' की तरह पूरी हुई!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.